रुवाण्डा की त्रासदी के पीड़ितों की देखभाल करना
अफ्रीका के मध्यभाग में स्थित, रुवाण्डा को “अफ्रीका का स्विट्ज़रलैंड” कहा गया है। देश के ऊपर से उड़ते वक़्त दूर-दूर तक फैली हरियाली को देखकर लोगों को ऐसा लगा कि वह अदन की बाटिका है। इसमें आश्चर्य नहीं कि वे रुवाण्डा को एक परादीस के रूप में वर्णित किया करते थे।
एक समय पर, हर एक पेड़ के काटे जाने पर दो लगाए जाते थे। साल में एक दिन पुनःवनरोपण को समर्पित किया जाता था। सड़क के दोनों तरफ़ फलों के पेड़ लगाए जाते थे। पूरे देश में यात्रा करना खुला और आसान था। विभिन्न प्रांतों को राजधानी किगाली से जोड़नेवाली मुख्य सड़कें डामर की थीं। राजधानी तीव्रता से विकसित हो रही थी। एक सामान्य कर्मचारी महीने के अन्त में अपने ख़र्च पूरे करने के लिए पर्याप्त कमा लेता था।
रुवाण्डा में यहोवा के गवाहों की मसीही गतिविधि भी बढ़ रही थी। पिछले साल की शुरूआत में २,६०० से भी अधिक गवाह देश के तक़रीबन ८० लाख लोगों की मुख्यतः कैथोलिक जनसंख्या के पास परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार पहुँचाने के कार्य में लगे थे। (मत्ती २४:१४) मार्च में गवाह लोगों के घरों में १०,००० से भी अधिक बाइबल अध्ययन संचालित कर रहे थे। और किगाली में और उसके अड़ोस-पड़ोस में १५ कलीसियाएँ थीं।
यहोवा के गवाहों के एक सफ़री ओवरसियर ने नोट किया: “नवम्बर १९९२ में, मैं १८ कलीसियाओं की सेवा कर रहा था। लेकिन मार्च १९९४ तक, ये कलीसियाएँ बढ़कर २७ हो चुकी थीं। पायनियरों (पूर्ण-समय के सेवकों) की संख्या भी हर साल बढ़ रही थी।” शनिवार, मार्च २६, १९९४ को, मसीह की मृत्यु के स्मारक की उपस्थिति ९,८३४ थी।
फिर, रातों-रात, रुवाण्डा में परिस्थिति दुःखद रूप से बदल गयी।a
स्थापित व्यवस्था का आकस्मिक अन्त
अप्रैल ६, १९९४ को, तक़रीबन रात ८ बजे, रुवाण्डा और बुरूण्डी के राष्ट्रपति, जो कि हूटू थे, किगाली में एक विमान दुर्घटना में मारे गए। उस रात पुलिस की सीटियाँ राजधानी में हर जगह सुनी जा सकती थीं, और सड़कें बन्द कर दी गयी थीं। फिर सुबह-सुबह, बड़े चाकुओं से लैस सैनिक और लोग टूटसी लोगों की हत्या करने लगे। नटाब्नाना यूज़ान—किगाली में यहोवा के गवाहों का सिटी ओवरसियर —उसकी पत्नी, उसका बेटा, और उसकी बेटी सर्वप्रथम क़त्ले-आम किए जानेवालों में से थे।
यहोवा के गवाहों के एक यूरोपीय परिवार ने ऐसे अनेक पड़ोसियों के साथ बाइबल अध्ययन किया था जो टूटसी थे। जब उन्मादी हत्यारे घर-घर जा रहे थे तब इनमें से नौ पड़ोसियों ने यूरोपीय परिवार के घर में शरण ली। कुछ ही क्षणों में, कुछ ४० लुटेरे घर में थे और वे चीज़ों को तोड़-फोड़ और फ़र्नीचर को उलट-पुलट रहे थे। अफ़सोस की बात है, टूटसी पड़ोसी मारे गए। लेकिन, दूसरों को, अपने दोस्तों को बचाने के उनके प्रयासों के बावजूद, अपनी जान बचाकर भाग निकलने दिया गया।
कई सप्ताह तक क़त्ले-आम चलता रहा। अंततः अन्दाज़न ५,००,००० या उससे अधिक रुवाण्डा के लोग मारे गए। हज़ारों, विशेषकर टूटसी लोग, अपनी जान बचाने के लिए भाग निकले। यहोवा के गवाहों के ज़ाएर शाखा दफ़्तर ने फ्रांस के भाइयों को राहत सामग्री के लिए उनकी ज़रूरत के बारे में बताया। “हमने पुराने कपड़ों का एक बक्सा माँगा,” ज़ाएर शाखा बताती है। “फ्रांस के भाइयों ने हमें ज़्यादातर नए कपड़ों और जूतों के पाँच बक्से भेजे हैं।” जून ११ को, कुछ ६५ टन कपड़े भेजे गए। केन्या शाखा ने भी शरणार्थियों को कपड़े और दवाइयाँ, साथ ही साथ उनकी स्थानीय भाषा में वॉचटावर पत्रिकाएँ भेजीं।
