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  • दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना कीजिए
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
w25 अक्टूबर पेज 18-23

अध्ययन लेख 42

गीत 44 दुखियारे की प्रार्थना

दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना कीजिए

“हे यहोवा, मैं पूरे दिल से तुझे पुकारता हूँ, मुझे जवाब दे।”—भज. 119:145.

क्या सीखेंगे?

बाइबल में लिखी यहोवा के सेवकों की प्रार्थनाओं से हम क्या सीख सकते हैं?

1-2. (क) ऐसी कौन-सी बातें हैं जो हमें यहोवा के आगे दिल खोलने से रोक सकती हैं? (ख) हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ ध्यान से सुनता है?

क्या कभी आपको ऐसा लगा है कि आप बार-बार एक ही तरह की प्रार्थना करते हैं या आपकी प्रार्थनाएँ दिल से नहीं होतीं? अगर हाँ, तो घबराइए मत। आप ऐसे अकेले इंसान नहीं हैं। आज हम सब भाग-दौड़वाली ज़िंदगी जी रहे हैं और ऐसे में शायद हम प्रार्थना करने में ज़्यादा वक्‍त ना बिता पाएँ। या यह भी हो सकता है कि किसी वजह से हम खुद को प्रार्थना करने के लायक ना समझें और इसलिए हमें दिल खोलकर प्रार्थना करना मुश्‍किल लगे।

2 बाइबल में बताया है कि यहोवा यह नहीं देखता कि हमारी प्रार्थना कितनी लंबी-चौड़ी है, बल्कि वह देखता है कि हम कितने दिल से उससे प्रार्थना कर रहे हैं। बाइबल में लिखा है कि वह “दीनों की बिनती” सुनता है। (भज. 10:17) यहोवा हमारी बहुत परवाह करता है। इसलिए जब हम उससे प्रार्थना करते हैं, तो वह हमारी एक-एक बात बहुत ध्यान से सुनता है।—भज. 139:1-3.

3. इस लेख में हमें किन सवालों के जवाब मिलेंगे?

3 हम शायद सोचें: हम क्यों दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं? और ऐसा करने के लिए हम क्या कर सकते हैं? बाइबल में लिखी प्रार्थनाओं पर मनन करने से हमें कैसे मदद मिल सकती है? जब हम बहुत परेशान हों और हमें समझ में ना आए कि हम प्रार्थना में क्या कहें, तब हम क्या कर सकते हैं? आइए इन चार सवालों के जवाब जानें।

यहोवा से प्रार्थना करने से हिचकिचाइए मत

4. क्या बात याद रखने से हम प्रार्थना करने से हिचकिचाएँगे नहीं? (भजन 119:145)

4 जब हम इस बात को समझते हैं कि यहोवा हमारा एक अच्छा दोस्त है और हमारा भला चाहता है, तो हम उससे प्रार्थना करने से हिचकिचाएँगे नहीं। भजन 119 के लिखनेवाले ने भी ऐसा ही किया। उसकी ज़िंदगी में एक-के-बाद-एक कई मुश्‍किलें आयीं। कुछ लोगों ने उसके बारे में झूठी बातें कहीं। (भज. 119:23, 69, 78) उससे कुछ गलतियाँ भी हुईं जिस वजह से वह निराश हो गया। (भज. 119:67) लेकिन वह यहोवा को अपना दोस्त मानता था, इसलिए उसने उसके आगे अपना दिल खोलकर रख दिया।—भजन 119:145 पढ़िए।

5. जब हम गलती करने पर शर्मिंदा महसूस करते हैं, तब हमें क्यों प्रार्थना करने से हिचकिचाना नहीं चाहिए? उदाहरण दीजिए।

