यहोवा की हुकूमत और परमेश्वर का राज्य
“हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और विभव, तेरा ही है; . . . हे यहोवा! राज्य तेरा है।”—1 इतिहास 29:11.
1. सिर्फ यहोवा ही इस विश्व का महाराजाधिराज कहलाने का हकदार क्यों है?
“यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है।” (भजन 103:19) इन शब्दों के ज़रिए भजनहार ने हुकूमत के बारे में एक बुनियादी सच्चाई बयान की। वह यह कि सिरजनहार होने के नाते, सिर्फ यहोवा ही इस विश्व का महाराजाधिराज कहलाने का हकदार है।
2. दानिय्येल ने यहोवा के आत्मिक लोक का क्या ब्यौरा दिया?
2 बेशक, यहोवा तभी हुकूमत कर सकता था जब उसकी कोई प्रजा होती। तो फिर उसकी प्रजा कौन थी? सबसे पहले उसने आत्मिक प्राणियों, यानी अपने एकलौते बेटे और लाखों-करोड़ों स्वर्गदूतों पर हुकूमत की, जिन्हें उसने वजूद में लाया था। (कुलुस्सियों 1:15-17) इसके मुद्दतों बाद, दानिय्येल नबी को एक दर्शन में स्वर्ग का नज़ारा दिखाया गया। इस बारे में उसने लिखा: “मैं ने देखते देखते अन्त में क्या देखा, कि सिंहासन रखे गए, और कोई अति प्राचीन विराजमान हुआ; . . . हजारों हजार लोग उसकी सेवा टहल कर रहे थे, और लाखों लाख लोग उसके साम्हने हाज़िर थे।” (दानिय्येल 7:9, 10) “अति प्राचीन” यानी यहोवा ने सारे जहान के महाराजाधिराज के तौर पर अनगिनत युगों तक, अपने आत्मिक बेटों से बने बड़े और संगठित परिवार पर हुकूमत की है। और ये आत्मिक बेटे ‘टहलुओं’ की तरह उसकी मरज़ी पूरी करते आए हैं।—भजन 103:20, 21.
3. यहोवा विश्व पर कैसे हुकूमत करने लगा?
3 यहोवा ने आगे चलकर विशाल और जटिल विश्व की रचना की, जिसमें पृथ्वी भी शामिल थी। इसके बाद, वह पूरे विश्व पर हुकूमत करने लगा। (अय्यूब 38:4, 7) आकाश के पिंडों के बीच अचूक तालमेल और उन्हें बड़ी तरतीब से घूमते देख एक इंसान को शायद यह लगे कि इन्हें चलाने के लिए किसी की भी ज़रूरत नहीं। लेकिन भजनहार ने कहा: “[यहोवा] ने आज्ञा दी और ये सिरजे गए। और उस ने उनको सदा सर्वदा के लिये स्थिर किया है; और ऐसी विधि ठहराई है, जो टलने की नहीं।” (भजन 148:5, 6) यहोवा हमेशा से आत्मिक लोक और पूरे विश्व को चलाने, उनका निर्देशन करने और उनके लिए नियम ठहराने के ज़रिए हुकूमत करता आया है।—नहेमायाह 9:6.
4. यहोवा इंसानों पर कैसे हुकूमत करता है?
4 पहले इंसानी जोड़े, आदम और हव्वा को बनाने के बाद से, यहोवा ने एक और तरीके से हुकूमत की। उसने न सिर्फ इंसानों को मकसद-भरी और खुशहाल ज़िंदगी दी, बल्कि उन्हें जीव-जंतुओं पर अधिकार भी सौंपा। (उत्पत्ति 1:26-28; 2:8, 9) इससे साफ पता चलता है कि परमेश्वर न सिर्फ प्यार और कृपा से हुकूमत करता है जिससे दूसरों को फायदा पहुँचता है, बल्कि वह अपनी प्रजा को गरिमा और सम्मान से भी नवाज़ता है। जब तक आदम और हव्वा, यहोवा की हुकूमत के अधीन रहते, उनके आगे धरती पर अपने खूबसूरत घर, फिरदौस में हमेशा जीने की आशा रहती।—उत्पत्ति 2:15-17.
5. यहोवा की हुकूमत के बारे में हम क्या कह सकते हैं?
