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अध्ययन १७

उपयुक्‍त समाप्ति और आपका समय

१-३. आप अपनी समाप्ति को अपने भाषण के मूल-विषय के साथ कैसे जोड़ सकते हैं?

अकसर आप जो आख़िर में कहते हैं वह पहले याद किया जाता है। अतः आपके भाषण में समाप्ति की ध्यानपूर्वक तैयारी की जानी चाहिए। इसे उन मुख्य मुद्दों पर स्पष्टतः ध्यान केन्द्रित करना चाहिए जो आप चाहते हैं कि याद रखे जाएँ और विषय को पूर्ण रूप से समझाना चाहिए। विषय की आपकी व्यवस्था और उसकी प्रस्तुति, दोनों के परिणामस्वरूप, उसे श्रोतागण को कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। हम आपसे इसी बात पर ध्यान देने का आग्रह करते हैं जब आप भाषण सलाह परची पर “उपयुक्‍त, प्रभावकारी समाप्ति” तक पहुँचते हैं।

२ समाप्ति भाषण के मूल-विषय के साथ सीधे सम्बन्धित। समाप्ति को भाषण के मूल-विषय के साथ सम्बन्धित करने के तरीक़ों के लिए हम सुझाव देते हैं कि आप अध्ययन २७ का पुनर्विचार करें। अपनी समाप्ति में भाषण के मूल-विषय को बहुत सारे शब्दों में दोहराने की ज़रूरत नहीं, हालाँकि कुछ विद्यार्थी, विशेषतः वे जो नए हैं, शायद इसे सहायक पाएँ; लेकिन इसे उसकी ओर ध्यान आकर्षित करना चाहिए। फिर, मूल-विषय के आधार पर, बताइए कि श्रोतागण क्या कर सकते हैं।

३ यदि समाप्ति मूल-विषय से सीधे सम्बन्धित नहीं है तो वह विषय को पूरा नहीं करेगी और उसे एक साथ गठित नहीं करेगी। चाहे आप एक सरल सारांश समाप्ति का इस्तेमाल करें, मुख्य मुद्दों की रूपरेखा प्रस्तुत करें, फिर भी आप निःसंदेह अन्त में एक या दो वाक्य जोड़ना चाहेंगे जो भाषण के मुख्य विचार या मूल-विषय को व्यक्‍त करते हैं।

४-९. आपकी समाप्ति को आपके श्रोतागण को क्यों बताना चाहिए कि क्या करना है?

४ समाप्ति श्रोताओं को बताती है कि क्या करना है। चूँकि भाषण देने में साधारणतः आपका उद्देश्‍य है किसी प्रकार के कार्य के लिए उकसाना या किसी ख़ास दृष्टिकोण रखने को क़ायल करना, तो निश्‍चित ही भाषण के समाप्ति विचारों को इन मुद्दों को स्पष्टतः समझाना चाहिए। अतः, समाप्ति का मुख्य उद्देश्‍य है, श्रोतागण को बताना कि क्या करना है और उन्हें उसे करने के लिए प्रोत्साहित करना।

५ इसलिए, अपने भाषण के उद्देश्‍य को स्पष्ट करने के अलावा, समाप्ति में जोश, दृढ़विश्‍वास और एक प्रेरक शक्‍ति होनी चाहिए। अकसर यह पाया जाएगा कि छोटे वाक्य समाप्ति पर ज़ोर देने के लिए लाभदायक हैं। लेकिन वाक्यगठन चाहे जो भी हो, कार्य करने के लिए ठोस कारण, साथ ही साथ ऐसा एक मार्ग अपनाने से प्राप्त फ़ायदों के बारे में बताया जाना चाहिए।

६ समाप्ति को भाषण में जो कहा गया है उसके तर्कसंगत क्रम में होना चाहिए। अतः, आप अपनी समाप्ति में जो कहते हैं वह भाषण के मुख्य भाग में बताई गई बातों पर अपने श्रोतागण को कार्य करने के लिए प्रेरित करने के वास्ते है। आपकी समाप्ति उन्हें क्या करना है उसे स्पष्ट करेगी और उस पर ज़ोर देगी, ताकि भाषण के दौरान बतायी गई बातों के आधार पर वे कार्य करें और आपकी समाप्ति की बलपूर्णता से वे ऐसा करने के लिए विशेषतः प्रभावित होंगे।

