गीत 22
“यहोवा मेरा चरवाहा है”
(भजन 23)
1. याह तू है मे-रा चर-वा-हा
तो डर-ने की क्या है बात?
कर-ता हूँ पू-रा य-कीं तुझ पे
ना छो-ड़े-गा तू ये हाथ।
है रे-गिस्-ताँ ये ज़-मा-ना
पर हम ना भू-खे-प्या-से।
ते-री च-रा-ई की हम भे-ड़ें
र-खे तू सँ-भाल ह-में।
ते-री च-रा-ई की हम भे-ड़ें
र-खे तू सँ-भाल ह-में।
2. सू-नी का-ली रा-तों में भी
अ-के-ला पर ना तन्-हा।
मे-रा चर-वा-हा है साथ मे-रे
ना हो-ने दे-गा गुम्-राह।
झो-ली तू-ने ऐ-सी भर दी
मु-झे ना क-मी को-ई।
छो-ड़ूँ ना ते-रा दर मैं क-भी
इ-रा-दा मे-रा य-ही।
छो-ड़ूँ ना ते-रा दर मैं क-भी
इ-रा-दा मे-रा य-ही।
3. याह दिल ब-ड़ा कित्-ना ते-रा!
गुन गा-ऊँ-गा मैं ते-रे!
प्या-सी भे-ड़ें ला-ऊँ पास ते-रे
तब उन-की भी प्यास बु-झे।
व-फ़ा की है तू-ने मुझ-से
ना भू-लूँ इ-से क-भी।
क़-दम क़-दम मे-रे जी-वन में
क-रूँ-गा व-फ़ा मैं भी!
क़-दम क़-दम मे-रे जी-वन में
क-रूँ-गा व-फ़ा मैं भी!