5 इन सारी बातों से हम क्या नतीजा निकाल सकते हैं? पहला, यहोवा हमेशा से अपनी सारी सृष्टि पर हुकूमत करता आया है। दूसरा, यहोवा प्यार और कृपा से हुकूमत करता है और अपनी प्रजा को गरिमा और सम्मान से नवाज़ता है। तीसरा, परमेश्वर की हुकूमत के अधीन रहने और उसका समर्थन करने से हमें हमेशा की आशीषें मिलेंगी। इसलिए इसमें कोई हैरानी की बात नहीं कि क्यों प्राचीन इस्राएल का राजा दाऊद खुद को यह कहने से न रोक सका: “हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और विभव, तेरा ही है; क्योंकि आकाश और पृथ्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; हे यहोवा! राज्य तेरा है, और तू सभों के ऊपर मुख्य और महान ठहरा है।”—1 इतिहास 29:11.
परमेश्वर के राज्य की ज़रूरत क्यों आन पड़ी?
6. परमेश्वर की हुकूमत का उसके राज्य के साथ क्या ताल्लुक है?
6 पूरे जहान का महाराजाधिराज होने के नाते, यहोवा हमेशा से अपनी शक्ति ज़ाहिर करता आया है। तो फिर, परमेश्वर के राज्य की ज़रूरत क्यों आन पड़ी? आम तौर पर एक सम्राट अपनी प्रजा पर हुकूमत करने के लिए एक ज़रिए का इस्तेमाल करता है। उसी तरह, परमेश्वर का राज्य एक ऐसा ज़रिया है जिसका इस्तेमाल करके यहोवा जीवित प्राणियों पर हुकूमत करता है।
7. यहोवा ने हुकूमत करने का एक नया ज़रिया क्यों ठहराया?
7 यहोवा ने अलग-अलग समय पर अलग-अलग तरीके से हुकूमत की। उसी तरह, जब नए हालात पैदा हुए, तो उसने हुकूमत करने का एक नया ज़रिया ठहराया। ये नए हालात कब पैदा हुए? जब परमेश्वर का एक बागी बेटा शैतान, आदम और हव्वा को बहकाकर परमेश्वर की हुकूमत के खिलाफ बगावत करवाने में कामयाब हुआ। इस बगावत से शैतान ने परमेश्वर की हुकूमत पर उँगली उठायी। वह कैसे? उसने हव्वा से कहा कि अगर वह मना किया हुआ फल खाएगी, तो वह ‘निश्चय न मरेगी।’ इस तरह, शैतान ने यह सुझाया कि यहोवा झूठा है और भरोसे के लायक नहीं। फिर उसने हव्वा से कहा: “परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम [वह] फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।” दूसरे शब्दों में शैतान यह कह रहा था कि अगर आदम और हव्वा, परमेश्वर की आज्ञा को नज़रअंदाज़ कर दें और अपनी मन-मरज़ी करें, तो वे ज़्यादा खुश रहेंगे। (उत्पत्ति 3:1-6) इस तरह, शैतान ने सीधे-सीधे परमेश्वर की हुकूमत करने के हक पर सवाल खड़ा किया। अब यहोवा क्या करता?
8, 9. (क) पुराने ज़माने में जब एक राजा के राज्य में बगावत छिड़ जाती थी, तब वह क्या करता था? (ख) जब अदन में बगावत हुई तब यहोवा ने क्या किया?
8 पुराने ज़माने में जब एक राजा के राज्य में बगावत छिड़ जाती थी, तब वह क्या करता था? जो लोग इतिहास से वाकिफ हैं, उन्हें शायद इस तरह के कई किस्से याद आएँ। आम तौर पर एक राजा बगावत होता देख हाथ-पर-हाथ धरे नहीं बैठे रहता था, फिर चाहे वह कितना ही दयालु क्यों न हो। इसके बजाय, वह बागियों को गद्दार करार देता था। फिर वह शायद किसी को अधिकार देता था कि वह बागियों को हराकर राज्य में दोबारा शांति कायम करे। ठीक उसी तरह, यहोवा ने अदन में हुई बगावत के फौरन बाद कदम उठाया और बागियों के खिलाफ अपना न्यायदंड सुनाया। इस तरह उसने साबित किया कि हालात अब भी उसके काबू में हैं। उसने ऐलान किया कि आदम और हव्वा हमेशा की ज़िंदगी के तोहफे के लायक नहीं। इसके बाद, उसने उन्हें अदन के बाग से खदेड़ दिया।—उत्पत्ति 3:16-19, 22-24.
