कानूनी तौर पर सुसमाचार की रक्षा करना
जब जब मनुष्यों ने शहर बनाए हैं तब तब उसके चारों ओर उन्होंने दीवार या शहरपनाह भी खड़ी की है। बीते दिनों में ये बड़ी-बड़ी दीवारें खासकर एक सुरक्षा थीं। इस शहरपनाह या दीवार के ऊपर से सैनिक इनकी रक्षा के लिए लड़ते थे ताकि हमलावर कहीं आकर इन्हें तोड़ न दें या उखाड़ न दें। ऐसी शहरपनाह के अंदर रहकर न सिर्फ उस शहर के लोग बल्कि उस शहर के आस-पास रहनेवाले लोग भी वहाँ भागकर सुरक्षा पा सकते थे।—२ शमूएल ११:२०-२४; यशायाह २५:१२.
उसी तरह यहोवा के साक्षियों ने भी रक्षा के लिए एक दीवार खड़ी की है, जो एक कानूनी दीवार है। यह दीवार साक्षियों को समाज के बाकी लोगों से अलग करने के लिए नहीं खड़ी की गई क्योंकि यहोवा के साक्षी मिलनसार और लोगों के साथ मेल-जोल रखने के लिए जाने जाते हैं। इसके बजाय यह दीवार सभी मनुष्यों के लिए मूल अधिकारों की कानूनी गारंटी को मज़बूती देती है। साथ ही यह दीवार साक्षियों के कानूनी हक की रक्षा करती है ताकि वे आज़ादी से अपनी उपासना जारी रख सकें। (मत्ती ५:१४-१६ से तुलना कीजिए।) यह दीवार उनके धर्म की और परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार करने के उनके हक की रक्षा करती है। यह कौन-सी दीवार है और इसे कैसे खड़ा किया गया है?
सुरक्षा के लिए कानूनी दीवार खड़ी करना
हालाँकि ज़्यादातर देशों में यहोवा के साक्षियों को उनकी उपासना ज़ारी रखने की आज़ादी है फिर भी कुछ देशों में बिना वज़ह उनकी उपासना को रोकने की कोशिश की गई है। जब सभाओं में इकट्ठा होने या घर-घर प्रचार करने पर रोक लगाने के ज़रिए, उपासना करने का उनका अधिकार छीना जाता है, तो वे इस समस्या से निपटने के लिए कानून का सहारा लेते हैं। दुनिया भर में साक्षियों ने हज़ारों मुकदमे लड़े हैं।a सभी मामलों में जीत हासिल नहीं हुई है। लेकिन जब निचली अदालतों में उनके खिलाफ फैसला सुनाया तो उन्होंने बड़ी अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया है। नतीजा क्या निकला?
