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  • अपनी सेवकाई में कुशल बनों
  • हमारी राज-सेवा—1990
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अपनी सेवकाई में कुशल बनों

१ प्रेरित पौलुस ने सेवकई में कुशलता विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने लिखा: “अपने आप को परमेश्‍वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करनेवाले ठहराने का पूरा प्रयत्न कर, जो लज्जित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो।”—२ तीमु २:१५.

२ सेवकाई में कुशलता प्राप्त की जाती है। इसलिए हमें ‘पूरा प्रयत्न’ करना चाहिए—उत्सुक प्रयास करना चाहिए—यदि हमें कुशल सेवक बनना है। परन्तु क्या हमारी सहायता करेगी?

परमेश्‍वर के वचन से सीखो

३ शास्त्रवचनों का हमारा व्यक्‍तिगत ज्ञान का सीधा असर सेवकों के नाते हमारी प्रभावकारिता पर पड़ता है। बाइबल जो सिखाती है उसके साथ हम जितना अधिक परिचित होंगे उतना अधिक हम “सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में” लाने में प्रभावकारी होंगे। सो यह आवश्‍यक है कि व्यक्‍तिगत अध्ययन के लिए समय निकाला जाए।—१ तीमु. ४:१५, १६.

४ परमेश्‍वर के वचन के साथ परिचित होने की एक और रीति है कि कलीसिया की सभाओं में प्राप्त बाइबल पर आधारित उपदेश को हम “हमेशा से अधिक ध्यान दें।” (इब्रा. २:१) सेवकाई में वार्तालाप के लिए अत्युत्तम मुद्दों की चर्चा आम भाषणों में होती हैं या इन्हें कलीसिया पुस्तक अध्ययन से प्राप्त किये जा सकते हैं। थीयोक्रेटिक मिनिस्ट्री स्कूल हमें कुशल शिक्षक बनने के लिए बहुमूल्य प्रशिक्षण देता है, और सेवा सभा हमें सेवकों के नाते अधिक प्रवीण बनने के लिए लाभदायक सुझाव और व्यावहारिक प्रदर्शन देता है। परन्तु, सर्वाधिक लाभ प्राप्त करने के लिए, हमें अच्छी तैयारी करनी चाहिये और सभी सभाओं में सक्रिय भाग लेना चाहिये।

सुझावों को लागू करो

५ पौलुस ने फिलिप्पी में कलीसिया से कहा कि उन्होंने उनके द्वारा जो बातें सीखी उनका पालन करें। (फिलि. ४:९) हमें भी, जो बातें हम यहोवा की संस्था से सीखते हैं उनका पालन करने की आवश्‍यकता है। उदाहरण के लिए, द वॉचटावर का जुलाई १५, १९८८ अंक के पृष्ठ १५-२० में हमने रीतियां सीखी जिस से हम बार-बार सेवा किये हुए इलाकों में “नया” क्षेत्र विकसित कर सकते हैं। एक ताज़ा, मनोहर और सकारात्मक प्रस्तावने की आवश्‍यकता पर ज़ोर देने के साथ-साथ, लेख ने हमें प्रोत्साहित किया कि हम गृहस्वामी को बताए कि वे हमारी नियमित भेंटो की प्रत्याशा करें। सलाह दी गई कि योग्य व्यक्‍तियों की खोज में पार्याप्त प्रयास करें, एक छत के नीचे रहनेवाले अन्य व्यक्‍तियों को ढूँढते हुए। इन सुझावों को लागू करने से ऐसा होगा कि हम जो सीख रहे हैं उसका पालन कर रहे हैं और सेवकाई में हमारी कुशलता को बढ़ा रहे हैं।

६ क्या क्षेत्र सेवकाई में हम रीज़निंग पुस्तक का नियमित उपयोग करते हैं? सुझावित प्रस्तावनाओं और सम्भव वार्तालाप निरोधकों को जवाब देने के बारे में प्रकरण हमारे प्रचार कुशलता को तेज कर सकते हैं। और फिर, वार्तालाप के विषय का और महीने की भेंट की प्रस्तुती जिस रीति से हम करेंगे उसकी तैयारी और अभ्यास करने से सेवकाई में हमारी सफलता बढ़ सकती है।

७ यदि आप अपनी सेवकाई सुधारने के विषय में अधिक सुझाव चाहते हैं, सेवा अध्यक्ष या आपके पुस्तक अध्ययन संचालक के पास जाकर सहायता मांगिए। सेवकों के नाते हम सब अपनी कुशलताओं को “सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में” लाते हुए सुधार सकते हैं। थोड़े ही समय में, यहोवा परमेश्‍वर इस दुष्ठ रीति-रिवाज का अन्त लाएगा। उस समय तक, हमारी हार्दिक इच्छा है कि हम जितना हो सके उतने अधिक लोगों को उद्धार प्राप्त करने के लिए सहायता दें जिस से हमारे परमेश्‍वर यहोवा की महिमा होगी।—यूहन्‍ना १५:८.

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