परमेश्वर ने अपने प्यार की अच्छाई हम पर ज़ाहिर की है
“महा-कृपा भी नेकी के ज़रिए राजा बनकर राज करे जिससे . . . हमें हमेशा की ज़िंदगी मिले।”—रोमि. 5:21.
1, 2. यहाँ किन दो विरासत या तोहफों के बारे में बताया गया है और इनमें से सबसे कीमती तोहफा कौन-सा है?
“रोमी साम्राज्य पर फतह हासिल करनेवालों को जो सबसे बड़ी विरासत मिली, वह थी रोमी . . . कायदे-कानून और उनकी यह सोच कि ज़िंदगी इन्हीं कायदे-कानून के मुताबिक जीनी चाहिए।” (ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न यूनिवर्सिटी के बाइबल अनुवादक और प्रोफेसर डेविड जे. विलियम्स) चाहे रोमियों की यह विरासत कितनी ही मायने क्यों न रखती हो, लेकिन इससे भी कहीं ज़्यादा कीमती विरासत या तोहफा परमेश्वर ने हमें दिया है। इस तोहफे की बदौलत हमें परमेश्वर की मंज़ूरी मिलती है, हम उसकी नज़रों में नेक ठहरते हैं। साथ ही, इससे हमें उद्धार और हमेशा की ज़िंदगी की आशा भी मिलती है।
2 लेकिन परमेश्वर ने जिस तरह यह तोहफा मुहैया कराया है उसमें कुछ कानूनी पहलू भी शामिल हैं। रोमियों अध्याय 5 में प्रेषित पौलुस ने इन्हीं पहलुओं का ज़िक्र किया है। लेकिन उसने इन्हें रूखे अंदाज़ में या कानूनी मसलों के तौर पर पेश नहीं किया। इसके बजाय, उसने इनकी शुरूआत बड़े ही रोमांचक ढंग से और यकीन दिलाते हुए की। उसने कहा: “हमें विश्वास की वजह से नेक ठहराया गया है, तो आओ हम अपने प्रभु यीशु मसीह के ज़रिए परमेश्वर के साथ शांति के रिश्ते में बने रहें।” परमेश्वर से यह तोहफा पानेवाले बदले में उससे प्यार करने के लिए उकसाए जाते हैं। पौलुस भी उन्हीं में से एक था। उसने लिखा: “परमेश्वर का प्यार हमारे दिलों में उस पवित्र शक्ति के ज़रिए भरा गया है।”—रोमि. 5:1, 5.
3. हम किन सवालों पर गौर करेंगे?
3 इस प्यार-भरे तोहफे की ज़रूरत क्यों थी? परमेश्वर ने अपने न्याय के स्तर के मुताबिक कैसे यह तोहफा दिया, जिससे सभी को फायदा होता? इस तोहफे को पाने के लिए एक इंसान को क्या करने की ज़रूरत है? आइए इन सवालों के जवाब ढूँढ़े, जिनसे न सिर्फ हमें तसल्ली मिलेगी बल्कि हम देख पाएँगे कि परमेश्वर हमसे कितना प्यार करता है।
परमेश्वर का प्यार बनाम पाप
4, 5. (क) यहोवा ने किस तरह अपना महान प्यार ज़ाहिर किया? (ख) कौन-सी जानकारी पता होने की वजह से हमारे लिए रोमियों 5:12 समझना आसान हो जाता है?