इस २०वीं सदी में, कई सालों के दौरान यहोवा के साक्षियों ने बहुत-से देशों में मुकदमे जीते हैं और ये मुकदमे एक मिसाल रहे हैं। बाद में इन्हीं मुकदमों का हवाला देकर साक्षियों ने और भी अनेक मुकदमे जीते हैं। जिस तरह ईंट और पत्थरों से दीवार बनती है, उसी तरह साक्षियों के पक्ष में किए गए फैसलों ने सुरक्षा की एक कानूनी दीवार खड़ी की है। इन्हीं मुकदमों के बल पर साक्षियों ने अपने धर्म की आज़ादी की खातिर लड़ना ज़ारी रखा है ताकि वे उपासना करते रहें।
उदाहरण के लिए मरडक बनाम कॉमनवॆल्थ ऑफ पेन्सिल्वेनिया का मामला लीजिए जिसका फैसला ३ मई, १९४३ में अमरीका के सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया गया था। इस मुकदमे में सवाल उठाया गया था कि क्या यहोवा के साक्षियों को अपनी धार्मिक किताबों को देने के लिए व्यापारिक बिक्री लाइसेंस निकालने की ज़रूरत है? यहोवा के साक्षियों ने कहा कि उनसे यह माँग नहीं की जानी चाहिए। उनका प्रचार का काम न तो व्यापार है, और न ही पहले कभी था। उनका उद्देश्य पैसा कमाना नहीं बल्कि सुसमाचार प्रचार करना है। (मत्ती १०:८; २ कुरिन्थियों २:१७) मरडक के मुकदमे में कोर्ट ने साक्षियों का पक्ष लिया। कोर्ट ने कहा कि साक्षियों से किताबें बाँटने के लिए लाइसेंस टैक्स की माँग करना देश के संविधान के गारंटी के खिलाफ होगा।b इस फैसले ने एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण मिसाल कायम की और तब से इसी की मिसाल देते हुए साक्षियों ने कई मुकदमे जीते हैं। सुरक्षा की कानूनी दीवार में मरडक फैसला एक मज़बूत पत्थर या एक महत्त्वपूर्ण कानूनी मिसाल रहा है।
सभी लोगों को आज़ादी से अपने धर्म का पालन करने की सुरक्षा देने में इन मुकदमों का बड़ा हाथ रहा है। अमरीका में नागरिकों के हक की रक्षा के लिए साक्षियों ने जो अहम भूमिका निभायी है, उसके बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी लॉ रिव्यू कहती है: “देश के संविधान के विकास में यहोवा के साक्षियों ने अहम भूमिका निभायी है, खासकर धर्म और बोलने की आज़ादी की रक्षा की हदों को बढ़ाकर।”
दीवार मज़बूत करना
जितनी बार अदालत में जीत हासिल हुई, यह दीवार उतनी ही मज़बूत होती गई। १९९० के बाद के सालों में किए गए कुछ फैसलों पर गौर कीजिए जिससे यहोवा के साक्षियों को, साथ ही दुनिया भर में आज़ादी के प्रेमियों को फायदा हुआ है।
ग्रीस। २५ मई, १९९३ में ‘मानवी अधिकारों के यूरोपियन कोर्ट’ ने ग्रीस के एक नागरिक के पक्ष में फैसला सुनाया कि उसे अपने धर्म की शिक्षा दूसरों को सिखाने का अधिकार है। यह मुकदमा मीनोस कोकीनाकीस का था और उस समय वे ८४ साल के थे। यहोवा के साक्षी होने के नाते कोकीनाकीस को १९३८ से ६० से भी ज़्यादा बार कैद किया गया, ग्रीस की अदालतों में १८ बार पेश किया गया और ६ से ज़्यादा साल जेल में बिताने पड़े। १९३० में बनाए गए ग्रीस के एक कानून के मुताबिक दूसरों का धर्म-परिवर्तन करना मना था और कोकीनाकीस पर धर्म-परिवर्तन कराने का आरोप लगाया गया था। इसी कानून की वज़ह से १९३८ से १९९२ के दौरान यहोवा के साक्षियों की करीब २०,००० गिरफ्तारियाँ हुईं। यूरोपियन कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अपना धर्म पालन करने की कोकीनाकीस की आज़ादी को ग्रीस सरकार ने छीना है और इसलिए कोकीनाकीस को १४,४०० डालर की भरपाई मिली। अपने फैसले में अदालत ने कहा कि यहोवा के साक्षियों का धर्म वाकई एक “जाना-माना धर्म है।”—सितंबर १, १९९३ का पेज २७-३१ का अंग्रेज़ी प्रहरीदुर्ग देखिए।
