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परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए
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अध्याय 39

असरदार समाप्ति

आपको क्या करने की ज़रूरत है?

अपने भाषण के आखिर में कुछ ऐसा कहिए जिससे कि सुननेवाले सुनी हुई बातों पर अमल करने के लिए प्रेरित हों।

इसकी क्या अहमियत है?

आखिर में कही बातें अकसर ज़्यादा देर तक याद रहती हैं। इससे तय होता है कि आपका पूरा भाषण कितना असरदार रहा है।

अपने भाषण के मुख्य भाग की तैयारी करते वक्‍त आपने बड़े ध्यान से खोजबीन की होगी और फिर जानकारी को अच्छी तरह क्रम में रखा होगा। आपने शायद दिलचस्पी जगानेवाली शुरूआत भी तैयार की होगी। मगर इनके अलावा, आपको एक और चीज़ की ज़रूरत है और वह है, एक असरदार समाप्ति। इसकी अहमियत को कम मत आँकिए। आप आखिर में जो कहते हैं, वही अकसर लंबे समय तक याद रहता है। अगर समाप्ति दमदार ना हो, तो उससे पहले पेश की गयी जानकारी का कोई खास असर नहीं होगा।

अब ज़रा इस बात पर गौर कीजिए: अपनी ज़िंदगी के आखिरी दौर में, यहोशू ने इस्राएल जाति के पुरनियों के सामने एक यादगार भाषण दिया। इब्राहीम के दिनों से लेकर, यहोवा जिस तरह इस्राएल के साथ पेश आया, वे सब बातें याद दिलाने के बाद क्या यहोशू ने खास बातों का सार देकर अपनी बात खत्म की? नहीं, बल्कि गहरी भावना के साथ उसने लोगों को उकसाया: “यहोवा का भय मानकर उसकी सेवा खराई और सच्चाई से करो।” यहोशू ने अपना भाषण किस तरह खत्म किया, यह आप खुद यहोशू 24:14, 15 में पढ़कर देख सकते हैं।

एक और ज़बरदस्त भाषण प्रेरितों 2:14-36 में दर्ज़ है। यह भाषण प्रेरित पतरस ने सा.यु. 33 के पिन्तेकुस्त के पर्व के मौके पर, यरूशलेम में जमा एक बड़ी भीड़ के सामने दिया। पहले उसने समझाया कि वे योएल की भविष्यवाणी को पूरा होते देख रहे हैं, जिसमें बताया गया था कि परमेश्‍वर की आत्मा उँडेली जाएगी। फिर उसने समझाया कि भविष्यवाणी के पूरा होने का, भजन की किताब में दर्ज़ उन मसीहाई भविष्यवाणियों से क्या ताल्लुक है जिनमें यीशु मसीह के पुनरुत्थान और महिमा पाकर परमेश्‍वर के दाहिने हाथ पर बैठने के बारे में बताया गया है। फिर, पतरस ने समाप्ति में वह मसला खड़ा किया जिसका सामना उसके हर सुननेवाले को करना था। उसने कहा: “सो अब इस्राएल का सारा घराना निश्‍चय जान ले कि परमेश्‍वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी।” वहाँ मौजूद लोगों ने पूछा: “हे भाइयो, हम क्या करें?” पतरस ने जवाब दिया: “मन फिराओ, और तुम में से हर एक . . . यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले।” (प्रेरि. 2:37, 38) उस दिन सुननेवालों में से करीब 3,000 लोगों पर सुनी हुई बातों का इतना गहरा असर हुआ कि उन्होंने यीशु मसीह के बारे में सच्चाई को स्वीकार कर लिया।

इन बातों का ध्यान रखें। आप अपने भाषण की समाप्ति में जो कहते हैं, उसका सीधा ताल्लुक भाषण के शीर्षक से होना चाहिए। आपने एक-एक करके जिन मुख्य मुद्दों को खोलकर समझाया है, उनके हिसाब से समाप्ति एकदम सही लगनी चाहिए। आप शायद शीर्षक के खास शब्दों को अपनी समाप्ति में दोहराना चाहें, मगर यह ज़रूरी नहीं कि आपको शीर्षक शब्द-ब-शब्द दोहराना है।

