अध्ययन लेख 41
गीत 108 यहोवा का अटल प्यार
यहोवा का प्यार सदा बना रहता है
“यहोवा का शुक्रिया अदा करो क्योंकि वह भला है, उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।”—भज. 136:1.
क्या सीखेंगे?
यहोवा हमसे प्यार करता है, यह बाइबल की एक बुनियादी शिक्षा है। इसे याद रखने से मुश्किलों का सामना करते वक्त हमें हिम्मत मिल सकती है।
1-2. मुश्किलें आने पर कई भाई-बहन क्या सोचने लगते हैं?
कल्पना कीजिए कि एक ज़ोरदार तूफान आया है। समुंदर की उफनती लहरें एक नाव से टकरा रही हैं। नाव बुरी तरह हिचकोले खा रही है। अगर किसी ने लंगर नहीं डाला, तो नाव लहरों के साथ बहकर चली जाएगी। इस भयानक तूफान में लंगर ही नाव को सँभाले रख सकता है।
2 जब आप तूफान जैसी मुश्किलों से गुज़रते हैं, तो आपका हाल भी इस नाव जैसा हो सकता है। आपके अंदर शायद उथल-पुथल मची हो। एक दिन आपको लगे कि यहोवा आपसे बहुत प्यार करता है और आपके साथ है, लेकिन दूसरे दिन आपको लगे कि पता नहीं यहोवा मेरी तकलीफें देख भी रहा है या नहीं। (भज. 10:1; 13:1) हो सकता है ऐसे में एक दोस्त की बातों से आपको हिम्मत मिले और आप अच्छा महसूस करें। (नीति. 17:17; 25:11) लेकिन कुछ ही समय बाद आप शायद दोबारा शक करने लगें कि पता नहीं यहोवा मेरे साथ है भी या नहीं। आप शायद यह भी सोचने लगें कि आप एकदम बेकार हैं और यहोवा आपसे प्यार नहीं करता। ऐसे तूफान में कौन-सा लंगर आपको सँभाले रख सकता है? या यूँ कहें कि आप खुद को कैसे यकीन दिलाते रहेंगे कि यहोवा आपसे प्यार करता है और आपका साथ नहीं छोड़ेगा?
3. (क) भजन 31:7 और 136:1 में जिस “अटल प्यार” की बात की गयी है, उसका क्या मतलब है? (ख) हम क्यों कह सकते हैं कि अटल प्यार करने में यहोवा सबसे बढ़िया मिसाल है? (तसवीर भी देखें।)
3 अगर आप याद रखें कि यहोवा अपने सेवकों से अटल प्यार करता है, तो यह बात एक लंगर की तरह आपको सँभाले रखेगी। (भजन 31:7; 136:1 पढ़िए।) “अटल प्यार” का क्या मतलब है? इसका मतलब है, दो लोगों के बीच ऐसा गहरा लगाव जो हमेशा बना रहता है। यहोवा अटल प्यार करने में सबसे बढ़िया मिसाल है। इस बारे में बाइबल में लिखा है, वह “अटल प्यार . . . से भरपूर है।” (निर्ग. 34:6, 7) यहोवा के बारे में यह भी लिखा है, “तू उन सबके लिए अटल प्यार से भरपूर है जो तुझे पुकारते हैं।” (भज. 86:5) इसका मतलब, यहोवा अपने वफादार सेवकों का साथ कभी नहीं छोड़ता! अगर आप इस बात को याद रखें, तो यह आपको मुश्किलों के तूफान में सँभाले रखेगी।—भज. 23:4.
ठीक जैसे लंगर नाव को भयंकर तूफान में सँभाले रखता है, उसी तरह यहोवा का प्यार हमें मुश्किलों के तूफान में सँभाले रखेगा (पैराग्राफ 3)
यहोवा हमसे प्यार करता है—इस सच्चाई को थामे रखिए
4. बाइबल की कुछ बुनियादी शिक्षाएँ क्या हैं और किसी के कहने पर हम इन्हें क्यों मानना छोड़ेंगे?
