वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • km 3/98 पेज 7
  • प्रश्‍न बक्स

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • प्रश्‍न बक्स
  • हमारी राज-सेवा—1998
  • मिलते-जुलते लेख
  • प्रश्‍न पेटी
    हमारी राज-सेवा—1990
  • प्रश्‍न बक्स
    हमारी राज-सेवा—2008
  • प्रश्‍न बक्स
    हमारी राज-सेवा—2002
  • अपने पहनावे के बारे में सोचना क्यों ज़रूरी है?
    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!—ईश्‍वर से जानें
और देखिए
हमारी राज-सेवा—1998
km 3/98 पेज 7

प्रश्‍न बक्स

▪ लोनावला में संस्था के शाखा दफ्तर या बंगलौर में निर्माण स्थल पर जाते वक्‍त, हमें अपने पहनावे और बनाव-श्रृंगार पर खास ध्यान क्यों देना चाहिए?

मसीहियों से शालीनता बनाए रखने की आशा की जाती है। हर समय हमारे पहनावे और बनाव-श्रृंगार से वह सौम्यता और गरिमा झलकनी चाहिए जो यहोवा परमेश्‍वर के सेवकों के लिए उपयुक्‍त है। यह खासकर तब सच है जब हम संसार के किसी भी भाग में संस्था का शाखा दफ्तर देखने जाते हैं।

संसार के अनेक भागों में, १९९८ के दौरान ज़िला और अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किए जाएँगे। अनेक देशों से हमारे हज़ारों भाई, न्यू यॉर्क में संस्था के मुख्यालय और भारत सहित दूसरे देशों की शाखाओं में जाएँगे। इन शाखाओं में जाते वक्‍त ही नहीं, बल्कि किसी भी समय पर हमें “हर बात से,” अपने पहनावे और बनाव-श्रृंगार से भी “परमेश्‍वर के सेवकों की नाईं अपने सद्‌गुणों को प्रगट” करने की ज़रूरत है।—२ कुरि. ६:३, ४.

अपनी सेवकाई को पूरा करने के लिए संगठित (अंग्रेज़ी) किताब में उचित पहनावे और बनाव-श्रृंगार के महत्त्व पर चर्चा की गयी है। क्षेत्र सेवकाई में भाग लेते वक्‍त और मसीही सभाओं में उपस्थित होते वक्‍त, शारीरिक स्वच्छता, शालीन पहनावे और अच्छे बनाव-श्रृंगार की ज़रूरत के बारे में यह किताब बताती है। और फिर, पृष्ठ १३१, अनुच्छेद २ पर यह कहती है: “यही बात ब्रुकलिन के बेथेल घर या संस्था के किसी भी शाखा दफ्तर जाते वक्‍त लागू होती है। याद रखिए, बेथेल नाम का अर्थ है ‘परमेश्‍वर का घर,’ सो हमारे पहनावे, बनाव-श्रृंगार और आचरण के बारे में हमसे वही आशा की जाती है जो राज्यगृह में उपासना के लिए सभाओं में उपस्थित होते वक्‍त की जाती है।” इसी ऊँचे स्तर का पालन, बेथेल परिवार के सदस्यों से मिलने आनेवालों और शाखा दफ्तरों में जानेवाले स्थानीय क्षेत्र के राज्य प्रकाशकों को और ज़्यादा दूर से आनेवाले लोगों को भी करना चाहिए।

यहोवा की सच्ची उपासना के बारे में दूसरों के नज़रिए पर हमारे कपड़ों से सकारात्मक प्रभाव पड़ना चाहिए। लेकिन, यह देखा गया है कि संस्था के शाखा दफ्तरों में जाते वक्‍त, कुछ भाई-बहन अपने पहनावे में बहुत ज़्यादा लापरवाही दिखाते हैं। ऐसा पहनावा किसी भी बेथेल घर में जाते वक्‍त उपयुक्‍त नहीं है। इस मामले में, हमारे मसीही जीवन के दूसरे सभी पहलुओं की तरह, हमारी इच्छा है कि सब कुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए करने के द्वारा उन्हीं ऊँचे स्तरों को बनाए रखें जो परमेश्‍वर के लोगों को संसार से अलग दिखाते हैं। (रोमि. १२:२; १ कुरि. १०:३१) हमारे बाइबल विद्यार्थियों और दूसरे लोगों के साथ जो शायद पहली बार बेथेल जा रहे हैं बात करना, और उचित पहनावे और बनाव-श्रृंगार का महत्त्व उन्हें याद दिलाना अच्छा है।

सो संस्था के शाखा दफ्तर जाते वक्‍त, अपने आप से पूछिए: ‘क्या मेरा पहनावा और बनाव-श्रृंगार शालीन है?’ (मीका ६:८ से तुलना कीजिए।) ‘मैं जिस परमेश्‍वर की उपासना करता हूँ क्या यह उसकी अच्छी छवि दिखाता है? क्या दूसरे मेरी वेशभूषा को देखकर विचलित या नाराज़ होंगे? क्या मैं पहली बार आनेवाले दूसरे लोगों के लिए एक अच्छा उदाहरण रख रहा हूँ?’ हम हमेशा अपने पहनावे और बनाव-श्रृंगार से “सब बातों में [अपने] उद्धारकर्त्ता परमेश्‍वर के उपदेश को शोभा दें।”—तीतु. २:१०.

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें