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इसके प्रभावों से निपटना

गिल्बर्ट के हाथ-पैर को लकवा मार गया है। अस्पताल के बिस्तर पर पड़े-पड़े उसने अपने डॉक्टर से पूछा: “क्या मैं फिर से कभी अपनी बाँह और अपने पैर का इस्तेमाल कर पाऊँगा?” गिल्बर्ट ने यह चुनौतीपूर्ण जवाब सुना: “जितनी ज़्यादा मेहनत आप करेंगे, उतना ज़्यादा आप [इन्हें इस्तेमाल] कर पाएँगे, और उतनी जल्दी आप कर पाएँगे।” उसने जवाब दिया: “मैं तैयार हूँ!” भौतिक चिकित्सा और सकारात्मक दृष्टिकोण ने उसे ६५ की उम्र में पहिया-कुरसी से बैसाखी तक, फिर छड़ी तक और अंततः वापस नौकरी पर पहुँचा दिया।

“आज की अधिकतर आघात-उपरांत स्वास्थ्यलाभ-चिकित्सा इस धारणा का समर्थन करती है कि यदि मस्तिष्क के एक हिस्से को क्षति पहुँची है, तो दूसरे हिस्से क्षतिग्रस्त ऊतक का कार्य सँभाल सकते हैं। चिकित्सा का एक उद्देश्‍य है इन स्वस्थ हिस्सों की क्षमता को सामने लाना और उत्तेजन प्रदान करना कि मस्तिष्क पुनःसंगठित और अनुकूलित हो सके,” अनुसंधायक वाइनर, ली, और बॆल कहते हैं। लेकिन, स्वास्थ्यलाभ दूसरे तत्त्वों द्वारा भी निर्धारित होता है, जैसे आघात का स्थान और तीव्रता, व्यक्‍ति का सामान्य स्वास्थ्य, चिकित्सा सेवा का स्तर, और दूसरों का समर्थन।

परिवार और मित्रों का समर्थन

ऎरिका ने तीन साल तक स्वास्थ्यलाभ के लिए व्यायाम किया। उसने चलना और अपने अपंग बाँयें हाथ की भरपाई करने के लिए दाँयें हाथ को इस्तेमाल करना सीखा। वह बताती है कि किस बात ने उसे मदद दी: “सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि मेरे पति और मेरे मित्रों ने मेरा साथ नहीं छोड़ा। यह जानने से मुझे शक्‍ति मिली कि वे मुझसे प्रेम करते हैं। उन्होंने मुझे प्रोत्साहन दिया कि हिम्मत न छोड़ूँ और इससे मुझे प्रेरणा मिली।”

परिवार के सदस्य अपने प्रियजनों की स्वास्थ्यलाभ प्रक्रिया में हिस्सेदार बन जाते हैं। उन्हें चिकित्सा कर्मियों से प्रश्‍न पूछने और उन चिकित्सा-क्रियाओं को देखने की ज़रूरत होती है जिन्हें घर पर जाने के बाद भी आघात पीड़ित को करते रहना ज़रूरी होता है ताकि जितना फायदा पहुँचा है वह बेकार न जाए। जब परिजन और मित्र धीरज, कृपालुता, समझदारी, और स्नेह दिखाते हैं तब आघात पीड़ित को एक सुरक्षित भावात्मक वातावरण मिलता है जिसमें वह दुबारा से बोलना और पढ़ना, और दैनिक जीवन के अन्य कौशल सीख सकता है।

सख्ती बरतने और ढील छोड़ने के बीच संतुलन करके, जॉन ने अपनी पत्नी ऎलन को व्यायाम और चिकित्सा में मदद देने के लिए बड़ी मेहनत की। वह अपने परिवार के प्रयासों का वर्णन करता है: “हम ऎलन को उदासी की गहराइयों में डूबने नहीं देते थे। कभी-कभी हम सख्ती से काम लेते थे, लेकिन हम हमेशा उसकी कमज़ोरियों पर ध्यान देते थे और उसकी मदद करते थे। वह बहुत संवेदनशील है, सो मैं कोशिश करता हूँ कि उस पर तनाव न आने दूँ।”

