सत्य के वचन को कौशलपूर्वक काम में लाएँ
परमेश्वर के वचन को काम में लाने में हमारा कौशल उस प्रतिक्रिया पर असर करता है जो लोग सुसमाचार के प्रति दिखाते हैं। इस प्रकार, पौलुस ने यह कहकर सेवकाई में निपुणता विकसित करने के लिए प्रोत्साहन दिया: “अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करनेवाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्जित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो।”—२ तीमु. २:१५.
२ बाइबल को काम में लाने में कुशलता विकसित की जानी चाहिए। निजी अभ्यास के लिए समय अलग रखना और मसीही सभाओं में उपस्थित होना अनिवार्य है। बहरहाल, हमें सेवकाई में बाइबल को नियमित रूप से काम में लाकर सीखी गयी बातों पर अमल करना चाहिए। जैसे-जैसे हम परमेश्वर की मदद और मार्गदर्शन माँगते हैं, वैसे-वैसे इस से निरन्तर प्रयास भी ज़रूरी होता है।—१ यूहन्ना ३:२२.
३ परमेश्वर के वचन पर ध्यान केंद्रित करें: लोगों को यह समझना बहुत ज़रूरी है कि हमारा संदेश खुद अपनी मौलिकता से नहीं परन्तु परमेश्वर के लिखित वचन से है। (यूहन्ना ७:१८) परमेश्वर अमुक विषय पर क्या कहते हैं, यह बाइबल से किसी व्यक्ति को दिखाने पर एक गहरा प्रभाव पड़ सकता है। धर्मी मनोवृत्ति रखनेवाले लोग बाइबल के शक्तिशाली संदेश की ओर खिंचे जाते हैं। जैसे-जैसे हम धर्मशास्त्रों का अधिक प्रयोग करते हैं, हम और भी ज़्यादा निपुण बन जाएँगे और हम दूसरों को परमेश्वर का वचन अधिक मात्रा में स्पष्ट कर सकेंगे, जिस से उनका फ़ायदा होगा।
४ अधिकांश लोग बाइबल से वाक़िफ़ नहीं हैं। तो जब इसे काम में लाते हैं, हमें शास्त्रपद मात्र पढ़ देने के अलावा कुछ और करना चाहिए। यह निर्धारित करने के लिए कि किसी शास्त्रपद को किस तरह पेश किया जाए, विचारशील रूप से तैयारी करना ज़रूरी है। कोई सवाल या निश्चित समस्या को दिलचस्पी जगाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। और शास्त्रपद पढ़ने के बाद हम क्या कहते हैं, इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। शास्त्रपद को सिर्फ़ एक ही बार पढ़ने से शायद व्यक्ति की समझ में मुद्दे की बात न आए। मुख्य शब्दों पर फिर से ज़ोर देने और उनका अनुप्रयोग करने से विचार उसकी समझ में आ सकेंगे।—स्कूल गाइडबुक, अभ्यास २४ और २५ देखें।
५ दिसम्बर के दौरान जब हमें ऐसे लोग मिल जाएँ जिन्हें सचमुच ही दिलचस्पी है, हम उन्हें न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स के साथ साथ द बाइबल—गॉडस् वर्ड ऑर मॅन्स्? पेश कर सकते हैं। हम लोगों को यह साहित्य-भेंट किस तरह पेश करेंगे? अपना परिचय देने के बाद हम कह सकते हैं: “आज, अनेक लोग मार्गदर्शन के लिए विभिन्न व्यक्तियों या प्रकाशनों की ओर देखते हैं। आपको क्या लगता है, व्यावहारिक मार्गदर्शन का सबसे अच्छा स्रोत क्या है? [जवाब के लिए समय दें।] बुद्धि के सच्चे स्रोत के बारे में बाइबल क्या कहती है, इस पर विचार करें। [नीतिवचन २:६, ७ पढ़ें।] मानवीय बुद्धि बहुत कम पड़ गयी है, जिस से विपत्ति और निराशा उत्पन्न हुई है। यद्यपि, परमेश्वर की बुद्धि हमेशा ही भरोसेयोग्य और लाभदायक साबित हुई है। [यशायाह ४८:१७, १८ पढ़ें।] इसीलिए, हमें परमेश्वर की ओर देखना चाहिए, जो हमारे सम्मुख समस्याओं से निपटने के लिए ज़रूरी मार्गदर्शन देते हैं।” फिर हम गॉडस् वर्ड किताब का अध्याय १२ खोल सकते हैं और परिच्छेद २ की ओर ध्यानाकर्षित कर सकते हैं। उसके बाद, उस अध्याय में से उचित मुद्दे को इस से जोड़ा जा सकता है।
६ परमेश्वर की बुद्धि की श्रेष्ठता विशिष्ट करने के लिए नीतिवचन २:६, ७ को इस्तेमाल करने के बाद, न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन को पेश करें और गृहस्थ को समझा दें कि किस तरह आप बाइबल का आदर करने लगे हैं और उसे मूल्यवान् समझने लगे हैं। उसे बता दें कि इसके उपदेशों से उसका फ़ायदा होगा और भविष्य के लिए उसे एक पक्की आशा मिलेगी। ऐसी बातचीत से शायद रोज़मर्रा मुश्किलों पर बाइबल की विवेकपूर्ण सलाह बता देने के मौक़े खुल जाएँगे और इस से शायद बाइबल अध्ययन भी शुरू किया जा सकेगा।
७ यीशु ने ईमानदार लोगों की सहायता करने और अपने विरोधियों का खण्डन करने के लिए हमेशा ही शास्त्रपदों का हवाला दिया। जो बातें पौलुस ने सिखायी उन्हें ‘हवाला से प्रमाणित करना और समझाना’ उसकी आदत थी। (प्रेरितों १७:२, ३, न्यू.व.) जैसे-जैसे हम सत्य के वचन को काम में लाने में और भी ज़्यादा कुशल बनने की उत्साही कोशिश करेंगे, वैसे-वैसे सेवकाई में हमारा आत्मविश्वास और हर्ष भी बढ़ जाएगा।