युवा लोग पूछते हैं . . .
मेरे जिगरी दोस्त ने घर क्यों बदल लिया?
‘लगता है आपने अपना जिगरी दोस्त खो दिया है।’ लोग ऐसा तब कहते हैं जब कोई थोड़ा उदास या हताश दिखता है। लेकिन जब आपने सचमुच अपना जिगरी दोस्त खो दिया है, तब यह कहावत और भी ठीक बैठती है।
आख़िर, सच्ची दोस्ती ख़ास और अनमोल होती है। बाइबल कहती है: “मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।” (नीतिवचन १७:१७) अच्छे दोस्त हमें संगति और सहारा देते हैं। वे भावात्मक और आध्यात्मिक रूप से बढ़ने में हमारी मदद करते हैं। जबकि शायद आम दोस्त या पहचानवाले बहुत हों, लेकिन ऐसे लोग जिन पर आप सचमुच भरोसा करके अपने मन की बात बता सकते हैं अकसर कम होते हैं।
सो यदि आपके जिगरी दोस्त ने घर बदल लिया है, तो यह स्वाभाविक है कि आप बहुत दुःखी हो सकते हैं। ब्रायन नाम के एक युवा ने याद किया कि जब उसके जिगरी दोस्त ने घर बदला तब उसे कैसा लगा। “मैं भयभीत, अकेला, और दुःखी था,” उसने कहा। शायद आपको भी ऐसा ही लगता हो।
असलियत का सामना करना
आपके दोस्त ने घर क्यों बदला है उसके कारणों पर विचार करना मदद दे सकता है। निश्चित ही, आपकी दोस्ती की क़दर न करने के कारण नहीं। घर बदलना आधुनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। हर साल मात्र अमरीका में ही ३.६ करोड़ से अधिक लोग घर बदलते हैं! अमरीकी गणना ब्यूरो के अनुसार, औसत अमरीकी अपने जीवनकाल में १२ बार घर बदलेगा।
बार-बार घर क्यों बदलते हैं? अलग-अलग कारण होते हैं। अनेक परिवार बेहतर नौकरी और घर पाने के लिए घर बदलते हैं। विकासशील देशों में, युद्ध और ग़रीबी ने करोड़ों परिवारों को घर बदलने के लिए मजबूर किया है। और जब बच्चे जवान हो जाते हैं, तब उनमें से बहुतेरे घर छोड़कर अलग अपने बलबूते पर रहने का चुनाव करते हैं। कुछ विवाह करके घर छोड़ते हैं। (उत्पत्ति २:२४) और दूसरे शायद आध्यात्मिक हितों को बढ़ाने के लिए घर बदलते हैं। (मत्ती १९:२९) यहोवा के साक्षियों के बीच, बहुत से लोग उन क्षेत्रों में—संभवतः विदेश में भी—जहाँ मसीही सेवकों की और ज़्यादा ज़रूरत है—सेवा करने के लिए अपने जाने-पहचाने परिवेश के आराम को छोड़ देते हैं। कुछ अपने ही देश में बॆथॆल में सेवा करने के लिए चले जाते हैं। यहोवा के साक्षियों के काम का संचालन करनेवाले सुविधा-स्थानों को बॆथॆल कहा जाता है। जी हाँ, जबकि हम अपने दोस्तों से प्रेम करते हैं, फिर भी इसे जीवन की एक सच्चाई के रूप में देखना चाहिए कि जैसे-जैसे समय गुज़रता है, वे संभवतः कहीं और चले जाएँगे।
आपके दोस्त के घर बदलने का कारण चाहे जो भी हो, आप शायद सोचें कि आप इस कमी को कभी-भी कैसे पूरा कर पाएँगे। लेकिन जबकि कुछ समय के लिए थोड़ा अकेला और हताश महसूस करना स्वाभाविक है, फिर भी शायद आप महसूस करते हैं कि कोने में बैठे अफ़सोस मनाने से कोई फ़ायदा नहीं होगा। (नीतिवचन १८:१) सो आइए ऐसी कुछ बातों पर ध्यान दें जो मदद कर सकती हैं।
संपर्क रखना
“इस बात को समझिए कि आपकी दोस्ती ख़त्म नहीं हो गयी,” युवा ब्रायन ने सलाह दी। जी हाँ, आपके जिगरी दोस्त का घर बदलना आपके रिश्ते को ज़रूर बदलेगा, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि आपकी दोस्ती को अब टूटना ही है। किशोर सलाहकार डॉ. रोज़मेरी वाइट ने कहा: “जीवन के किसी भी चरण में कुछ खोना बहुत कठिन लगता है, लेकिन उससे निपटने का तरीक़ा है उसे बस एक बदलाव समझना, एक दरवाज़ा बंद होना नहीं।”
दोस्ती का दरवाज़ा खुला रखने के लिए आप क्या कर सकते हैं? दाऊद और योनातन के बारे में बाइबल के वृत्तान्त पर विचार कीजिए। उम्र में काफ़ी फ़र्क होने के बावजूद, वे बहुत ही पक्के दोस्त थे। जब परिस्थितियों ने दाऊद को वीराने में भागने के लिए मजबूर किया, तब वे चुपचाप अलग नहीं हो गए। इसके विपरीत, उन्होंने अपनी अमर दोस्ती को और पक्का किया, यहाँ तक कि दोस्ती बनाए रखने के लिए एक वाचा बाँधी, या समझौता किया।—१ शमूएल २०:४२.