9 फिर जब यहोवा ने शैतान के खिलाफ अपना न्यायदंड सुनाया, तो उसने ज़ाहिर किया कि वह एक नए ज़रिए से हुकूमत करेगा और पूरे विश्व में शांति और व्यवस्था कायम करेगा। परमेश्वर ने शैतान से कहा: “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” (उत्पत्ति 3:15) इस तरह, यहोवा ने अपना मकसद बयान किया कि वह एक “वंश” को अधिकार देगा, ताकि वह शैतान और उसकी सेना को कुचल डाले और परमेश्वर के हुकूमत करने के हक को बुलंद करे।—भजन 2:7-9; 110:1, 2.
10. (क) उत्पत्ति 3:15 में बताया “वंश” कौन था? (ख) पौलुस ने पहली भविष्यवाणी के पूरा होने के बारे में क्या कहा?
10 उत्पत्ति 3:15 में बताया “वंश” कौन था? यीशु मसीह और उसके संगी राजा। इन्हीं से मिलकर परमेश्वर का मसीहाई राज्य बनता है। (दानिय्येल 7:13, 14, 27; मत्ती 19:28; लूका 12:32; 22:28-30) लेकिन ये सारी बातें एक ही दफे में ज़ाहिर नहीं की गयीं। बाइबल की सबसे पहली भविष्यवाणी कैसे पूरी होगी, इस पवित्र ‘भेद को सनातन से छिपाए रखा गया।’ (रोमियों 16:25) सदियों तक परमेश्वर पर विश्वास करनेवाले पुरुष उस वक्त का बेसब्री से इंतज़ार करते रहे कि कब पवित्र “भेद” खोला जाएगा और कब पहली भविष्यवाणी पूरी होगी जिससे यहोवा की हुकूमत बुलंद की जाएगी।—रोमियों 8:19-21.
पवित्र “भेद” पर धीरे-धीरे रोशनी डाली गयी
11. यहोवा ने इब्राहीम को क्या बताया?
11 जैसे-जैसे वक्त गुज़रता गया, वैसे-वैसे यहोवा अपने “राज्य के [पवित्र] भेद” के अलग-अलग पहलुओं पर रोशनी डालता गया। (मरकुस 4:11) यहोवा ने जिन लोगों पर यह बात ज़ाहिर की थी, उनमें से एक था इब्राहीम जिसे “परमेश्वर का मित्र” कहा गया। (याकूब 2:23) यहोवा ने इब्राहीम से वादा किया कि वह उससे एक “बड़ी जाति” बनाएगा। बाद में, परमेश्वर ने इब्राहीम को बताया: “तेरे वंश में राजा उत्पन्न होंगे” और “पृथ्वी की सारी जातियां अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी।”—उत्पत्ति 12:2, 3; 17:6; 22:17, 18.
12. जलप्रलय के बाद, शैतान का वंश कैसे ज़ाहिर होने लगा?
12 इब्राहीम के दिनों तक, इंसान दूसरों पर हुकूमत करने की कोशिश कर चुका था। मिसाल के लिए, नूह के परपोते, निम्रोद के बारे में बाइबल कहती है: “पृथ्वी पर पहिला वीर वही हुआ है। वह यहोवा की दृष्टि में [“के विरोध में,” NW] पराक्रमी शिकार खेलनेवाला ठहरा।” (उत्पत्ति 10:8, 9) इससे ज़ाहिर है कि निम्रोद और उसके जैसे दूसरे लोग, जो खुद शासक बन बैठे थे, शैतान के हाथ की कठपुतलियाँ थे। इस तरह वे और उनके हिमायती, सब शैतान के वंश का हिस्सा बन गए।—1 यूहन्ना 5:19.
13. यहोवा ने याकूब के ज़रिए क्या भविष्यवाणी की?
