पवित्र शास्त्र सँवारे ज़िंदगी
“मैं कई सवालों को लेकर परेशान था।”—रॉडल रॉड्रिगस रॉड्रिगस
जन्म: 1959
देश: क्यूबा
अतीत: सरकार से बगावत करनेवाला
मेरा बीता कल: मेरा जन्म क्यूबा के हवाना शहर में हुआ था। जहाँ मैं पैदा हुआ था वहाँ के लोग बहुत गरीब थे और अकसर वहाँ लड़ाई-झगड़े होते रहते थे। जैसे-जैसे मैं बड़ा हो रहा था, मुझे जूडो और इसी तरह के खेल पसंद आने लगे।
मैं पढ़ाई में अच्छा था, इसलिए मम्मी-पापा ने कहा कि मैं एक यूनिवर्सिटी जाकर पढ़ाई करूँ। वहाँ जाकर मुझे लगने लगा कि हमारे देश की राजनीति को बदलने की ज़रूरत है। इस वजह से मैं बगावत करने लगा। मैं और मेरी यूनिवर्सिटी का एक दोस्त, एक पुलिस अफसर से उसकी बंदूक छीनना चाहते थे इसलिए हमने उस पर हमला कर दिया। हाथापाई में उस पुलिस अफसर के सिर पर गहरी चोट आयी। मुझे और मेरे दोस्त को जेल में डाल दिया गया और हमें गोली से मार देने का आदेश दिया गया। मैं सिर्फ 20 साल की उम्र में मरनेवाला था!
जेल में अकेला बैठा मैं सोचने लगा कि जब पुलिस अफसर मुझे गोली मारने वाले होंगे, तो मैं ऐसा बिलकुल भी नहीं दिखाऊँगा कि मैं डरा हुआ हूँ। मेरे मन में कई सवाल भी चल रहे थे। जैसे ‘इस दुनिया में इतना अन्याय क्यों है? ज़िंदगी में क्या बस इतना ही रखा है?’
पवित्र शास्त्र ने मेरी ज़िंदगी किस तरह बदल दी: हमें जो मौत की सज़ा दी गयी थी, उसे बदलकर 30 साल की जेल की सज़ा सुना दी गयी। इसी दौरान मैं जेल में कुछ यहोवा के साक्षियों से मिला जिन्हें अपने विश्वास की वजह से जेल की सज़ा सुनायी गयी थी। मैंने गौर किया कि साक्षी बहुत हिम्मतवाले थे और किसी से लड़ते-झगड़ते भी नहीं थे। हालाँकि उन पर झूठे इलज़ाम लगाए गए थे फिर भी वे गुस्से से भरे हुए नहीं थे।
साक्षियों ने मुझे सिखाया कि इंसानों के लिए परमेश्वर का एक मकसद है। बाइबल में बताया है कि परमेश्वर इस धरती को एक खूबसूरत बगीचा बना देगा। तब कोई अपराध और अन्याय नहीं होगा, सबकुछ बढ़िया होगा। उन्होंने मुझे यह भी सिखाया कि धरती पर सिर्फ अच्छे लोग रहेंगे और उनके पास इस धरती पर हमेशा तक जीने का मौका होगा।—भजन 37:29.
साक्षी जो सिखा रहे थे, मुझे वह अच्छा लग रहा था। लेकिन उनमें और मुझमें बहुत फर्क था। मुझे लगा मैं कभी-भी राजनैतिक मामलों में निष्पक्ष नहीं रह पाऊँगा या अगर कोई कुछ बुरा करता है, तो शांत नहीं रह पाऊँगा। इसलिए मैंने सोचा कि मैं खुद ही बाइबल पढ़ूँगा। जब मैंने पूरी बाइबल पढ़ ली तो मुझे एहसास हुआ कि सिर्फ यहोवा के साक्षी पहली सदी के मसीहियों की तरह हैं।
बाइबल पढ़कर मुझे समझ आया कि मुझे अपनी ज़िंदगी में बहुत कुछ बदलना होगा। जैसे, मैं जब भी बात करता था तो मेरे मुँह से हमेशा गालियाँ ही निकलती थीं, पर अब मुझे यह छोड़ना था। मुझे सिगरेट पीना और राजनैतिक मामलों में पक्ष लेना भी छोड़ना था। मेरे लिए ये सारे बदलाव करना आसान नहीं था, लेकिन यहोवा की मदद से मैं धीरे-धीरे ऐसा कर पाया।
मेरे लिए अपने गुस्से पर काबू पाना सबसे मुश्किल था। मैं आज भी यह प्रार्थना करता हूँ कि मेरा गुस्सा शांत रहे। मुझे बाइबल की आयतों से बहुत फायदा हुआ है। जैसे नीतिवचन 16:32 से, जहाँ लिखा है, “क्रोध करने में धीमा इंसान वीर योद्धा से अच्छा है और अपने गुस्से पर काबू रखने वाला शहर जीतने वाले से।”
सन् 1991 में मैंने बपतिस्मा लिया और एक यहोवा का साक्षी बन गया। मुझे जेल में पानी के एक ड्रम में बपतिस्मा दिया गया। अगले साल हममें से कुछ कैदियों को रिहा करके स्पेन भेज दिया गया क्योंकि हमारे रिश्तेदार वहीं रहते थे। स्पेन पहुँचते ही मैंने सभाओं में जाना शुरू कर दिया। भाई-बहनों ने मेरा इस तरह स्वागत किया मानो हम एक-दूसरे को बरसों से जानते हों। उन्होंने मेरी बहुत मदद की ताकि मैं एक नए सिरे से ज़िंदगी शुरू कर पाऊँ।
मुझे क्या फायदा हुआ: आज मैं अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ यहोवा की सेवा कर रहा हूँ। मैं बहुत खुश हूँ। अब मैं अपना ज़्यादातर समय दूसरों को बाइबल सिखाने में लगा पाता हूँ। कभी-कभी जब मैं उस 20 साल के नौजवान के बारे में सोचता हूँ जो मरनेवाला था तो मेरा दिल एहसान से भर जाता है। आज मैं ना सिर्फ ज़िंदा हूँ मगर मेरे पास एक आशा भी है। मैं उस वक्त का इंतजार कर रहा हूँ जब यह धरती फिरदौस बन जाएगी। उस वक्त ना तो अन्याय होगा और “न मौत रहेगी।”—प्रकाशितवाक्य 21:3, 4.