क्या आपको याद है?
क्या आपने प्रहरीदुर्ग के हाल के अंकों को अपने लिए व्यावहारिक महत्त्व का पाया है? तो फिर क्यों न इन सवालों से देखें कि आपको कितना याद है?
◻ “प्रभु के दिन,” और “यहोवा के दिन” में क्या फरक है? (प्रकाशितवाक्य १:१०; योएल २:११)
“प्रभु के दिन” में प्रकाशितवाक्य अध्याय १ से २२ में बताए गए १६ दर्शनों की पूर्ति और वे मूल घटनाएँ शामिल हैं जिन्हें यीशु ने अपने शिष्यों के इस सवाल के जवाब में बताया कि उसकी उपस्थिति का चिन्ह क्या होगा। प्रभु के दिन की पराकाष्ठा के तौर पर, यहोवा का भय-प्रेरक दिन शुरू होगा जब वह शैतान की भ्रष्ट दुनिया पर न्यायदंड चुकाएगा। (मत्ती २४:३-१४; लूका २१:११)—१२/१५, पृष्ठ ११.
◻ माकारयॉस बाइबल की कुछ खासियत क्या हैं?
माकारयॉस बाइबल में यहोवा यह नाम ३,५०० से भी ज़्यादा बार आता है। रूसी धार्मिक साहित्य के एक विद्वान ने कहा: “[उनका] अनुवाद इब्रानी पाठ के अनुसार है, और अनुवाद की भाषा शुद्ध है और विषय पर ठीक बैठती है।”—१२/१५, पृष्ठ २७.
◻ वह “सत्य” क्या है जो यीशु ने कहा कि हमें स्वतंत्र करेगा? (यूहन्ना ८:३२)
“सत्य” से यीशु का मतलब था परमेश्वर द्वारा प्रेरित जानकारी—खासकर परमेश्वर की मर्ज़ी के बारे में—जिसे बाइबल में सुरक्षित रखा गया है।—१/१, पृष्ठ ३.
◻ आज के येहू और यहोनादाब कौन हैं?
येहू यीशु मसीह को चित्रित करता है, जिसका प्रतिनिधित्व पृथ्वी पर ‘परमेश्वर का इस्राएल,’ यानी अभिषिक्त मसीही करते हैं। (गलतियों ६:१६; प्रकाशितवाक्य १२:१७) ठीक जैसे यहोनादाब येहू से मिलने आया, उसी तरह जातियों से एक “बड़ी भीड़” यीशु के पार्थिव प्रतिनिधियों का समर्थन करने के लिए आयी है। (प्रकाशितवाक्य ७:९, १०; २ राजा १०:१५)—१/१, पृष्ठ १३.
◻ ‘परमेश्वर के साथ-साथ चलने’ का मतलब क्या है? (उत्पत्ति ५:२४; ६:९)
इसका मतलब है कि हनोक और नूह की तरह, परमेश्वर के साथ-साथ चलनेवालों के व्यवहार का तरीक़ा ऐसा था जिससे परमेश्वर में मज़बूत विश्वास का सबूत मिला। यहोवा ने जो आज्ञा दी उन्होंने वही किया। मानवजाति के साथ परमेश्वर के व्यवहार से उन्होंने उसके बारे में जो जानकारी पायी थी उसी के अनुसार उन्होंने अपने जीवन में फेर-बदल किए।—१/१५, पृष्ठ १३.
◻ अपनी मौत की संभावना के लिए व्यक्ति को पहले से योजना क्यों बनानी चाहिए?
एक अर्थ में, ऐसे इंतज़ाम करना अपने परिवार के लिए एक तोहफा है। इससे उनके लिए उसका प्रेम दिखता है। यह उस इच्छा को दर्शाता है कि वह “अपने घराने की चिन्ता” करना चाहता है, तब भी जब वह उनके साथ नहीं होगा। (१ तीमुथियुस ५:८)—१/१५, पृष्ठ २२.
◻ “पुरानी वाचा” ने क्या निष्पन्न किया? (२ कुरिन्थियों ३:१४)
इसने नई वाचा की पूर्वझलक दी और बारंबार चढ़ाई गई बलियों ने दिखाया कि मनुष्य को पाप और मृत्यु से छुटकारे की निहायत ज़रूरत है। यह वाचा “मसीह तक पहुंचाने को . . . शिक्षक” थी। (गलतियों ३:२४)—२/१, पृष्ठ १४.
