दूसरों के मन में अनंत जीवन की आशा बिठाइए
इंसान ने जल्द बुढ़ापा न आने और अपना जीवनकाल बढ़ाने के लिए कई तरीकों की खोज की है, फिर भी बुढ़ापे और मौत को आज भी टाला नहीं जा सकता। हम कितने शुक्रगुज़ार हैं कि बाइबल बताती है कि क्यों मनुष्य बूढ़े होते और मरते हैं, और कैसे बुढ़ापे से आनेवाली तबाही को उलट दिया जाएगा और मौत का अंत किया जाएगा। ज्ञान जो अनंत जीवन की ओर ले जाता है किताब में इन सच्चाइयों को विश्वास बढ़ानेवाले तरीके से प्रस्तुत किया गया है। यह किताब जीवन और मृत्यु के बारे में जटिल सवालों का साफ-साफ जवाब देती है, और पढ़नेवाले का ध्यान उस समय की ओर ले जाती है जब परादीस पुनःस्थापित होगा।
२ मार्च में हम गृह बाइबल अध्ययन शुरू करने के लक्ष्य से ज्ञान किताब पेश करेंगे। (मत्ती २८:१९, २०) उसके बाद हम उन सब से पुनःभेंट करेंगे जो राज्य संदेश में दिलचस्पी दिखाते हैं। इस तरह हम दूसरों के मन में अनंत जीवन की आशा बिठा सकते हैं। (तीतु. १:२) ऐसा करने के लिए आप शायद इन सुझावों को सहायक पाएँ।
३ पहली बार भेंट करते वक्त आप यह सवाल पूछ सकते हैं:
▪ “क्या आपने कभी सोचा है कि मनुष्य क्यों ज़्यादा समय तक जीने की लालसा करते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] बौद्ध, ईसाई, हिंदू, मुसलमान और अन्य सभी लोग मरने के बाद के जीवन में आशा रखते हैं।” ज्ञान किताब में अध्याय ६ खोलिए, “हम क्यों बूढ़े होते और मरते हैं?,” और अनुच्छेद ३ पढ़िए। उद्धृत शास्त्रवचनों पर तर्क कीजिए। अनुच्छेद के आखिर में दिए गए दो सवालों का ज़िक्र करते हुए, गृहस्वामी से पूछिए कि क्या वह खुद इसका जवाब देखना चाहेगा। अगर वह ऐसा चाहता है तो अगले कुछ अनुच्छेदों पर चर्चा जारी रखिए। एक अध्ययन शुरू हो रहा है! नहीं तो, उसे किताब पेश कीजिए और जवाबों पर चर्चा करने के लिए लौटने की योजना बनाइए। एक या दो दिन में ही लौटें तो अच्छा होगा।
४ “ज्ञान” किताब देने के बाद आप दोबारा जा रहे हैं, तो आप कह सकते हैं:
▪ “मौत के बारे में जिन दो सवालों का हमने जवाब नहीं पाया, उन्हीं पर चर्चा करने के लिए मैं फिर से आया हूँ।” गृहस्वामी को फिर से सवाल बताइए। उसके बाद अध्याय ६ में “एक अनर्थकारी षड्यन्त्र” उपशीर्षक के नीचे दी गयी जानकारी पर चर्चा कीजिए। हालात के अनुसार, आप या तो अध्ययन को जारी रखिए या अनुच्छेद ७ के आखिर में दिए गए आखिरी सवाल का इस्तेमाल करते हुए अगली बैठक के लिए नींव डालिए। लौटने की निश्चित योजना बनाइए। गृहस्वामी को एक परची दीजिए और थोड़े में बताइए कि कलीसिया सभाएँ कैसे आयोजित की जाती हैं। उसे आने का हार्दिक आमंत्रण दीजिए।
५ घर-घर के कार्य या अनौपचारिक गवाही-कार्य में, आप शायद यह कहकर बातचीत शुरू कर सकते हैं:
▪ “क्या आपने कभी सोचा है कि हमारा और पृथ्वी का भविष्य क्या है? [जवाब के लिए रुकिए।] बाइबल उस भविष्य का एक ही शब्द में सार देती है—परादीस! यह बताती है कि शुरूआत में परमेश्वर ने पृथ्वी के एक भाग को सुंदर परादीस बनाया जहाँ उसने उस मानव जोड़े को रखा जिसकी सृष्टि उसने की थी। उनको सारी पृथ्वी को भरना था और धीरे-धीरे उसे एक परादीस का रूप देना था। वह परादीस कैसा लगता होगा इसके वर्णन पर ध्यान दीजिए।” ज्ञान किताब का पृष्ठ ८ खोलिए और “परादीस में जीवन” उपशीर्षक के नीचे अनुच्छेद ९ पढ़िए। उसके बाद अनुच्छेद १० के मुद्दों पर चर्चा कीजिए और उद्धृत पाठ, यशायाह ५५:१०, ११ पढ़िए। पुनःस्थापित परादीस में जीवन कैसा होगा इस पर चर्चा जारी रखने और अनुच्छेद ११-१६ की एकसाथ चर्चा करने की पेशकश कीजिए। या उस व्यक्ति को खुद इसे पढ़ने के लिए उकसाइए और दोबारा मिलने और चर्चा करने की तैयारी कीजिए।
६ अगर पहली बार में अध्ययन शुरू नहीं हुआ, तो आप पुनःभेंट पर यह कहकर इसे शुरू करने की कोशिश कर सकते हैं:
▪ “जैसे हमने अपनी पिछली बातचीत में चर्चा की कि परमेश्वर का यह उद्देश्य है कि सारी पृथ्वी को एक परादीस का रूप दिया जाए। इससे यह सवाल उठता है, परादीस कैसा होगा?” ज्ञान किताब का अध्याय १ खोलिए और उपशीर्षक “पुनःस्थापित परादीस में जीवन” के नीचे अनुच्छेद ११-१६ का अध्ययन कीजिए। उसके बाद पृष्ठ ४-५ का चित्र दिखाइए और उस व्यक्ति से पूछिए कि क्या वह ऐसे सुंदर माहौल में जीना चाहेगा। उसके बाद पृष्ठ १० पर अनुच्छेद १७ का पहला वाक्य पढ़िए। हालात के अनुसार, आप अध्ययन जारी रखिए या कहिए कि अपनी अगली भेंट में आप बताएँगे कि पुनःस्थापित परादीस में एक व्यक्ति के जीने के लिए क्या ज़रूरी है। एक परची छोड़ जाइए, सभाओं का समय बताइए और उस व्यक्ति को राज्यगृह आने के लिए हार्दिक आमंत्रण दीजिए।
७ ज्ञान किताब दूसरों को परमेश्वर द्वारा प्रतिज्ञा किए गए “अनन्त जीवन” के बारे में बताने का एक उत्तम साधन है। आपका लोगों के साथ गृह बाइबल अध्ययन चलाना, उनके मन में वह महान आशा बिठा सकता है जिसे उस परमेश्वर ने प्रेरित किया है जो “झूठ बोल नहीं सकता।”