वाक्‌ चिकित्सक की मदद से जैसे-जैसे ऎलन ने दुबारा बोलना सीखा, जॉन उसकी मदद करता रहा। “एकसाथ काम करने से प्रोत्साहन मिलता था, सो हम एक दूसरे के लिए ऊँची आवाज़ में बाइबल पढ़ते थे, जिससे उसकी बोली को सुधारने में मदद मिली। साथ ही, थोड़ा-थोड़ा करके, हमने सेवकाई में हिस्सा लिया, क्योंकि हम यहोवा के साक्षी हैं। इस तरह ऎलन भविष्य के बारे में अपनी आशा को दूसरों के साथ बाँट सकी। ऎलन के लिए यह अपने आपमें एक चिकित्सा थी।” तीन साल के अंत तक, ऎलन की हालत बहुत सुधर गयी थी।

जो प्रोत्साहन और शक्‍ति मित्र दे सकते हैं उसका महत्त्व कभी कम नहीं समझा जाना चाहिए, क्योंकि आघात झेलनेवाले के स्वास्थ्यलाभ पर उनका अत्यधिक प्रभाव हो सकता है। चिकित्सा पत्रिका स्ट्रोक ने रिपोर्ट किया कि जितना अधिक “सामाजिक समर्थन मिलता है उतनी ही तेज़ गति से स्वास्थ्यलाभ होने की संभावना होती है और सामान्य स्वास्थ्य सुधार भी ज़्यादा होता है, ऐसा उन मरीज़ों में भी होता है जिन्हें ज़्यादा गंभीर आघात हुआ है।”

बर्नी ने अपने मित्रों से मिले सहारे की बहुत कदर की। वह हमें याद दिलाता है: “मित्रों का आना-जाना स्थिति का सामना करने में बहुत मदद देता है। हमदर्दी-भरी आवाज़ और परवाह-भरी मनोवृत्ति हौसला बढ़ाती है। व्यक्‍ति की अक्षमता पर विचार करते रहने की ज़रूरत नहीं, जबकि उसकी स्थिति में आये सुधार के बारे में बात करना बहुत प्रोत्साहक होता है।” जो आघात के परिणाम झेल रहे हैं उन्हें मदद देने के लिए हम सब क्या कर सकते हैं? “कुछ फूल ले जाइए,” बर्नी सुझाव देता है, “या कोई शास्त्रीय विचार अथवा अनुभव बताइए। इससे मुझे बहुत मदद मिली।”

मॆलवा एक वृद्धा है जिसने आघात झेला है। उसने इसे मददगार पाया है कि उसका कोई आध्यात्मिक भाई उसके साथ प्रार्थना करे। गिल्बर्ट भी इसकी सिफारिश करता है। वह बताता है: “जब आप किसी के साथ प्रार्थना करते हैं तो दिखता है कि आप उसकी परवाह करते हैं।” आघात के बाद पीटर की नज़र धुँधली हो गयी। जब दूसरे उसकी कमज़ोरी को समझते हैं और उसे पढ़कर सुनाने के लिए समय निकालते हैं, तब वह इसकी कदर करता है।

स्वास्थ्यलाभ केंद्र तक आने-जाने में व्यक्‍ति की मदद करना भी एक प्रेममय काम है। यह निश्‍चित करना भी ज़रूरी है कि आघात पीड़ित का घर सुरक्षित स्थान हो। जब संतुलन की समस्या होती है तब गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है। उदाहरण के लिए, गिल्बर्ट के मित्रों ने कई तरह से उसकी मदद की। उन्होंने उसके स्नानघर में सुरक्षा के लिए एक रॉड भी लगा दी ताकि यदि वह लड़खड़ाए तो उसे पकड़ सके। ऐसी विचारपूर्ण मदद की उसने कदर की।

सहारा देना सीखना

मूड में उतार-चढ़ाव और बार-बार रोने का मन करना आघात पीड़ित के लिए बड़ा अटपटा हो सकता है। यह देखनेवालों को भी उलझन में डाल सकता है जिन्हें शायद मालूम न हो कि क्या करें। लेकिन, मित्र सहारा देना सीख जाएँ तो वे आघात पीड़ित को अकेला पड़ने से बचा सकते हैं। आम तौर पर, समय के गुज़रते रोने के दौरे बार-बार नहीं पड़ते। लेकिन जब वह रोता है, तब शांत रहिए और उसके पास रहिए, उससे वो बातें कहिए जो आप सुनना चाहते यदि आप उसकी स्थिति में होते।

