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सजग होइए!–1997
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रहस्यमयी प्लैटीपस

ऑस्ट्रेलिया में सजग होइए! संवाददाता द्वारा

जब वैज्ञानिकों ने पहली बार प्लैटीपस को देखा, तब उन्हें यह नहीं सूझा कि उसे किस वर्ग में डालें। यह एक जीता-जागता परस्पर-विरोध का पुतला था। वज़न एक किलोग्राम और अंतर्विरोधों से भरा जिन्होंने वैज्ञानिकों के कुछ विश्‍वास उलट-पलट कर दिए। हम आपको आमंत्रित करते हैं कि इस छोटे-से अनोखे ऑस्ट्रेलियाई से मिलें—सुन्दर, शर्मीला, और प्यारा-सा जंतु। लेकिन, पहले आइए पीछे वर्ष १७९९ की ओर जाएँ और देखें कि जब पहली-पहली बार ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने प्लैटीपस की खाल का परीक्षण किया तब इसने कितनी खलबली मचायी।

ब्रिटिश संग्रहालय के प्राकृतिक इतिहास विभाग के उपरक्षक, डॉ. शॉ के बारे में एक एनसाइक्लोपीडिया कहती है, “उसे [अपनी आँखों पर] विश्‍वास ही नहीं हुआ।” उसे संदेह था कि “किसी ने एक [चार-पैरवाले पशु] के शरीर पर बत्तख़ की चोंच लगा दी थी। उसने चोंच को निकालने की कोशिश की, और आज भी उसकी कैंची के निशान उस पहली खाल पर देखे जा सकते हैं।”

जब यह पता चल गया कि वह खाल असली थी, तब भी वैज्ञानिक उलझन में थे। प्लैटीपस का—जिसके नाम का अर्थ है “चपटे-पैरवाला”—एक जनन-तंत्र होता है जो काफ़ी कुछ एक पक्षी के समान होता है परन्तु उसकी स्तन, या दुग्ध ग्रंथियाँ भी होती हैं। इस प्रतीयमान अंतर्विरोध ने यह प्रश्‍न खड़ा किया: क्या यह असंभाव्य जंतु अंडे देता है, या नहीं देता?

सालों के झगड़े के बाद, यह पता चला कि हाँ प्लैटीपस अंडे देता है। लेकिन ऐसा प्रतीत हुआ कि हर खोज ने उलझन को बस और बढ़ाया। आप उस जीव को कैसे वर्गीकृत करें जो (१) अंडे देता है परन्तु जिसकी स्तन ग्रंथियाँ हैं; (२) बालोंवाला है लेकिन जिसकी बत्तख़ की चोंच है; और (३) जिसके अस्थिपिंजर में एक अनियततापी सरीसृप के लक्षण हैं लेकिन वह नियततापी है?

कुछ समय बाद, वैज्ञानिक सहमत हो गए कि प्लैटीपस मोनोट्रिमेटा गण का एक स्तनधारी जीव है। सरीसृप की तरह, मोनोट्रेम में अंडों, शुक्राणु, मल और मूत्र के निकास के लिए एक विवर मुख, या रंध्र द्वार होता है। एकमात्र दूसरा जीवित मोनोट्रेम है एकिडना। प्लैटीपस को दिया गया वैज्ञानिक नाम है ऑर्निथॉरहिंकस ऎनाटिनस, जिसका अर्थ है “पक्षी की चोंचवाला बत्तख़-समान पशु।”

आइए एक प्लैटीपस से मिलने चलें

हम एक चिड़ियाघर जा सकते हैं लेकिन छिपाऊ प्लैटीपस को जंगल में देखने की बात ही कुछ और है—इस रूप में तो बहुत ही कम ऑस्ट्रेलियावासियों ने भी इसे कभी देखा है। हमारी खोज पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में, सिडनी के पश्‍चिमी भाग में नील पर्वतों में शुरू होती है, हालाँकि ऑस्ट्रेलिया की पूर्वी ओर मीठे जल की नदियों, धाराओं, और झीलों से भी काम चल सकता है।

हम यूकेलिप्टस से घिरी, एक झिलमिलाती नदी पर बने एक पुराने लकड़ी के पुल पर सूरज निकलने से पहले पहुँचते हैं। धीरज से और चुपचाप, हम उसकी एक झलक पाने के लिए पानी को देखते हैं। जल्द ही हमें प्रतिफल मिलता है। धारा के बहाव की विपरीत दिशा में लगभग ५० मीटर दूर, एक आकृति उभरती है, और हमारी ओर बढ़ती है। हमें पूरी तरह से निश्‍चल रहना है।

