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  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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यूहन्‍ना का सारांश

      • चरवाहा और भेड़शालाएँ (1-21)

        • यीशु एक अच्छा चरवाहा है (11-15)

        • “मेरी दूसरी भेड़ें भी हैं” (16)

      • समर्पण के त्योहार पर यहूदियों से यीशु का सामना (22-39)

        • बहुत-से यहूदियों ने नहीं विश्‍वास किया (24-26)

        • “मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ सुनती हैं” (27)

        • बेटा, पिता के साथ एकता में है (30, 38)

      • यरदन के उस पार कई लोगों ने विश्‍वास किया (40-42)

यूहन्‍ना 10:1

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यूहन्‍ना 10:4

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यूहन्‍ना 10:5

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यूहन्‍ना 10:29

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यूहन्‍ना 10:30

फुटनोट

  • *

    या “मेरे और पिता के बीच एकता है।”

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फुटनोट

  • *

    या “ईश्‍वर जैसे।”

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दूसरें अनुवाद

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दूसरी

यूह. 10:1मत 7:15
यूह. 10:2मत 26:31; मर 14:27; यूह 10:11
यूह. 10:3लूक 1:17; यूह 3:28
यूह. 10:3यूह 10:27
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यूह. 10:9यूह 21:17
यूह. 10:10मत 7:15
यूह. 10:11यहे 34:23; मत 9:36
यूह. 10:111शम 17:34, 35; मत 20:28; इब्र 13:20
यूह. 10:14यूह 10:27
यूह. 10:15मत 11:27
यूह. 10:15मत 20:28; यूह 15:13; 1यूह 3:16
यूह. 10:16लूक 12:32
यूह. 10:16यहे 34:23; 37:24; 1पत 5:4
यूह. 10:17यूह 17:23
यूह. 10:17यश 53:12; फिल 2:8; इब्र 2:9; 12:2
यूह. 10:18प्रेष 2:23, 24
यूह. 10:19लूक 12:51; यूह 7:12; 9:16
यूह. 10:23प्रेष 3:11
यूह. 10:25यूह 3:2; 5:36; 10:38; 14:10; प्रेष 2:22
यूह. 10:26यूह 8:47
यूह. 10:27यूह 10:3
यूह. 10:28यूह 5:24; 17:1, 2
यूह. 10:28यूह 6:37; 18:9
यूह. 10:291पत 1:4, 5
यूह. 10:30यूह 10:38; 17:11, 21
यूह. 10:33लैव 24:16
यूह. 10:34भज 82:6; 1कुर 8:5
यूह. 10:35भज 82:1
यूह. 10:36लूक 1:35; यूह 5:18
यूह. 10:38यूह 5:36
यूह. 10:38यूह 14:10; 17:21
यूह. 10:40यूह 1:28
यूह. 10:41यूह 1:29
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
यूहन्‍ना 10:1-42

यूहन्‍ना के मुताबिक खुशखबरी

10 “मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ कि जो दरवाज़े से भेड़शाला में नहीं आता मगर किसी और रास्ते से चढ़कर आता है, वह चोर और लुटेरा है।+ 2 मगर जो दरवाज़े से आता है वह भेड़ों का चरवाहा है।+ 3 दरबान उसके लिए दरवाज़ा खोलता है+ और भेड़ें अपने चरवाहे की आवाज़ सुनती हैं।+ वह अपनी भेड़ों को नाम ले-लेकर बुलाता है और उन्हें बाहर ले जाता है। 4 जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर ले आता है, तो वह उनके आगे-आगे चलता है और भेड़ें उसके पीछे-पीछे चलती हैं, क्योंकि वे उसकी आवाज़ पहचानती हैं। 5 वे किसी अजनबी के पीछे हरगिज़ नहीं जाएँगी बल्कि उससे दूर भागेंगी, क्योंकि वे अजनबियों की आवाज़ नहीं पहचानतीं।” 6 यीशु ने उन्हें यह मिसाल दी, मगर वे समझ नहीं पाए कि वह क्या कह रहा है।

7 इसलिए यीशु ने एक बार फिर कहा, “मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ कि मैं भेड़ों के लिए दरवाज़ा हूँ।+ 8 जितने भी ढोंगी मेरी जगह लेने आए, वे सब-के-सब चोर और लुटेरे हैं। मगर भेड़ों ने उनकी नहीं सुनी। 9 दरवाज़ा मैं हूँ, जो कोई मुझसे होकर जाता है वह उद्धार पाएगा और अंदर-बाहर आया-जाया करेगा और चरागाह पाएगा।+ 10 चोर सिर्फ चोरी करने, हत्या करने और तबाह करने आता है।+ मगर मैं इसलिए आया हूँ कि भेड़ें जीवन पाएँ और बहुतायत में पाएँ। 11 अच्छा चरवाहा मैं हूँ।+ अच्छा चरवाहा भेड़ों की खातिर अपनी जान दे देता है।+ 12 लेकिन मज़दूरी पर रखा गया आदमी, चरवाहा नहीं है और भेड़ें उसकी अपनी नहीं होतीं। जब वह भेड़िए को आते देखता है, तो भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है (और भेड़िया, भेड़ों पर झपट पड़ता है और उन्हें तितर-बितर कर देता है) 13 क्योंकि वह आदमी, मज़दूरी पर रखा गया है और उसे भेड़ों की परवाह नहीं होती। 14 अच्छा चरवाहा मैं हूँ। मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं,+ 15 ठीक जैसे पिता मुझे जानता है और मैं पिता को जानता हूँ।+ मैं अपनी भेड़ों की खातिर अपनी जान देता हूँ।+

