सोमवार, 27 अक्टूबर
पतियों को चाहिए कि वे अपनी-अपनी पत्नी से ऐसे प्यार करें जैसे अपने शरीर से।—इफि. 5:28.
यहोवा चाहता है कि एक आदमी अपनी पत्नी से प्यार करे और उसकी ज़रूरतों का खयाल रखे, उसका अच्छा दोस्त हो और परमेश्वर के साथ रिश्ता मज़बूत करने में उसकी मदद करे। अगर आप अभी से सोचने-परखने की काबिलीयत बढ़ाएँ, औरतों की इज़्ज़त करना सीखें और भरोसेमंद बनें, तो आप आगे चलकर एक अच्छे जीवन-साथी बन पाएँगे। शादी के बाद शायद आपके बच्चे भी हों। तो आप एक अच्छे पिता कैसे बन सकते हैं? आप यहोवा से सीख सकते हैं। (इफि. 6:4) यहोवा ने खुलकर अपने बेटे यीशु को बताया कि वह उससे प्यार करता है और उससे खुश है। (मत्ती 3:17) तो आगे चलकर अगर आप पिता बनें, तो आप भी अपने बच्चों को यकीन दिलाना कि आप उनसे प्यार करते हैं। जब भी वे कुछ अच्छा काम करें, तो खुलकर उनकी तारीफ करना। जब आप इस तरह अपने बच्चों से पेश आएँगे, तो आगे चलकर वे भी प्रौढ़ मसीही बन पाएँगे। तो अभी से अपने परिवारवालों और मंडली के भाई-बहनों की परवाह कीजिए, उन्हें बताइए कि आप उनसे बहुत प्यार करते हैं और उन्हें बहुत अनमोल समझते हैं।—यूह. 15:9. प्र23.12 पेज 28-29 पै 17-18
मंगलवार, 28 अक्टूबर
हे यहोवा, तेरा अटल प्यार मुझे सँभाले रहा।—भज. 94:18.
दुनिया के लोगों की तरह यहोवा के वफादार सेवकों को भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कई लोग हमारा विरोध करते हैं या हम पर ज़ुल्म करते हैं क्योंकि हम यहोवा की सेवा करते हैं। यहोवा शायद हमें इस तरह की मुश्किलों से ना बचाए, लेकिन उसने वादा किया है कि वह इन्हें पार करने में हमारी मदद ज़रूर करेगा। (यशा. 41:10) उसकी मदद से हम मुश्किल-से-मुश्किल घड़ी में भी खुश रह सकते हैं, सही फैसले कर सकते हैं और उसके वफादार रह सकते हैं। यहोवा ने वादा किया है कि वह हमें ऐसी शांति देगा जिसे बाइबल में ‘परमेश्वर की शांति’ कहा गया है। (फिलि. 4:6, 7) यह एक ऐसा सुकून है जो हमें तब मिलता है जब यहोवा के साथ हमारा मज़बूत रिश्ता होता है। यह शांति हमारी “समझ से परे है,” यह एक ऐसा एहसास है जिसे हम शब्दों में बयान नहीं कर सकते। क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आपने यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना की और फिर आपका मन एकदम शांत हो गया? यही है ‘परमेश्वर की शांति।’ प्र24.01 पेज 20 पै 2; पेज 21 पै 4
बुधवार, 29 अक्टूबर
मेरा मन यहोवा की तारीफ करे, मेरा रोम-रोम उसके पवित्र नाम की तारीफ करे।—भज. 103:1.
यहोवा के वफादार सेवक उससे प्यार करते हैं, इसलिए वे पूरे दिल से उसके नाम की तारीफ करते हैं। राजा दाविद जानता था कि यहोवा के नाम की तारीफ करने का मतलब है, खुद यहोवा की तारीफ करना। वह इसलिए कि यहोवा नाम सुनते ही मन में एक ऐसे शख्स की तसवीर आ जाती है जिसमें बहुत बढ़िया गुण हैं और जिसने लाजवाब काम किए हैं। इसी वजह से दाविद अपने पिता के नाम को पवित्र करना चाहता था और दिलो-जान से उसकी तारीफ करना चाहता था। वह चाहता था कि उसका “रोम-रोम” यहोवा की तारीफ करे। दाविद की तरह लेवियों ने भी बढ़-चढ़कर यहोवा की तारीफ की। वे नम्र थे, इसलिए उन्होंने कहा कि वे यहोवा के पवित्र नाम की चाहे जितनी भी तारीफ करें, वह कम है। (नहे. 9:5) इसमें कोई शक नहीं कि लेवियों की दिल से की गयी तारीफ सुनकर यहोवा बहुत खुश हुआ होगा। प्र24.02 पेज 9 पै 6