अध्ययन लेख 33
गीत 4 “यहोवा मेरा चरवाहा है”
यकीन रखिए, यहोवा आपसे प्यार करता है!
“मैंने अटल प्यार से तुझे अपनी तरफ खींचा है।”—यिर्म. 31:3.
क्या सीखेंगे?
हम जानेंगे कि हमें क्यों यकीन होना चाहिए कि यहोवा हमसे प्यार करता है और हम इस यकीन को कैसे बढ़ा सकते हैं।
1. आपने यहोवा को अपना जीवन क्यों समर्पित किया? (तसवीर भी देखें।)
आपको वह दिन ज़रूर याद होगा जब आपने यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया था। जैसे-जैसे आपने यहोवा के बारे में सीखा, आप उससे प्यार करने लगे और फिर आपने उसे अपना जीवन समर्पित किया। आपने उससे वादा किया कि अब से आप उसकी मरज़ी को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देंगे और उससे अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान, अपने पूरे दिमाग और अपनी पूरी ताकत से प्यार करेंगे। (मर. 12:30) तब से यहोवा के लिए आपका प्यार बढ़ता गया। अगर कोई आपसे पूछे, “क्या आप सच में यहोवा से प्यार करते हैं?” तो आप क्या कहेंगे? आप बिना हिचकिचाए कहेंगे “हाँ, मैं यहोवा से बहुत प्यार करता हूँ। इतना प्यार मैं और किसी से नहीं करता!”
याद कीजिए जब आपने यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया और बपतिस्मा लिया, तो आपके दिल में उसके लिए कितना प्यार था (पैराग्राफ 1)
2-3. (क) यहोवा क्या चाहता है कि हमें किस बात का यकीन हो? (यिर्मयाह 31:3) (ख) इस लेख में हम क्या जानेंगे?
2 अगर कोई आपसे यह पूछे, “क्या आपको यकीन है कि यहोवा आपसे प्यार करता है?” तो आप क्या जवाब देंगे? क्या आप थोड़ा हिचकिचाएँगे और यह सोचेंगे कि आप उसके प्यार के लायक नहीं? एक बहन जिसे बचपन में अपनों का प्यार नहीं मिला, कहती है: “मैं यहोवा से बहुत प्यार करती हूँ और इस बात पर मुझे कोई शक नहीं। लेकिन कभी-कभी मुझे यह मानना मुश्किल लगता है कि यहोवा भी मुझसे प्यार करता है।” तो सवाल है, आप कैसे जान सकते हैं कि यहोवा आपके बारे में कैसा महसूस करता है?
3 यहोवा चाहता है कि आप इस बात का पूरा यकीन रखें कि वह आपसे प्यार करता है। (यिर्मयाह 31:3 पढ़िए।) सच तो यह है कि यहोवा ने आपको अपनी तरफ खींचा है। जब आपने अपना जीवन उसे समर्पित किया और बपतिस्मा लिया, तो यहोवा ने आपसे वादा किया कि वह आपसे अटल प्यार करेगा। वह आपसे गहरा लगाव रखेगा और हमेशा आपका साथ निभाएगा। यहोवा अपने सभी सेवकों से अटल प्यार करता है, इसलिए वे सब उसकी “अनमोल जायदाद” हैं, आप भी। (मला. 3:17, फु.) प्रेषित पौलुस को पूरा यकीन था कि यहोवा उससे प्यार करता है। इसलिए उसने लिखा, ‘मुझे यकीन है कि न तो मौत, न ज़िंदगी, न स्वर्गदूत, न सरकारें, न आज की चीज़ें, न आनेवाली चीज़ें, न कोई ताकत, न ऊँचाई, न गहराई, न ही कोई और सृष्टि हमें परमेश्वर के प्यार से अलग कर सकेगी।’ (रोमि. 8:38, 39) यहोवा चाहता है कि पौलुस की तरह आपको भी उसके प्यार का पूरा यकीन हो। इस लेख में हम जानेंगे कि हमें क्यों यकीन होना चाहिए कि यहोवा हमसे प्यार करता है और हम कैसे इस यकीन को बढ़ा सकते हैं।
हमें क्यों यकीन होना चाहिए कि यहोवा हमसे प्यार करता है?
