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  • 2 कुरिंथियों 9
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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2 कुरिंथियों का सारांश

      • देने का बढ़ावा (1-15)

        • परमेश्‍वर खुशी-खुशी देनेवाले से प्यार करता है (7)

2 कुरिंथियों 9:1

संबंधित आयतें

  • +रोम 15:26; 1कुर 16:1; 2कुर 9:12

2 कुरिंथियों 9:6

संबंधित आयतें

  • +नीत 11:24; 19:17; 22:9; सभ 11:1; लूक 6:38

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/1987, पेज 16-21

2 कुरिंथियों 9:7

फुटनोट

  • *

    या “हिचकिचाते।”

संबंधित आयतें

  • +व्य 15:7, 10
  • +निर्ग 22:29; नीत 11:25; प्रेष 20:35; इब्र 13:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    पवित्र शास्त्र से जवाब जानिए, लेख 155

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 55

    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!, पेज 196

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/1998, पेज 26

    3/1/1993, पेज 16

    सजग होइए!,

    7/2008, पेज 17

2 कुरिंथियों 9:8

संबंधित आयतें

  • +नीत 28:27; मला 3:10; फिल 4:18, 19

2 कुरिंथियों 9:9

फुटनोट

  • *

    या “उदारता से।”

संबंधित आयतें

  • +भज 112:9

2 कुरिंथियों 9:11

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!, पेज 210-212

2 कुरिंथियों 9:12

संबंधित आयतें

  • +रोम 15:26, 27; 2कुर 8:14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!, पेज 210-216

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/2000, पेज 11-12

2 कुरिंथियों 9:13

संबंधित आयतें

  • +मत 5:16; इब्र 13:16; याकू 1:27; 1यूह 3:17

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!, पेज 210-212

    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/1987, पेज 14-15

2 कुरिंथियों 9:14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!, पेज 210-212, 216

2 कुरिंथियों 9:15

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 2 2017, पेज 4

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    1/2016, पेज 12-13

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/2015, पेज 14

    12/1/1993, पेज 28

    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!, पेज 210-212

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

2 कुरिं. 9:1रोम 15:26; 1कुर 16:1; 2कुर 9:12
2 कुरिं. 9:6नीत 11:24; 19:17; 22:9; सभ 11:1; लूक 6:38
2 कुरिं. 9:7व्य 15:7, 10
2 कुरिं. 9:7निर्ग 22:29; नीत 11:25; प्रेष 20:35; इब्र 13:16
2 कुरिं. 9:8नीत 28:27; मला 3:10; फिल 4:18, 19
2 कुरिं. 9:9भज 112:9
2 कुरिं. 9:12रोम 15:26, 27; 2कुर 8:14
2 कुरिं. 9:13मत 5:16; इब्र 13:16; याकू 1:27; 1यूह 3:17
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
2 कुरिंथियों 9:1-15

कुरिंथियों के नाम दूसरी चिट्ठी

9 पवित्र जनों की सेवा+ करने के बारे में दरअसल मैं तुम्हें लिखना ज़रूरी नहीं समझता 2 क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम मदद करने के लिए तैयार हो। और मैं मकिदुनिया के भाइयों को गर्व से बता रहा हूँ कि अखाया के भाई पिछले एक साल से मदद करने की इच्छा रखते हैं। और तुम्हारे जोश ने उनमें से बहुतों के अंदर उत्साह भर दिया है। 3 मगर मैं भाइयों को तुम्हारे पास पहले से इसलिए भेज रहा हूँ ताकि इस मामले में हमने तुम्हारे बारे में जो गर्व से कहा था वह बात कहीं खोखली साबित न हो, बल्कि तुम वाकई तैयार पाए जाओ, ठीक जैसे मैंने कहा था कि तुम तैयार रहोगे। 4 नहीं तो अगर मकिदुनिया के भाई मेरे साथ वहाँ आएँ और यह पाएँ कि तुम तैयार नहीं हो, तो तुम पर भरोसा करने की वजह से हमें—मैं यह नहीं कहता कि तुम्हें—शर्मिंदा होना पड़ेगा। 5 इसलिए मैंने यह ज़रूरी समझा कि भाइयों को बहुत पहले ही तुम्हारे यहाँ आने का बढ़ावा दूँ ताकि वे उदारता से दिया गया तुम्हारा तोहफा तैयार रखें जिसे देने का तुमने वादा किया था। इस तरह यह दान उदारता से दिया गया तोहफा होगा, न कि ऐसा जो ज़बरदस्ती वसूला गया हो।

6 इस मामले में जो कंजूसी से बोता है वह थोड़ा काटेगा, लेकिन जो भर-भरकर बोता है वह भर-भरकर काटेगा।+ 7 हर कोई जैसा उसने अपने दिल में ठाना है वैसा ही करे, न कुड़कुड़ाते* हुए, न ही किसी दबाव में+ क्योंकि परमेश्‍वर खुशी-खुशी देनेवाले से प्यार करता है।+

8 परमेश्‍वर तुम पर अपनी महा-कृपा की बौछार करने के काबिल है ताकि तुम्हारे पास हर चीज़ बहुतायत में हो और हर भला काम करने के लिए जो कुछ ज़रूरी है वह भी तुम्हारे पास बहुतायत में हो।+ 9 (जैसा लिखा भी है, “उसने बढ़-चढ़कर* बाँटा है, गरीबों को दिया है। उसकी नेकी हमेशा बनी रहती है।”+ 10 परमेश्‍वर जो बोनेवाले को बहुतायत में बीज देता है और खानेवाले को रोटी देता है, वही तुम्हें बोने के लिए बहुतायत में बीज देगा और तुम्हारी नेकी की फसल खूब बढ़ाएगा।) 11 हर बात में तुम्हें आशीषें देकर मालामाल किया जा रहा है ताकि तुम भी हर तरह से दरियादिली दिखा सको और हमारे इस काम की वजह से परमेश्‍वर को धन्यवाद दिया जा सके। 12 क्योंकि यह जन-सेवा सिर्फ इसलिए नहीं की जाती कि पवित्र जनों की ज़रूरतें अच्छी तरह पूरी हों,+ बल्कि इसलिए भी की जाती है कि परमेश्‍वर का बहुत धन्यवाद किया जाए। 13 तुम राहत के लिए यह जो सेवा करते हो, उसकी वजह से लोग परमेश्‍वर की महिमा करते हैं क्योंकि तुम मसीह के बारे में जिस खुशखबरी का ऐलान करते हो उसके अधीन भी रहते हो और तुम उनके लिए और सबके लिए दिल खोलकर दान देते हो।+ 14 वे तुम्हारे लिए परमेश्‍वर से मिन्‍नतें करते हैं और तुमसे प्यार करते हैं क्योंकि तुम पर परमेश्‍वर की अपार महा-कृपा हुई है।

15 परमेश्‍वर के उस मुफ्त वरदान के लिए जिसका शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, उसका धन्यवाद हो।

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