मॆक्सिको। मॆक्सिको में १६ जुलाई, १९९२ के दिन धार्मिक आज़ादी की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया। इसी दिन ‘धार्मिक संस्थानों और सार्वजनिक उपासना के लिए कानून’ पास किया गया। इस कानून के ज़रिए कोई भी धार्मिक समूह रजिस्ट्रेशन करवाकर कानून की नज़रों में धार्मिक संस्थान के रूप में मान्यता हासिल कर सकता है। दूसरे धर्मों की तरह पहले यहोवा के साक्षियों का धर्म भी देश में मौजूद था मगर कानून की नज़रों में उसकी कोई मान्यता नहीं थी। १३ अप्रैल, १९९३ में साक्षियों ने रजिस्ट्रेशन के लिए अर्ज़ी दी। खुशी की बात है कि ७ मई, १९९३ में वे ‘ला तोरे देल वीखिआ, ए. आर.’ और ‘लोस तेस्तीगोस दे हेओवा एन मेहीको, ए. आर.’ के तौर पर कानूनी रूप से रजिस्टर हुए। ये दोनों ही धार्मिक संस्थान हैं।—जुलाई २२, १९९४ के अंग्रेज़ी सजग होइए! का पेज १२-१४ देखिए।
ब्राज़ील। नवंबर १९९० में ब्राज़ील के नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोश्यल सिक्योरीटी (INSS) ने वॉच टावर सोसाइटी के ब्राँच आफिस को नोटिस दिया कि बेथेल (यहोवा के साक्षियों के ब्राँच आफिस का नाम) में काम करनेवाले स्वयंसेवकों को अब से धार्मिक सेवक नहीं माना जाएगा और इसलिए वे ब्राज़ील के मज़दूर कानूनों के तहत आएँगे। साक्षियों ने इस फैसले पर अपील की। ७ जून, १९९६ को ब्राज़िलीया में अटॉर्नी जनरल के जुडिश्यिल एडवाइज़री ने बेथेल के सेवकों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें उन्हें मान्यता-प्राप्त धार्मिक वर्ग में काम करनेवाले सेवक करार दिया गया, कोई दुनियावी नौकरी करनेवाले नहीं।
जापान। ८ मार्च, १९९६ में जापान के सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा और धर्म की आज़ादी के मसले पर एक फैसला सुनाया जिससे जापान में हर व्यक्ति को फायदा होता। अदालत ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया कि कोबे म्युनिसिपल इंडस्ट्रीयल टॆकनिकल कॉलेज ने कुनीहीटो कोबायाशी को कॉलेज से निकालकर कानून को तोड़ा है। कुनीहीटो को निकालने की वज़ह मार्शल आर्ट ट्रेनिंग में हिस्सा लेने से उसका इंकार करना था। यह पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट ने जापान के संविधान में धार्मिक आज़ादी के लिए दी गई गारंटी पर आधारित कोई फैसला सुनाया है। बाइबल की शिक्षा पर आधारित अपने विवेक की वज़ह से इस जवान साक्षी को लगा कि यह मार्शल आर्ट ट्रेनिंग इस बाइबल सिद्धांत से मेल नहीं खाता जो यशायाह २:४ में लिखा है: “वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया बनाएंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे।” कोर्ट के फैसले ने भविष्य के मुकदमों के लिए एक मिसाल कायम की है।—नवंबर १, १९९६ के प्रहरीदुर्ग का पेज १९-२१ देखिए।
फरवरी ९, १९९८ में टोक्यो के हाई कोर्ट ने एक और महत्त्वपूर्ण मुकदमे में मीसाई टाकेडा नामक साक्षी के हक में फैसला सुनाया। इस साक्षी ने ऐसा इलाज कराने से मना कर दिया था जो बाइबल की इस आज्ञा के अनुसार नहीं था कि ‘लोहू से परे रहो।’ (प्रेरितों १५:२८, २९) इस फैसले की सुप्रीम कोर्ट में अपील की गयी है और अब यह देखना है कि हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा कि नहीं।
फिलीपींस। १ मार्च, १९९३ में फिलीपींस सुप्रीम कोर्ट ने यहोवा के साक्षियों के पक्ष में सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। इस मुकदमे में कुछ युवा साक्षियों को स्कूल से बेदखल कर दिया था क्योंकि उन्होंने आदरपूर्वक झंडा-वंदना करने से इंकार किया था।