4 अपने महान प्यार की खातिर यहोवा परमेश्वर ने इंसानों की मदद के लिए अपना इकलौता बेटा धरती पर भेजा। पौलुस ने इस बारे में यूँ कहा: “परमेश्वर ने अपने प्यार की अच्छाई हम पर इस तरह ज़ाहिर की है कि जब हम पापी ही थे, तब मसीह हमारे लिए मरा।” (रोमि. 5:8) ज़रा आयत में बतायी इस बात पर गौर कीजिए कि “जब हम पापी ही थे।” हममें से हरेक के लिए यह समझना ज़रूरी है कि हम पापी कैसे बने।
5 इसी बात को समझाने के लिए पौलुस ने सबसे पहले यह बताया, “एक आदमी से पाप दुनिया में आया और पाप से मौत आयी, और इस तरह मौत सब इंसानों में फैल गयी क्योंकि सबने पाप किया।” (रोमि. 5:12) हमारे लिए यह बात समझना आसान है क्योंकि यहोवा परमेश्वर ने बाइबल में लिखवाया है कि इंसानी जीवन की शुरूआत में क्या हुआ था। परमेश्वर ने दो इंसानों की सृष्टि की थी, आदम और हव्वा। हमारा सृष्टिकर्ता सिद्ध है और हमारे पूर्वज यानी आदम और हव्वा भी सिद्ध थे। परमेश्वर ने उन्हें एक आज्ञा दी थी और साफ-साफ बताया था कि अगर वे उस आज्ञा को तोड़ेंगे, तो उन्हें सज़ा-ए-मौत मिलेगी। (उत्प. 2:17) लेकिन उन्होंने जानबूझकर वह आसान-सी आज्ञा तोड़ दी और इस तरह उन्होंने कानून देनेवाले और जहान के महाराजा और मालिक यहोवा को ठुकरा दिया।—व्यव. 32:4, 5.
6. (क) मूसा की कानून-व्यवस्था देने से पहले और उसके बाद क्यों आदम की संतानों की मौत हुई? (ख) पीढ़ी-दर-पीढ़ी फैलनेवाली बीमारी के उदाहरण से हमें पाप के बारे में क्या समझ में आता है?
6 आदम के पाप करने के बाद ही उसकी संतानें पैदा हुईं। इस तरह उसकी सभी संतानों में पाप और उसके बुरे अंजाम फैल गए। बेशक इन संतानों ने आदम की तरह परमेश्वर की आज्ञा नहीं तोड़ी थी, इसलिए उन्हें उसके पाप के लिए कसूरवार नहीं ठहराया जा सकता था और न ही उसके जैसी सज़ा दी जा सकती थी। और-तो-और उस वक्त तक परमेश्वर ने कोई कानून-व्यवस्था भी नहीं दी थी। (उत्प. 2:17) लेकिन फिर भी उसकी संतानों को पाप विरासत में मिला। इस तरह पाप और मौत ने उस समय तक राजा बनकर राज किया जब तक परमेश्वर ने इसराएलियों को कानून-व्यवस्था नहीं दी। इससे पता चलता है कि वे सभी पापी थे। (रोमियों 5:13, 14 पढ़िए।) विरासत में मिले पाप की तुलना हम एक ऐसी बीमारी से कर सकते हैं, जो माँ-बाप से बच्चों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी फैलती है। हो सकता है परिवार में कुछ बच्चों को यह बीमारी हो और कुछ को न हो। लेकिन पाप के साथ ऐसा नहीं है। हम सबको आदम से विरासत में पाप मिला है और इस वजह से एक-न-एक दिन हमें मौत आनी ही है। क्या कभी इस दर्दनाक हालात से छुटकारा पाया जा सकता था?
परमेश्वर ने यीशु मसीह के ज़रिए क्या दिया?
7, 8. दो सिद्ध इंसानों की ज़िंदगी से क्या अलग-अलग नतीजे निकले?
7 प्यार की खातिर यहोवा ने इंसानों को विरासत में मिले पाप से छुटकारा दिलाने के लिए एक इंतज़ाम किया। पौलुस ने समझाया कि यह इंतज़ाम एक और सिद्ध आदमी के ज़रिए मुमकिन हुआ, जो दरअसल दूसरा या आखिरी आदम था। (1 कुरिं. 15:45) लेकिन दोनों सिद्ध इंसानों ने अपनी ज़िंदगी में जो रास्ता इख्तियार किया, उसका नतीजा बिलकुल अलग-अलग निकला। कैसे?—रोमियों 5:15, 16 पढ़िए।
8 पौलुस ने लिखा: “वरदान का नतीजा, उस गुनाह के नतीजे जैसा नहीं है।” आदम ने जानबूझकर गुनाह किया था इसलिए उसे बिलकुल सही सज़ा मिली थी यानी मौत। मगर वह अकेला नहीं था जो मौत के मुँह में गया। बाइबल में हम पढ़ते हैं: “एक आदमी के गुनाह से बहुत मर गए।” यहोवा का न्याय माँग करता था कि पापियों को मौत मिलनी चाहिए। इसलिए आदम की तरह उसकी सभी असिद्ध और पापी संतानें जिसमें हम भी शामिल हैं, मौत के हकदार हैं। फिर भी हम इस बात से दिलासा पा सकते हैं कि सिद्ध इंसान यानी यीशु की ज़िंदगी से बिलकुल अलग नतीजा निकला। क्या नतीजा निकला? इसका जवाब हमें पौलुस के शब्दों में मिलता है, “सब किस्म के इंसानों [को] नेक ठहराया [जाएगा] ताकि वे जीवन पाएँ।”—रोमि. 5:18.
