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सोच-समझकर जीवन-साथी चुनिए
सुलैमान ने एक मूर्खता का काम किया। उसने ऐसी औरतों से शादी की जो झूठे देवी-देवताओं को पूजती थीं (1रा 11:1, 2; प्र18.07 पेज 18 पै 7)
सुलैमान की पत्नियों ने धीरे-धीरे उसका दिल बहका दिया और उसने यहोवा को छोड़ दिया (1रा 11:3-6; प्र19.01 पेज 15 पै 6)
यहोवा को सुलैमान पर बहुत क्रोध आया (1रा 11:9, 10; प्र18.07 पेज 19 पै 9)
बाइबल में मसीहियों को सलाह दी गयी है कि वे “सिर्फ प्रभु में” शादी करें। (1कुर 7:39) लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि अगर एक व्यक्ति का बपतिस्मा हो चुका है, तो वह आपके लिए अच्छा जीवन-साथी साबित होगा। किसी से भी शादी करने में जल्दबाज़ी मत कीजिए। थोड़ा समय लेकर पहले उसे जानिए। खुद से पूछिए, ‘क्या वह जी-जान से यहोवा की सेवा करने में मेरा साथ देगा/देगी? क्या उसे यहोवा की सेवा करते हुए कुछ समय हो गया है? क्या उसके कामों से दिखता है कि वह यहोवा से दिल से प्यार करता/करती है?’