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गीत 49

यहोवा हमारा गढ़!

(भजन 91)

1. य-हो-वा गढ़ ह-मा-रा

तू ही है आ-स-रा,

सा-ए में ते-रे आ-के

मह-फूज़ र-हें स-दा।

तुझ पे पू-रा है ए-त-बार

क-भी ना हो ह-मा-री हार।

य-हो-वा तू स-हा-रा

धर्‌-मि-यों से कर-ता व-फ़ा।

2. ह-ज़ा-रों तब गि-रें-गे

ह-मा-रे आ-स-पास,

गर याह के हैं व-फ़ा-दार

ना हो ह-मा-रा नाश।

डर-ने की ना है को-ई बात

र-हे-गा वो ह-मा-रे साथ।

ले ले-गा फिर य-हो-वा

ह-में अप्‌-ने पं-खों त-ले।

3. गर रा-हों में ह-मा-री

क-ई बि-छे हों जाल,

ब-चा-ए जब य-हो-वा

च-ले फिर किस-की चाल?

शे-रों से ना ड-रें-गे हम

साँ-पों को भी कु-चल दें हम।

य-हो-वा गढ़ ह-मा-रा

क-रे र-क्षा बन-के वो ढाल!

(भज. 97:10; 121:3, 5; यशा. 52:12 भी देखिए।)

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