5 यहोवा चाहता है कि जिन लोगों ने बड़े-बड़े पाप किए हैं, वे भी उससे दिल खोलकर प्रार्थना करें। (यशा. 55:6, 7) इसलिए हमें यह सोचकर प्रार्थना करने से पीछे नहीं हटना चाहिए कि हम कैसे गए-गुज़रे इंसान हैं। इसे समझने के लिए एक उदाहरण लीजिए। एक हवाई जहाज़ का पायलट जानता है कि ज़रूरत पड़ने पर वह कभी-भी एयरपोर्ट कंट्रोल रूम को फोन कर सकता है और उनसे मदद ले सकता है। मान लीजिए कि उससे कोई गलती हो जाती है या वह रास्ता भटक जाता है। क्या इस वजह से वह मदद लेने से हिचकिचाएगा? बिलकुल नहीं। उसी तरह अगर हमसे पाप हो जाए या हमें समझ में ना आए कि हम क्या करें, तो हमें कभी यहोवा से प्रार्थना करने से हिचकिचाना नहीं चाहिए।—भज. 119:25, 176.

दिल खोलकर प्रार्थना करने के लिए क्या करें?

6-7. यहोवा के गुणों पर मनन करने से कैसे हम दिल से प्रार्थना कर पाते हैं? एक उदाहरण दीजिए। (फुटनोट भी देखें।)

6 जब हम खुलकर यहोवा को बताते हैं कि हम कैसा महसूस कर रहे हैं और क्या सोच रहे हैं, तो हम यहोवा के और भी करीब आ पाते हैं। तो दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना करने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

7 यहोवा के गुणों के बारे में गहराई से सोचिए।a जितना ज़्यादा हम यहोवा के गुणों के बारे में सोचेंगे, उतना ज़्यादा हम उससे दिल खोलकर बात कर पाएँगे। (भज. 145:8, 9, 18) ज़रा बहन क्रिस्टीन के उदाहरण पर गौर कीजिए जिनके पिता बहुत गुस्सा करते थे और मारते-पीटते थे। वे कहती हैं, “यहोवा को अपना पिता मानना और उससे प्रार्थना करना मेरे लिए आसान नहीं था। मैं सोचती थी कि मुझमें इतनी कमियाँ हैं कि यहोवा मुझसे प्यार नहीं करेगा।” किस बात से उन्हें मदद मिली? वे कहती हैं, “मैंने यहोवा के अटल प्यार के बारे में सोचा। इससे मुझे यकीन हो गया कि यहोवा मुझसे प्यार करता है। मैं जानती हूँ कि यहोवा मेरा हाथ कभी नहीं छोड़ेगा। अगर मैं गिर भी जाऊँ या मुझसे कोई गलती हो जाए, तो वह प्यार से मुझे उठा लेगा। अब मेरे लिए यहोवा से बात करना आसान हो गया है। मैं अपना दुख और सुख, सबकुछ उसे खुलकर बताती हूँ।”

8-9. जब हम प्रार्थना करने से पहले सोचते हैं कि हम क्या कहेंगे, तो इसके क्या फायदे होते हैं? उदाहरण दीजिए।

8 सोचिए कि आप प्रार्थना में क्या कहेंगे। प्रार्थना करने से पहले आप कुछ ऐसा सोच सकते हैं, जैसे: ‘मैं किन मुश्‍किलों का सामना कर रहा हूँ? क्या ऐसा कोई है जिसे मुझे माफ करना है? क्या कुछ ऐसे हालात खड़े हुए हैं जिसमें मुझे यहोवा की मदद चाहिए?’ (2 राजा 19:15-19) हम उन बातों के बारे में भी सोच सकते हैं जिनके बारे में यीशु ने प्रार्थना करना सिखाया था। जैसे हम सोच सकते हैं कि हम परमेश्‍वर के नाम, उसके राज और उसकी मरज़ी के बारे में क्या प्रार्थना करेंगे।—मत्ती 6:9, 10.