उसकी चोंच से निकलती ढेरों तरंगें इस बात की पुष्टि करती हैं कि वह प्लैटीपस है। वे भेद खोलनेवाली तरंगें तब बनती हैं जब प्लैटीपस वह भोजन चबाता है जो उसने नदी के तल में चारा खोजते समय अपने गालों में इकट्ठा किया होता है। जबकि मौसम के हिसाब से बदलता रहता है, फिर भी उसका आहार मुख्यतः कीड़े, कीट इल्ली, और मीठे पानी में मिलनेवाली झींगी होती है।

क्या आप प्लैटीपस के छोटे आकार से चकित हो गए? अधिकतर लोग चकित होते हैं। वे सोचते हैं कि प्लैटीपस ऊदबिलाव के जितना बड़ा होगा। लेकिन जैसा कि आप देख सकते हैं, यह आम घरेलू बिल्ली से भी छोटा है। नर की लम्बाई ४५ से ६० सॆंटीमीटर तक होती है और वज़न एक से ढाई किलोग्राम तक होता है। मादा इससे थोड़ी छोटी होती है।

यह अपने आगे के जालयुक्‍त पैरों को एक-एक करके पानी में मारते हुए आगे बढ़ता है, और फिर धीरे-से डुबकी मारता है और एक-दो मिनट तक डूबा रहता है जिस दौरान वह तैरकर पुल की ओर आता है। उसके थोड़े-थोड़े जालयुक्‍त पीछे के पैर आगे बढ़ने के लिए प्रयोग नहीं होते परन्तु चप्पुओं का काम देते हैं और उसकी दुम के साथ मिलकर काम करते हैं जब वह तैरता है। वे उसके शरीर को भी थामकर रखते हैं जब वह बिल खोदता है।

छेड़े जाने पर, प्लैटीपस आवाज़ करता हुआ डुबकी मारता है, और उसका अर्थ है अलविदा! सो हम केवल तब बोलते हैं जब वह डूबा हुआ होता है। “इतनी छोटी-सी जान गरम कैसे रहती है,” आप फुसफुसाते हैं, “ख़ासकर सर्दियों के बर्फीले पानी में?” प्लैटीपस दो सहायकों के कारण ठीक-ठाक रहता है: उपापचय जो तेज़ गति से उर्जा उत्पन्‍न करता है और इस प्रकार उसे अन्दर से गरम करता है, और घने बाल जो गरमी को अन्दर ही रखते हैं।

वह अद्‌भुत चोंच

प्लैटीपस की नरम, रबड़-जैसी चोंच बहुत जटिल होती है। स्पर्श और विद्युत तरंग के लिए यह संवेदी इंद्रियों से भरी होती है। नदी के तल में प्लैटीपस हलके से अपनी चोंच इधर से उधर हिलाता है जब वह जाँच रहा होता है, और अपने शिकार की पेशीय सिकुड़न से उत्पन्‍न हलकी-सी भी विद्युत तरंग का पता लगा लेता है। जब प्लैटीपस डूबा हुआ होता है, उसकी चोंच दुनिया के साथ उसका मुख्य संपर्क होती है, क्योंकि उसकी आँखें, कान, और नाक कसकर बंद होते हैं।

उन कँटों से बचिए!

यदि हमारा छोटा मित्र नर है, तो उसके पिछले पैरों पर दो गुल्फ कँट होते हैं जो नलिकाओं द्वारा जाँघ के आस-पास दो विष ग्रंथियों से जुड़े हुए होते हैं। वह पूरे ज़ोर के साथ दोनों कँटों को आक्रमण करनेवाले के माँस में कुछ इस तरह घुसा देता है, जिस तरह एक घुड़सवार अपने घोड़े को एड़ देता है। शुरूआती धक्के के कुछ ही समय बाद, शिकार व्यक्‍ति को तेज़ दर्द होता है और उस जगह सूजन आ जाती है।

लेकिन, बंधुवाई में प्लैटीपस एक पिल्ले के जितना पालतू हो सकता है। विक्टोरिया में, हील्सविल सैंक्चुरी ने दशकों से इन पशुओं को रखा है और रिपोर्ट करती है कि एक पुराना निवासी “भेंट करनेवालों का घंटों मनोरंजन करता, बार-बार लोट-पोट करता कि उसके पेट में गुदगुदी की जाए . . . हज़ारों लोग इस छोटे-से अद्‌भुत पशु को देखने आते।”