७ घर-घर की सेवकाई में समाप्तियाँ अकसर कमज़ोर होती हैं। यह तब होता है जब गृहस्वामी को स्पष्टतः नहीं बताया जाता कि उनसे हम क्या मार्ग अपनाने की अपेक्षा करते हैं, चाहे एक प्रकाशन प्राप्त करना हो, एक पुनःभेंट के लिए सहमत होना या इसी तरह का कुछ और हो।

८ स्कूल में नियुक्‍तियों की समाप्तियाँ भी कमज़ोर होंगी यदि वे मात्र जानकारी का सारांश हैं और श्रोतागण को कार्य करने के लिए प्रेरित नहीं करती हैं। विषय का कुछ अनुप्रयोग प्रस्तुत किया जाना चाहिए, या किसी अन्य रीति से बताया जाना चाहिए कि विषय श्रोतागण के लिए विशेषतः महत्त्वपूर्ण है।

९ मूल पाठों और भाषण के मूल-विषय को आधार के तौर पर इस्तेमाल करते हुए, पूरे भाषण के एक संक्षिप्त सारांश के साथ एक बाइबल मूल-विषय पर भाषण समाप्त करना अनेक वक्‍ता बहुत ही सहायक पाते हैं। इस प्रकार थोड़े शास्त्रवचनों की चर्चा करते हुए भाषण का सारांश देने से, जैसे आप दर-दर कार्य में करेंगे, आप न केवल भाषण का उद्देश्‍य स्पष्ट करेंगे परन्तु आप अपने श्रोतागण को कुछ ऐसा देंगे जो वे याद रख सकते हैं और भाषण की मुख्य बातों को दोहराने में इस्तेमाल कर सकते हैं। समाप्ति का मूल उद्देश्‍य यही है, और यह तरीक़ा न केवल उपयुक्‍त है परन्तु प्रभावकारी रीति से उस उद्देश्‍य को भी पूरा करता है।

१०-१४. समाप्ति की लम्बाई पर कुछ सुझाव दीजिए।

१० उचित लम्बाई की समाप्ति। समाप्ति की लम्बाई को घड़ी से निर्धारित नहीं किया जाना चाहिए, हालाँकि अकसर ऐसा होता है। एक समाप्ति उचित लम्बाई की है यदि वह प्रभावकारी है और अपने उद्देश्‍य को पूरा करती है। अतः, उसकी लम्बाई का औचित्य परिणामों से निर्धारित किया जाना चाहिए। यही आपका सलाहकार करेगा जब आप भाषण सलाह परची पर “उचित लम्बाई की समाप्ति” पर कार्य कर रहे होंगे।

११ विषय की लम्बाई के समानुपात में समाप्तियों की तुलना के लिए, सभोपदेशक की पूरी पुस्तक की संक्षिप्त समाप्ति पर ध्यान दीजिए जो सभोपदेशक १२:१३, १४ में पाई गयी है और उसकी तुलना यीशु के पहाड़ी उपदेश और उसकी समाप्ति से कीजिए जो मत्ती ७:२४-२७ में है। यहाँ दो भिन्‍न तरह की और लम्बाइयों की समाप्तियाँ हैं, लेकिन दोनों अपने उद्देश्‍य को पूरा करती हैं।

१२ समाप्ति का श्रोतागण को पता लगना चाहिए। न केवल कहे गए शब्दों को स्पष्टतः भाषण का अन्त सूचित करना चाहिए परन्तु उनमें निर्णायकता का बोध होना चाहिए। आप क्या कहते हैं और इसे कैसे कहते हैं उससे आपकी चर्चा समाप्त होनी चाहिए। उसे अनावश्‍यक रीति से लम्बा नहीं होना चाहिए। यदि आप अपना भाषण एक साथ गठित करने और साथ ही साथ पूरी समाप्ति के दौरान दिलचस्पी को बनाए रखने में समर्थ नहीं हैं तो इस पर दोबारा कार्य किया जाना चाहिए। वह अब भी बहुत लम्बा है।

१३ यदि आप एक नए वक्‍ता हैं, तो अकसर अपनी समाप्ति को जितना आपको ज़रूरी लगता है उससे छोटा बनाना सर्वोत्तम है। उसे सरल, स्पष्ट और सकारात्मक बनाइए। उसे अन्तहीन रीति से चलते रहने न दीजिए।