4 यहोवा आपसे प्यार करता है, यह बाइबल की एक बुनियादी शिक्षा है। यह बात भी एक लंगर की तरह आपको मुश्किलों में सँभाले रखेगी। “बुनियादी शिक्षा” यह सुनकर आपके मन में कौन-सी सच्चाइयाँ आती हैं? शायद यह कि परमेश्वर का नाम यहोवा है, यीशु परमेश्वर का एकलौता बेटा है, मरे हुए सो रहे हैं और कुछ नहीं जानते, परमेश्वर धरती को फिरदौस बना देगा और इंसान यहाँ हमेशा-हमेशा तक जीएँगे। (भज. 83:18; सभो. 9:5; यूह. 3:16; प्रका. 21:3, 4) आप इन शिक्षाओं को पूरे दिल से मानते हैं और किसी के कहने पर आप इन्हें मानना नहीं छोड़ेंगे। क्यों नहीं? क्योंकि आपको यकीन है कि ये शिक्षाएँ सच्ची हैं, हमारे पास इस बात के सबूत हैं। यहोवा आपसे प्यार करता है, यह भी एक सच्चाई है। इसे याद रखने से आपको क्या फायदा होगा? जब आप मुश्किलों से गुज़रेंगे और आपके मन में यह शक आएगा कि पता नहीं यहोवा को मेरी परवाह है भी या नहीं, तब यह सच्चाई लंगर की तरह आपको सँभाले रखेगी। वह कैसे? आइए देखें।
5. समझाइए कि एक व्यक्ति झूठी शिक्षाओं को मानना कैसे छोड़ता है।
5 जब आपने बाइबल सीखना शुरू किया था, तो आप झूठी शिक्षाओं को कैसे छोड़ पाए? आप सोचने लगे कि आप जो मानते हैं और बाइबल में जो लिखा है, उसमें कितना फर्क है। जैसे, आप शायद मानते थे कि इंसान के मरने के बाद उसकी आत्मा ज़िंदा रहती है। लेकिन जब आपने बाइबल अध्ययन शुरू किया, तो आप सोचने लगे, ‘मैं जो मानता हूँ, क्या वह सही है?’ फिर आपने बाइबल से सबूतों पर गौर किया और आप समझ पाए कि आप जो मानते थे वह गलत है। फिर आप उस झूठी शिक्षा के बजाय बाइबल में लिखी इस सच्चाई पर यकीन करने लगे कि “मरे हुए कुछ नहीं जानते” और एक वक्त आएगा जब उन्हें “ज़िंदा किया जाएगा।” (सभो. 9:5; प्रेषि. 24:15) झूठी शिक्षाएँ “गहराई तक समायी हुई” होती हैं और इन्हें ठुकराना आसान नहीं होता। (2 कुरिं. 10:4, 5) लेकिन एक बार जब आप इन्हें ठुकरा देते हैं, तो आप फिर कभी इन्हें नहीं अपनाते।—फिलि. 3:13.
6. आप क्यों यकीन कर सकते हैं कि यहोवा का “अटल प्यार सदा बना रहता है”?
6 मुश्किलें आने पर अगर आप सोचने लगें कि यहोवा आपसे प्यार नहीं करता, तो वही कीजिए जो आपने सच्चाई सीखते वक्त किया था। खुद से पूछिए, ‘मैं जो सोच रहा हूँ, क्या वह सही है?’ फिर बाइबल में दिए सबूतों पर गौर कीजिए। जैसे भजन 136:1 पर ध्यान दीजिए, जो इस लेख की मुख्य आयत भी है। सोचिए कि यहोवा ने यहाँ ऐसा क्यों कहा है कि उसका प्यार “अटल” है। यह भी सोचिए कि इस भजन में 26 बार यह क्यों कहा गया है कि “उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।” जैसा हमने देखा था, बाइबल की दूसरी शिक्षाओं की तरह यह भी एक बुनियादी शिक्षा है कि परमेश्वर अपने लोगों से अटल प्यार करता है और आपने इस शिक्षा को अपनाया था। इसलिए अगर आपके मन में कभी यह खयाल आता है कि आप यहोवा की नज़र में बेकार हैं और उसके प्यार के लायक नहीं, तो याद रखिए कि यह एकदम झूठ है। दूसरी झूठी शिक्षाओं की तरह इस झूठ को भी ठुकरा दीजिए!