रुवाण्डन पैट्रियॉटिक फ्रन्ट नामक टूटसी-नियंत्रित दल ने जुलाई तक हूटू-नियंत्रित सरकारी दल को पराजित कर दिया था। उसके बाद, हूटू लोग लाखों की संख्या में देश से भागने लगे। जब २० लाख या उससे अधिक रुवाण्डा-वासियों ने पड़ोसी देशों में जल्दबाज़ी में स्थापित किए गए शिविरों में शरण की तलाश की, तो इसका परिणाम था अव्यवस्था।
उन्होंने एक दूसरे की मदद करने की कोशिश की
किगाली में यहोवा के गवाहों के अनुवाद दफ़्तर में काम करनेवाले छः व्यक्तियो में से दो व्यक्ति टूटसी थे—अनानी म्बान्डा और मूकागीसागारा डेनीज़। उनकी रक्षा करने में हूटू भाइयों के प्रयास कुछ सप्ताहों तक सफल रहे। लेकिन, मई १९९४ का अन्त होते-होते, ये दो टूटसी गवाह मार डाले गए।
अपने जीवन को जोखिम में डालकर, यहाँ तक कि बलिदान करके भी, यहोवा के गवाहों ने भिन्न नृजातीय पृष्ठभूमि के संगी मसीहियों की रक्षा करने की कोशिश की। (यूहन्ना १३:३४, ३५; १५:१३) उदाहरण के लिए, मुकाबालीसा चाँटाल एक टूटसी है। जब रुवाण्डन पैट्रियॉटिक फ्रन्ट के सदस्य उस स्टेडियम में हूटू लोगों की तलाश कर रहे थे जहाँ वह रहती थी, तब उसने अपने हूटू मित्रों के पक्ष में हस्तक्षेप किया। हालाँकि, विद्रोही उसके प्रयासों से खीझ उठे, एक विद्रोही ने कहा: “तुम यहोवा के गवाहों के पास सचमुच ही एक मज़बूत भाईचारा है। तुम्हारा धर्म सर्वोत्तम है!”
नृजातीय घृणा से मुक्त रहना
कहने का यह अर्थ नहीं है कि यहोवा के गवाह पूरी तरह से उस नृजातीय घृणा से प्रतिरक्षित हैं जो अफ्रीका के इस क्षेत्र में सैकड़ों वर्षों तक अस्तित्व में रही। राहत कार्य में हिस्सा ले रहे फ्रांस के एक गवाह ने कहा: “हमारे मसीही भाइयों को भी घृणा द्वारा प्रदूषित होने से बचने के लिए अत्यधिक प्रयास करना चाहिए। यह घृणा ऐसे क़त्ले-आम में सहायक हुई है जिसका वर्णन करना असंभव है।
“हमने ऐसे भाइयों से मुलाक़ात की जिन्होंने अपनी नज़रों के सामने अपने परिवारों की हत्या होते देखी। उदाहरण के लिए, एक मसीही बहन केवल दो दिन की ही विवाहिता थी जब उसका पति मारा गया। कुछ गवाहों ने अपने बच्चों और माता-पिता की हत्या होते देखीं। एक बहन ने, जो अब यूगाण्डा में है, अपने पूरे परिवार की हत्या होते देखी, जिनमें से एक उसका पति भी था। यह उस भावात्मक और शारीरिक पीड़ा को मात्र विशिष्ट करता है जिसने यहोवा के गवाहों के प्रत्येक परिवार को प्रभावित किया है।”
कुल मिलाकर, नृजातीय हिंसा में तक़रीबन ४०० गवाह मारे गए थे। फिर भी इन में कोई भी संगी गवाहों के हाथों मारा नहीं गया। लेकिन, रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट गिरजों के टूटसी और हूटू सदस्यों ने हज़ारों की हत्या की। जैसा कि अच्छी तरह साबित किया जा चुका है, संसार-भर में यहोवा के गवाह इस संसार के युद्धों, क्रांतियों, या ऐसे अन्य संघर्षों में कोई भाग नहीं लेते।—यूहन्ना १७:१४, १६; १८:३६; प्रकाशितवाक्य १२:९.