१४ यदि आप परिचर्चा का एक भाषण दे रहे हैं या यदि आप एक सेवा सभा में भाषण दे रहे हैं, तब आपकी समाप्ति अगले भाषण की प्रस्तावना से जुड़ेगी और अतः वे और संक्षिप्त हो सकती हैं। लेकिन, हरेक भाग की एक समाप्ति होनी चाहिए जो भाषण के उद्देश्‍य को पूरा करती है। यदि यह ऐसा करती है तो वह सही लम्बाई की है।

१५-१८. यदि समय पर सुविचारित ध्यान नहीं दिया जाता है तो क्या परिणित होता है?

१५ समय। केवल समाप्ति की लम्बाई ही महत्त्वपूर्ण नहीं है; भाषण के हर भाग का समय भी ध्यान देने के योग्य है। इसलिए भाषण सलाह परची में “समय” को अलग बताया गया है।

१६ भाषण में सही समय का पालन करने के महत्त्व को कम नहीं किया जाना चाहिए। यदि भाषण के लिए सही तैयारी की गई है तो समय पर भी ध्यान दिया गया होगा, लेकिन यदि वक्‍ता पूरे विषय को शामिल करने की कोशिश में ज़्यादा समय लेता है तो वह वास्तव में अपना उद्देश्‍य पूरा नहीं कर रहा है। यह इसलिए है क्योंकि श्रोता बेचैन होने लगेंगे और अपनी घड़ी देखेंगे और जो वह कह रहा है उसके प्रति वास्तव में ध्यान नहीं देंगे। समाप्ति, जिसमें भाषण के उद्देश्‍य को पूरा करने के लिए ज़रूरी अनुप्रयोग और प्रेरणा शामिल होनी चाहिए, का फ़ायदा नहीं होगा। चाहे उसे प्रस्तुत किया जाए तो भी अनेक अवसरों पर श्रोतागण उसका फ़ायदा प्राप्त करने से रह जाएँगे क्योंकि वक्‍ता अपने नियुक्‍त समय से ज़्यादा ले रहा है।

१७ जब वक्‍ता अपने नियुक्‍त समय से ज़्यादा लेता है तब केवल श्रोतागण ही नहीं परन्तु वक्‍ता भी बेचैन होता है। जब वह देखता है कि उसका समय निकला जा रहा है और उसके पास बहुत ज़्यादा सामग्री है, तो वह बहुत ज़्यादा ठूँसने की कोशिश करेगा जिससे वह प्रभावकारिता गँवा देता है। यह अकसर ठवन की कमी में परिणित होता है। दूसरी ओर यदि वक्‍ता पाता है कि उसके पास नियुक्‍त समय को पूरा करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है तो उसे खींचने की कोशिश में वह शायद असम्बद्ध और अपनी प्रस्तुति में भ्रमणकारी हो सकता है।

१८ जबकि यह सच है कि स्कूल ओवरसियर विद्यार्थी को सूचित करेगा जब उसका समय ख़त्म होता है, यह दोनों, विद्यार्थी ओर श्रोतागण के लिए निराशाजनक है, जब भाषण के ख़त्म होने से पहले उसे रोकने की ज़रूरत पड़ती है। वक्‍ता को अपने विषय में पर्याप्त दिलचस्पी होनी चाहिए कि वह उसे प्रस्तुत करना चाहे। श्रोतागण बीच हवा में लटके हुए महसूस करेंगे यदि वे समाप्ति को सुनने से चूक जाते हैं। एक व्यक्‍ति जो अपने भाषणों में हमेशा ज़्यादा समय लेता है, यह प्रदर्शित करता है कि वह दूसरों की परवाह नहीं करता या तैयारी की कमी का प्रमाण देता है।

१९, २०. सेवा सभाओं और अधिवेशन कार्यक्रमों में समय क्यों ख़ासकर महत्त्वपूर्ण है?