7. कुछ आयतें बताइए जिनसे आपको यकीन हो जाता है कि यहोवा आपसे प्यार करता है।
7 बाइबल में इस बात के और भी सबूत दिए हैं कि यहोवा हमसे प्यार करता है। जैसे यीशु ने अपने चेलों से कहा, “तुम बहुत-सी चिड़ियों से कहीं ज़्यादा अनमोल हो।” (मत्ती 10:31) इसके अलावा, यहोवा ने खुद भी कहा है, “मैं तेरी हिम्मत बँधाऊँगा, तेरी मदद करूँगा, नेकी के दाएँ हाथ से तुझे सँभाले रहूँगा।” (यशा. 41:10) ध्यान दीजिए कि इन बातों को कितने यकीन के साथ कहा गया है। यीशु ने यह नहीं कहा, ‘तुम शायद ज़्यादा अनमोल हो।’ उसने कहा, ‘तुम कहीं ज़्यादा अनमोल हो।’ और यहोवा ने ऐसा नहीं कहा, ‘मैं शायद तेरी मदद करूँगा।’ उसने कहा, ‘मैं तेरी मदद करूँगा।’ अगर आपको यहोवा के प्यार पर कभी-भी शक हो, तो इस तरह की आयतें पढ़कर आपको सुकून मिलेगा, पर इससे भी बढ़कर आपको पूरा यकीन हो जाएगा कि यहोवा आपसे बहुत प्यार करता है। अगर आप प्रार्थना में यहोवा को बताएँ कि आपको उसके प्यार पर यकीन करना मुश्किल लग रहा है साथ ही आप ऐसी आयतों के बारे में गहराई से सोचें, तो आप वैसा ही महसूस करेंगे जैसा 1 यूहन्ना 4:16 में लिखा है, “हम जान गए हैं कि परमेश्वर हमसे कितना प्यार करता है और हमें इसका पूरा यकीन है।” a
8. अगर कभी आपको लगे कि यहोवा आपसे प्यार नहीं करता, तो आप क्या कर सकते हैं?
8 लेकिन हो सकता है कि इसके बाद भी आपको लगे कि यहोवा आपसे प्यार नहीं करता। ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? याद रखिए कि आपको ऐसा लग रहा है। पर हमें जैसा लगता है, वह हमेशा सच नहीं होता। खुद को याद दिलाते रहिए कि यह एक सच्चाई है कि यहोवा आपसे प्यार करता है और इस बात के ढेरों सबूत हैं। अगर हम इस सच्चाई पर यकीन नहीं करेंगे, तो हम यहोवा के प्यार को, उसके सबसे खास गुण को नकार रहे होंगे।—1 यूह. 4:8.
सोचिए यहोवा आपसे कितना “लगाव रखता है”
9-10. जब यीशु ने अपने चेलों से कहा कि “पिता खुद तुमसे लगाव रखता है” तो वह उन्हें क्या सिखा रहा था? (यूहन्ना 16:26, 27) (तसवीर भी देखें।)
9 यहोवा आपसे प्यार करता है, इस बात पर यकीन करने के लिए ज़रा यीशु की इस बात पर ध्यान दीजिए जो उसने अपने चेलों से कही थी, “पिता खुद तुमसे लगाव रखता है।” (यूहन्ना 16:26, 27 पढ़िए।) ऐसा कहकर यीशु अपने चेलों का दिल नहीं बहला रहा था। आस-पास की आयतों से पता चलता है कि यीशु उन्हें एक ज़रूरी विषय के बारे में बता रहा था। वह बता रहा था कि प्रार्थना करते वक्त उन्हें क्या बात याद रखनी है।
10 यीशु ने अपने चेलों से अभी-अभी कहा था कि वे उसके नाम से प्रार्थना करें, ना कि उससे प्रार्थना करें। (यूह. 16:23, 24) चेलों के लिए यह जानना बहुत ज़रूरी था। यीशु के ज़िंदा होने के बाद चेलों का मन कर सकता था कि वे उससे प्रार्थना करें। वे यीशु को बहुत अच्छी तरह जानते थे, वह उनका दोस्त था। वे सोच सकते थे कि यीशु उनसे बहुत प्यार करता है, इसलिए वह उनकी बिनतियाँ सुनेगा और पिता को उस बारे में बताएगा। लेकिन यीशु ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं सोचना चाहिए। वह क्यों? उसने कहा, “पिता खुद तुमसे लगाव रखता है।” दिलचस्पी की बात है कि उस वक्त यीशु अपने चेलों को प्रार्थना करने का तरीका सिखा रहा था, लेकिन यह बात कहकर उसने उन्हें यकीन दिलाया कि यहोवा खुद अपने लोगों की प्रार्थनाएँ सुनना चाहता है और उन्हें उसी से प्रार्थना करनी चाहिए। अब ज़रा अपने बारे में सोचिए। बाइबल का अध्ययन करके आपने जाना कि यीशु कैसा है और आप उससे प्यार करने लगे। (यूह. 14:21) लेकिन जहाँ तक प्रार्थना की बात है, आप पूरे यकीन के साथ यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं, क्योंकि आप जानते हैं कि वह ‘खुद आपसे लगाव रखता है।’ हर बार जब आप यहोवा से प्रार्थना करते हैं, तो आप दिखाते हैं कि आपको यीशु की कही इस बात पर यकीन है।—1 यूह. 5:14.