9. रोमियों 5:16, 18 के मुताबिक परमेश्वर इंसानों को नेक ठहराने के लिए क्या कर रहा है?
9 जिन यूनानी शब्द का अनुवाद “नेक करार दिया जाना” और “नेक ठहराया जाना” किया गया है, उनका क्या मतलब है? बाइबल अनुवादक विलियम्स, जिनका लेख की शुरूआत में ज़िक्र किया गया है, उन्होंने समझाते हुआ कहा: “इन शब्दों को एक रूपक के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। यह पूरी तरह कानूनी शब्द नहीं, मगर इसमें कुछ कानूनी पहलू ज़रूर जुड़े हैं। यह दिखाता है कि एक इंसान अंदरूनी तौर पर नहीं बदलता बल्कि परमेश्वर के साथ उसका रिश्ता बदल जाता है . . . इस रूपक में परमेश्वर को एक न्यायी बताया गया है। और उसकी अदालत में एक ऐसा इंसान लाया गया है जिस पर पापी होने का इलज़ाम है। मगर परमेश्वर उसके पक्ष में फैसला सुनाता है। वह उस इंसान पर लगाए इलज़ामों से उसे बाइज़्ज़त बरी कर देता है।”
10. यीशु ने ऐसा क्या किया जिसकी बिनाह पर इंसानों को नेक ठहराया जा सकता है?
10 किस बिनाह पर “पृथ्वी का न्यायी” पापी इंसानों को नेक ठहराता है? (उत्प. 18:25) सबसे पहले, परमेश्वर ने प्यार की खातिर अपने एकलौते बेटे को धरती पर भेजा। यीशु ने धरती पर मुश्किल-से-मुश्किल परीक्षाओं का सामना किया, उसकी खिल्ली उड़ायी गयी और उसके साथ बदसलूकी की गयी। इसके बावजूद, उसने अपने पिता की मरज़ी पूरी की। यहाँ तक कि यातना की सूली पर मरते वक्त भी वह परमेश्वर का वफादार बना रहा। (इब्रा. 2:10) अपना सिद्ध जीवन देकर यीशु ने फिरौती का दाम चुकाया और आदम की संतान को पाप और मौत से छुड़ाया।—मत्ती 20:28; रोमि. 5:6-8.
11. फिरौती किसकी बराबरी का दाम है?
11 एक दूसरी आयत में, यीशु के बलिदान को पौलुस ने “फिरौती का बराबर दाम” कहा। (1 तीमु. 2:6) यह फिरौती किसकी बराबरी का दाम था? आदम न सिर्फ खुद पर बल्कि अपनी लाखों-करोड़ों संतानों पर असिद्धता और मौत ले आया था। वहीं दूसरी तरफ, यीशु एक सिद्ध इंसान था और लाखों-करोड़ों सिद्ध संतानें पैदा करने के काबिल था।a इसलिए पहले हमारी समझ यह थी कि फिरौती का दाम, यीशु और उसकी सिद्ध अजन्मी संतानों से मिलकर बना है, जो कि आदम और उसकी असिद्ध संतानों के बराबर था। लेकिन बाइबल यह नहीं बताती कि यीशु की सिद्ध अजन्मी संतानें फिरौती का भाग थीं। रोमियों 5:15-19 इस बात को साफ कर देता है कि सिर्फ “एक आदमी” की मौत से फिरौती दी गयी है। यीशु का सिद्ध जीवन, आदम के सिद्ध जीवन का बराबर दाम था। इसलिए हमारा पूरा ध्यान सिर्फ यीशु मसीह पर ही होना चाहिए। क्योंकि उसके “एक नेक काम” यानी मौत तक आज्ञाकारी और वफादार बने रहने से सब किस्म के इंसानों के लिए यह मुफ्त वरदान और जीवन पाना मुमकिन हुआ है। (2 कुरिं. 5:14, 15; 1 पत. 3:18) यह सब कैसे हुआ?
