गीत 2
एहसान तेरा मानते, यहोवा
1. एह-सान ते-रा मान-ते य-हो-वा हर रोज़
दि-या ह-में तू-ने व-चन अन-मोल।
पास आ-के ते-रे कर सक-ते हम दु-आ
य-क़ीन है ह-में तू कर-ता पर-वाह।
2. दि-या प्या-रा बे-टा हम मान-ते एह-सान
दी जान, पर उस-ने ना छो-ड़ा ई-मान।
दि-खा-या ह-में ऐ-सा रा-स्ता तू-ने
कि मर-ज़ी ते-री पू-री कर स-कें।
3. चु-ना ह-में कर-ने ते-रा नाम ऐ-लान
सो मान-ते य-हो-वा ते-रा एह-सान।
मि-टा दे-गा तू इस ज-हाँ का हर ग़म
फिर पा-एँ-गे राज की आ-शी-षें हम।
(भज. 50:14; 95:2; 147:7; कुलु. 3:15 भी देखिए।)