उसी तरह, आप अपने दोस्त या सहेली के जाने से पहले उसके साथ बात कर सकते हैं। अपने दोस्त को बताइए कि आपको यह दोस्ती कितनी प्यारी है और आप कितना चाहते हैं कि संचार बना रहे। पक्की सहेलियों, पैटी और मॆलीना ने ठीक यही किया, जिनके बीच अब भूमि और समुद्र का ८,००० किलोमीटर का फ़ासला है। “हमने संपर्क बनाए रखने की सोची है,” पैटी ने बताया। लेकिन, यदि आप कोई निश्चित प्रबन्ध नहीं करते, तो ऐसे इरादे फेल हो सकते हैं।—आमोस ३:३ से तुलना कीजिए।
बाइबल हमें बताती है कि जब प्रेरित यूहन्ना अपने मित्र गयुस से मिलने में असमर्थ था, तब उसने ‘सियाही और कलम से लिखने’ के द्वारा उसके साथ संपर्क रखा। (३ यूहन्ना १३) आप एक दूसरे को नियमित रूप से पत्र या कार्ड भेजने का फ़ैसला भी कर सकते हैं, शायद सप्ताह में या महीने में एक बार। और यदि आपके माता-पिता दूर फ़ोन करने के ख़र्च का बुरा नहीं मानते, तो शायद आप एक दूसरे को कभी-कभार फ़ोन कर सकते हैं और अपने बारे में ताज़ा ख़बर ले-दे सकते हैं। अथवा आप शायद एक दूसरे को कैसॆट या वीडियो टेप पर रिकॉर्ड किए हुए संदेश भेजने का फ़ैसला करें। आगे चलकर, कभी सप्ताहांत में मिलने का प्रबन्ध करना या एकसाथ छुट्टियाँ बिताना भी संभव हो सकता है। इस प्रकार दोस्ती बढ़ती रह सकती है।
खालीपन को भरना
इसके बावजूद, जिगरी दोस्त का जाना आपके जीवन में एक खालीपन छोड़ेगा। इसके फलस्वरूप, आप शायद पाएँ कि आपके पास ज़्यादा खाली समय है। उस समय को बरबाद मत होने दीजिए। (इफिसियों ५:१६) उसका सदुपयोग कीजिए—शायद आप एक वाद्य बजाना सीख सकते हैं, नयी भाषा में कुशल हो सकते हैं, या कोई शौक़ बढ़ा सकते हैं। जो ज़रूरत में हैं उनके काम में हाथ बँटाना समय का सदुपयोग करने का एक और तरीक़ा है। यदि आप एक यहोवा के साक्षी हैं तो आप जन प्रचार कार्य में अपना हिस्सा बढ़ा सकते हैं। (मत्ती २४:१४) या आप एक रुचिकर बाइबल अध्ययन परियोजना शुरू कर सकते हैं।
इसके अलावा, प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थ के मसीहियों को सलाह दी कि ‘अपना हृदय खोलें’—अर्थात्, अपने दोस्तों के दायरे में दूसरों को भी शामिल करें। (२ कुरिन्थियों ६:१३) शायद आपने एक दोस्त के साथ इतना ज़्यादा समय बिताया है कि आपने दूसरों की ओर ध्यान ही नहीं दिया जो दोस्त बन सकते हैं। यहोवा के साक्षियों के बीच युवा यह पाते हैं कि ऐसा करने के बहुत से अवसर अकसर उनकी स्थानीय कलीसियाओं में ही होते हैं। सो कोशिश कीजिए कि कलीसिया सभाओं में जल्दी पहुँचें और उसके बाद कुछ देर तक रुकें। इससे आपको लोगों को जानने का ज़्यादा समय मिलेगा। मसीही अधिवेशन और छोटे सामाजिक समूहन नए दोस्त बनाने के और अवसर देते हैं।
लेकिन, यहाँ चेतावनी के कुछ शब्द उपयुक्त हैं: नए दोस्त बनाने की इतनी जल्दबाज़ी में मत रहिए कि आप उन युवाओं के साथ निकट संगति करने लगें जिनके आध्यात्मिक लक्ष्य और मूल्य आपके जैसे नहीं हैं। ऐसों का आपके ऊपर बुरा असर पड़ सकता है और वे आपको फ़ायदा कम नुक़सान ज़्यादा पहुँचा सकते हैं। (नीतिवचन १३:२०; १ कुरिन्थियों १५:३३) आध्यात्मिकता-प्रवृत्त युवाओं से संगति कीजिए जो अच्छे आचरण के लिए जाने जाते हैं।