यहोवा के साक्षियों के पक्ष में किया गया हर फैसला इस कानूनी दीवार में एक और पत्थर या ईंट जोड़ने के बराबर है, जिससे यह दीवार और भी मज़बूत होती है और इससे यहोवा के साक्षियों के अलावा बाकी सभी लोगों के हक की भी रक्षा होती है।
दीवार की रक्षा करना
यहोवा के साक्षियों को १५३ देशों में कानून की मान्यता प्राप्त है और इन्हें भी दूसरे धर्मों की तरह आज़ादी से उपासना करने का हक मिला है। पूर्वी यूरोप और पहले के सोवियत संघ में कई सालों की पाबंदी और सताहट के बाद यहोवा के साक्षियों को अब अल्बानिया, कज़ाकस्तान, किरगीज़स्तान, चेक गणराज्य, जॉर्जिया, बॆलारूस, रोमेनिया, स्लोवाकिया और हंगरी जैसे देशों में कानून की नज़रों में मान्यता मिली है। मगर आज कुछ देशों में यहोवा के साक्षियों के हक को चुनौती दी गई है या उसे छीन लिया गया है। इन देशों में पश्चिम यूरोप के कुछ देश भी शामिल हैं, जिनकी कानूनी-व्यवस्था एक अरसे से चली आ रही है। विरोध करनेवाले साक्षियों के खिलाफ ‘कानून की आड़ में उत्पात मचाने’ की कोशिश करते हैं। (भजन ९४:२०) साक्षी तब क्या करते हैं?c
यहोवा के साक्षी सभी सरकारों को सहयोग देना चाहते हैं मगर वे ये भी चाहते हैं कि उन्हें कानूनी तौर पर उपासना करने की आज़ादी मिले। उनको इस बात का पूरा यकीन है कि परमेश्वर की आज्ञा मानने पर रोक लगानेवाला कोई भी कानून या अदालत का कोई भी फैसला सरासर गलत है। और परमेश्वर की इन आज्ञाओं में से एक है, सुसमाचार प्रचार करो। (मरकुस १३:१०) अगर शांतिपूर्ण बातचीत के ज़रिए समझौता नहीं हो सकता तो यहोवा के साक्षी कानून के ज़रिए लड़ेंगे ताकि वे उपासना करने के अपने हक के, जो कि परमेश्वर से उन्हें मिला है, बचाव करने के लिए बार-बार अदालत में अपील करेंगे। यहोवा के साक्षियों को परमेश्वर के इस वादे पर पूरा भरोसा है: “जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएं, उन में से कोई सफल न होगा।”—यशायाह ५४:१७.
[फुटनोट]
a यहोवा के साक्षियों के कानूनी रिकॉर्ड के बारे में विस्तार से जानकारी पाने के लिए कृपया यहोवा के साक्षी—परमेश्वर के राज्य के उद्घोषक (अंग्रेज़ी) का पाठ ३० देखिए, जिसे वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
b सुप्रीम कोर्ट ने जोन्स बनाम सिटी ऑफ ओपेलिका के मुकदमे में जो फैसला किया था, मरडक के मुकदमे में अपने उसी फैसले को बदल दिया। १९४२ में जोन्स के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले का समर्थन किया, जिसमें यहोवा के एक साक्षी, रास्को जोन्स पर आरोप लगाया था कि वह लाइसेंस टैक्स भरे बिना, ऐलबामा राज्य में ओपेलिका शहर की सड़कों पर किताबें बाँट रहा था।
c पेज ८-१८ पर दिए गए लेख, “उनके धर्म के कारण उनसे बैर किया गया” और “अपने विश्वास की रक्षा करना” देखिए।
[पेज 21 पर बक्स]
यहोवा के साक्षियों के अधिकार की रक्षा करना
यहोवा के साक्षियों पर आई सताहट की वज़ह से संसार भर में उन्हें जजों और सरकारी अधिकारियों के सामने हाज़िर होना पड़ा है। (लूका २१:१२, १३) यहोवा के साक्षियों ने कानून के ज़रिए अपने हक की रक्षा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अनेक देशों की अदालतों में हुई जीत के कारण यहोवा के साक्षियों की आज़ादी और उनके इन अधिकारों की रक्षा हुई है:
◻ व्यापारिक सेल्समैन पर लगी बंदिशों से मुक्त घर-घर प्रचार करने का अधिकार—मरडक बनाम कॉमनवॆल्थ ऑफ पेन्सिल्वेनिया, अमरीकी सुप्रीम कोर्ट (१९४३); कोकीनाकीस बनाम ग्रीस, मानवी अधिकारों के यूरोपियन कोर्ट (ECHR) (१९९३).