फिरौती की बिनाह पर बरी किया जाना
12, 13. जिन्हें नेक करार दिया जाता है उन्हें परमेश्वर की दया और प्यार की ज़रूरत क्यों है?
12 यहोवा ने अपने बेटे का फिरौती बलिदान कबूल किया। (इब्रा. 9:24; 10:10, 12) लेकिन फिर भी धरती पर यीशु के चेले, जिसमें उसके वफादार प्रेषित भी शामिल थे वे असिद्ध के असिद्ध रहे। लाख कोशिशों के बावजूद वे गलतियाँ कर बैठते थे। क्यों? क्योंकि जन्म से ही उनमें पाप बसा हुआ था। (रोमि. 7:18-20) मगर परमेश्वर उन्हें पाप से छुड़ा सकता था और उसने ऐसा किया भी। परमेश्वर ने “फिरौती का बराबर दाम” कबूल किया और अपने सेवकों पर इसे खुशी-खुशी लागू किया।
13 परमेश्वर किसी भी तरह मजबूर नहीं था कि उसे हर हाल में प्रेषितों और दूसरे इंसानों के भले कामों के लिए उन पर फिरौती की कीमत लागू करनी थी। इसके बजाय, दया और अपने महान प्यार की खातिर उसने फिरौती उन पर लागू की। और प्रेषितों और दूसरों को जो न्यायदंड मिलना था उससे उन्हें बरी करने का फैसला किया। इस तरह, विरासत में मिले पाप से आज़ाद होने के बाद, वे परमेश्वर की नज़र में नेक ठहरे। पौलुस ने इसी बात को समझाते हुए कहा: “वाकई, तुम्हारा उद्धार इसी महा-कृपा की वजह से, विश्वास के ज़रिए किया गया है। और यह इंतज़ाम तुम्हारी अपनी वजह से नहीं है, बल्कि यह परमेश्वर का तोहफा है।”—इफि. 2:8.
14, 15. परमेश्वर जिन्हें नेक ठहराता है उनके आगे क्या इनाम रखा है? और उस इनाम को पाने के लिए उन्हें क्या करना होगा?
14 ज़रा सोचिए यह कितना बड़ा वरदान है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक इंसान को विरासत में मिले उसके पाप और जितने भी गुनाह उसने किए हैं उन सबको माफ करता है! मसीही बनने से पहले एक इंसान कितने पाप करता है, शायद आप उसे गिन भी न पाएँ, लेकिन फिरौती की बिनाह पर परमेश्वर उन सब पापों को माफ करता है। पौलुस ने लिखा: “बहुत-से गुनाहों के बाद जो वरदान आया उससे इंसानों का परमेश्वर की नज़र में नेक करार दिया जाना मुमकिन हुआ।” (रोमि. 5:16) प्रेषितों और दूसरों को जिन्हें यह प्यारा वरदान (नेक करार दिया जाना) मिला, उन्हें लगातार पूरे विश्वास के साथ सच्चे परमेश्वर की उपासना करनी थी। ऐसा करने से भविष्य में उन्हें क्या इनाम मिलता? “जो लोग महा-कृपा और नेक ठहराए जाने का मुफ्त वरदान बहुतायत में पाते हैं, वे इससे भी बढ़कर यीशु मसीह के ज़रिए जीवन पाकर और राजा बनकर राज . . . करेंगे।” वाकई नेक ठहराए जाने का वरदान बिलकुल अलग है, इस वरदान से जीवन मिलता है।—रोमि. 5:17; लूका 22:28-30 पढ़िए।
15 इस वरदान के पानेवालों को नेक करार दिया जाता है और वे परमेश्वर के आत्मिक बेटे बन जाते हैं। और मसीह के संगी वारिस होने के नाते, उन्हें स्वर्ग में जी उठाए जाने की आशा है और तब वे सचमुच आत्मिक बेटों के तौर पर यीशु मसीह के साथ “राजा बनकर राज” करेंगे।—रोमियों 8:15-17, 23 पढ़िए।
मसीह से पहले जीनेवालों के लिए परमेश्वर का प्यार
16. धरती पर फिरदौस में जीने की आशा रखनेवालों को आज क्या वरदान मिला है?
