सितंबर के लिए सेवा सभाएँ
सितंबर १ से आरंभ होनेवाला सप्ताह
गीत २६
१० मि:स्थानीय घोषणाएँ। हमारी राज्य सेवकाई से चुनी हुई घोषणाएँ।
१५ मि:“ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बातों को प्रथम स्थान दीजिए।” सवाल और जवाब। जैसे समय अनुमति दे, फरवरी २२, १९८७, सजग होइए! (अंग्रेज़ी), पृष्ठ ८-९ पर दिए गए “उचित प्राथमिकताएँ तय करना” पर टिप्पणी कीजिए।
२० मि:“दूसरों के साथ पारिवारिक सुख का रहस्य बाँटना।” अनुच्छेद १ और ६-८ पर एक भाषण। अनुच्छेद २-५ को प्रदर्शित करवाइए। शिष्य बनाने व अध्ययन शुरू करने के लक्ष्य को पूरा करने के बारे में सोचने पर ज़ोर दीजिए।
गीत १०७ और समाप्ति प्रार्थना।
सितंबर ८ से आरंभ होनेवाला सप्ताह
गीत २७
१० मि:स्थानीय घोषणाएँ। लेखा रिपोर्ट।
१५ मि:स्थानीय ज़रूरतें।
२० मि:“बाइबल अध्ययन जिससे शिष्य बने।” भाषण व समूह के साथ चर्चा। प्राचीन लेख का पुनर्विचार करता है। फिर वह “विद्यार्थियों को समर्पण और बपतिस्मे के लिए प्रेरित कीजिए” (km ६/९६ अंतःपत्र, अनु. २०-२) की चर्चा अनुभवी प्रकाशकों के साथ करता है जो अध्ययन संचालित करते हैं।
गीत १०९ और समाप्ति प्रार्थना।
सितंबर १५ से आरंभ होनेवाला सप्ताह
गीत ३०
१० मि:स्थानीय घोषणाएँ।
१५ मि:वार्तालाप कैसे शुरू करें। सेवकाई में हमारी अधिकतर सफलता इस बात पर निर्भर है कि हम दूसरों को अर्थपूर्ण वार्तालाप में शामिल करने में समर्थ हों। जब हम ऐसा कुछ कहने में समर्थ होते हैं जिससे दूसरे सुनने के लिए प्रेरित हों, तब हम साक्षी-कार्य के अपने सबसे बड़े रोड़े को पार कर चुके हैं। श्रोतागण के साथ स्कूल गाइडबुक, अध्ययन १६, अनुच्छेद ११-१४ के मुख्य सुझावों की चर्चा कीजिए। ऐसे प्रकाशकों से जो वार्तालाप शुरू करने में कुशल व प्रभावकारी हैं, निम्नलिखित लोगों से बात करते वक़्त अपने शुरूआती शब्दों के बारे में बताने के लिए कहिए, (१) सड़क पर जा रहा व्यक्ति, (२) बस में एक मुसाफ़िर, (३) काउंटर के पीछे बैठा क्लर्क, (४) पार्किंग स्थान पर एक ख़रीदार, (५) उद्यान में बेंच पर बैठा व्यक्ति, व (६) टेलिफ़ोन साक्षी-कार्य में किसी से संपर्क करते वक़्त।
२० मि:क्या आप स्कूल (अंग्रेज़ी) ब्रोशर का इस्तेमाल कर रहे हैं? एक प्राचीन कुछ माता-पिताओं व बच्चों के साथ अक्तूबर १, १९८५, प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी), पृष्ठ ३०-१ की चर्चा करता है। वे स्कूल ब्रोशर इस्तेमाल करने पर हुए व्यक्तिगत अनुभव बताते हैं।
गीत ११२ और समाप्ति प्रार्थना।
सितंबर २२ से आरंभ होनेवाला सप्ताह