आप पूरे यकीन के साथ यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं, क्योंकि आप जानते हैं कि वह ‘खुद आपसे लगाव रखता है।’ (पैराग्राफ 9-10)b
शक की वजह समझिए
11. अगर हम यहोवा के प्यार पर शक करने लगें, तो शैतान क्यों खुश होगा?
11 हम क्यों यहोवा के प्यार पर शक करने लग सकते हैं? आप शायद कहें, ‘शैतान की वजह से।’ कुछ हद तक यह बात सच है। शैतान इसी ताक में घूम रहा है कि हमें “फाड़ खाए।” (1 पत. 5:8) एक तरफ यहोवा हमसे इतना प्यार करता है कि उसने हमारे लिए फिरौती का इंतज़ाम किया, पर दूसरी तरफ शैतान चाहता है कि हम यह मान बैठें कि हम इतने बड़े पापी हैं कि हमें फिरौती से फायदा नहीं हो सकता। (इब्रा. 2:9) तो सोचिए, अगर हम यहोवा के प्यार पर शक करने लगें, तो इससे सबसे ज़्यादा खुशी किसे होगी? जी हाँ, शैतान को। और फिर अगर हम मुश्किलों में हार मान लें और यहोवा की सेवा करना छोड़ दें, तो कौन खुश होगा? शैतान। इस बारे में भी सोचिए: यह कितनी अजीब बात है कि शैतान चाहता है कि हम यह सोचें कि हम यहोवा के प्यार के लायक नहीं। जबकि सच तो यह है कि शैतान खुद यहोवा के प्यार के लायक नहीं है। शैतान बहुत “धूर्त” है। (इफि. 6:11) वह हमें यह यकीन दिलाना चाहता है कि यहोवा हमसे प्यार नहीं करता और उसने हमें ठुकरा दिया है। लेकिन हम अपने दुश्मन की चाल जानते हैं। इसलिए आइए हम उसका डटकर सामना करें।—याकू. 4:7.
12-13. पापी होने की वजह से हम क्यों यहोवा के प्यार पर शक करने लग सकते हैं?
12 हम एक और वजह से यहोवा के प्यार पर शक करने लग सकते हैं। वह यह कि हम पापी हैं, हमें यह हालत आदम-हव्वा से विरासत में मिली। (भज. 51:5; रोमि. 5:12) पाप की वजह से यहोवा और हम इंसानों का रिश्ता खराब हो गया और हम उससे दूर हो गए। यही नहीं, हमारी सोच, हमारी भावनाओं और हमारी सेहत पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ा है।
13 पापी होने की वजह से हम दोषी महसूस करते हैं, हमें चिंता सताती है, हम बेचैन हो जाते हैं, या फिर शर्मिंदा महसूस करते हैं। जब हम कोई गलती या पाप करते हैं, तब तो ये भावनाएँ हमारे अंदर उठती हैं, पर अपरिपूर्ण होने की वजह से ऐसी भावनाएँ दूसरे मौकों पर भी हम पर हावी हो सकती हैं। (रोमि. 8:20, 21) उदाहरण के लिए अगर एक गाड़ी का टायर पंचर हो जाए, तो वह उस रफ्तार से नहीं चल पाएगी जिस रफ्तार से उसे चलना चाहिए। उसी तरह अपरिपूर्ण होने की वजह से हमारी ज़िंदगी वैसी नहीं है जैसी यहोवा ने चाही थी। इस वजह से हो सकता है, हम यहोवा के प्यार पर शक करने लगें। अगर आपके साथ कभी ऐसा होता है, तो याद रखिए कि यहोवा ‘महान और विस्मयकारी परमेश्वर है और जो उससे प्यार करते हैं और उसकी आज्ञाएँ मानते हैं, उन्हें वह अपने अटल प्यार का सबूत देता है।’—नहे. 1:5.