4. (क) शैतान हमें किस झूठ का यकीन दिलाना चाहता है? (ख) पर हम कैसे उसका डटकर सामना कर सकते हैं?
4 इससे हम शैतान की “धूर्त चालों” का डटकर सामना कर पाएँगे। (इफि. 6:11) शैतान चाहता है कि हम यहोवा की सेवा करना छोड़ दें और ऐसा करने के लिए वह एड़ी चोटी का ज़ोर लगाता है। उसकी चालों में से एक यह है कि वह हमें यकीन दिलाने की कोशिश करता है कि यहोवा हमसे प्यार नहीं करता। लेकिन यह सरासर झूठ है। बाइबल में शैतान की तुलना शेर से की गयी है। शेर मौके की तलाश में रहता है और उस जानवर पर हमला करता है जो कमज़ोर होता है और खुद की हिफाज़त नहीं कर सकता। उसी तरह शैतान भी अकसर हम पर तब हमला करता है जब हम बहुत कमज़ोर होते हैं। जैसे हो सकता है हमें बीते कल की कड़वी यादें सता रही हों, हम फिलहाल किसी मुश्किल से गुज़र रहे हों या फिर हमें इस बात को लेकर चिंता सताती हो कि पता नहीं आगे क्या होगा। (नीति. 24:10) ऐसे में शैतान हालात का फायदा उठाता है और हमें निराश करने की कोशिश करता है, ताकि हम यहोवा की सेवा करना ही छोड़ दें। लेकिन अगर हम इस बात का पूरा यकीन रखें कि यहोवा हमसे प्यार करता है, तो हम शैतान का डटकर “मुकाबला” कर पाएँगे और उसकी धूर्त चालों में नहीं फँसेंगे।—1 पत. 5:8, 9; याकू. 4:7.
5. इस बात का यकीन होना क्यों ज़रूरी है कि यहोवा हमसे प्यार करता है और हमारी कदर करता है?
5 इससे हम यहोवा के और भी करीब आ पाएँगे। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? यहोवा ने हमें इस तरह बनाया है कि हम दूसरों से प्यार करें और उनसे प्यार पाएँ। जब कोई हमारे साथ प्यार से पेश आता है, तो हम भी उससे प्यार से पेश आते हैं। इसलिए जितना ज़्यादा हमें यहोवा के प्यार का यकीन होगा, उतना ही ज़्यादा हम उससे प्यार करेंगे। (1 यूह. 4:19) और जितना ज़्यादा हम उससे प्यार करेंगे, उतना ही ज़्यादा वह हमसे प्यार करेगा। बाइबल में लिखा है, “परमेश्वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा।” (याकू. 4:8) लेकिन सवाल है, हम कैसे इस बात पर अपना यकीन बढ़ा सकते हैं कि यहोवा हमसे प्यार करता है?
हम खुद को कैसे यकीन दिला सकते हैं कि यहोवा हमसे प्यार करता है?
6. अगर आपको यकीन नहीं है कि यहोवा आपसे प्यार करता है, तो आप क्या कर सकते हैं?
6 यहोवा से बार-बार प्रार्थना कीजिए और कहिए कि वह आपको अपने प्यार का यकीन दिलाए। (लूका 18:1; रोमि. 12:12) दिन-भर में उससे कई बार प्रार्थना कीजिए। उसे बताइए कि आप खुद को उस नज़र से देखना चाहते हैं जैसे वह आपको देखता है। अगर आपका दिल आपको दोषी ठहराता है, तो शायद आपको यह यकीन करना मुश्किल लगे कि यहोवा आपसे प्यार करता है। लेकिन याद रखिए, यहोवा हमारे दिलों से बड़ा है। (1 यूह. 3:19, 20) वह आपको इतनी अच्छी तरह जानता है जितना कि आप भी नहीं जानते। वह आपकी उन खूबियों को देखता है, जो आप खुद में नहीं देख पाते। (1 शमू. 16:7; 2 इति. 6:30) इसलिए उसके आगे “अपना दिल खोलकर रख” दीजिए और उससे कहिए कि वह आपको अपने प्यार का यकीन दिलाए। (भज. 62:8) फिर अपनी प्रार्थना के मुताबिक काम कीजिए। आप क्या कर सकते हैं? आइए देखें।
7-8. भजन की आयतों से कैसे हमें यकीन होता है कि यहोवा हमसे प्यार करता है?
