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  • ‘अब मुझे प्रचार काम बहुत पसंद है!’
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2021
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2021
w21 अप्रैल पेज 26-29
वनीसा वचीनी।

जीवन कहानी

‘अब मुझे प्रचार काम बहुत पसंद है!’

वनीसा वचीनी की ज़ुबानी

मैं न्यूज़ीलैंड के बैलक्लूथा शहर में पली-बढ़ी थी। जब मैं छोटी थी, तो यहोवा को अच्छा दोस्त मानती थी और यहोवा का एक साक्षी होना मुझे बहुत अच्छा लगता था। सभाओं में जाना और भाई-बहनों से मिलना-जुलना भी मुझे बहुत अच्छा लगता था। मैं स्वभाव से शर्मीली थी, फिर भी हर हफ्ते प्रचार में जाने में मुझे बहुत मज़ा आता था। मैं अपने स्कूल के बच्चों को और दूसरों को गवाही देने से नहीं डरती थी। यह कहने में मुझे गर्व महसूस होता था कि मैं यहोवा की एक साक्षी हूँ। मैंने 11 साल की उम्र में अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया।

प्रचार काम से मेरा मन ऊबने लगा

अफसोस की बात है कि जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गयी, यहोवा के लिए मेरा प्यार ठंडा होता गया। यह तब की बात है जब मैं करीब 13 साल की थी। मैं देखती थी कि मेरे स्कूल के बच्चों पर घरवालों से कोई रोक-टोक नहीं है। वे कहीं भी कभी-भी आ-जा सकते हैं। मैं भी उनकी तरह बनना चाहती थी। मुझे लगता था कि मम्मी-पापा ने घर के लिए जो कानून बनाए हैं उन्हें मानना और यहोवा का एक साक्षी होना बहुत मुश्‍किल है। अब प्रचार में और सभाओं में जाना भी मुझे बोझ लगने लगा। मैंने कभी यह तो नहीं कहा कि यहोवा जैसा कोई परमेश्‍वर है भी कि नहीं, मगर अंदर-ही-अंदर मैं यहोवा से दूर होती गयी।

मैंने प्रचार में जाना छोड़ा नहीं। बस नाम के लिए जाती थी। और जब भी जाती, तो बिना तैयारी के जाती थी। और किसी से बातचीत शुरू करना और उसे जारी रखना मुझे मुश्‍किल लगता था। फिर यह हाल हुआ कि मेरे पास न कोई वापसी भेंट रही न कोई बाइबल अध्ययन। मुझे प्रचार करना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था। मैं सोचती थी, ‘लोग कैसे करते हैं यह प्रचार काम, और वह भी हर हफ्ते!’

जब मैं 17 की हुई, तो मुझसे और रहा नहीं गया। मैं एक आज़ाद पंछी बनना चाहती थी। बस फिर क्या था। मैंने अपने कपड़े, सामान सबकुछ बाँधा और ऑस्ट्रेलिया चली गयी। मम्मी-पापा के लिए यह सब बरदाश्‍त करना बहुत मुश्‍किल था। उन्हें मेरी चिंता होने लगी। लेकिन उन्हें यकीन था कि मैं यहोवा की सेवा करती रहूँगी।

ऑस्ट्रेलिया में मेरी हालत और बिगड़ गयी। मैं सभाओं में कभी-कभार ही जाती थी। मैं ऐसे लड़के-लड़कियों से दोस्ती करने लगी जो कभी सभाओं में नज़र आते, तो कभी नाइट-क्लब में। शराब पीना, नाच-गाना, यही उनकी ज़िंदगी थी। मैंने दो नावों पर पैर रखे हुए थे। एक दुनिया में और एक सच्चाई में। लेकिन हकीकत में न मैं इधर की थी, न उधर की।

एक अहम सीख

फिर दो साल बाद मेरी ज़िंदगी में एक नया मोड़ आया। मैं पाँच अविवाहित बहनों के साथ एक घर में रहती थी। एक बार हमने सर्किट निगरान और उनकी पत्नी तमारा को एक हफ्ते के लिए अपने यहाँ ठहराया। वे चंद दिन मेरे लिए यादगार रहे। तमारा ने अनजाने में ही मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि मैं यह कैसी ज़िंदगी जी रही हूँ। जब भाई मंडली के काम के लिए जाते थे, तो तमारा हम लड़कियों के साथ वक्‍त बिताती थी। वह हमसे खूब बातें करती और हँसती-हँसाती थी। वह हमसे बहुत घुल-मिल गयी थी, इसलिए हम उससे खुलकर बात कर पाते थे। मुझे यह देखकर बड़ा अच्छा लगा कि यह बहन, जो हमेशा सेवा में व्यस्त रहती है, हमारे साथ मज़े भी कर रही है।

सच्चाई और प्रचार काम के लिए तमारा के दिल में बहुत जोश था। वह यहोवा की सेवा जी-जान से करती थी और बहुत खुश थी। और मैं सिर्फ नाम के लिए सेवा करती थी और खुश नहीं थी। उसका जोश देखकर मेरे अंदर जोश भर आया। तमारा को देखकर मुझे बाइबल की एक बात याद आयी। यहोवा चाहता है कि हम सब खुशी से उसकी सेवा करें, खुशी से उसकी जयजयकार करें।​—भज. 100:2.