वर्णन से परे पीड़ा
पिछली गर्मियों में, संसार-भर में लोग लगभग अविश्वसनीय मानवी पीड़ा की फ़िल्में और तस्वीरें देख पाए। रुवाण्डा के सैकड़ों-हज़ार शरणार्थियों को पड़ोसी देशों में आते हुए और सबसे अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में जीते हुए देखा गया। फ्रांस से राहत कार्य पर आए हुए यहोवा के गवाहों में से एक गवाह ने उस परिस्थिति का वर्णन इस प्रकार किया जो उसके प्रतिनिधि-मण्डल ने जुलाई ३० को देखी।
“हमने सम्पूर्ण संत्रास के दृश्यों का सामना किया। मीलों-मील सड़कों पर मृतकों की क़तार लगी हुई थी। साम्प्रदायिक क़ब्रों में हज़ारों शव भरे हुए थे। लोगों की उत्तेजित भीड़ के बीच से गुज़रते वक़्त उठ रही दुर्गन्ध असहनीय थी, साथ ही मृतकों के नज़दीक बच्चे खेल रहे थे। वहाँ ऐसे माता-पिताओं के शव थे जिनके बच्चे अब तक जीवित थे और उनकी पीठ से लिपटे हुए थे। ऐसे दृश्य, बार-बार दिखने पर, एक गहरी छाप छोड़ देते हैं। व्यक्ति पूर्ण निस्सहायता की भावना से अभिभूत हो जाता है, और वह संत्रास और तबाही की हद से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता है।”
मध्य-जुलाई में जब हज़ारों शरणार्थियों का ज़ाएर में आने का ताँता लगा हुआ था, तब ज़ाएर के गवाह सीमा पर गए और अपने बाइबल प्रकाशनों को प्रदर्शित किया ताकि उनके मसीही भाई और दिलचस्पी रखनेवाले लोग उन्हें पहचान सकें। फिर रुवाण्डा के शरणार्थी गवाहों को एकसाथ इकट्ठा किया गया और पास के गोमा शहर के राज्यगृह में ले जाया गया, जहाँ उनकी देख-रेख की गयी। पर्याप्त दवाइयों और उचित सुविधाओं की कमी के बावजूद, जिन गवाहों को चिकित्सीय अनुभव था, उन्होंने बीमारों की व्यथा को कम करने के लिए कड़ी मेहनत की।
पीड़ा के प्रति शीघ्र प्रतिक्रिया
शुक्रवार, जुलाई २२ को, फ्रांस के यहोवा के गवाहों ने अफ्रीका से फ़ैक्स द्वारा सहायता के लिए निवेदन प्राप्त किया। उसमें रुवाण्डा से भाग रहे उनके मसीही भाइयों की भयानक दुर्दशा का वर्णन था। मेमो प्राप्त करने के पाँच या दस मिनट के अन्दर ही, भाइयों ने एक माल-विमान में राहत सामग्री लादने का निर्णय किया। इसकी वजह से सप्ताहांत में अत्यधिक तैयारी की गयी, जो कि अल्पसूचना पर इस प्रकार के बड़े राहत प्रयास को संगठित करने में उनके अनुभव की पूर्ण कमी को ध्यान में रखते हुए और भी ज़्यादा उल्लेखनीय था।
राहत निधि की ज़रूरत के प्रति ज़बरदस्त प्रतिक्रिया थी। केवल बेलजियम, फ्रांस, और स्विट्ज़रलैंड के गवाहों ने ही $१६,००,००० से अधिक का अंशदान दिया। राहत सामग्री प्राप्त की गयी, जिसमें भोजन, दवाई, और बचाव साधन सम्मिलित थे। लूवीए, फ्रांस में यहोवा के गवाहों की शाखा में सब चीज़ों को बक्सों में डाला गया और लेबल लगाया गया। ओस्टेन्ड, बेलजियम तक पहुँचाने के लिए सामान को तैयार करने में गवाहों ने रात-दिन काम किया। वहाँ के हवाई अड्डे पर, बुधवार, जुलाई २७ को, ३५ टन से भी अधिक माल जेट विमान पर लादा गया। अगले दिन मुख्यतः चिकित्सीय चीज़ों का एक छोटा लदान भेजा गया। दो दिन बाद, शनिवार को एक दूसरा विमान पीड़ित लोगों के लिए और अधिक चिकित्सीय साम्रगी ले गया।