16 परमेश्वर पर विश्वास करनेवाले और वफादारी से उसकी सेवा करनेवाले सभी मसीही, यीशु मसीह के साथ स्वर्ग में “राजा बनकर राज” नहीं करेंगे। कई मसीहियों को यीशु से पहले जीए परमेश्वर के वफादार सेवकों की तरह, धरती पर फिरदौस में हमेशा जीने की आशा है। क्या इस आशा के साथ जीनेवालों को भी परमेश्वर का प्यार-भरा वरदान मिलता है और वे उसकी नज़र में नेक ठहरते हैं? पौलुस ने रोमियों को जो बातें लिखीं, उसके आधार पर इसका तसल्ली देनेवाला जवाब है, “हाँ।”
17, 18. (क) अब्राहम के विश्वास की वजह से परमेश्वर ने उसे किस नज़रिए से देखा? (ख) किस मायने में अब्राहम परमेश्वर की नज़र में नेक ठहरा?
17 पौलुस, परमेश्वर पर अटूट विश्वास रखनेवाले अब्राहम की लाजवाब मिसाल देता है। अब्राहम उस वक्त जीया था जब न तो यहोवा ने इस्राएलियों को कानून-व्यवस्था दी थी और न ही यीशु मसीह के ज़रिए स्वर्ग में जीवन पाने की आशा खुली थी। (इब्रा. 10:19, 20) बाइबल में हम पढ़ते हैं: “अब्राहम या उसका वंश दुनिया का वारिस होगा, यह वादा कानून के ज़रिए नहीं था बल्कि उस नेकी के ज़रिए था जो अब्राहम ने विश्वास दिखाकर हासिल की थी।” (रोमि. 4:13; याकू. 2:23, 24) जी हाँ, वफादार अब्राहम परमेश्वर की नज़र में नेक गिना गया।—रोमियों 4:20-22 पढ़िए।
18 इसका मतलब यह नहीं कि बरसों-बरस यहोवा की सेवा करते वक्त अब्राहम में कोई पाप नहीं था और इस वजह से वह नेक गिना गया। (रोमि. 3:10, 23) लेकिन यहोवा ने अपनी अपार बुद्धि से अब्राहम के लाजवाब विश्वास और विश्वास पर आधारित उसके कामों पर गौर किया। खासकर परमेश्वर ने ध्यान दिया कि अब्राहम को वादा किए गए “वंश” पर पूरा विश्वास था जो उसी के खानदान से आनेवाला था। आगे चलकर यह वंश मसीहा या मसीह साबित हुआ। (उत्प. 15:6; 22:15-18) इसीलिए न्यायी परमेश्वर ने “फिरौती” की बिनाह पर “जो मसीह यीशु ने चुकायी” थी, बीते ज़माने में किए गए लोगों के पापों को माफ किया। और इसी वजह से, अब्राहम और यीशु से पहले के ज़माने में जीए दूसरे वफादार लोगों के दोबारा जी उठने की आशा है।—रोमियों 3:24, 25 पढ़िए; भज. 32:1, 2.
आप परमेश्वर की नज़र में नेक गिने जा सकते हैं
19. परमेश्वर ने अब्राहम को नेक गिना यह बात आज कई मसीहियों को क्यों हौसला देती है?