जब आपको इस तरह का कोई मिल जाता है, तब एकसाथ कुछ करने का प्रबन्ध करने के द्वारा दोस्ती को बढ़ाइए। एकसाथ भोजन कीजिए। किसी संग्रहालय में जाइए। पैदल सैर को जाइए। एकसाथ मसीही सेवकाई में, लोगों के पास परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार लेकर जाने में एक दिन बिताने का प्रबन्ध कीजिए। समय और प्रयास के साथ, नयी दोस्ती बढ़ सकती है। क्योंकि मसीही प्रेम फैलाया जा सकता है—दूसरों को शामिल करने के लिए ‘हृदय खोला’ जा सकता है—जब आप नए दोस्त बनाते हैं तब आपको यह महसूस करने की ज़रूरत नहीं कि आप अपने उस दोस्त से दग़ा कर रहे हैं जिसने घर बदल लिया है।
आप इस अवसर का लाभ उनके और निकट आने के लिए भी कर सकते हैं जो आपको सबसे अधिक प्रेम करते हैं—आपके माता-पिता। वे एक बड़ी मदद हो सकते हैं, जबकि शुरू-शुरू में आपको उनकी संगति करना अटपटा लग सकता है। जॉश नाम के एक युवा ने कहा: “उनके साथ समय बिताने के लिए मुझे एक क़िस्म से अपने आपको मजबूर करना पड़ा, क्योंकि उस समय मैं अपनी मम्मी या पापा के उतना क़रीब नहीं था। लेकिन अब वे मेरे सबसे क़रीबी दोस्त हैं!”
यह भी याद रखिए कि आपका अब भी स्वर्ग में एक मित्र है। जैसा १३-वर्षीय डैन ने कहा, “आप असल में अकेले नहीं हैं क्योंकि आपके पास अभी भी यहोवा है।” हमारा स्वर्गीय पिता प्रार्थना के द्वारा हमेशा हमारे लिए उपलब्ध है। वह आपको इस कठिन स्थिति का सामना करने में मदद देगा यदि आप उस पर भरोसा रखते हैं।—भजन ५५:२२.
सकारात्मक दृष्टिकोण रखिए
बुद्धिमान राजा सुलैमान ने यह सलाह दी: “यह न कहना, बीते दिन इन से क्यों उत्तम थे?” (सभोपदेशक ७:१०) दूसरे शब्दों में, अतीत में ही मत बैठे रहिए; वर्तमान का उसके सभी अवसरों सहित लाभ उठाइए। बिल ने, जिसकी उम्र अब २० से थोड़ी ऊपर है, ठीक यही किया जब उसने अपना जिगरी दोस्त खो दिया। उसने याद किया: “कुछ समय के बाद मैं ने नए दोस्त बनाने शुरू किए और अतीत के बारे में बहुत सोचना छोड़ दिया। मैं ने भविष्य के लिए तैयारी करने और वर्तमान में जीने की कोशिश की।”
ये सुझाव मदद दे सकते हैं, फिर भी दुःख तो होता ही है जब आपका जिगरी दोस्त घर बदल लेता है। शायद कुछ समय गुज़रने के बाद कहीं जाकर आपको उस सुखद समय की यादों से टीस न उठे जो आपने एकसाथ बिताया। बस यह याद रखिए कि परिवर्तन जीवन का एक हिस्सा है और यह आपको प्रौढ़ होने और बढ़ने का अवसर देता है। जबकि एक ख़ास दोस्त की कमी को पूरी तरह से भरना शायद संभव न लगे, फिर भी आप ऐसे गुण विकसित कर सकते हैं जिससे ‘यहोवा और मनुष्य दोनों आपसे प्रसन्न रहें।’ (१ शमूएल २:२६) जब आप ऐसा करते हैं, तब आपके पास हमेशा कोई तो होगा जिसे आप अपना दोस्त कह सकते हैं!
[पेज 21 पर तसवीर]
अपने जिगरी दोस्त को अलविदा कहने में बड़ा दुःख होता है