9 ज़रा अलिस्का नाम की बहन के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। जब उन्हें पता चला कि उनके पति को एक गंभीर बीमारी (ब्रेन कैंसर) है और वे ज़्यादा समय तक नहीं जीएँगे, तो उन्हें बहुत धक्का लगा। इस वजह से वे प्रार्थना ही नहीं कर पा रही थीं। उन दिनों को याद करते हुए वे कहती हैं, “मैं इतनी परेशान थी कि मेरा दिमाग ही काम नहीं कर रहा था। जब मैं प्रार्थना करने बैठती थी, तो मुझे समझ में ही नहीं आता था कि मैं क्या कहूँ।” फिर बहन ने क्या किया? वे बताती हैं, “मैं नहीं चाहती थी कि मैं हमेशा अपने बारे में और अपने पति के बारे में ही प्रार्थना करती रहूँ। इसलिए मैं प्रार्थना करने से पहले सोचने लगी कि मैं यहोवा से क्या कहूँगी। इससे मेरा मन शांत हो जाता था और मैं दूसरी बातों के बारे में भी प्रार्थना कर पाती थी।”

10. हमें क्यों समय लेकर इत्मीनान से प्रार्थना करनी चाहिए? (तसवीरें भी देखें।)

10 समय लेकर इत्मीनान से प्रार्थना कीजिए। छोटी प्रार्थनाएँ करने से भी हम यहोवा के करीब आ सकते हैं, लेकिन अगर हम समय लेकर इत्मीनान से प्रार्थना करेंगे, तो हम यहोवा को अपने दिल की बात बता पाएँगे।b बहन अलिस्का के पति एलाइजा कहते हैं, “मैं दिन में कई बार यहोवा से बात करता हूँ और समय लेकर लंबी प्रार्थनाएँ करता हूँ, इस वजह से मैं उसके करीब आ पाया हूँ। यहोवा कभी जल्दी में नहीं रहता, वह आराम से हमारी सुनता है, इसलिए हम जितनी देर चाहें उससे बात कर सकते हैं।” इस भाई की तरह आप क्या कर सकते हैं? आप चाहें तो कोई ऐसी जगह और समय चुन सकते हैं जब आपका ध्यान ना भटके और आप आराम से यहोवा से बात कर सकें। आप चाहें तो ऊँची आवाज़ में प्रार्थना कर सकते हैं। अगर आप ऐसा करते रहें, तो इस तरह प्रार्थना करना आपकी आदत बन जाएगी।

तसवीरें: 1. सुबह होने से पहले एक भाई टेबल पर बैठा मनन कर रहा है। उसके आगे बाइबल खुली हुई है और हाथ में कॉफी का कप है। 2. सुबह होने के बाद भी वह टेबल पर बैठा हुआ है और प्रार्थना में लीन है।

कोई ऐसी जगह और समय चुनिए जब आपका ध्यान ना भटके और आप आराम से यहोवा से बात कर सकें (पैराग्राफ 10)


वफादार सेवकों की प्रार्थनाओं से सीखिए

11. बाइबल में लिखी प्रार्थनाओं पर गहराई से सोचने से हम क्या सीख सकते हैं? (“क्या आपको भी उनकी तरह लगता है?” नाम का बक्स भी देखें।)

11 बाइबल में यहोवा के कई सेवकों की प्रार्थनाएँ दर्ज़ हैं। कुछ प्रार्थनाएँ गीत या भजनों के तौर पर लिखी गयी हैं। अगर हम इन प्रार्थनाओं को पढ़ें और इनके बारे में गहराई से सोचें, तो इनसे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। जैसे हम सीख सकते हैं कि हम कैसे दिल खोलकर प्रार्थना कर सकते हैं और किन मनभावने शब्दों से यहोवा की तारीफ कर सकते हैं। हमें कुछ ऐसे लोगों की प्रार्थनाएँ भी मिल सकती हैं जिनके हालात बिलकुल हमारे जैसे थे।

क्या आपको भी उनकी तरह लगता है?

यहोवा के वफादार सेवकों ने अलग-अलग हालात में दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना की। क्या आपने भी कभी उन सेवकों की तरह महसूस किया है?