7 यहोवा ने जो कहा है, उस पर यकीन कीजिए। यहोवा ने बाइबल लेखकों के ज़रिए बताया है कि वह कैसा परमेश्वर है। दाविद ने एक भजन में बताया कि यहोवा हमसे कितना प्यार करता है। उसने लिखा, “यहोवा टूटे मनवालों के करीब रहता है, वह उन्हें बचाता है जो निराश हैं।” (भज. 34:18, फु.) जब आप बहुत निराश होते हैं, तो शायद आपको लगे कि आप बिलकुल अकेले हैं। लेकिन ऐसे नाज़ुक वक्त में यहोवा आपके और भी करीब रहता है, क्योंकि वह जानता है कि आपको उसकी बहुत ज़रूरत है। एक और भजन में दाविद ने लिखा, “मेरे आँसुओं को अपनी मशक में भर ले।” (भज. 56:8) जब आप तकलीफ में होते हैं, तो यहोवा आपका दर्द अच्छी तरह समझता है, आपका एक-एक आँसू उसके लिए बहुत अनमोल है। वह मानो अपनी मशक में उन्हें भर लेता है, ठीक जैसे पुराने ज़माने में मुसाफिर अपनी मशकों में पानी भरते थे और उनके लिए इसकी एक-एक बूँद बहुत अनमोल होती थी। भजन 139:3 में यहोवा के बारे में लिखा है, “तू मेरे पूरे चालचलन से वाकिफ है।” आप जो भी करते हैं, यहोवा उसे देख सकता है। लेकिन वह आपके अच्छे कामों पर ध्यान देता है। (इब्रा. 6:10) क्यों? क्योंकि आप उसे खुश करने के लिए जो भी मेहनत करते हैं, वह उसे अनमोल समझता है।a
8 बाइबल की ऐसी आयतों से हमें कितनी हिम्मत मिलती है! इनके ज़रिए यहोवा मानो आपसे कह रहा है, “मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र है।” लेकिन जैसा हमने पहले देखा, शैतान हमें इस झूठ पर यकीन दिलाने की कोशिश करता है कि यहोवा हमसे प्यार नहीं करता। इसलिए अगर आपके मन में यह खयाल आए, ‘पता नहीं यहोवा मुझसे प्यार करता है भी या नहीं,’ तो एक पल रुककर सोचिए, ‘मैं किस पर यकीन करूँगा, “झूठ के पिता” पर या “सच्चाई के परमेश्वर” पर?’—यूह. 8:44; भज. 31:5.