फ्रांस से गवाह, जिनमें एक डॉक्टर सम्मिलित था, बड़े लदान से पहले गोमा पहुँचे। सोमवार, जुलाई २५ को जब डॉ. ऑनरी टालेट गोमा पहुँचे, तक़रीबन २० गवाह हैज़े की वजह से पहले ही मर चुके थे, और अन्य लोग रोज़ मर रहे थे। चूँकि लदान बुजुमबुरा, बुरूण्डी से होते हुए पहुँचना था, जो कि कुछ २५० किलोमीटर दूर है, वह गोमा में शुक्रवार सुबह, जुलाई २९ तक नहीं पहुँचा।
बीमारी का सामना करना
इस दरमियान, उस ज़मीन पर जहाँ गोमा में वह छोटा राज्यगृह स्थित था, कुछ १,६०० गवाह और उनके दोस्त खचाखच भरे हुए थे। इन सब लोगों के लिए, वहाँ एक शौचालय था, पानी नहीं था, और बहुत ही कम भोजन था। हैज़े से संक्रमित दर्जनों लोग राज्यगृह में भरे हुए थे। हताहतों की संख्या बढ़ रही थी।
हैज़ा एक व्यक्ति को पूरी तरह निर्जल कर देता है। आँखें निष्प्राण-सी हो जाती हैं और फिर ऊपर की ओर ढलक जाती हैं। यदि तरल की इस क्षति की पूर्ति समय पर शुरू की जाती है, तो वह व्यक्ति दो दिन में ही स्वस्थ हो जाता है। इसीलिए, जो थोड़ी दवाई उपलब्ध थी उससे भाइयों की तरल की इस क्षति की पूर्ति करने के लिए तुरन्त प्रयास किया गया।
इसके अतिरिक्त, उनका दूसरों को संदूषित करने से रोकने के लिए भाइयों ने बीमारों को अलग रखने का प्रयत्न किया। उन्होंने गोमा की भयंकर परिस्थितियों से दूर शरणार्थियों को दूसरी जगह ले जाने की कोशिश की। लेक कीवू के नज़दीक एक उपयुक्त स्थल मिला, जो धूल और वायु में व्याप्त शवों की दुर्गन्ध से दूर था।
शौचालय बनाए गए, और निजी स्वच्छता के सख़्त नियम लागू किए गए। इनमें शौचालय जाने के बाद ब्लीच और पानी के एक कटोरे में अपने हाथों को धोना सम्मिलित था। इन उपायों के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया, और जो उनसे माँग की गयी उसे लोगों ने स्वीकारा। जल्द ही बीमारी के घातक फैलाव को कम कर दिया गया।
शुक्रवार, जुलाई २९ को जब राहत सामग्री का एक बड़ा लदान पहुँचा, तब गोमा के राज्यगृह में एक छोटा-सा अस्पताल स्थापित किया गया। कुछ ६० सफ़री पलंग लगाए गए, साथ ही साथ पानी शुद्धीकरण व्यवस्था बनाई गयी। इसके अतिरिक्त, लेक कीवू के किनारे पर स्थित गवाहों के पास तम्बू ले जाए गए। कुछ ही समय में, उन्होंने सीधी, व्यवस्थित क़तारों में ५० तम्बू खड़े कर लिए थे।
एक समय पर लगभग १५० गवाह और उनके दोस्त गम्भीर रूप से बीमार थे। अगस्त के पहले सप्ताह तक, गोमा में उनमें से ४० से भी अधिक व्यक्ति मर गए थे। लेकिन चिकित्सीय सामग्री और सहायता समय पर पहुँची जिसकी वजह से अनेक जानों को बचाया गया और अत्यधिक पीड़ा को रोका गया।
आभारी, आध्यात्मिक लोग
उनके लिए जो कुछ भी किया गया था, उसके लिए गवाह शरणार्थियों ने अत्यधिक आभार व्यक्त किया। दूसरे देशों से अपने मसीही भाइयों द्वारा दिखाए गए प्रेम से और इस बात के स्पष्ट प्रमाण से कि वे सचमुच एक अन्तर्राष्ट्रीय भाईचारे के सदस्य हैं, वे प्रभावित हुए।
अपनी कठिनाइयों के बावजूद, शरणार्थियों ने अपनी आध्यात्मिकता को बनाए रखा। वास्तव में, एक प्रेक्षक ने नोट किया कि “वे भौतिक सहायता से ज़्यादा आध्यात्मिक भोजन प्राप्त करने के प्रति चिन्तित प्रतीत होते हैं, हालाँकि उन्हें सभी चीज़ों की अत्यधिक ज़रूरत है।” निवेदन किए जाने पर, किन्यारवाण्डा की रुवाण्डा भाषा में बाइबल अध्ययन सहायक आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं की ५००० प्रतियाँ विभिन्न शरणार्थी शिविरों को भेजी गयीं।b