प्रचार काम मुझे फिर से अच्छा लगने लगा

मैं भी तमारा की तरह खुश रहना चाहती थी, मगर वह खुशी पाने के लिए मुझे बड़े-बड़े बदलाव करने थे। थोड़ा वक्‍त लगा, फिर भी मैंने धीरे-धीरे एक-एक करके सुधार किए। मैं प्रचार में जाने से पहले तैयारी करने लगी। बीच-बीच में सहयोगी पायनियर सेवा करती थी। तब प्रचार में मेरी घबराहट थोड़ी कम हुई और मैं यकीन के साथ बोलने लगी। मैं लोगों को बाइबल की आयतें दिखाने लगी। इससे मुझे अंदर से खुशी मिलने लगी। फिर मैं हर महीने सहयोगी पायनियर सेवा करती थी।

मैं हर उम्र के भाई-बहनों से दोस्ती करने लगी। ऐसे भाई-बहनों से जो सच्चाई में मज़बूत थे और यहोवा की सेवा खुशी से करते थे। उनसे मैंने सीखा कि मुझे ज़िंदगी में किन बातों को अहमियत देनी चाहिए। मैं हर दिन बाइबल पढ़ने लगी। तब मुझे प्रचार काम अच्छा लगने लगा और बाद मैं मैंने पायनियर सेवा शुरू कर दी। बरसों बाद अब जाकर मुझे एहसास हुआ कि मैं ज़िंदगी में भटक नहीं रही हूँ। मैं सच में खुश थी और भाई-बहन भी मुझे अपने लगने लगे।

पायनियर साथी भी और जीवन-साथी भी

एक साल बाद ऐलेक्स नाम के भाई से मेरी मुलाकात हुई। वह दिल का सच्चा है, यहोवा से बहुत प्यार करता है और प्रचार काम उसे बहुत पसंद है। वह एक सहायक सेवक था और छ: साल से पायनियर सेवा कर रहा था। ऐलेक्स ने कुछ समय मलावी में ऐसी जगह सेवा की जहाँ प्रचारकों की बहुत ज़रूरत थी। वहाँ उसे मिशनरियों से मिलने-जुलने का मौका मिला। उन्होंने उसे बढ़ावा दिया कि वह इसी तरह यहोवा की सेवा को ज़िंदगी में पहली जगह देता रहे।

सन्‌ 2003 में ऐलेक्स से मेरी शादी हो गयी। तब से हम दोनों साथ मिलकर पूरे समय की सेवा कर रहे हैं। इन सालों में हमने ज़िंदगी से बहुत कुछ सीखा और यहोवा ने हमें इतनी आशीषें दीं कि हम गिन नहीं सकते।

और भी कई आशीषें

वनीसा वचीनी एक जवान बहन के साथ प्रचार कर रही है।

मैं तिमोर-लेस्टे के ग्लेनो में प्रचार कर रही हूँ

सन्‌ 2009 में हम दोनों को तिमोर-लेस्टे में मिशनरी सेवा करने का बुलावा मिला। यह इंडोनेशिया के द्वीप-समूह में एक छोटा-सा देश है। जब हमें खबर मिली कि हमें वहाँ जाना है, तो हम हैरान रह गए। हम बहुत खुश थे पर साथ में थोड़े घबराए हुए भी। पाँच महीने बाद हम वहाँ की राजधानी डिली पहुँचे।

यहाँ हमारी ज़िंदगी बिलकुल अलग थी। संस्कृति, भाषा, खान-पान सबकुछ नया था हमारे लिए। पहले जैसी सुख-सुविधाएँ नहीं थीं। तो हमें बहुत कुछ सीखना था। प्रचार में भी हमें ज़्यादातर ऐसे लोग मिलते थे जो बहुत गरीब थे, इतने पढ़े-लिखे नहीं थे और उनके साथ काफी अत्याचार हुआ था। बरसों पहले यहाँ जो युद्ध और खून-खराबा हुआ था, उसकी वजह से उन्होंने बहुत दुख झेले थे।a

यहाँ प्रचार काम बहुत बढ़िया था। मैं एक अनुभव सुनाती हूँ। एक बार मुझे मारियाb नाम की एक लड़की मिली जो 13 साल की थी। वह हमेशा उदास रहती थी। कुछ साल पहले उसकी माँ की मौत हो गयी थी। वह अपने पिता से भी बहुत कम मिल पाती थी। इस उम्र के कई बच्चों की तरह वह बस जी रही थी, आगे के लिए उसे कोई उम्मीद नहीं थी। मुझे याद है एक बार वह अपने मन की बात मुझे बताते-बताते रो पड़ी। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कह रही है, क्योंकि मुझे उसकी भाषा ठीक से नहीं आती थी। मैंने यहोवा से प्रार्थना की कि वह मेरी मदद करे ताकि मैं इसका हौसला बढ़ा सकूँ। फिर मैंने उसे बाइबल की कुछ आयतें पढ़कर सुनायीं। अगले कुछ सालों में मैंने देखा कि सच्चाई जानने से मारिया को एक नयी ज़िंदगी मिल गयी। वह पहले की तरह उदास नहीं रहती थी, यहाँ तक कि उसका हुलिया और पूरी ज़िंदगी बदल गयी। उसने बपतिस्मा ले लिया और अब वह खुद कई लोगों का बाइबल अध्ययन कराती है। आज मारिया के पास भाई-बहनों का एक बड़ा परिवार है जो उससे बहुत प्यार करते हैं।