13 इंसानी शासकों को खड़े करने की शैतान की कोशिशों के बावजूद, यहोवा का मकसद आगे बढ़ता गया। यहोवा ने इब्राहीम के पोते, याकूब के ज़रिए यह भविष्यवाणी की: “जब तक शीलो न आए तब तक न तो यहूदा से राजदण्ड छूटेगा, न उसके वंश से व्यवस्था देनेवाला अलग होगा; और राज्य राज्य के लोग उसके अधीन हो जाएंगे।” (उत्पत्ति 49:10) शब्द “शीलो” का मतलब है, “वह जिसका यह है; वह जो इसका हकदार है।” इसलिए यह भविष्यवाणी दिखाती है कि एक ऐसा शख्स आएगा जिसके पास “राजदण्ड” पाने, यानी “राज्य राज्य के लोगों” या पूरी मानवजाति पर हुकूमत करने का कानूनी हक होगा। वह शख्स कौन था?
“जब तक शीलो न आए”
14. यहोवा ने दाऊद के साथ क्या वाचा बाँधी?
14 यहोवा ने यहूदा के खानदान में से जिस पहले शख्स को अपने लोगों का राजा बनने के लिए चुना, वह था दाऊद।a दाऊद, यिशै का बेटा और एक चरवाहा था। (1 शमूएल 16:1-13) कई पाप और गलतियाँ करने के बावजूद दाऊद, यहोवा का वफादार बना रहा और उसकी हुकूमत के अधीन रहा। इसलिए उस पर यहोवा का अनुग्रह बना रहा। अदन में की गयी भविष्यवाणी पर और ज़्यादा रोशनी डालते हुए, यहोवा ने दाऊद के साथ एक वाचा बाँधी। उसने दाऊद से कहा: “मैं तेरे वंश को जो तेरी अंतड़ियों से निकलेगा तेरे पीछे खड़ा करके उसके राज्य को स्थिर करूंगा।” इस आयत में सिर्फ दाऊद के बेटे और वारिस, सुलैमान की ही बात नहीं की गयी है, क्योंकि यहोवा ने यह भी कहा: “मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूंगा।” दाऊद के साथ बाँधी गयी इस वाचा से साफ था कि वादा किया गया राज्य “वंश” आगे चलकर दाऊद के खानदान से ही आता।—2 शमूएल 7:12, 13, फुटनोट।
15. यहूदा का राज्य किस मायने में परमेश्वर के राज्य को दर्शाता था?
15 दाऊद से राजाओं का वंश शुरू हुआ। राजगद्दी पर बैठनेवाले राजाओं में से कुछ को महायाजक, पवित्र तेल से अभिषेक करता था। इसलिए इन राजाओं को अभिषिक्त जन या मसीहा कहा जा सकता था। (1 शमूएल 16:13; 2 शमूएल 2:4; 5:3; 1 राजा 1:39) इनके बारे में कहा जाता था कि वे यहोवा के सिंहासन पर बैठते थे और यरूशलेम में यहोवा की तरफ से राज्य करते थे। (2 इतिहास 9:8) इस मायने में यहूदा का राज्य, परमेश्वर के राज्य को दर्शाता था, क्योंकि वह यहोवा की हुकूमत करने का एक ज़रिया था।
16. यहूदा के राजाओं की हुकूमत के क्या अंजाम निकले?
16 जब तक राजा और प्रजा, दोनों यहोवा की हुकूमत के अधीन रहे, तब तक यहोवा ने उनकी हिफाज़त की और उन्हें आशीषें दीं। खासकर राजा सुलैमान की हुकूमत के दौरान, पूरे इस्राएल देश में शांति और खुशहाली का बोलबाला था। सुलैमान की हुकूमत ने परमेश्वर के राज्य की हुकूमत की झलक दी, जिस दौरान शैतान का असर पूरी तरह मिट चुका होगा और यहोवा की हुकूमत को बुलंद किया जा चुका होगा। (1 राजा 4:20, 25) मगर अफसोस, दाऊद के वंश से आए ज़्यादातर राजा यहोवा की माँगों पर खरे नहीं उतरे और प्रजा भी मूर्तिपूजा और अनैतिकता के फँदे में फँस गयी। इसलिए यहोवा ने यहूदा के राज्य को सा.यु.पू. 607 में बाबुलियों के हाथों नाश होने दिया। इससे ऐसा लग रहा था, मानो शैतान का यह दावा सच साबित हुआ कि यहोवा के हुकूमत करने का तरीका सही नहीं है।
17. क्या दिखाता है कि दाऊद के राज्य के तबाह होने के बाद भी, यहोवा हुकूमत कर रहा था?