  • जब याकूब को डर लग रहा था, तो उसने यहोवा को अपनी समस्या बतायी। उसने यहोवा को यह भी बताया कि उसे उस पर पूरा भरोसा है और वह उसका बहुत एहसान मानता है।—उत्प. 32:9-12.

  • जब यहोवा ने सुलैमान को राज करने की भारी ज़िम्मेदारी दी, तो वह जवान था और उसे कोई तजुरबा नहीं था, इसलिए उसने यहोवा से प्रार्थना करके मदद माँगी।—1 राजा 3:7-9.

  • बतशेबा के साथ नाजायज़ संबंध रखने के बाद दाविद को बहुत दुख हुआ। तब उसने यहोवा से गिड़गिड़ाकर बिनती की कि वह उसके अंदर “एक साफ दिल” पैदा करे।—भज. 51:9-12.

  • जब मरियम को एक खास ज़िम्मेदारी मिली, तब उसने यहोवा की तारीफ की।—लूका 1:46-49.

अध्ययन के लिए विषय: परमेश्‍वर के एक वफादार सेवक की प्रार्थना पढ़िए। फिर सोचिए, ‘उसने यहोवा से क्या कहा और किस तरह उसे अपनी बात बतायी?’ ‘यहोवा ने उसकी प्रार्थना का किस तरह जवाब दिया?’ इसके बाद उस प्रार्थना पर मनन करके आपने जो सीखा, उस पर अमल कीजिए।

12. बाइबल में लिखी किसी प्रार्थना के बारे में सोचते वक्‍त आप खुद से कौन-से सवाल कर सकते हैं?

12 जब आप बाइबल में लिखी किसी प्रार्थना के बारे में सोचते हैं, तो आप खुद से ये सवाल कर सकते हैं, ‘यह प्रार्थना किसने की? वह किस हालात में था? क्या मैं भी वैसा ही महसूस करता हूँ जैसा वह कर रहा था? मैं इस प्रार्थना से क्या सीख सकता हूँ?’ हो सकता है, इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको थोड़ी खोजबीन करनी पड़े। लेकिन यकीन रखिए, आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी। अब आइए यहोवा के चार सेवकों की प्रार्थनाओं पर गौर करें।

13. प्रार्थना के बारे में हम हन्‍ना से क्या सीख सकते हैं? (1 शमूएल 1:10, 11) ( तसवीर भी देखें।)

13 पहला शमूएल 1:10, 11 पढ़िए। जब हन्‍ना ने यह प्रार्थना की, तब उसकी ज़िंदगी में दो बड़ी मुश्‍किलें थीं। एक, वह बाँझ थी और दूसरी, उसकी सौतन ने उसका जीना मुश्‍किल कर रखा था। (1 शमू. 1:4-7) क्या आप भी किसी ऐसी मुश्‍किल का सामना कर रहे हैं, जो आपका पीछा नहीं छोड़ रही है? ध्यान दीजिए, ऐसे हालात में हन्‍ना ने क्या किया। उसने समय लेकर यहोवा को अपने दिल का सारा हाल बताया। तब उसे बहुत राहत मिली। (1 शमू. 1:12, 18) अगर आप भी ‘अपना सारा बोझ यहोवा पर डाल दें,’ यानी उसे बताएँ कि आप पर क्या बीत रही है और आपको कैसा लग रहा है, तो आपको सुकून मिलेगा।—भज. 55:22.