सबसे बढ़कर, उनके लिए ईश्‍वरीय प्रेम विकसित कीजिए जिनकी अपंगताओं ने उनके व्यक्‍तित्व को बदल दिया है। वे आपकी भावनाओं को समझ जाते हैं और उनका यह एहसास, आपके प्रति उनके व्यवहार को प्रभावित करता है। ऎरिका टिप्पणी करती है: “मैं शायद कभी पहले जैसी न बन पाऊँ। लेकिन आघात पीड़ित से किसी को यह अपेक्षा करनी ही नहीं चाहिए। रिश्‍तेदारों और दोस्तों को उस व्यक्‍ति से, वह जैसा भी है वैसे ही प्रेम करना सीखना चाहिए। यदि वे उसके व्यक्‍तित्व को ध्यान से देखें, तो जानेंगे कि पहलेवाले अति मोहक गुण अभी भी मौजूद हैं।”

जब व्यक्‍ति बात नहीं कर पाता या उसकी बात कोई समझ नहीं पाता तब उसका आत्म-सम्मान एकदम गिर जाता है। जिन्हें बोलने में कठिनाई होती है उनसे बात करने का प्रयास करके उनके मित्र उनका मनोबल बढ़ा सकते हैं। टाकाशी कहता है: “अपने अंदर जो मैं सोचता और महसूस करता हूँ वह नहीं बदला है। लेकिन, लोग मेरे साथ संपर्क करने से अकसर कतराते हैं क्योंकि वे मेरे साथ सामान्य रूप से बातचीत नहीं कर पाते। मेरे लिए लोगों के पास जाकर बात करना कठिन है, परंतु कोई मेरे पास आकर बात करे, तो मुझे बहुत प्रोत्साहन मिलता है और मैं बहुत-ही खुश हो जाता हूँ!”

जिनको वाक्‌ समस्याएँ हैं उनको सहारा और प्रोत्साहन देने के लिए यहाँ कुछ ऐसे निर्देश दिये गये हैं जो हम सभी की मदद कर सकते हैं।

अधिकतर आघात बुद्धि को प्रभावित नहीं करते। आघात झेलनेवाले अधिकतर लोग मानसिक रूप से सतर्क रहते हैं, जबकि उनकी बोली समझने में शायद कठिनाई हो। कभी उन्हें तुच्छ समझकर बात मत कीजिए अथवा उनसे बच्चों की सी बोली मत बोलिए। उनके साथ गरिमा से व्यवहार कीजिए।

धीरज के साथ सुनिए। उन्हें एक विचार को ठीक से बिठाने या किसी शब्द, पद, अथवा वाक्य को पूरा करने में शायद समय लगे। याद रखिए, जो सचमुच परवाह करता है वह सुनने की जल्दी में नहीं रहता।

यदि बात समझ न आये तो झूठमूठ समझने का ढोंग मत कीजिए। शिष्टता से स्वीकार कीजिए: “माफ कीजिए, मुझे आपकी बात समझ नहीं आ रही। थोड़ी देर बाद फिर से कोशिश करके देखते हैं।”

सामान्य आवाज़ में धीरे-धीरे और साफ-साफ बोलिए।

छोटे वाक्य और जाने-पहचाने शब्द इस्तेमाल कीजिए।

ऐसे प्रश्‍न पूछिए जिनके उत्तर ‘हाँ’ या ‘न’ में हों, और उत्तर देने के लिए प्रोत्साहित कीजिए। याद रखिए कि वे शायद आपके शब्दों को समझने में समर्थ न हों।

आस-पास की आवाज़ को धीमा रखिए।

यहोवा का प्रेममय सहारा पाकर स्थिति से निपटना

अपने आघात का कारण जानना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह आपको कदम उठाने और भविष्य में आघात के जोखिम को कम करने में समर्थ करता है। लेकिन इसके साथ-साथ जो भय उत्पन्‍न होता है उस पर नियंत्रण करना भी महत्त्वपूर्ण है। ऎलन बताती है: “यशायाह ४१:१० में परमेश्‍वर के शब्दों से मुझे बहुत सांत्वना मिलती है। वहाँ वह कहता है: ‘मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्‍वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा।’ यहोवा मेरे लिए बहुत वास्तविक बन गया है, उसने मेरा डर दूर किया है।”