जैसे ही हमारी पूर्वी तरफ़ पहाड़ पर से सुबह का सूरज निकलने लगता है, हमारा प्लैटीपस आज के लिए अपनी आख़िरी डुबकी मार देता है। रात-भर में उसने इतना भोजन खा लिया है जो उसके वज़न के पाँचवे हिस्से से भी ज़्यादा है। जब वह पानी से बाहर निकलता है, तब उसके आगे के पैरों के जाल सिकुड़ जाते हैं और मज़बूत नाख़ून दिखने लगते हैं। अब वह अपने कई बिलों में से किसी एक की ओर बढ़ता है, जो बुद्धिमानी से पेड़ों की जड़ों में खोदे जाते हैं जिससे कि भूमि के कटने और धँसने से सुरक्षा मिले। अंडे-बच्चे देनेवाले बिल आम तौर पर क़रीब आठ मीटर लम्बे होते हैं, लेकिन दूसरे बिलों की लम्बाई एक मीटर और लगभग तीस मीटर के बीच हो सकती है और उनकी कई उप शाखाएँ हो सकती हैं। बिल बहुत अधिक या कम ताप से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं, और उन्हें गरम घोंसला बना देते हैं जिसमें मादा अपने बच्चों को बड़ा करती है।

अंडे देने का समय

वसन्त में मादा अपने एक अन्दर के बिल में जाकर, घास-फूस लगाए हुए एक कक्ष में एक से तीन (सामान्यतः दो) अंडे देती है जो अंगूठे के नाख़ून के बराबर होते हैं। वह अपने अंडों को अपने शरीर और मोटी दुम से ढाँककर सेती है। क़रीब दस दिन में, बच्चे अपने पतले चमड़े के जैसे खोल में से निकल जाते हैं और माँ की दो स्तन ग्रंथियों से निकला दूध पीते हैं। एक बात बताएँ, मादा प्लैटीपस अपने बच्चों को अकेले ही बड़ा करती है; ये स्तनधारी जीव लम्बे समय तक जोड़ी बनाए रखने का कोई प्रमाण नहीं देते।

लगभग फरवरी तक, बस साढ़े-तीन महीने तक बढ़ने के बाद, बच्चे पानी के लिए तैयार हैं। क्योंकि एक जलाशय में कुछ ही जीव रह सकते हैं, इसलिए आगे चलकर बच्चे ऐसा जलकुंड तलाश सकते हैं जहाँ कम जीव हों, और ऐसा करने के लिए वे जोख़िम-भरे भूमि क्षेत्र भी पार करते हैं।

बंधुवाई में प्लैटीपस २० साल की उम्र से भी ज़्यादा जीए हैं, लेकिन जंगल में अधिकतर उतने लम्बे समय तक नहीं जीते। सूखा और बाढ़ अपनी वसूली लेते हैं, साथ ही वे गोआना (बड़ी मॉनिटर छिपकलियों), लोमड़ियों, बड़े माँसाहारी पक्षियों, और दूर उत्तर क्वीन्सलैंड में मगरमच्छों का भी शिकार बन जाते हैं। लेकिन, मनुष्य प्लैटीपस के लिए सबसे बड़ा ख़तरा खड़ा करता है, जानबूझकर उन्हें मारने के द्वारा नहीं (अब प्लैटीपस को मारना ग़ैर-कानूनी है), बल्कि निष्ठुरता से उनके प्राकृतिक वास पर क़ब्ज़ा करने के द्वारा।

यदि आप कभी ऑस्ट्रेलिया जाते हैं, तो आप ख़ुद हमारे छोटे-से अनोखे बत्तख़ की चोंचवाले घालमेल-जीव को उसके प्राकृतिक वास में देख सकते हैं, क्योंकि यह आपको संसार में कहीं और जंगल में नहीं देखने को मिलेगा। प्लैटीपस के सौजन्य से आप सृष्टिकर्ता की असीम कल्पना—साथ ही हास्य-वृत्ति—का एक और पहलू देखेंगे।

[पेज 17 पर तसवीर]

प्लैटीपस अपने आपको अपने जालयुक्‍त पैरों की मदद से आगे बढ़ाता है

[चित्र का श्रेय]

Courtesy of Taronga Zoo

[पेज 17 पर तसवीर]

आम घरेलू बिल्ली से भी छोटा, प्लैटीपस का वज़न एक से ढाई किलोग्राम तक होता है

[चित्र का श्रेय]

Courtesy of Dr. Tom Grant

[पेज 17 पर तसवीर]

इसकी बहुत-ही संवेदी चोंच पानी के नीचे शिकार ढूँढ लेती है। (यह प्लैटीपस हील्सविल सैंक्चुरी में है)

[चित्र का श्रेय]

Courtesy of Healesville Sanctuary

[पेज 16 पर चित्र का श्रेय]

फ़ोटो: Courtesy of Dr. Tom Grant

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