आम तौर पर, भाषण देने में आपका मकसद होता है कि आप जो जानकारी दे रहे हैं, उसके मुताबिक लोगों को कोई कदम उठाने के लिए उकसाएँ। समाप्ति का एक खास मकसद होता है, सुननेवालों को यह बताना कि उन्हें क्या करना चाहिए। जब आपने अपना शीर्षक और मुख्य मुद्दे चुने, तब क्या आपने ध्यान से सोचा कि यह जानकारी आपके सुननेवालों के लिए क्या अहमियत रखती है और यह भाषण देने का आपका मकसद क्या है? अगर आपने ऐसा किया है, तो बेशक आप जानते हैं कि आपके सुननेवालों को क्या करना चाहिए। अब आपको उन्हें समझाना है कि उन्हें क्या कदम उठाना चाहिए और यह कैसे उठाना चाहिए।

इसके अलावा, आपको अपनी समाप्ति के ज़रिए उन्हें प्रेरित करने की ज़रूरत है। समाप्ति में आपको यह बताना होगा कि सीखी हुई बातों पर अमल करने का ठोस कारण क्या है और इससे क्या फायदे हो सकते हैं। अगर आखिरी वाक्य, सोच-समझकर तैयार किया गया है और उसमें सही शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, तो आपका पूरा भाषण असरदार साबित होगा।

आपका भाषण खत्म होने पर है, यह याद रखिए। यह आपके शब्दों से ज़ाहिर होना चाहिए। आपके बोलने की रफ्तार भी सही होनी चाहिए। ऐसा मत कीजिए कि भाषण के खत्म होने तक तेज़ रफ्तार में बात करें और आखिर में अचानक थम जाएँ। दूसरी तरफ, अपनी आवाज़ धीमी मत कर लीजिए। आपको सही आवाज़ में बात करनी चाहिए; न ज़्यादा ऊँची, ना ही बहुत धीमी। अपने आखिरी वाक्यों को इस लहज़े में बोलिए जैसे आप अपनी बात खत्म कर रहे हैं। इन्हें बोलते वक्‍त आपकी आवाज़ से उत्साह और पक्का विश्‍वास नज़र आना चाहिए। अपने भाषण की तैयारी करते वक्‍त, समाप्ति का अभ्यास करना मत भूलिए।

समाप्ति कितनी लंबी होनी चाहिए? यह सिर्फ उसके लिए ठहराए गए वक्‍त से तय नहीं होता। समाप्ति से ऐसा नहीं लगना चाहिए कि उसे बेवजह खींचा जा रहा है। समाप्ति को कितना लंबा होना चाहिए, यह इस बात से तय किया जा सकता है कि उसका, सुननेवालों पर कैसा असर होता है। एक सरल, सीधी और अच्छी समाप्ति की हमेशा कदर की जाती है। लेकिन अगर एक लंबी समाप्ति अच्छी तरह तैयार की गयी हो, जिसमें छोटा-सा दृष्टांत दिया गया हो, तो यह समाप्ति भी असरदार हो सकती है। सभोपदेशक 12:13, 14 में पूरी किताब की छोटी-सी समाप्ति की तुलना, मत्ती 7:24-27 में पहाड़ी उपदेश की समाप्ति के साथ कीजिए, जो लंबाई में सभोपदेशक किताब से कहीं छोटा था।

प्रचार में। अच्छी समाप्ति करने की ज़रूरत आपको प्रचार में सबसे ज़्यादा महसूस होगी। तैयारी करने और लोगों की भलाई की चिंता करने से काफी अच्छे नतीजे निकल सकते हैं। पिछले पन्‍नों पर दी गयी सलाह, अगर घर-मालिक के साथ बात करते वक्‍त भी लागू की जाए, तो इससे फायदा होगा।

