वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • mwb22 मार्च पेज 13
  • हर मुश्‍किल का अंत ज़रूर होगा

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • हर मुश्‍किल का अंत ज़रूर होगा
  • हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2022
  • मिलते-जुलते लेख
  • मुसीबतों के दौरान यहोवा हमें थाम लेता है
    हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2023
  • हमेशा सब्र से काम लें!
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2023
  • क्या आप सब्र रखेंगे और इंतज़ार करेंगे?
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2017
  • यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार कीजिए
    हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2022
और देखिए
हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2022
mwb22 मार्च पेज 13
तसवीरें: “दुनिया में पड़ी फूट, पर हम हैं एकजुट” वीडियो का एक सीन। 1. एक सम्मेलन की तसवीर जिसमें सिर्फ अश्‍वेत भाई-बहन हैं। 2. एक तसवीर जिसमें श्‍वेत-अश्‍वेत प्राचीन और उनकी पत्नियाँ हैं। 3. दो बहनें, जिनकी उम्र और रंग अलग है, साथ मिलकर सरेआम गवाही दे रही हैं।

जीएँ मसीहियों की तरह

हर मुश्‍किल का अंत ज़रूर होगा

जब हम पर मुश्‍किलें आती हैं तो हम निराश हो सकते हैं। और जब ये मुश्‍किलें लंबे समय तक रहती हैं, तो हम और ज़्यादा निराश हो सकते हैं। राजा शाऊल की वजह से दाविद को बहुत वक्‍त तक मुश्‍किलों से गुज़रना पड़ा। लेकिन उसे विश्‍वास था कि ये मुश्‍किलें खत्म होंगी और यहोवा उसे राजा बनाने का अपना वादा पूरा करेगा। (1शम 16:13) इस वजह से वह सब्र रख पाया और उसने यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार किया।

अपने हालात बदलने के लिए हम सोच-समझकर काम ले सकते हैं। (1शम 21:12-14; नीत 1:4) लेकिन कई बार यह सब करने के बाद भी शायद हमारी मुश्‍किल दूर न हो। तब हमें सब्र रखना चाहिए और यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार करना चाहिए। बहुत जल्द, वह हमारी सारी मुश्‍किलें दूर कर देगा और हमारी आँखों से “हर आँसू पोंछ देगा।” (प्रक 21:4) चाहे हमारी मुश्‍किलें यहोवा की मदद से दूर हों या किसी और वजह से, एक बात पक्की है कि “हर मुश्‍किल का अंत ज़रूर होगा।” इस सच्चाई से हमें काफी दिलासा मिल सकता है।

दुनिया में पड़ी फूट, पर हम हैं एकजुट  वीडियो देखिए। फिर सवालों के जवाब दीजिए।

  • अमरीका के दक्षिणी इलाकों में रहनेवाले कुछ मसीहियों को किन मुश्‍किलों का सामना करना पड़ा?

  • उन्होंने कैसे सब्र रखा और अपना प्यार जताया?

  • उन्होंने किस तरह ‘ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातों’ पर ध्यान दिया?​—फिल 1:10

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें