दिल से यहोवा की सेवा करने में बच्चों की मदद कीजिए
सुलैमान ने घोषित किया कि “लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं।” (भजन १२७:३-५) सचमुच, वे अमूल्य भाग हैं। अपने बच्चों को सिखाना, प्रशिक्षण देना, और अनुशासित करना माता-पिता की परमेश्वर-प्रदत्त ज़िम्मेदारी है। इसमें यह भी सम्मिलित है कि वे बच्चों को सेवकाई में प्रशिक्षण दें और उन्हें दिल से यहोवा के और राज्य के विषय में बोलने के लिए प्रोत्साहित करें।—इफिसियों ६:४.
२ माता-पिता को यह प्रशिक्षण किस उम्र में शुरू करना चाहिए? बाइबल का जवाब स्पष्ट है: यह बालकपन से होना चाहिए। (२ तीमु. ३:१४, १५) प्रशिक्षण जितना जल्दी शुरू होगा उतनी ज़्यादा संभावना है कि बच्चे सच्चाई में एक मज़बूत बुनियाद विकसित करेंगे और सेवकाई को अपना पेशा बनाएँगे। यह प्रारंभिक प्रशिक्षण उन्हें दुनियावी सोच-विचार और रवैयों से बचने में मदद करेगा।
३ बहुत से नर्सरी के बच्चों ने मुश्किल चीज़ों में निपुणता पाने में काफ़ी रुझान दिखाया है। छोटी उम्र में सीखने की इस क्षमता को ऐसे कामों के प्रशिक्षण में लगाना चाहिए जिन से यहोवा की स्वीकृति मिलती है। (w88 8/1 पृ. १५; w89 12/1 पृ. ३१) कच्ची उम्र के बहुतेरों ने बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने की हद तक उन्नति की है। कुछ बच्चे तेरह साल के होने से पहले ही समर्पण करके बपतिस्मा ले लेते हैं। इस से उनके लिए स्कूल ख़त्म करने से पहले ही सहायक पायनियर और नियमित पायनियर के रूप में सेवा करने का रास्ता खुल गया है। इन लक्ष्यों को पाने के लिए, उन्हें विभिन्न बाइबल विषयों पर लोगों से बातचीत करना सिखाया जाना चाहिए।
४ कुछ प्रौढ़ जो आज के जवानों को सामान्य तौर पर उतावला और निरादरपूर्ण समझने के लिए प्रवृत्त हैं शायद एक जवान को दरवाज़े पर देखकर उससे बात करने में ख़ास दिलचस्पी न दिखाएँगे। इस क़िस्म की बाधा को हटाने के लिए और प्रौढ़ गृहस्वामी का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक जवान प्रचारक दरवाज़े पर क्या कह सकता है? एक जवान प्रचारक ने कुछ इस तरह की प्रस्तावना इस्तेमाल की: “नमस्ते, मेरा नाम है। मैं आज अपने पड़ोसियों के पास जा रहा हूँ क्योंकि बहुत से लोग भविष्य के बारे में चिन्तित हैं। एक प्रौढ़ होने के नाते, निश्चित रूप से आप जीवन के मामलों में मुझ से ज़्यादा अनुभवी हैं। फिर भी, यह एक शास्त्रवचन है जिस से हम सब को दिलासा मिलता है।” प्रकाशितवाक्य २१:३, ४ पढ़ने के बाद, बातचीत एक शांतिपूर्ण नए संसार में जीवन ट्रैक्ट पर केंद्रित की जा सकती है।
५ एक दूसरा सुझाव है: “नमस्ते, मेरा नाम है। मैं पास-पड़ोस में लोगों से थोड़े समय के लिए मुलाक़ात कर रहा हूँ क्योंकि मैं जानता हूँ कि बहुत से प्रौढ़ लोग उस रास्ते के बारे में चिन्तित हैं जो प्रकट रूप से जवान लोग आज चुन रहे हैं। कभी-कभी जवान लोग निरादरपूर्ण और यहाँ तक की विद्रोही रवैया भी दिखाते हैं। लेकिन मैं एक शास्त्रवचन दिखा रहा हूँ जो दिखाता है कि एक दिन सब लोग शांति से एक साथ रहना सीखेंगे।” फिर भजन ३७:११ पढ़कर उपयुक्त टिप्पणी कीजिए। जब प्रौढ़ गृहस्वामी हमारे जवान प्रचारकों से ऐसे सच्चे कथन सुनेंगे तो यह निश्चित है कि उन में से बहुतेरे हितकर रूप से प्रभावित होंगे।
६ हज़ारों जवान लोग राज्य-प्रचार और शिष्य बनाने के कार्य में उत्तम योगदान करते जा रहे हैं। उनकी स्नेहपूर्वक सराहना की जानी चाहिए। वे जवान जिन्हें बालकपन से ही ईश्वरपरायण माता-पिता द्वारा प्रशिक्षण मिलता है, वे सेवकाई के सभी पहलुओं में और ज़्यादा भाग लेने की ओर परिश्रम करने के निष्कपट प्रोत्साहन पर ख़ुशी से अनुक्रिया दिखाते हैं। जो स्कूल में हैं उन्हें अपने संगी छात्र और अध्यापक, दोनों को गवाही देने का बेजोड़ मौक़ा है। इस ख़ास क्षेत्र में गवाही देने के द्वारा बहुतों ने संतोषजनक अनुभवों का अनंद लिया है।
७ अतः जवाँ उत्साह के साथ यहोवा की सेवा करने और दिल से उसकी स्तुति करने के मौक़े का फ़ायदा उठाने के लिए अपनी कलीसिया के जवान प्रचारकों की मदद कीजिए।—सभो. १२:१.