गीत ३२
५ मि:स्थानीय घोषणाएँ।
२३ मि:“१९९७ ‘परमेश्वर के वचन में विश्वास’ ज़िला अधिवेशन।” (अनुच्छेद १-१६) सवाल और जवाब। अनुच्छेद १०, १२, व १५ पढ़िए। अपने शालीन मसीही दिखाव-बनाव व आचरण को ध्यानपूर्वक बनाए रखने तथा अपने बच्चों का उचित रूप से निरीक्षण करने के शास्त्रीय महत्त्व पर ज़ोर दीजिए।
१७ मि:कलीसिया की १९९७ सेवा वर्ष रिपोर्ट पर पुनर्विचार कीजिए। सेवा ओवरसियर उत्तम प्रयास के लिए, ख़ासकर मार्च, अप्रैल, और मई के दौरान किए गए प्रयास के लिए कलीसिया की सराहना करता है। सुधार के लिए सुझाव देता है। नए सेवा वर्ष के लिए कुछ व्यावहारिक लक्ष्यों की रूपरेखा देता है, जिसमें पाँच साप्ताहांतवाले महीनों—नवंबर, मई, अगस्त—के दौरान सहयोगी पायनियर-कार्य करना शामिल है।
गीत ११३ और समाप्ति प्रार्थना।
सितंबर २९ से आरंभ होनेवाला सप्ताह
गीत ३७
१३ मि:स्थानीय घोषणाएँ। सभी को क्षेत्र सेवा रिपोर्ट डालने की याद दिलाइए। उल्लेख कीजिए कि हम पुस्तक अध्ययन पर अगले सप्ताह पारिवारिक सुख पुस्तक का अध्ययन शुरू करेंगे। अक्तूबर में अभिदान पेशकश के लिए तैयारी करते वक़्त, निम्नलिखित बातों की ज़रूरत की चर्चा कीजिए जो अक्तूबर १९९६, हमारी राज्य सेवकाई, पृष्ठ ८ पर दी गयी थी। वे यूँ हैं, “अपने क्षेत्र का विश्लेषण कीजिए,” “पत्रिकाओं से स्वयं परिचित होइए,” “अपने आरम्भिक शब्दों को तैयार कीजिए,” “गृहस्वामी के अनुकूल बनिए,” व “एक दूसरे की सहायता कीजिए।”
२० मि:“१९९७ ‘परमेश्वर के वचन में विश्वास’ ज़िला अधिवेशन।” (अनुच्छेद १७-२२) सवाल और जवाब। अनुच्छेद १७ व उद्धृत शास्त्रवचन पढ़िए। सुव्यवस्था व दूसरे के प्रति लिहाज़ दिखाने की ज़रूरत पर ज़ोर दीजिए, ख़ासकर जब बैठने की व्यवस्था की बात आती है। “ज़िला अधिवेशन अनुस्मारक” का पुनर्विचार करते हुए एक संक्षिप्त भाषण से समाप्त कीजिए।
१२ मि:अपनी सेवकाई को महिमान्वित कीजिए। अपनी सेवकाई (अंग्रेज़ी) पुस्तक के पृष्ठ ८१-३ पर श्रोता के साथ चर्चा। मुख्य मुद्दों को विशिष्ट करने के लिए निम्नलिखित सवाल पूछिए: (१) यीशु के आदर्श का अनुकरण करने से हमें कैसे लाभ मिलता है? (२) प्रचार करने की हमारी ज़िम्मेदारी कितनी महत्त्वपूर्ण है? (३) किन अभिप्रायों ने हमें यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने के लिए प्रेरित किया? (४) यदि एक व्यक्ति को परमेश्वर की सेवा करनी है तो किस प्रकार का आचरण ज़रूरी है? (५) यीशु ने जिस तरीक़े से प्रचार किया, उससे हम क्या सीख सकते हैं?
गीत १२१ और समाप्ति प्रार्थना।