गीत 31
हम यहोवा के साक्षी
1. पत्-थर बुत पू-जे इं-सान
य-हो-वा का ना है ज्ञान।
वो ही सच्-चा ई-श्वर
वो ही शक्-ति-मान।
पत्-थर के ये दे-व-ता
जा-ने ना कल हो-गा क्या।
पेश न कर पा-ए को-ई ग-वाह
झू-ठे हैं ये सा-बित हु-आ।
(कोरस)
हम य-हो-वा के ग-वाह
हिम्-मत से कह-ते स-दा,
याह जो क-हे हो-ता है व-ही
उस-का व-चन है स-ही।
2. गर्व से कर-ते ये ऐ-लान
है य-हो-वा ही म-हान!
दे-के राज का सं-देश
रौ-शन क-रें नाम।
सच्-चा-ई का है क-माल
लो-गों को कर दे ब-हाल!
याह के क़-रीब ले आ-ए उ-न्हें
जुड़ जा-एँ वो भी संग अप-ने।
(कोरस)
हम य-हो-वा के ग-वाह
हिम्-मत से कह-ते स-दा,
याह जो क-हे हो-ता है व-ही
उस-का व-चन है स-ही।
3. सा-क्षी कर-ते याह का नाम
आज बु-लंद और बे-इल्-ज़ाम।
दुष्-टों को चि-ता-ते
क्या हो-गा अं-जाम।
जो भी आ-ए याह के पास
दें उ-न्हें द-या की आस।
मिल-ती ह-में इस काम से ख़ु-शी
और फिर स-दा की ज़िं-द-गी।
(कोरस)
हम य-हो-वा के ग-वाह
हिम्-मत से कह-ते स-दा,
याह जो क-हे हो-ता है व-ही
उस-का व-चन है स-ही।
(यशा. 37:19; 55:11; यहे. 3:19 भी देखिए।)