शरणार्थी प्रत्येक दिन एक बाइबल पाठ पर चर्चा करते थे, और उन्होंने कलीसिया सभाएँ संगठित कीं। बच्चों के लिए स्कूल कक्षाओं को संचालित करने के लिए भी प्रबन्ध किए गए। शिक्षकों ने निजी स्वच्छता के नियमों पर उपदेश देने के लिए इन कक्षाओं का फ़ायदा उठाया। और उन्होंने ज़ोर दिया कि उनका बचाव इन नियमों के पालन करने पर निर्भर है।
निरन्तर देखरेख की ज़रूरत
गोमा के अलावा सैकड़ों गवाह शरणार्थी अन्य जगहों में भी स्थित थे, जैसे कि रुटशूरू में। इन भाइयों को भी समान सहायता प्रदान की गयी। जुलाई ३१ को, सात गवाहों का एक प्रतिनिधि-मण्डल विमान से गोमा के दक्षिण की ओर बूकॉवू गया, जहाँ कुछ ४५० गवाह शरणार्थी थे। इन में से अनेक लोग बुरूण्डी से भी थे। वहाँ हैज़ा अचानक शुरू हो गया था, और भाइयों के बीच मृत्यु को रोकने के प्रयास में सहायता प्रदान की गयी थी।
अगले दिन प्रतिनिधि-मण्डल ने सड़क से ऊवीरा, ज़ाएर तक क़रीब १५० किलोमीटर यात्रा की, जहाँ रास्ते में कुछ सात जगहों पर दोनों रुवाण्डा और बुरूण्डी से लगभग १,६०० गवाह थे। इस बात पर निर्देश प्रदान किया गया कि वे अपने आपको किस तरह बीमारी से सुरक्षित रख सकते हैं। प्रतिनिधि-मण्डल की खोज पर आधारित एक रिपोर्ट ने कहा: “अभी तक जो कुछ भी किया गया है वह तो सिर्फ़ शुरूआत है, और जो ४,७०० व्यक्ति हमारी सहायता अभी प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें और कई महीनों तक अतिरिक्त सहायता की ज़रूरत होगी।”
रिपोर्ट के अनुसार सैकड़ों गवाह अगस्त तक रुवाण्डा लौट गए। फिर भी लगभग सभी घर और संपत्ति लूटे गए थे। सो घरों और राज्यगृहों को पुनःनिर्मित करने की चुनौती मौजूद है।
रुवाण्डा में इतनी भयानक रीति से जिन भाइयों ने पीड़ा सही उनके लिए परमेश्वर के सेवकों ने हार्दिक प्रार्थना करना जारी रखा है। हम जानते हैं कि जैसे-जैसे इस रीति-व्यवस्था का अन्त नज़दीक आता जाता है, हिंसा बढ़ सकती है। लेकिन, संसार-भर में यहोवा के गवाह अपनी मसीही तटस्थता को बनाए रखेंगे और अपनी असली करुणा दिखाते रहेंगे।
[फुटनोट]
a दिसम्बर १५, १९९४ का वॉचटावर लेख “रुवाण्डा में त्रासदी—कौन ज़िम्मेदार है?” देखिए।
b वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।
[पेज 12 पर नक्शा]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
रूवाण्डा
किगाली
यूगाण्डा
ज़ाएर
रुटशूरू
गोमा
लेक कीवू
बूकॉवू
ऊवीरा
बुरूण्डी
बुजुमबुरा
[पेज 15 पर तसवीरें]
बाएँ: नटाब्नाना यूज़ान और उसके परिवार का क़त्ले-आम हुआ था। दाएँ: उसकी रक्षा करने में हूटू भाइयों के प्रयासों के बावजूद मूकागीसागारा डेनीज़, एक टूटसी, मारी गयी
[पेज 16, 17 पर तसवीरें]
ऊपर: गोमा के राज्यगृह में बीमारों की देखभाल करते हुए। नीचे बाएँ: गवाहों द्वारा तैयार की गयी और जेट माल विमान द्वारा भेजी गयी ३५ टन से भी अधिक राहत सामग्री। नीचे: लेक कीवू के नज़दीक, जहाँ गवाहों को ले जाया गया। नीचे दाएँ: ज़ाएर के एक राज्यगृह में रुवाण्डा के शरणार्थी