19 प्यार करनेवाले परमेश्वर ने अब्राहम को नेक गिना, यह जानकर आज मसीहियों को हौसला मिलता है। यहोवा ने अब्राहम को उस मायने में नेक करार नहीं दिया, जिस मायने वह उन लोगों को नेक करार देता है, जिन्हें वह अपनी पवित्र शक्ति से “मसीह के संगी वारिस” होने के लिए चुनता है। इन संगी वारिसों की गिनती सीमित है और उनके समूह को “पवित्र जन” कहा गया है। साथ ही, उन्हें ‘परमेश्वर के बेटों’ के तौर पर कबूल किया गया है। (रोमि. 1:7; 8:14, 17, 33) वहीं दूसरी तरफ, अब्राहम को “यहोवा का मित्र” कहा गया है और वह भी फिरौती बलिदान दिए जाने से पहले। (याकू. 2:23; यशा. 41:8) तो फिर उन सच्चे मसीहियों के बारे में क्या जो धरती पर फिरदौस में जीने की आशा रखते हैं?
20. अब्राहम की तरह, आज जो मसीही परमेश्वर की नज़र में नेक गिने जाते हैं, उनसे वह क्या चाहता है?
20 धरती पर फिरदौस में जीने की आशा रखनेवाले मसीहियों को “नेक ठहराए जाने का मुफ्त वरदान” नहीं मिला है, जो “उस फिरौती के ज़रिए . . . जो मसीह यीशु ने चुकायी है” मुमकिन हुआ है। (रोमि. 3:24; 5:15, 17) इसके बावजूद, ये मसीही परमेश्वर और उसके सारे इंतज़ामों पर पक्का विश्वास रखते हैं और अपने भले कामों के ज़रिए इसे ज़ाहिर करते हैं। इन भले कामों में से एक है: ‘परमेश्वर के राज का प्रचार करना और प्रभु यीशु मसीह के बारे में सिखाना।’ (प्रेषि. 28:31) इसी वजह से वे यहोवा की नज़र में, अब्राहम की तरह नेक गिने जाते हैं। और उन्हें जो वरदान मिलता है वह है परमेश्वर के साथ दोस्ती। हालाँकि उनका यह वरदान अभिषिक्त मसीहियों को मिलनेवाले “मुफ्त वरदान” से अलग है, फिर भी वे इस वरदान को एहसान-भरे दिल से कबूल करते हैं।
21. यहोवा के प्यार और न्याय से हम क्या फायदे पा सकते हैं?
21 अगर आप धरती पर हमेशा की ज़िंदगी जीने की आशा रखते हैं, तो आपको यह एहसास होना ज़रूरी है कि यह सुनहरा मौका, बात-बात पर मन बदलनेवाले किसी इंसानी शासक की बदौलत नहीं मिला है। बल्कि यह इंतज़ाम पूरे जहान के महाराजा और मालिक यहोवा परमेश्वर के सोचे-समझे मकसद के मुताबिक है। उसने अपने मकसद को पूरा करने के लिए सिलसिलेवार ढंग से कदम उठाए हैं और वह भी अपने न्याय के स्तर के मुताबिक। सबसे बढ़कर इससे यहोवा का महान प्यार ज़ाहिर हुआ है। इसीलिए इसमें कोई शक नहीं कि पौलुस ने क्यों यह बात कही, “परमेश्वर ने अपने प्यार की अच्छाई हम पर इस तरह ज़ाहिर की है कि जब हम पापी ही थे, तब मसीह हमारे लिए मरा।”—रोमि. 5:8.
[फुटनोट]
a उदाहरण के लिए, प्रहरीदुर्ग 00 3/15 पेज 4 पैरा. 4 और इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स—भाग 2 पेज 736 पैरा. 4-5 देखिए, जिसमें संतान के शामिल होने के बारे में जानकारी दी गयी थी।
क्या आपको याद है?
• आदम की संतान को विरासत में क्या मिला और इसका क्या नतीजा हुआ?
• फिरौती का बराबर दाम कैसे चुकाया गया और यह किसकी बराबरी का दाम था?
• नेक करार दिए जाने के वरदान से आपको क्या आशा मिली है?
[पेज 13 पर तसवीर]
सिद्ध इंसान आदम ने पाप किया। सिद्ध इंसान यीशु ने “फिरौती का बराबर दाम चुकाया”
[पेज 15 पर तसवीर]
यह क्या ही खुशखबरी है कि हम यीशु के ज़रिए नेक करार दिए जा सकते हैं!