16 मेरी दूसरी भेड़ें भी हैं जो इस भेड़शाला की नहीं,+ मुझे उन्हें भी लाना है। वे मेरी आवाज़ सुनेंगी और तब एक झुंड और एक चरवाहा होगा।+ 17 पिता इसीलिए मुझसे प्यार करता है+ क्योंकि मैं अपनी जान देता हूँ+ ताकि उसे फिर से पाऊँ। 18 कोई भी इंसान मुझसे मेरी जान नहीं छीनता, मगर मैं खुद अपनी मरज़ी से इसे देता हूँ। मुझे इसे देने का अधिकार है और इसे दोबारा पाने का भी अधिकार है।+ इसकी आज्ञा मुझे अपने पिता से मिली है।”

19 इन बातों की वजह से यहूदियों में फिर से फूट पड़ गयी।+ 20 बहुत-से कह रहे थे, “इसमें दुष्ट स्वर्गदूत समाया हुआ है, इसका दिमाग फिर गया है। तुम इसकी क्यों सुनते हो?” 21 दूसरे कह रहे थे, “ये बातें किसी ऐसे आदमी की नहीं जिसमें दुष्ट स्वर्गदूत समाया हो। क्या कोई दुष्ट स्वर्गदूत अंधों की आँखें खोल सकता है?”

22 उस वक्‍त यरूशलेम में मंदिर के समर्पण का त्योहार चल रहा था। यह सर्दियों का मौसम था 23 और यीशु मंदिर में सुलैमान के खंभोंवाले बरामदे में टहल रहा था।+ 24 तब यहूदियों ने उसे घेर लिया और उससे पूछने लगे, “तू और कब तक हमें दुविधा में रखेगा? अगर तू मसीह है तो साफ-साफ कह दे।” 25 यीशु ने उन्हें जवाब दिया, “मैं तुमसे कह चुका हूँ, फिर भी तुम यकीन नहीं करते। मैं अपने पिता के नाम से जो काम करता हूँ वही मेरे बारे में गवाही देते हैं।+ 26 मगर तुम इसलिए यकीन नहीं करते क्योंकि तुम मेरी भेड़ें नहीं।+ 27 मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ सुनती हैं और मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं।+ 28 मैं उन्हें हमेशा की ज़िंदगी देता हूँ+ और उन्हें कभी-भी नाश नहीं किया जाएगा और कोई भी उन्हें मेरे हाथ से नहीं छीनेगा।+ 29 मेरे पिता ने मुझे जो दिया है, वह बाकी सब चीज़ों से कहीं बढ़कर है और कोई भी उन्हें पिता के हाथ से नहीं छीन सकता।+ 30 मैं और पिता एक हैं।”*+

31 एक बार फिर यहूदियों ने उसे मार डालने के लिए पत्थर उठाए। 32 यीशु ने उनसे कहा, “मैंने तुम्हें पिता की तरफ से बहुत-से बढ़िया काम दिखाए। उनमें से किस काम के लिए तुम मुझे पत्थरों से मार डालना चाहते हो?” 33 यहूदियों ने उसे जवाब दिया, “हम किसी बढ़िया काम के लिए नहीं बल्कि इसलिए तुझे पत्थरों से मारना चाहते हैं क्योंकि तू परमेश्‍वर की निंदा करता है।+ तू इंसान होकर खुद को ईश्‍वर का दर्जा देता है।” 34 यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम्हारे कानून में नहीं लिखा है, ‘मैंने कहा, “तुम सब ईश्‍वर* हो।”’+ 35 जब परमेश्‍वर ने उन लोगों को ‘ईश्‍वर’ कहा है+ जो दोषी ठहराए गए थे और शास्त्र की इस बात को रद्द नहीं किया जा सकता, 36 तो फिर तुम यह कैसे कह सकते हो कि मैंने खुद को परमेश्‍वर का बेटा कहकर उसकी निंदा की है,+ जबकि मुझे परमेश्‍वर ने ही पवित्र ठहराया और दुनिया में भेजा है? 37 अगर मैं अपने पिता के काम नहीं कर रहा, तो मेरा यकीन मत करो। 38 लेकिन अगर मैं अपने पिता के काम कर रहा हूँ तो मुझ पर न सही, मगर मेरे कामों पर तो यकीन करो+ ताकि तुम जान सको और आगे भी यकीन करो कि पिता मेरे साथ एकता में है और मैं पिता के साथ एकता में हूँ।”+ 39 इसलिए उन्होंने एक बार फिर उसे पकड़ने की कोशिश की मगर वह उनके हाथ से निकल गया।

40 फिर वह यरदन के पार उस जगह चला गया जहाँ पहले यूहन्‍ना बपतिस्मा दिया करता था+ और वह वहीं रहा। 41 बहुत-से लोग उसके पास आए और कहने लगे, “यूहन्‍ना ने तो एक भी चमत्कार नहीं किया, मगर उसने इस आदमी के बारे में जितनी बातें कही थीं, वे सब सच थीं।”+ 42 वहाँ बहुतों ने यीशु पर विश्‍वास किया।

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