कभी-कभी बातचीत बहुत छोटी होती है। यहाँ तक कि आपकी पूरी मुलाकात शायद एक मिनट में खत्म हो जाए, क्योंकि हो सकता है कि घर-मालिक किसी काम में व्यस्त हो। ऐसे में अगर सही लगे, तो आप कुछ ऐसा कह सकते हैं: “मैं समझ सकता हूँ कि आप बहुत व्यस्त हैं। मगर जाने से पहले मैं आपको एक अच्छा विचार बताकर जाना चाहता हूँ। बाइबल बताती है कि हमारे सिरजनहार का एक शानदार मकसद है। वह है, इस पृथ्वी को एक फिरदौस बनाना जहाँ लोग हमेशा की ज़िंदगी का लुत्फ उठाएँगे। आप और हम भी उस फिरदौस में जी सकते हैं, लेकिन उसके लिए हमें सीखना होगा कि परमेश्‍वर हमसे क्या माँग करता है।” या फिर आप किसी और दिन उससे मिलने के लिए कह सकते हैं जिस दिन उसके पास ज़्यादा समय होगा।

अगर घर-मालिक बीच में ही टोककर बातचीत रोक देता है, यहाँ तक कि आपसे कठोरता से पेश आता है, तब भी काफी कुछ हासिल किया जा सकता है। मत्ती 10:12, 13 और रोमियों 12:17, 18 में दी गयी सलाह मन में रखिए। अगर आप उसे नम्रता से जवाब देंगे, तो हो सकता है कि इससे यहोवा के साक्षियों के बारे में उसका नज़रिया बदल जाए। अगर ऐसा हुआ, तो यह आपके लिए बहुत बड़ी कामयाबी होगी।

दूसरी तरफ, हो सकता है कि घर-मालिक के साथ आपकी अच्छी-खासी बातचीत हुई हो। ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि वह बातचीत का मुख्य मुद्दा याद रखे, तो क्यों न वह मुद्दा एक बार फिर से दोहराएँ? इसके साथ-साथ उसे इस मामले में कोई कदम उठाने की प्रेरणा भी दें।

अगर आपको लगता है कि अगली मुलाकात में भी चर्चा जारी रखी जा सकती है, तो उसे कुछ ऐसी बात बताइए ताकि वह उस मुलाकात का इंतज़ार करे। एक सवाल पूछिए, चाहे तो आप यह सवाल रीज़निंग फ्रॉम द स्क्रिप्चर्स्‌ किताब से या बाइबल अध्ययन कराने के लिए तैयार किए गए किसी भी साहित्य से चुन सकते हैं। अपने लक्ष्य को हमेशा याद रखिए, जो यीशु ने बताया था और जो मत्ती 28:19, 20 में दर्ज़ है।

क्या आप बाइबल अध्ययन खत्म कर रहे हैं? शीर्षक दोहराने से विद्यार्थी को चर्चा की गयी बातें याद रहेंगी। सीखी हुई बातों पर दोबारा विचार करने के लिए अगर आप कुछ सवाल पूछेंगे, तो विद्यार्थी को मुख्य मुद्दे याद रखने में मदद मिलेगी, खासकर जब ये सवाल-जवाब हड़बड़ी में न किए जाएँ। विद्यार्थी से पूछिए कि अध्ययन की जानकारी से उसे क्या फायदा हो सकता है या वह यह जानकारी दूसरों को कैसे बता सकता है। ऐसे सवाल पूछने से उसे सीखी हुई बातों को अपनी रोज़मर्रा ज़िंदगी में काम में लाने के कारगर तरीकों के बारे में सोचने की प्रेरणा मिलेगी।—नीति. 4:7.

याद रखिए—आपकी समाप्ति से तय होगा कि आपका पूरा भाषण कितना असरदार रहा।

यह कैसे करें

  • ध्यान रखिए कि आपकी समाप्ति का पहले पेश किए गए विचारों के साथ सीधा ताल्लुक है।

  • सुननेवालों को बताइए कि जो कुछ उन्होंने सुना है, उसके मुताबिक उन्हें क्या करने की ज़रूरत है।

  • आप क्या कहते हैं और कैसे कहते हैं, इससे सुननेवालों को उकसाइए।

अभ्यास: प्रचार के लिए दो समाप्तियाँ तैयार कीजिए: (1) तब क्या कहना चाहिए, जब घर-मालिक बीच में बातचीत रोक देता है और बात करने के लिए ज़्यादा समय नहीं रहता, और (2) अगली मुलाकात में चर्चा करने के लिए एक निश्‍चित सवाल पूछिए।

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