9. जो यहोवा से प्यार करते हैं, उनसे उसने क्या वादा किया है? (निर्गमन 20:5, 6)
9 सोचिए कि हमारा प्यार देखकर यहोवा क्या करता है। ध्यान दीजिए कि यहोवा ने मूसा और इसराएलियों से क्या कहा था। (निर्गमन 20:5, 6 पढ़िए।) यहोवा ने वादा किया था कि जो उससे प्यार करते हैं, वह उनसे अटल प्यार करता है। इन शब्दों से हमें यकीन हो जाता है कि ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई यहोवा से प्यार करे और बदले में यहोवा उससे प्यार ना करे। (नहे. 1:5) अगर कभी आपके मन में यह खयाल आए, ‘पता नहीं यहोवा मुझसे प्यार करता है भी या नहीं,’ तो एक पल रुककर सोचिए, ‘क्या मैं यहोवा से प्यार करता हूँ?’ अगर आप यहोवा से प्यार करते हैं और उसे खुश करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, तो आप पूरा यकीन रख सकते हैं कि यहोवा भी आपसे बहुत प्यार करता है। (दानि. 9:4; 1 कुरिं. 8:3) दूसरे शब्दों में कहें, तो अगर आपको इस बात पर शक नहीं कि आप यहोवा से प्यार करते हैं, तो क्या आपको यह शक करना चाहिए कि यहोवा आपसे प्यार नहीं करता? याद रखिए, यहोवा का प्यार अटल है, वह आपसे प्यार करना कभी नहीं छोड़ेगा।
10-11. यहोवा क्या चाहता है कि आप फिरौती के बारे में क्या बात याद रखें? (गलातियों 2:20)
10 फिरौती बलिदान पर मनन कीजिए। यहोवा ने हम इंसानों के लिए अपने बेटे यीशु मसीह का फिरौती बलिदान दिया है। यह हम इंसानों के लिए उसका सबसे बेहतरीन तोहफा है। (यूह. 3:16) लेकिन क्या उसने यह तोहफा आपके लिए भी दिया है? जी हाँ। एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। आपको याद होगा कि यीशु का चेला बनने से पहले पौलुस ने कुछ बड़े-बड़े पाप किए थे। और मसीही बनने के बाद भी उसे अपनी कुछ कमज़ोरियों से लड़ना पड़ा था। (रोमि. 7:24, 25; 1 तीमु. 1:12-14) लेकिन फिर भी उसे यकीन था कि यहोवा ने उसके लिए अपने बेटे को कुरबान किया है। (गलातियों 2:20 पढ़िए।) याद रखिए कि यहोवा ने पौलुस के ज़रिए ये शब्द लिखवाए थे। और बाइबल में जो भी लिखा गया है, वह इसलिए लिखा गया है कि हम उससे सीखें। (रोमि. 15:4) इसका मतलब, यहोवा चाहता है कि आप भी पौलुस की तरह यकीन रखें कि उसने आपके लिए अपने बेटे की कुरबानी दी है। जब आप इस बारे में सोचेंगे कि यहोवा ने आपको क्या ही बेहतरीन तोहफा दिया है, तो आपको यकीन बढ़ जाएगा कि वह आपसे प्यार करता है।
11 हम यहोवा का धन्यवाद करते हैं कि उसने अपने बेटे को इस धरती पर भेजा ताकि वह हमारी खातिर अपनी जान दे। लेकिन यीशु एक और वजह से इस धरती पर आया था। वह हमें परमेश्वर के बारे में सच्चाई सिखाने आया था। (यूह. 18:37) उन सच्चाइयों में से एक यह है कि यहोवा अपने बच्चों से यानी हम इंसानों से बहुत प्यार करता है।
यीशु ने कैसे हमें यकीन दिलाया कि यहोवा हमसे प्यार करता है?
12. यीशु ने यहोवा के बारे में जो कहा, हम उस पर क्यों यकीन कर सकते हैं?
12 जब यीशु धरती पर था, तो उसने लोगों को बताया कि यहोवा कैसा परमेश्वर है। (लूका 10:22) उसने यहोवा के बारे में जो भी कहा, हम उस पर पूरा यकीन कर सकते हैं। क्यों? क्योंकि धरती पर आने से पहले यीशु यहोवा के साथ स्वर्ग में अरबों-खरबों सालों तक था। (कुलु. 1:15) उसने देखा था कि यहोवा उससे कितना प्यार करता है। यही नहीं, उसने यह भी देखा था कि यहोवा अपने वफादार बेटों और बेटियों से कितना प्यार करता है। उसने इंसानों को कैसे यकीन दिलाया कि यहोवा उनसे प्यार करता है?
13. यीशु यहोवा के बारे में कैसा महसूस करता था और हमें कैसा महसूस करना चाहिए?