तसवीरें: 1. हन्‍ना दुखी होकर एक तरफ देख रही है, वहीं थोड़ी दूर पर एलकाना अपने दो बच्चों के साथ खेल रहा है। 2. पनिन्‍ना अपने नन्हे बच्चे को गले से लगाकर मुस्कुरा रही है। 3. हन्‍ना रोते-रोते गिड़गिड़ाकर प्रार्थना कर रही है। 4. महायाजक एली हाथ बाँधकर बैठा है और हन्‍ना को घूरकर देख रहा है।

हन्‍ना बाँझ थी और उसकी सौतन हर वक्‍त उसे ताने मारती थी; ऐसे में हन्‍ना ने अपने दिल का सारा हाल यहोवा को बताया (पैराग्राफ 13)


14. (क) हम हन्‍ना से और क्या सीख सकते हैं? (ख) बाइबल पढ़ने और उस पर मनन करने से हम कैसे अपनी प्रार्थनाओं को और अच्छा बना सकते हैं? (फुटनोट देखें।)

14 कुछ समय बाद हन्‍ना को एक बेटा हुआ। उसका नाम शमूएल था। जब वह थोड़ा बड़ा हुआ, तो हन्‍ना उसे महायाजक एली के पास ले गयी। (1 शमू. 1:24-28) फिर उसने दिल से प्रार्थना की और पूरे यकीन के साथ कहा कि यहोवा अपने वफादार सेवकों की हिफाज़त करता है और उनका खयाल रखता है।c (1 शमू. 2:1, 8, 9) देखा जाए तो हन्‍ना के घर के हालात पूरी तरह ठीक नहीं हुए थे, लेकिन उसने अपनी तकलीफों के बारे में सोचने के बजाय, अपना ध्यान यहोवा की आशीषों पर लगाए रखा। इससे हम क्या सीखते हैं? शायद आप किसी ऐसी मुश्‍किल का सामना कर रहे हैं जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। ऐसे में उस बारे में सोचते रहने के बजाय, यह सोचिए कि अब तक यहोवा ने आपको किस तरह सँभाला है।

15. यिर्मयाह की प्रार्थना से हम क्या सीख सकते हैं? (यिर्मयाह 12:1)

15 यिर्मयाह 12:1 पढ़िए। यिर्मयाह के ज़माने में दुष्ट फल-फूल रहे थे। यह देखकर वह बहुत निराश हो गया। यही नहीं, उसकी अपनी जाति के लोग भी उसके बारे में बुरा-भला कह रहे थे, उसका मज़ाक उड़ा रहे थे। (यिर्म. 20:7, 8) आज हम अच्छी तरह समझ सकते हैं कि यिर्मयाह पर क्या बीती होगी। वह इसलिए कि आज भी हर जगह दुष्ट लोगों का बोलबाला है। और लोग हमारा भी मज़ाक उड़ाते हैं। लेकिन सोचिए, बुरे हालात में भी यिर्मयाह ने कभी यहोवा के न्याय पर शक नहीं किया। और जब उसने देखा कि यहोवा ने बगावती इसराएलियों को सज़ा दी, तो उसे पूरा यकीन हो गया कि यहोवा हमेशा न्याय करता है। (यिर्म. 32:19) यिर्मयाह से हम क्या सीख सकते हैं? उसकी तरह हम भी खुलकर यहोवा को बता सकते हैं कि दुनिया में जो नाइंसाफी हो रही है, उसे देखकर हमें कितना दुख होता है। और हम यह भरोसा रख सकते हैं कि वक्‍त आने पर वह हर तरह की नाइंसाफी मिटा देगा।

16. बँधुआई में रहनेवाले लेवी की प्रार्थना से हम क्या सीख सकते हैं? (भजन 42:1-4) (तसवीरें भी देखें।)

