हमेशा अत्यधिक रूप से व्यस्त रहना
यहोवा के लोग व्यस्त लोग हैं। अपने परिवार, रोज़गार, और स्कूल से सम्बन्धित हमारी अनेक बाध्यताएँ हैं। और सबसे अधिक, “प्रभु के काम में हमेशा अत्यधिक रूप से व्यस्त” रहने के लिए कार्य है। (१ कुरि. १५:५८, NW) हमें साप्ताहिक कलीसिया सभाओं की तैयारी करनी चाहिए और उनमें उपस्थित होना चाहिए। हर सप्ताह क्षेत्र सेवकाई में कुछ हिस्सा लेने के लिए हमें प्रोत्साहित किया जाता है। व्यक्तिगत और पारिवारिक बाइबल अध्ययन के लिए नियमित रूप से पर्याप्त समय अलग रखना चाहिए। प्राचीनों और सहायक सेवकों को अनेक कलीसिया नियुक्तियाँ होती हैं। समय-समय पर हमें योग्य ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए कहा जाता है।
२ कभी-कभार, हमें जो कुछ करना है, उसकी वजह से हम में से कुछ लोग अभिभूत महसूस कर सकते हैं। फिर भी, सबसे व्यस्त लोग सबसे ख़ुश लोगों में हो सकते हैं यदि वे संतुलन और उचित दृष्टिकोण बनाए रखते हैं।—सभो. ३:१२, १३.
३ प्रेरित पौलुस एक ऐसा व्यक्ति था जो अत्यधिक रूप से व्यस्त था। तम्बू बनानेवाले के रूप में लौकिक कार्य करने के द्वारा अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं की देखभाल करने के साथ-साथ, उसने अन्य प्रेरितों से अधिक परिश्रम किया। उसने सार्वजनिक रूप से और घर-घर प्रचार करते हुए सुसमाचारक के तौर पर अथक रूप से कार्य किया, और साथ ही झुंड के चरवाहे के तौर पर अपनी ज़िम्मेदारियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया। (प्रेरि. २०:२०, २१, ३१, ३४, ३५) अपनी व्यस्त सारणी के बावजूद, पौलुस यहोवा की सेवा में और अधिक करने को हमेशा उत्सुक था।—रोमि. १:१३-१५ से तुलना कीजिए।
४ पौलुस ने सामर्थ के लिए यहोवा पर निर्भर होने के द्वारा अपना संतुलन और प्रसन्न हृदय बनाए रखा। उसने अपनी सेवकाई को लाभप्रद और संतोषजनक पाया। (फिलि. ४:१३) वह जानता था कि परमेश्वर उसके कार्य को नहीं भूलेगा। (इब्रा. ६:१०) यहोवा को जानने में दूसरों की मदद करने के आनन्द ने उसे बल प्रदान किया। (१ थिस्स. २:१९, २०) अपनी बाइबल-आधारित आशा पाने के आश्वासन ने उसे परिश्रमी रहने के लिए प्रेरित किया।—इब्रा. ६:११.
५ हमें अपने परिश्रम से परिणित होनेवाली भली बातों पर भी ग़ौर करना चाहिए। साप्ताहिक सभाओं में हमारी उपस्थिति और भाग लेना दूसरों को प्रोत्साहित करता और उकसाता है। (इब्रा. १०:२४, २५) सुसमाचार के साथ सब के पास पहुँचने के हमारे जी-तोड़ प्रयास, कलीसिया की उन्नति में योगदान देते हैं जैसे-जैसे दिलचस्पी विकसित की जाती है और नए जन हमारे साथ संगति करते हैं। (यूह. १५:८) ज़रूरतमंदों की मदद करना कलीसिया में एक घनिष्ठ, परिवार-समान भावना को बढ़ावा देता है। (याकू. १:२७) इसके अलावा, पौलुस की तरह, हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि लाभकर कार्यों में व्यस्त रहना यहोवा परमेश्वर को अति प्रसन्न करता है। उसकी सेवा करना हम महान विशेषाधिकार समझते हैं। हमारे लिए जीने का इससे उत्तम तरीक़ा नहीं है!
६ अत्यधिक रूप से व्यस्त रहने में एक अतिरिक्त लाभ है। जब हम एक स्वस्थ आध्यात्मिक नित्यक्रम का पालन करने में व्यस्त होते हैं, समय बहुत जल्दी बीतता प्रतीत होता है। यह समझते हुए कि हर बीतता दिन हमें नए संसार के और क़रीब लाता है, हम ख़ुशी-ख़ुशी उस व्यस्त और उद्देश्यपूर्ण जीवन को स्वीकारते हैं, जिसका आनन्द हम अभी उठा रहे हैं। हम व्यस्त रहने की बुद्धिमत्ता को भी समझते हैं, चूँकि हमारे पास व्यर्थ सांसारिक कार्यों में सम्मिलित होने के लिए कम वक़्त होता है।—इफि. ५:१५, १६.
७ निश्चय ही, प्रभु के काम में अत्यधिक रूप से व्यस्त रहने के लिए कार्य है। लेकिन यदि हम यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह पर निर्भर रहना जारी रखते हैं, तो हम ख़ुश रह सकते हैं। ये हमारी सेवा को स्फूर्तिदायक और लाभप्रद बनाते हैं।—मत्ती ११:२८-३०; १ यूह. ५:३.