13 यीशु चाहता है कि हम यहोवा के बारे में वैसा ही महसूस करें जैसा वह करता था। खुशखबरी की किताबों में उसने यहोवा को 160 से भी ज़्यादा बार “पिता” कहा। अपने चेलों से यहोवा के बारे में बात करते वक्त उसने अकसर कहा कि वह “स्वर्ग में रहनेवाला तुम्हारा पिता” है। (मत्ती 5:16; 6:26) मत्ती 5:16 के अध्ययन नोट में लिखा है, “प्राचीन समय के यहोवा के सेवकों ने उसके लिए कई बड़ी-बड़ी उपाधियाँ इस्तेमाल कीं, जैसे ‘सर्वशक्तिमान,’ ‘परम-प्रधान’ और ‘महान सृष्टिकर्ता।’ लेकिन यीशु ने अकसर एक आम उपाधि ‘पिता’ इस्तेमाल की, जिससे पता चलता है कि परमेश्वर और उसके सेवकों के बीच कितना करीबी रिश्ता है।” यीशु चाहता है कि हम उसकी तरह यहोवा को अपना पिता मानें, जो अपने बच्चों से बहुत प्यार करता है। आइए बाइबल में दिए दो किस्सों पर गौर करें, जिसमें यीशु ने यहोवा को “पिता” कहा।
14. यीशु ने कैसे बताया कि यहोवा का हरेक सेवक उसकी नज़र में बहुत अनमोल है? (मत्ती 10:29-31) (तसवीर भी देखें।)
14 आइए सबसे पहले हम मत्ती 10:29-31 में दर्ज़ यीशु के शब्दों पर ध्यान दें। (पढ़िए।) इन आयतों में यीशु ने चिड़ियों की मिसाल दी। चिड़िया ना तो यहोवा से प्यार करती है, ना ही उसकी उपासना करती है। फिर भी हमारा पिता उनके बारे में सबकुछ जानता है। उनमें से अगर एक भी ज़मीन पर गिरती है तो यहोवा उस पर ध्यान देता है। अगर यहोवा छोटी चिड़ियों को इतना अनमोल समझता है, तो सोचिए वह अपने वफादार सेवकों को कितना अनमोल समझता होगा, जो प्यार से उसकी सेवा करते हैं। आयत 30 में बताया है कि “तुम्हारे सिर का एक-एक बाल तक गिना हुआ है।” इस आयत के अध्ययन नोट में लिखा है, “यहोवा का इतनी बारीक जानकारी रखना हमें भरोसा दिलाता है कि उसे मसीह के हर चेले में गहरी दिलचस्पी है।” इन आयतों में यीशु ने जो बात कही, उससे वह हमें यकीन दिलाना चाहता था कि हमारे पिता यहोवा की नज़र में उसका हरेक सेवक बहुत अनमोल है।
अगर यहोवा चिड़ियों को इतना अनमोल समझता है कि उनमें से एक भी ज़मीन पर गिरती है तो वह उस पर ध्यान देता है, तो सोचिए वह अपने वफादार सेवकों को कितना अनमोल समझता होगा, आपको भी! (पैराग्राफ 14)
15. यूहन्ना 6:44 में लिखे यीशु के शब्दों से आपको स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता के बारे में क्या पता चलता है?