16 भजन 42:1-4 पढ़िए। यह गीत एक ऐसे लेवी ने लिखा था जो बँधुआई में था। वह अपने लोगों के साथ मिलकर यहोवा की उपासना नहीं कर सकता था। वह कैसा महसूस कर रहा था, हम यह बात इस भजन से समझ सकते हैं। अगर आप किसी बीमारी की वजह से अपने घर में कैद हैं या अपने विश्‍वास की वजह से जेल में हैं, तो शायद आप भी इस लेवी की तरह महसूस करें। हो सकता है किसी दिन आप खुश हों, तो किसी दिन दुखी हो जाएँ। आपको जैसा भी लग रहा हो, यहोवा को बताइए। इससे आप अपनी भावनाओं को और अच्छी तरह समझ पाएँगे। आप जान पाएँगे कि आप जो सोच रहे हैं, वह सही है या नहीं और अपने नज़रिए को ठीक कर पाएँगे। जैसे उस लेवी को एहसास हुआ कि वह बँधुआई में रहते हुए भी दूसरे तरीकों से यहोवा की तारीफ कर सकता है। (भज. 42:5) उसने इस बारे में भी सोचा कि यहोवा किस तरह उसका खयाल रख रहा है। (भज. 42:8) तो जब हम दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना करते हैं, तब हम अपनी भावनाओं को और अच्छी तरह समझ पाते हैं, सही सोच रख पाते हैं और हमें मुश्‍किलों का सामना करने की हिम्मत मिलती है।

तसवीरें: 1. एक लेवी वीराने में दिल खोलकर प्रार्थना कर रहा है। 2. अस्पताल में एक भाई अपने बिस्तर पर बैठा प्रार्थना कर रहा है और उसकी गोद में खुली हुई बाइबल है।

भजन 42 के लिखनेवाले ने दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना की। अगर हम भी यहोवा को अपने दिल का सारा हाल बताएँ, तो हम सही सोच बनाए रख पाएँगे (पैराग्राफ 16)


17. (क) हम भविष्यवक्‍ता योना की प्रार्थना से क्या सीख सकते हैं? (योना 2:1, 2) (ख) जब हम मुश्‍किल हालात में हों, तो भजन में लिखी बातों से हमें कैसे हिम्मत मिल सकती है? (फुटनोट देखें।)

17 योना 2:1, 2 पढ़िए। यह प्रार्थना भविष्यवक्‍ता योना ने उस वक्‍त की थी जब वह एक बड़ी मछली के पेट में था। उसने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी थी, फिर भी उसे पूरा यकीन था कि यहोवा उसकी फरियाद सुनेगा। अपनी प्रार्थना में उसने ऐसी कई बातें कहीं जो भजन की किताब से थीं।d इससे पता चलता है कि उसे भजन में लिखी वे बातें याद थीं। और जब उसने उन बातों पर गहराई से सोचा, तो उसे यकीन हो गया कि यहोवा उसकी मदद करेगा। हम योना से क्या सीख सकते हैं? अगर हम भी बाइबल की कुछ आयतें पहले से याद करें, तो मुश्‍किल हालात आने पर जब हम प्रार्थना करेंगे, तो हो सकता है वे आयतें हमें याद आएँ और उनसे हमें हिम्मत मिले।

यहोवा से प्रार्थना करके उसके और करीब आइए

18-19. रोमियों 8:26, 27 में लिखी बात से हमें कैसे दिलासा मिलता है? उदाहरण दीजिए।

18 रोमियों 8:26, 27 पढ़िए। कई बार चिंताएँ हम पर इस कदर हावी हो जाती हैं कि हम यहोवा को शब्दों में नहीं बता पाते कि हम कैसा महसूस कर रहे हैं। पर हमें निराश होने की ज़रूरत नहीं है। पवित्र शक्‍ति हमारी तरफ से यहोवा से “बिनती” करती है। वह कैसे? यहोवा ने अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए अपने वचन बाइबल में कई प्रार्थनाएँ दर्ज़ करवायी हैं। इसलिए जब हम अपनी बात यहोवा से साफ-साफ नहीं कह पाते, तो यहोवा उन प्रार्थनाओं में लिखी बातों को हमारी प्रार्थना मानकर कबूल कर सकता है और उनका जवाब दे सकता है।