◻ उपासना करने के लिए सभाओं में आज़ादी से इकट्ठा होने का अधिकार—मानूसाकीस और दूसरे बनाम ग्रीस, ECHR (१९९६).
◻ यह फैसला करने का अधिकार कि साफ विवेक रखते हुए वे किस तरह राष्ट्रीय झंडे या प्रतीकों को आदर दिखा सकते हैं—वेस्ट वर्जीनिया स्टेट बोर्ड ऑफ एड्यूकेशन बनाम बार्नेट, अमरीकी सुप्रीम कोर्ट (१९४३); फिलीपींस का सुप्रीम कोर्ट (१९९३); भारत का सुप्रीम कोर्ट (१९८६).
◻ मिलटरी सेवा से, जो उनके मसीही विवेक के खिलाफ है, इंकार करने का अधिकार—येओर्याथीस बनाम ग्रीस, ECHR (१९९७).
◻ ऐसे इलाज या दवाओं का चुनाव करने का अधिकार जो उनके विवेक के खिलाफ नहीं हैं—मॉलेट बनाम शूलमन। ओन्टारिओ, कनाडा, अपील कोर्ट (१९९०); वॉच टावर बनाम ई.एल.ए., सुपिरीयर कोर्ट, सेन व्हान, पोर्टो रिको (१९९५); फॉसमाइर बनाम निकोलेउ, न्यू यॉर्क, अमरीका, कोर्ट ऑफ अपील्स् (१९९०).
◻ बाइबल की शिक्षाओं के अनुसार अपने बच्चों का पालन-पोषण करने का अधिकार तब भी जब तलाकशुदा माता-पिता दोनों का विश्वास अलग-अलग हो—साँ-लोरॉन बनाम सूसी। कनाडा का सुप्रीम कोर्ट (१९९७); होफमॉन बनाम ऑस्ट्रिया, ECHR (१९९३).
◻ ऐसी मान्यता प्राप्त संस्थाओं को चलाने का अधिकार जिन्हें दूसरे जाने-माने धर्मों की संस्थाओं की तरह ही टैक्स से छूट मिलती है।—जनता बनाम हरींग। न्यू यॉर्क, अमरीका, कोर्ट ऑफ अपील्स् (१९६०).
◻ किसी भी रूप में खास पूर्ण-समय सेवा करनेवालों के लिए टैक्स में वही रिआयत मिलने का अधिकार जो दूसरे धर्मों के पूर्ण-समय सेवकों को दी जाती है—ब्राज़ील के नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोश्यल सिक्योरीटी, ब्राज़िलीया, (१९९६).
[पेज 20 पर तसवीर]
मीनोस कोकीनाकीस अपने पत्नी के साथ
[पेज 20 पर तसवीर]
कुनीहीटो कोबायाशी
[पेज 19 पर चित्र का श्रेय]
The Complete Encyclopedia of Illustration/J. G. Heck