17 दाऊद के राज्य और उससे पहले इस्राएल के उत्तरी राज्य का तबाह होना, इस बात का सबूत नहीं कि यहोवा की हुकूमत में किसी तरह की खोट है या उसकी हुकूमत नाकाम रही। इसके बजाय, यह दिखाता है कि शैतान के दबदबे और इंसान के परमेश्वर से आज़ाद होकर जीने के क्या ही बुरे अंजाम होते हैं। (नीतिवचन 16:25; यिर्मयाह 10:23) और-तो-और, यह दिखाने के लिए कि वह अब भी हुकूमत कर रहा है, यहोवा ने नबी यहेजकेल के ज़रिए ऐलान किया: “पगड़ी उतार, और मुकुट भी उतार दे; . . . मैं इसको उलट दूंगा और उलट पुलट कर दूंगा; हां उलट दूंगा और जब तक उसका अधिकारी न आए तब तक वह उलटा हुआ रहेगा; तब मैं उसे दे दूंगा।” (यहेजकेल 21:26, 27) ये शब्द साफ दिखाते हैं कि वादा किए गए “वंश,” यानी जिसके पास मुकुट पहनने का कानूनी ‘अधिकार’ है, उसका आना अभी बाकी था।
18. स्वर्गदूत जिब्राईल, मरियम को क्या पैगाम देता है?
18 अब आइए हम करीब सा.यु.पू. 2 की तरफ बढ़ें और उस समय हुई एक घटना पर गौर करें। स्वर्गदूत जिब्राईल को एक कुंवारी स्त्री, मरियम के पास भेजा जाता है, जो इस्राएल देश के उत्तर, गलील इलाके के नासरत नगर में रहती है। वह मरियम को यह पैगाम देता है: “देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना। वह महान होगा; और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उस को देगा। और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा।”—लूका 1:31-33.
19. किन हैरतअंगेज़ घटनाओं के घटने का वक्त नज़दीक आ चुका था?
19 आखिरकार, पवित्र “भेद” को खोलने का वक्त नज़दीक आ गया। वादा किए गए “वंश” का मुख्य भाग बहुत जल्द प्रकट होनेवाला है। (गलतियों 4:4; 1 तीमुथियुस 3:16) इस वंश की एड़ी को शैतान डसेगा। लेकिन भविष्य में यही “वंश” शैतान के सिर को कुचल डालेगा और उसका और उसके हिमायतियों का नाश कर देगा। इसके अलावा, वह इस बात की भी गवाही देगा कि परमेश्वर के राज्य के ज़रिए उन सभी नुकसानों की भरपाई की जाएगी, जो शैतान ने पहुँचाएँ हैं। साथ ही, यह वंश यहोवा की हुकूमत को भी बुलंद करेगा। (इब्रानियों 2:14; 1 यूहन्ना 3:8) अब सवाल उठता है कि यीशु ने यह सब कैसे किया? उसने हमारे लिए क्या आदर्श रखा? इन सवालों के जवाब हम अगले लेख में देखेंगे।
[फुटनोट]
a शाऊल, जिसे परमेश्वर ने इस्राएल का सबसे पहला राजा चुना था, बिन्यामीन के गोत्र से था।—1 शमूएल 9:15, 16; 10:1.
क्या आप समझा सकते हैं?
• सिर्फ यहोवा ही इस विश्व का महाराजाधिराज कहलाने का हकदार क्यों है?
• यहोवा ने राज्य का इंतज़ाम क्यों किया?
• यहोवा ने कैसे पवित्र “भेद” पर धीरे-धीरे रोशनी डाली?
• क्या बात दिखाती है कि दाऊद के राज्य के तबाह होने के बाद भी यहोवा हुकूमत कर रहा था?
[पेज 5 पर तसवीर]
यहोवा ने इब्राहीम के ज़रिए भविष्य के बारे में क्या ज़ाहिर किया?
[पेज 7 पर तसवीर]
दाऊद के राज्य का तबाह होना, क्यों इस बात का सबूत नहीं कि यहोवा की हुकूमत नाकाम रही?