19 इस बात से रूस में रहनेवाली बहन येलीना को बहुत हिम्मत मिली। उन्हें बाइबल पढ़ने और प्रार्थना करने की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया था। वे इतने तनाव में आ गयीं कि प्रार्थना ही नहीं कर पा रही थीं। वे बताती हैं, ‘उस वक्‍त मुझे याद आया कि ऐसे हालात में यहोवा बाइबल में लिखी अपने सेवकों की प्रार्थनाओं को मेरी प्रार्थना समझकर कबूल करेगा। मैं बता नहीं सकती कि इस बात से मुझे उस मुश्‍किल वक्‍त में कितना दिलासा मिला।’

20. जब हम बहुत परेशान होते हैं, तब हम प्रार्थना करने के लिए अपना मन कैसे तैयार कर सकते हैं?

20 जब हम बहुत परेशान होते हैं, तो हो सकता है प्रार्थना करते वक्‍त हमारा ध्यान भटकने लगे। अगर ऐसी बात है, तो आप क्या कर सकते हैं? अपने मन को तैयार कीजिए। इसके लिए आप भजन की किताब की ऑडियो रिकॉर्डिंग सुन सकते हैं। या दाविद की तरह आप भी अपनी भावनाओं को लिखने की कोशिश कर सकते हैं। (भज. 18; 34; 142; उपरिलेख) अपना मन तैयार करने के लिए आप कोई भी तरीका अपना सकते हैं, इसके लिए कोई नियम नहीं है। (भज. 141:2) ज़रूरी यह है कि आप अपने मन को तैयार करें।

21. हम क्यों दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना कर सकते हैं?

21 यह जानकर हमें कितनी तसल्ली मिलती है कि हमारे कुछ कहने से पहले ही यहोवा हमारे दिल का हाल समझ जाता है। (भज. 139:4) लेकिन वह चाहता है कि हम उसे बताएँ कि हम कैसा महसूस कर रहे हैं और हमें उस पर कितना भरोसा है। इसलिए कभी-भी अपने प्यारे पिता से बात करने से हिचकिचाइए मत। बाइबल में लिखी प्रार्थनाओं पर मनन कीजिए और उनसे सीखने की कोशिश कीजिए। दिल खोलकर यहोवा से बात कीजिए, अपना सुख-दुख, सबकुछ उसे बताइए। याद रखिए, यहोवा आपका सबसे अच्छा दोस्त है, वह कभी आपका साथ नहीं छोड़ेगा!

आपका जवाब क्या होगा?

  • क्या बात याद रखने से आप दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना कर पाएँगे?

  • दिल खोलकर प्रार्थना करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

  • बाइबल में लिखी प्रार्थनाओं पर मनन करने से आप क्या सीख सकते हैं?

गीत 45 मेरे मन के विचार

a वचन जो दिखाएँ राह किताब में विषय “यहोवा” में जाइए और उसमें “यहोवा के कुछ खास गुण” नाम के शीर्षक में दी जानकारी पढ़िए।

b मंडली की तरफ से जो प्रार्थनाएँ की जाती हैं, वे अकसर छोटी होती हैं।

c हन्‍ना ने अपनी प्रार्थना में जो बातें कहीं, उनमें से कई बातें मूसा की लिखी किताब में भी पायी जाती हैं। इससे पता चलता है कि वह शास्त्र की बातों पर मनन करने के लिए समय निकालती थी। (व्यव. 4:35; 8:18; 32:4, 39; 1 शमू. 2:2, 6, 7) और आगे चलकर यीशु की माँ मरियम ने यहोवा की तारीफ में जो शब्द कहे, वे हन्‍ना की प्रार्थना से काफी मिलते-जुलते थे।—लूका 1:46-55.

d उदाहरण के लिए योना 2:3-9 की तुलना भजन 69:1; 16:10; 30:3; 142:2, 3; 143:4, 5; 18:6; और 3:8 से कीजिए। यहाँ भजन की आयतें उसी क्रम में दी गयी हैं, जिस क्रम में योना ने इन्हें अपनी प्रार्थना में कहा था।

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