तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाना
भाग 7: अध्ययन में प्रार्थना करना
बाइबल विद्यार्थी की आध्यात्मिक तरक्की के लिए उस पर यहोवा की आशीष होना ज़रूरी है। (1 कुरि. 3:6) इसलिए प्रार्थना से अध्ययन शुरू करना और खत्म करना सही है। जो लोग मसीही प्रार्थना से वाकिफ हैं, उनके साथ हम पहली दफे अध्ययन करते वक्त प्रार्थना कर सकते हैं। जबकि दूसरे विद्यार्थियों के साथ प्रार्थना की शुरूआत करने के लिए शायद हमें सही मौका ढूँढ़ना पड़े। आप चाहें तो भजन 25:4, 5 और 1 यूहन्ना 5:14 का इस्तेमाल करके अपने विद्यार्थी को समझा सकते हैं कि प्रार्थना करना क्यों ज़रूरी है। साथ ही, आप उसे यूहन्ना 15:16 से दिखा सकते हैं कि यीशु मसीह के ज़रिए ही यहोवा से प्रार्थना की जानी चाहिए।
2 बाइबल अध्ययन में प्रार्थना किसे करनी चाहिए? अगर एक बहन के साथ उसके अध्ययन में एक बपतिस्मा-शुदा भाई जाता है, तो हालाँकि बहन सिर ढककर अध्ययन चला सकती है मगर प्रार्थना भाई को करनी चाहिए। (1 कुरि. 11:5, 10) लेकिन अगर बाइबल अध्ययन के लिए बहन के साथ एक ऐसा पुरुष जाता है जो राज्य का प्रचारक तो है, मगर उसका बपतिस्मा नहीं हुआ है तो प्रार्थना बहन करेगी। ऐसे में बहन को चाहिए कि वह प्रार्थना करते और अध्ययन चलाते वक्त अपना सिर ढककर रखे।
3 प्रार्थना में क्या बातें शामिल की जा सकती हैं: यह ज़रूरी नहीं कि बाइबल अध्ययन के लिए लंबी-चौड़ी प्रार्थना की जाए, मगर इसमें कुछ अहम बातें शामिल की जानी चाहिए। प्रार्थना में अध्ययन के दौरान यहोवा की मदद माँगने, और सीखी हुई सच्चाइयों के लिए उसका धन्यवाद करने के अलावा, इस बात के लिए भी यहोवा की स्तुति करना सही होगा कि वह ही हमें तालीम देता है। (यशा. 54:13) हम प्रार्थना में ऐसी बातें भी कह सकते हैं जिनसे ज़ाहिर हो कि हमें अपने विद्यार्थी में सच्ची दिलचस्पी है और यहोवा जिस संगठन का इस्तेमाल कर रहा है, उसकी हम कदर करते हैं। (1 थिस्स. 1:2, 3; 2:7, 8) इसके अलावा, अगर हम प्रार्थना में यहोवा से यह कहें कि विद्यार्थी सीखी हुई बातों को लागू करने में जो मेहनत कर रहा है उस पर वह आशीष दे, तो विद्यार्थी यह समझ पाएगा कि ‘वचन पर चलनेवाला बनना’ कितना ज़रूरी है।—याकू. 1:22.
4 बाइबल अध्ययन में प्रार्थना करने के कई फायदे हैं। अध्ययन पर यहोवा की आशीष बनी रहती है। (लूका 11:13) प्रार्थना से परमेश्वर के वचन के अध्ययन करने की गंभीरता पर ज़ोर पड़ता है। विद्यार्थी जब हमें प्रार्थना करते हुए सुनता है, तो वह भी प्रार्थना करना सीख रहा होता है। (लूका 6:40) इतना ही नहीं, अगर हमारी प्रार्थनाओं से साफ नज़र आए कि हमारा दिल यहोवा के लिए प्यार से उमड़ रहा है और हम उसके बेजोड़ गुणों के लिए एहसानमंद हैं, तो विद्यार्थी को यहोवा के साथ एक करीबी रिश्ता कायम करने का बढ़ावा मिलेगा।
[अध्ययन के लिए सवाल]
1. (क) प्रार्थना से बाइबल अध्ययन शुरू करना और खत्म करना क्यों सही है? (ख) बाइबल अध्ययन को पहली बार प्रार्थना से शुरू करने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
2. अगर बाइबल अध्ययन के लिए एक बहन के साथ एक बपतिस्मा-शुदा भाई या फिर एक बपतिस्मा-रहित प्रचारक जाता है, तो प्रार्थना कौन करेगा?
3. बाइबल अध्ययन में प्रार्थना करते वक्त क्या बातें शामिल की जानी चाहिए?
4. बाइबल अध्ययन की शुरूआत और आखिर में प्रार्थना करने के क्या-क्या फायदे हैं?