यहोवा की आशीष से तिमोर-लेस्टे में काफी तरक्की हो रही है। यहाँ के ज़्यादातर प्रचारक पिछले दस सालों में ही सच्चाई में आए थे। फिर भी बहुत-से लोग पायनियर, सहायक सेवक और प्राचीन हैं। कुछ भाई-बहन अनुवाद दफ्तर में काम करते हैं और यहाँ की प्रांतीय भाषाओं में हमारी किताबों-पत्रिकाओं का अनुवाद करते हैं। जब मैं देखती थी कि वे कैसे साथ मिलकर सभाओं में खुशी से गीत गाते हैं और यहोवा से कितना प्यार करते हैं, तो मुझे बहुत खुशी होती थी।

वनीसा, ऐलेक्स और तीन भाई लोगों को स्मारक का निमंत्रण-पत्र देने के लिए बाइक से जा रहे हैं।

स्मारक का निमंत्रण बाँटने के लिए ऐलेक्स के साथ दूर-दराज़ इलाके में जा रही हूँ

इससे बढ़िया ज़िंदगी और क्या हो सकती है!

ऑस्ट्रेलिया में हम जो आरामदायक ज़िंदगी जीते थे, वैसा यहाँ तिमोर-लेस्टे में नहीं था। मगर यहाँ प्रचार काम में मुझे बहुत खुशी मिलती थी। यहाँ हमें कुछ परेशानियाँ झेलनी पड़ीं थीं। कभी-कभी हमें ऐसी बस में सफर करना होता था जो लोगों से खचाखच भरी रहती थी। बस के अंदर ही सूखी मछलियाँ और सब्ज़ियों का ढेर रखा होता था। वहाँ के कुछ घर बहुत छोटे होते थे। अंदर बहुत गरमी होती थी। फर्श बहुत गंदा होता था और आस-पास मुर्गियाँ घूम रही होती थीं। और हमें वहीं बैठकर बाइबल अध्ययन कराना होता था। लेकिन इन मुश्‍किलों के बावजूद वहाँ हम बहुत खुश थे।

वनीसा, ऐलेक्स और कुछ लोग एक छोटी-सी बस में जा रहे हैं जो खचाखच भरी हुई है। तीन भाई बस के बाहर लटके हुए हैं।

प्रचार में जाते वक्‍त रास्ते में

जब मैं बचपन के दिन याद करती हूँ, तो मम्मी-पापा के लिए मेरा दिल एहसान से भर जाता है। उन्होंने मुझे यहोवा के बारे में सिखाने के लिए बहुत मेहनत की। जब मैं सच्चाई में कमज़ोर पड़ गयी थी, तब भी उन्होंने मुझे छोड़ा नहीं बल्कि सहारा दिया। नीतिवचन 22:6 मेरे मामले में बिलकुल सच हुआ। मम्मी-पापा को ऐलेक्स पर और मुझ पर बहुत नाज़ है कि हम खुशी से यहोवा की सेवा कर रहे हैं। सन्‌ 2016 से हम ऑस्ट्रलेशिया शाखा दफ्तर के इलाके में सर्किट काम कर रहे हैं।

तिमोर-लेस्टे के बच्चे सोनू-रिंकी का वीडियो देखकर खुश हैं

आज मुझे यकीन करना मुश्‍किल लगता है कि एक वक्‍त पर प्रचार काम मुझे बोरिंग लगता था। अब मुझे यह काम बहुत पसंद है! मैंने देखा है कि ज़िंदगी में चाहे जो भी हो जाए, सच्ची खुशी सिर्फ तभी मिल सकती है जब हम यहोवा की सेवा दिल से करेंगे। बीते 18 सालों से मैं ऐलेक्स के साथ मिलकर यहोवा की सेवा कर रही हूँ और ये मेरी ज़िंदगी के सबसे बेहतरीन साल रहे हैं। दाविद ने यहोवा से जो कहा वह बिलकुल सच है, ‘तेरी पनाह में आनेवाले सभी आनंद मनाएँगे, वे हमेशा खुशी से जयजयकार करेंगे। तेरे नाम से प्यार करनेवाले तेरे कारण आनंद मनाएँगे।’​—भज. 5:11.

वनीसा और ऐलेक्स एक घर के बाहर एक औरत और उसके बच्चे को बाइबल का अध्ययन करा रहे हैं।

इस तरह के नम्र लोगों को सिखाने में बहुत खुशी होती है

a सन्‌ 1975 में तिमोर-लेस्टे में आज़ादी के लिए एक युद्ध छिड़ गया जो 20 साल चला।

b नाम बदल दिया गया है।

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