हताशा से निपटने में बाइबल आनंद की भी मदद करती है: “यह मुझे बहुत सहारा देती है, क्योंकि यह निरंतर मुझमें जान डालती है और ताज़गी देती है।” हीरोयूकी की समस्या थी कि शास्त्र से कैसे लाभ उठाये, क्योंकि वह एकाग्रता नहीं रख पाता था। वह कहता है: “मैंने ऑडियोकॆसॆट पर बाइबल पुस्तकों को सुनने से सांत्वना पायी।”

प्रेरित पौलुस ने कहा: “जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्त होता हूं।” (२ कुरिन्थियों १२:१०) यहोवा की आत्मा ने पौलुस को वह काम करने में मदद दी जो वह अपने बल पर नहीं कर सकता था। आघात झेलनेवाले भी आध्यात्मिक शक्‍ति के लिए यहोवा पर निर्भर रह सकते हैं। ऎरिका बताती है: “जब हम स्वस्थ होते हैं और सब कुछ अपनी शक्‍ति से करते हैं, तब हम शायद यहोवा को उतना मौका न दें कि हमारी मदद करे। लेकिन मेरी अपंगता ने मुझे उसके साथ एक बहुत खास तरह से अपने संबंध को मज़बूत करने में समर्थ किया है।”

देखरेख करनेवालों को सहारा मिलता है

अपनी इस महत्त्वपूर्ण भूमिका में देखरेख करनेवालों को सहारे की ज़रूरत होती है। सहारा पाने के लिए वे कहाँ जाएँ? एक जगह है परिवार के अंदर। हर सदस्य को देखरेख करने में हिस्सा लेने की ज़रूरत है। योशीको बताती है कि कैसे उसके बेटों ने उसे भावात्मक सहारा दिया: “वे मेरी समस्याओं को ऐसे सुनते थे मानो वे उनकी अपनी समस्याएँ हों।” परिवार के सदस्यों को ज़्यादा-से-ज़्यादा जानकारी प्राप्त करने की ज़रूरत है ताकि वे जान सकें कि आघात पीड़ित की देखरेख कैसे की जाए और अपने प्रियजन के व्यक्‍तित्व में आनेवाले बदलावों से कैसे निपटा जाए।

देखरेख करनेवालों को और कौन सहारा दे सकता है? डेविड और उसके परिवार ने यहोवा के साक्षियों की कलीसिया के अंदर अपने आत्मिक परिवार से विक्टर के लिए मदद ली: “उन्होंने हमारी मदद की। बारी-बारी से, वे कभी-कभी आते हैं और रात को हमारे घर पर सोते हैं ताकि हमारे बदले में वे रात भर विक्टर की देखरेख कर सकें।”

देखरेख करनेवाले हर व्यक्‍ति को इस एहसास की ज़रूरत होती है कि उसे अपने आत्मिक परिवार का हार्दिक प्रेम और समर्थन प्राप्त है। लेकिन कुछ लोगों को मदद माँगना कठिन लगता है। हारूको बताती है: “अकसर लोग मुझसे कहते हैं: ‘यदि आपको किसी काम में मदद की ज़रूरत हो, तो हमें बताने में संकोच मत कीजिए।’ लेकिन यह जानते हुए कि हर कोई कितना व्यस्त है, मुझे मदद माँगने में झिझक होती है। मैं कितना आभार जताऊँ यदि लोग किसी खास काम में मेरी मदद करने के लिए सामने आएँ: ‘मैं सफाई करने में आपकी मदद कर सकती हूँ। कौन-सा दिन आपके लिए सही रहेगा?’ ‘मैं आपके लिए खरीदारी कर सकती हूँ, सो यदि मैं अभी आपके घर आ जाऊँ तो क्या यह ठीक रहेगा?’”

कॆनजी की पत्नी को आघात हुआ; लेकिन, वह उसकी ज़रूरी देखरेख कर सका। उसने पाया कि प्रार्थना के द्वारा वह यहोवा पर अपना बोझ डाल सकता है। कुछ समय बाद, उसकी पत्नी की बोलने की क्षमता जाती रही, और इस प्रकार कॆनजी ने बात करनेवाला एक साथी खो दिया। लेकिन वह हर दिन बाइबल पढ़ता है। वह कहता है: “बाइबल मुझे हतोत्साहित लोगों के प्रति यहोवा की कोमल परवाह की याद दिलाती है, और इसने मुझे हताश और एकाकी होने से बचाया है।”