15 अब आइए एक और किस्से पर गौर करें, जब यीशु ने यहोवा को “पिता” कहा। (यूहन्ना 6:44 पढ़िए।) इस आयत में बताया है कि स्वर्ग में रहनेवाले आपके पिता ने आपको प्यार से अपनी तरफ खींचा है। उसने ऐसा क्यों किया? क्योंकि उसने आपका दिल देखा, उसने देखा है कि आप अच्छा मन रखते हैं। (प्रेषि. 13:48) यूहन्ना 6:44 के अध्ययन नोट (अँग्रेज़ी) में लिखा है कि यीशु शायद यहाँ यिर्मयाह के इन शब्दों का हवाला दे रहा था: “मैंने अटल प्यार से तुझे अपनी तरफ खींचा है [या, मैं तुझे अपने अटल प्यार का सबूत देता रहा]।” (यिर्म. 31:3, फु.; होशे 11:4 से तुलना करें।) यह आयत इस लेख की मुख्य आयत भी है। यीशु के शब्दों से पता चलता है कि स्वर्ग में रहनेवाला हमारा प्यारा पिता हमेशा हममें अच्छाइयाँ देखता है, फिर चाहे वह अच्छाइयाँ हमें खुद में नज़र ना आएँ।
16. (क) यीशु ने यहोवा के बारे में क्या सिखाया और हमें उस पर क्यों यकीन करना चाहिए? (ख) आप कैसे इस बात पर यकीन बढ़ा सकते हैं कि यहोवा सबसे अच्छा पिता है? (‘ऐसा पिता जिसकी ज़रूरत हम सबको है’ नाम का बक्स देखें।)
16 जब यीशु ने कहा कि यहोवा हमारा पिता है, तो वह मानो हममें से हरेक से कह रहा था, “यहोवा सिर्फ मेरा पिता नहीं, बल्कि तुम्हारा पिता भी है। तुम यकीन रख सकते हों कि वह तुमसे बहुत प्यार करता है और तुम्हारी बहुत परवाह करता है।” इसलिए अगर आपके मन में यह खयाल आए, ‘पता नहीं यहोवा मुझसे प्यार करता है भी या नहीं,’ तो एक पल के लिए रुककर सोचिए, ‘क्या मुझे यीशु की बात पर यकीन नहीं करना चाहिए जो पिता को सबसे अच्छी तरह जानता है और हमेशा सच बोलता है?’—1 पत. 2:22.
अपना यकीन बढ़ाते रहिए
17. यहोवा हमसे प्यार करता है, इस बात पर हमें क्यों अपना यकीन बढ़ाते रहना चाहिए?
17 यहोवा हमसे प्यार करता है, इस बात पर हमें अपना यकीन बढ़ाते रहना है। जैसे हमने इस लेख में देखा, हमारा दुश्मन शैतान बहुत चालाक है और वह पूरी कोशिश कर रहा है कि हम यहोवा की सेवा करना छोड़ दें। वह हमारा इरादा कमज़ोर करना चाहता है। इसलिए वह हमेशा कोशिश करेगा कि हम यह मान बैठें कि यहोवा हमसे प्यार नहीं करता। आइए हम शैतान के झूठ पर कभी यकीन ना करें!—अय्यू. 27:5.
18. यहोवा आपसे प्यार करता है, इस बात पर अपना यकीन बढ़ाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
18 यहोवा आपसे प्यार करता है, इस बात पर अपना यकीन बढ़ाने के लिए उससे प्रार्थना करते रहिए। उससे कहिए कि आप खुद को उस नज़र से देख पाएँ जैसे वह देखता है। यहोवा अपने सेवकों से कितना प्यार करता है, इस बारे में बाइबल लेखकों ने जो बातें लिखी हैं, उन पर मनन कीजिए। इस बारे में सोचिए कि जब हम यहोवा से प्यार करते हैं, तो वह भी बदले में हमसे प्यार करता है। इस बात पर भी मनन कीजिए कि यहोवा ने आपके लिए अपने प्यार बेटे की कुरबानी दी है। और यीशु पर भी यकीन कीजिए जिसने कहा कि यहोवा आपका पिता है। इन सारी बातों के बारे में गहराई से सोचते रहिए। फिर जब कोई आपसे पूछेगा, “क्या आपको यकीन है कि यहोवा आपसे प्यार करता है?” तो आप कह पाएँगे, “हाँ, मुझे पूरा यकीन है! और मेरी यही कोशिश रहती है कि मैं हर दिन उसे दिखाऊँ कि मैं उससे कितना प्यार करता हूँ।”
गीत 154 प्यार है अटल
a वचन जो दिखाएँ राह किताब में “खुद को नाकाबिल समझना” भाग में ऐसी और भी आयतें दी गयी हैं जिन्हें पढ़कर आपको यकीन हो जाएगा कि यहोवा आपसे प्यार करता है।