१९ जब एक कार्यक्रम में अनेक वक्‍ताओं के भाग हैं तो सही समय का पालन करना ख़ासकर महत्त्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए एक सेवा सभा में पाँच भाग होंगे। यदि हरेक वक्‍ता अपने नियुक्‍त समय से मात्र एक मिनट ज़्यादा लेता है तो सभा अपने नियुक्‍त समय से पाँच मिनट ज़्यादा लेगी। लेकिन हरेक व्यक्‍ति ने बहुत ही थोड़ा समय ज़्यादा लिया। परिणामस्वरूप ऐसा हो सकता है कि कुछ लोगों को सभा ख़त्म होने से पहले जाना पड़े क्योंकि उन्हें घर जाने के लिए बस पकड़नी है, या अविश्‍वासी साथी जो सभा में उपस्थित अपने विवाह-साथी को लेने आए हैं, और जिन्हें इन्तज़ार करना पड़ रहा है, चिढ़ सकते हैं। आम प्रभाव अच्छा नहीं होता है।

२० समस्याएँ तब भी हो सकती हैं यदि परिचर्चा में एक वक्‍ता अपना नियुक्‍त समय पूरा नहीं करता। उदाहरण के लिए, यदि एक भाई जिन्हें एक अधिवेशन कार्यक्रम में आधे घंटे का एक भाषण नियुक्‍त किया गया है बीस मिनट में ख़त्म कर देता है तो यह कार्यक्रम को भंग कर सकता है यदि अगला वक्‍ता तुरन्त शुरू करने के लिए तैयार नहीं है।

२१-२४. समय के पालन के सम्बन्ध में कुछ समस्याओं को और उनके कारणों को संक्षिप्त में बताइए।

२१ जी हाँ, भाषण में ज़्यादा समय लेने का एक मूल कारण है बहुत ज़्यादा सामग्री होना। यह कुछ ऐसी बात है जिसे सुधारा जाना चाहिए जब भाषण की तैयारी की जाती है। लेकिन, यदि अन्य मुद्दों में, अर्थात्‌ भाषण सलाह परची पर इससे पहले के मुद्दों में, अब तक प्रवीणता प्राप्त की है तो समय एक समस्या नहीं होगी। यदि आपने अपने मुख्य मुद्दों को अलग करना और एक सही रूपरेखा तैयार करना सीख लिया है तो आप पाएँगे कि स्वाभाविक तौर पर ही आपका समय अच्छा होगा। समय पर सलाह परची के लगभग अन्त में चर्चा की जा रही है क्योंकि यह काफ़ी हद तक उन भाषण गुणों पर निर्भर है जिन पर इससे पहले चर्चा की गई है।

२२ साधारणतः समय में समस्या ज़्यादा समय लेने की है। अच्छी तरह तैयारी किए हुए एक वक्‍ता के पास साधारणतः बहुत ज्ञानप्रद विषय होगा, लेकिन उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए कि वे अपने नियुक्‍त समय में जितना इस्तेमाल कर सकते हैं उससे ज़्यादा विषय का इस्तेमाल न करें।

२३ लेकिन, नए या अनुभवरहित वक्‍ता कभी-कभी कम समय लेने के लिए प्रवृत्त होते हैं। वे उपलब्ध समय का पूरा फ़ायदा उठाना सीखना चाहेंगे। पहले-पहल वे शायद अपने भाषण का इस प्रकार अंदाज़ा लगाना मुश्‍किल पाएँगे कि वह बिलकुल उतना लम्बा हो जितना कि वे चाहते हैं, लेकिन उन्हें नियुक्‍त समय के जितना क़रीब हो सकता है उतना क़रीब आने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन, जब तक कि भाषण नियुक्‍त समय से बहुत कम समय नहीं लेता, समय को कमज़ोरी नहीं माना जाएगा यदि विद्यार्थी ने एक सुगठित और संतोषजनक भाषण तैयार किया और प्रस्तुत किया है।

२४ श्रोतागण पर प्रस्तुति के प्रभाव को देखकर यह सबसे अच्छी तरह निर्धारित किया जा सकता है कि क्या एक वक्‍ता के समय को कमज़ोरी माना जाना चाहिए। जब स्कूल ओवरसियर सूचित करता है कि समय पूरा हो चुका है तो विद्यार्थी को अपना वाक्य पूरा करने के लिए अनुमत महसूस करना चाहिए। यदि उस वाक्य से वह अपने भाषण की प्रभावकारी समाप्ति कर सकता है ताकि श्रोतागण महसूस करें कि उन्होंने एक सुगठित भाषण सुना है तो समय को कमज़ोरी नहीं माना जाना चाहिए।

२५-२९. एक व्यक्‍ति कैसे निश्‍चित कर सकता है कि उसका भाषण सही समय का है?