जब लगता है कि भावनाएँ हम पर हावी हो रही हैं तब यहोवा की आत्मा पर निर्भर रहना सहायक हो सकता है। आघात के बाद योशीको के पति के व्यक्‍तित्व में बदलाव आ गया है और उसका गुस्सा रह-रहकर भड़क उठता है। इस सब से निपटते हुए वह बताती है: “कभी-कभी मुझे लगता है कि ज़ोर-ज़ोर से चीखूँ। ऐसे समय पर मैं हमेशा यहोवा से प्रार्थना करती हूँ, और उसकी आत्मा मुझे शांति देती है।” अपने प्रति यहोवा की निष्ठा का मूल्यांकन करते हुए, वह किसी बात को अपनी मसीही जीवन-शैली के आड़े नहीं आने देती। वह नियमित रूप से मसीही सभाओं में जाती है, सेवकाई में हिस्सा लेती है, और व्यक्‍तिगत बाइबल अध्ययन करती है। योशीको कहती है, “मैं जानती हूँ कि मैं अपना भाग अदा करूँ तो यहोवा मुझे कभी नहीं त्यागेगा।”

जब चिंताएँ घर करने लगती हैं, तब यहोवा सुनने के लिए सदा तैयार रहता है। मीडोरी के पति ने आघात झेला है। उसे इस बात से सांत्वना मिलती है कि लाक्षणिक रूप से यहोवा ने उसके सारे आँसुओं को अपनी “कुप्पी” में रखा है। (भजन ५६:८) वह यीशु के शब्दों को याद करती है: “कल के लिये चिन्ता न करो।” वह कहती है: “जब तक नया संसार नहीं आ जाता, मैंने धीरज धरने की ठान ली है।”—मत्ती ६:३१-३४.

गंभीर कमज़ोरियों का सामना करना

यह सच है कि स्वास्थ्यलाभ चिकित्सा से कुछ लोग काफी हद तक स्वस्थ हो जाते हैं, लेकिन दूसरे लोग आघात से पहले की अपनी क्षमताओं को वापस पाने में थोड़ी ही सफलता पाते हैं। अपनी कमज़ोरियों को स्वीकार करने की चुनौती का सामना करने में कौन-सी बात इनकी मदद कर सकती है, चाहे ये कमज़ोरियाँ गंभीर और स्थायी ही क्यों न हों?

बर्नी ने आघात के कारण अपनी काफी सक्रियता खो दी। वह जवाब देता है: “आनेवाले पार्थिव परादीस में अनंत जीवन की मेरी आशा के आनंद, और अपने स्वर्गीय पिता, यहोवा से प्रार्थना ने मुझे चुपचाप अपनी कमज़ोरियों को स्वीकार करने में मदद दी है।”

इस आशा ने ऎरिका और उसके पति, गेऑर्ग को मदद दी कि ऎरिका की कमज़ोरियों को स्वीकार करें और जीवन का आनंद लेते रहें। गेऑर्ग बताता है: “हमारे पास परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा है कि एक दिन पूरी तरह चंगाई हो जाएगी। सो हम अपंगता पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते। निःसंदेह, ऎरिका के स्वास्थ्य के लिए हम अब भी अपनी तरफ से सब कुछ करते हैं। लेकिन आप मांसपेशियों की कमज़ोरी के साथ जीना सीख सकते हैं और ज़्यादा सकारात्मक बातों पर ध्यान लगा सकते हैं।”—यशायाह ३३:२४; ३५:५, ६; प्रकाशितवाक्य २१:४.

जिन मरीज़ों के स्वास्थ्य में बहुत सीमित सुधार होता है, उनके लिए परिवार और मित्रों का सहारा और भी महत्त्वपूर्ण होता है। जब तक सभी स्वास्थ्य समस्याओं को मिटाने का परमेश्‍वर का समय नहीं आ जाता, तब तक स्थिति से निपटने में वे बीमार की मदद कर सकते हैं।

यह जानना कि आघात पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए एक शानदार भविष्य है जब वे स्वस्थ हो जाएँगे, उन्हें एक-एक दिन करके जीवन से संघर्ष करने में समर्थ करता है। अतः सभी मुसीबतों से राहत पाने के लिए, वे धीरज के साथ परमेश्‍वर के नये संसार का इंतज़ार कर सकते हैं जो जल्द आनेवाला है। (यिर्मयाह २९:११; २ पतरस ३:१३) इस बीच, यहोवा का आसरा रखनेवाले सभी जन विश्‍वस्त हो सकते हैं कि वह आघात के अपंगकारी प्रभावों से निपटने में अभी-भी उन्हें मदद और सहारा देगा।—भजन ३३:२२; ५५:२२.