14. अगर हमें लगे कि हम यहोवा के प्यार के लायक नहीं हैं, तो फिरौती बलिदान पर मनन करने से हमें कैसे मदद मिल सकती है? (रोमियों 5:8) (“‘पाप की भरमाने की ताकत’ से खबरदार रहिए” नाम का बक्स देखें।)
14 शायद सबकुछ करने के बाद भी कभी-कभार हमारे मन में आए कि हम यहोवा के प्यार के लायक नहीं हैं। एक मायने में देखें, तो यह सच भी है। हम चाहे जो भी कर लें, हम उसके प्यार के लायक नहीं बन सकते। लेकिन हमारे लिए अपने बेटे की फिरौती देकर उसने हमारे पापों को ढाँप दिया है। वह हमसे बहुत प्यार करता है, इसलिए उसने हमारे लिए यह इंतज़ाम किया। यही बात उसके प्यार को इतना खास बनाती है! (1 यूह. 4:10) यह भी याद रखिए कि यीशु धर्मियों को नहीं, बल्कि पापियों को बचाने आया था। (रोमियों 5:8 पढ़िए।) हम ना चाहते हुए भी गलतियाँ करते हैं और यहोवा इस बात को अच्छी तरह समझता है। तो अगर कभी आपको लगे कि यहोवा आपसे प्यार नहीं करता, तो याद रखिए कि पापी होने की वजह से आप ऐसा सोच रहे हैं। ठान लीजिए कि आप ऐसी सोच को खुद पर हावी नहीं होने देंगे।—रोमि. 7:24, 25.
ठान लीजिए, आप यहोवा के वफादार रहेंगे
15-16. अगर हम यहोवा के वफादार रहें, तो हम किस बात का यकीन रख सकते हैं और क्यों? (2 शमूएल 22:26)
15 यहोवा ने हमें फैसले लेने की आज़ादी दी है और वह चाहता है कि हम उससे ‘लिपटे रहें।’ (व्यव. 30:19, 20) अगर हम ऐसा करें, तो हम यकीन रख सकते है कि वह हमारे साथ वफादारी निभाएगा। (2 शमूएल 22:26 पढ़िए।) याद रखिए, अगर हम यहोवा के वफादार रहें, तो चाहे जैसी भी मुश्किलें आएँ वह हमें सँभाले रहेगा।
16 इस लेख में हमने ऐसी बातें देखीं जो मुश्किलों के तूफान में हमें लंगर की तरह सँभाले रखती हैं। हम जानते हैं कि यहोवा हमसे प्यार करता है और हमेशा हमारा साथ देगा। यह बाइबल की एक अहम सच्चाई है। इसलिए अगर आपको यहोवा के प्यार पर कभी शक हो, तो याद रखिए कि भले ही आपको ऐसा लग रहा है, लेकिन यह सच नहीं है। आइए हम बाइबल की इस सच्चाई पर पूरा यकीन रखें कि यहोवा का अटल प्यार सदा बना रहता है।
गीत 159 यहोवा की महिमा में नज़राना!
a व्यवस्थाविवरण 31:8; भजन 94:14 और यशायाह 49:15 जैसी दूसरी आयतों से भी पता चलता है कि यहोवा हमसे प्यार करता है।
b तसवीर के बारे में: एक भाई प्रार्थना कर रहा है। वह यहोवा से कह रहा है कि वह उसकी मदद करे ताकि वह अपनी बीमार पत्नी का खयाल रख सके, सोच-समझकर पैसे खर्च करे और अपनी बेटी को उसके बारे में अच्छे तरह सिखा सके।