◻ किन तरीकों से नई वाचा सनातन है? (इब्रानियों १३:२०)
सबसे पहले तो, व्यवस्था वाचा से भिन्न, इसे कभी बदला नहीं जाएगा। दूसरी बात यह है कि इसके कामों के परिणाम स्थायी हैं। और तीसरी बात यह है कि परमेश्वर के राज्य की पार्थिव प्रजा पूरे हज़ार साल में नई वाचा के प्रबंध से फायदा उठाती रहेगी।—२/१, पृष्ठ २२.
◻ एहसानमंद होने के कौन-कौन-से लाभ हैं?
पूरे मन से एहसानमंद होने के नाते जिस स्नेहभाव का एक व्यक्ति अनुभव करता है, वही उसकी ख़ुशी और शांति में योग देता है। (नीतिवचन १५:१३, १५ से तुलना कीजिए।) क्योंकि यह एक सकारात्मक गुण है, एहसानमंद होना हमें ऐसी नकारात्मक भावनाओं से बचाता है जैसे कि क्रोध, ईर्ष्या, और कुढ़न।—२/१५, पृष्ठ ४.
◻ आत्मा से उत्पन्न जनों को किन वाचाओं में लिया गया है?
नई वाचा में, जिसे यहोवा आत्मिक इस्राएल के सदस्यों के साथ बांधता है, और राज्य की वाचा में, जो यीशु अपने पदचिन्हों पर चलनेवाले अभिषिक्त अनुयायियों के साथ बांधता है। (लूका २२:२०, २८-३०)—२/१५, पृष्ठ १६.
◻ इस्राएलियों को कौन-से तीन महान पर्वों पर मौजूद होने के लिए आज्ञा दी गयी थी?
अखमीरी रोटी का पर्व, जो निसान १४ के फसह के फौरन बाद आता था; अठवारों का पर्व, जो निसान १६ के ५०वें दिन को आता था; और सातवें महीने में आनेवाला बटोरन का पर्व, या झोपड़ियों का पर्व। (व्यवस्थाविवरण १६:१-१५)—३/१, पृष्ठ ८, ९.
◻ मसीही सभाओं में आना एक विशेषाधिकार क्यों है?
यीशु ने कहा: “जहां दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं, वहां मैं उन के बीच में होता हूं।” (मत्ती १८:२०; २८:२०) साथ ही, कलीसिया सभाएँ और ऐसे ही बड़े जलसे आध्यात्मिक भोजन प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण तरीका है। (मत्ती २४:४५)—३/१, पृष्ठ १४.
◻ निम्रोद इस नाम का उद्गम क्या है?
कई विद्वानों का यह मत है कि निम्रोद यह नाम उसे जन्म के समय पर नहीं दिया गया। लेकिन, वे मानते हैं कि यह नाम उसे बाद में दिया गया ताकि यह उसके विद्रोही स्वभाव से मेल खाए जो बाद में ज़ाहिर हुआ।—३/१५, पृष्ठ २५.
◻ मानवी समाज के लिए परिवार कितना ज़रूरी है?
परिवार एक मानवी ज़रूरत है। इतिहास दिखाता है कि जब पारिवारिक प्रबंध बिगड़ता है, समाजों और राष्ट्रों की शक्ति भी कमज़ोर पड़ जाती है। सो परिवार का सीधा असर समाज की स्थिरता और बच्चों तथा आनेवाली पीढ़ी के कल्याण पर पड़ता है।—४/१, पृष्ठ ६.
◻ इस बात के कौन-से तीन सबूत हैं कि बाइबल परमेश्वर का वचन है?
(१) यह वैज्ञानिक रूप से बिलकुल सही है; (२) इसमें ऐसे शाश्वत सिद्धांत हैं जो आधुनिक जीवन के लिए व्यावहारिक हैं; (३) इसमें सुस्पष्ट भविष्यवाणियाँ हैं जो पूरी हुई हैं, और जिनका सबूत ऐतिहासिक तथ्यों से मिलता है।—४/१, पृष्ठ १५.