[पेज 12 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

जब तक सभी स्वास्थ्य समस्याओं को मिटाने का परमेश्‍वर का समय नहीं आ जाता, तब तक परिवार और मित्र स्थिति से निपटने में बीमार की मदद कर सकते हैं

[पेज 10 पर बक्स/तसवीर]

मस्तिष्क-आघात की रोकथाम

“मस्तिष्क-आघात से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है उसकी रोकथाम करने की कोशिश करना,” डॉ. डेविड लवाइन कहता है। और अधिकतर मस्तिष्क-आघातों से जुड़ा मुख्य कारण है उच्च रक्‍तचाप।

अनेक लोग ऐसा आहार लेने के द्वारा उच्च रक्‍तचाप को नियंत्रण में रख सकते हैं जिसमें पोटैशियम भरपूर मात्रा में हो, और लवण, संतृप्त वसा (सैचुरेटॆड फैट), तथा कोलॆस्ट्रॉल की मात्रा कम हो। शराब का सेवन घटाना भी महत्त्वपूर्ण हो सकता है। अपनी उम्र और स्वास्थ्य के हिसाब से नियमित व्यायाम करना मोटापा घटाने में मदद दे सकता है जो बदले में रक्‍तचाप घटा सकता है। शायद दवा लेनी पड़े—यह डॉक्टर की सलाह पर ली जानी चाहिए, क्योंकि तरह-तरह की दवाइयाँ उपलब्ध हैं।

ग्रीवा-धमनी रोग (केरॉटिड आर्टरी डिसीज़) मस्तिष्क को जानेवाली रक्‍त-सप्लाई के प्रमुख मार्ग को सँकरा कर देता है और आघात मुख्यतः इसी कारण होता है। इस पर निर्भर करते हुए कि किस हद तक रुकावट आयी है, अवरुद्ध धमनियों को साफ करने के लिए ग्रीवा धमनीअन्तःस्तर-उच्छेदन (केरॉटिड ऎनडार्टेरॆक्टमी) नामक ऑपरेशन उचित हो सकता है। अध्ययनों ने दिखाया है कि जिन लोगों में रुकावट के लक्षण दिख रहे थे और जिनकी धमनियाँ बहुत सँकरी हो गयी थीं उन्हें चिकित्सा के साथ-साथ ऑपरेशन भी करवाने से लाभ हुआ। लेकिन, ऑपरेशन से संबंधित समस्याएँ हो सकती हैं, सो इस पर ध्यान से विचार किया जाना चाहिए।

हृदय रोग आघात का जोखिम बढ़ा सकता है। अनियमित धड़कन (एट्रीऎल फिब्रालेशन) का, जिसके कारण खून के थक्के बनकर मस्तिष्क तक जा सकते हैं, थक्कारोधियों द्वारा उपचार किया जा सकता है। आघात के जोखिम को कम करने के लिए हृदय की दूसरी समस्याएँ शायद ऑपरेशन और दवाओं की माँग करें। आघात घटनाओं में मधुमेह का बहुत योग होता है, सो उसे नियंत्रण में रखना आघात से बचा सकता है।

अस्थायी स्थानिक-अरक्‍तता दौरे, TIA इसकी स्पष्ट चेतावनी हैं कि आघात हो सकता है। इन्हें किसी हालत नज़रअंदाज़ मत कीजिए। अपने डॉक्टर से मिलिए, और मूल कारण का उपाय कीजिए, क्योंकि TIA आघात के जोखिम को कई गुना बढ़ा देते हैं।

एक स्वस्थ, संतुलित जीवन जीना आघात से बचने में बहुत योग दे सकता है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम साथ ही शराब का बहुत कम सेवन और धूम्रपान निषेध, धमनियों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है और पहले से क्षतिग्रस्त धमनियों के सुधार में भी योग दे सकता है। विभिन्‍न अध्ययनों के अनुसार, ताज़े फलों और सब्ज़ियों और अनाज का सेवन बढ़ाने से आघात के जोखिम को कम किया जा सका है।

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