२५ सही समय का कैसे पालन किया जा सकता है? मूलतः यह तैयारी की बात है। एक भाषण के विषय की ही नहीं परन्तु भाषण की प्रस्तुति की भी तैयारी करना महत्त्वपूर्ण है। यदि प्रस्तुति के लिए पर्याप्त तैयारी की गई है तो समय साधारणतः सही होगा।

२६ अपने भाषण की रूपरेखा बनाने में स्पष्टतः सूचित कीजिए कि आपके मुख्य मुद्दे कौन-से हैं। हर मुख्य मुद्दे के नीचे आपके पास अनेक उपमुद्दे होंगे जिन्हें प्रस्तुत किया जाना है। जी हाँ, कुछ मुद्दे दूसरों से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण होंगे। यह निश्‍चित कीजिए कि कौन-से मुद्दे प्रस्तुति के लिए अत्यावश्‍यक हैं और किनको ज़रूरत पड़ने पर हटाया जा सकता है। फिर यदि, अपनी प्रस्तुति के दौरान आप पाते हैं कि आप ज़्यादा समय ले रहे हैं तो केवल मुख्य तर्कों को ही प्रस्तुत करना और कम महत्त्वपूर्ण तर्कों को हटाना आसान होगा।

२७ यह एक ऐसी बात है जिसे क्षेत्र सेवकाई में निरन्तर हमसे करने को कहा जाता है। जब हम लोगों के दरवाज़ों पर जाते हैं, यदि वे रुकेंगे और सुनेंगे तो हम उनसे कई मिनट बात करते हैं। लेकिन हम उसी प्रस्तुति को संक्षिप्त रूप में देने के लिए भी तैयार होते हैं, जो ज़रूरी हो तो केवल एक या दो मिनट लेगी। हम यह कैसे करते हैं? हमारे पास मन में हमारा मुख्य मुद्दा या मुद्दे और उसके समर्थन में सबसे ज़रूरी जानकारी है। हमारे पास मन में अतिरिक्‍त जानकारी भी है जो कम महत्त्व की है और जिसका चर्चा को विस्तृत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन हम जानते हैं कि जब परिस्थिति इसकी माँग करती है तो इसे छोड़ा जा सकता है। मंच पर से एक भाषण देने में भी वही तरीक़ा अपनाया जा सकता है।

२८ एक वक्‍ता के लिए यह अकसर सहायक होता है यदि वह अपने भाषण के पार्श्‍व में लिख सकता है कि उसे आधे समय तक कितना पूरा करना है, या यदि वह एक लम्बा भाषण है तो शायद वह उसे चार भागों में बाँटना चाहे। फिर जब वह अपनी रूपरेखा पर इन समय-चिन्हों तक पहुँचता है तो उसे घड़ी देखनी चाहिए ताकि पता लगाए कि वह कैसे चल रहा है। यदि वह समय से पीछे है तो आख़िरी क्षण तक रुककर समाप्ति में जल्दबाज़ी करने और इस प्रकार उसकी प्रभावकारिता को नष्ट करने के बजाय कम महत्त्व की जानकारी को हटाने की शुरूआत करने का तब समय है। लेकिन, यदि एक वक्‍ता बार-बार अपनी घड़ी की ओर देखता है या यदि वह इसे बहुत ही स्पष्ट रीति से करता है, या यदि वह श्रोतागण को बताता है कि उसका समय निकला जा रहा है और इसलिए उसे अपना विषय जल्दी प्रस्तुत करना है तो यह अत्यन्त विकर्षक है। यह एक ऐसी बात है जिसे स्वाभाविक रीति से श्रोतागण को विकर्षित किए बग़ैर किया जाना चाहिए।

२९ कुल मिलाकर समय का उचित पालन करने के लिए ज़रूरी है कि प्रस्तावना उचित लम्बाई की हो, कि हर मुख्य मुद्दा उचित समानुपात में विकसित किया जाए, और कि समाप्ति के लिए पर्याप्त समय बाक़ी बचे। यह कोई ऐसी बात नहीं है जिस पर आप मात्र तब विचार करेंगे जब आप यह देखते हैं कि आपका समय निकल रहा है। यदि आप शुरू से ही अपने समय पर ध्यान देंगे तो परिणाम एक सुविभाजित प्रस्तुति होगी।

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