अध्याय 7
खास विचारों पर ज़ोर देना
जो इंसान पढ़ने में हुनरमंद है, उसका ध्यान एक वाक्य पर या वह वाक्य जिस पैराग्राफ में आता है सिर्फ उसी पैराग्राफ पर ही नहीं लगा रहता। इसके बजाय जब वह पढ़ता है, तो पूरे लेख के खास विचारों को मन में रखकर पढ़ता है। इस तरह वह सही जगह पर ज़ोर दे पाता है।
अगर ऐसा न किया जाए तो आप जो भाग पेश कर रहे हैं, उसमें कोई भी मुद्दा अलग नज़र नहीं आएगा। कुछ स्पष्ट नहीं होगा। और भाग खत्म होने के बाद सुननेवालों के पास याद रखने के लिए कोई खास मुद्दा नहीं होगा।
खास विचारों पर ज़ोर देने के गुण पर सही ध्यान देने से, आप बाइबल के किसी भी वृत्तांत को बढ़िया तरीके से पढ़कर उसमें जान डाल सकते हैं। किसी के घर पर बाइबल अध्ययन कराते वक्त या कलीसिया की सभाओं में पैराग्राफ पढ़ते वक्त इस तरह ज़ोर देकर पढ़ने से सुननेवालों पर इसका ज़बरदस्त असर हो सकता है। और खासकर अधिवेशनों में मैन्यूस्क्रिप्ट से भाषण देते वक्त ऐसा करना बेहद ज़रूरी है।
यह कैसे करें। परमेश्वर की सेवा स्कूल में आपको बाइबल का एक हिस्सा पढ़ने का भाग सौंपा जा सकता है। उसे पढ़ते वक्त आपको कहाँ ज़ोर देना चाहिए? अगर उस भाग में कोई खास विचार या किसी ज़रूरी घटना का ज़िक्र है, तो उसे इस ढंग से पढ़ना ज़्यादा सही होगा जिससे कि वह विचार या घटना अलग नज़र आए।
आपको जो भाग पढ़ना है, वह चाहे कविता के रूप में हो या सामान्य लेख, कहावत हो या कहानी, इससे आपके सुननेवालों को तभी फायदा होगा जब आप इसे अच्छी तरह से पढ़ेंगे। (2 तीमु. 3:16, 17) ऐसा करने के लिए आपको पढ़े जानेवाले हिस्से और अपने सुननेवालों, दोनों पर गौर करने की ज़रूरत होगी।
अगर आपको बाइबल अध्ययन कराते वक्त या कलीसिया की सभा में किसी किताब से पढ़कर सुनाना है, तब आपको किन खास विचारों पर ज़ोर देना चाहिए? किताब में छपे सवालों के जवाबों को खास विचार समझकर उन पर ज़ोर दीजिए। इसके अलावा, उपशीर्षकों के नीचे की जानकारी पढ़ते वक्त उससे मेल खानेवाले विचारों पर भी ज़ोर दीजिए।
आपको हमारी यह सलाह है कि आप कलीसिया में भाषण देने के लिए मैन्यूस्क्रिप्ट का इस्तेमाल करने की आदत न डालें। मगर कभी-कभी, अधिवेशन के कुछ भाषणों के लिए, मैन्यूस्क्रिप्ट दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि सभी अधिवेशनों में एक ही तरीके से, एक-समान विचार पेश किए जा सकें। मैन्यूस्क्रिप्ट के खास विचारों पर ज़ोर देने के लिए, भाषण देनेवाले को सबसे पहले जानकारी की बड़े ध्यान से जाँच करनी चाहिए। उसे यह पता लगाना चाहिए कि मुख्य मुद्दे कौन-से हैं। मुख्य मुद्दों का मतलब ऐसे विचार नहीं जो उसे दिलचस्प लगते हों, बल्कि ये वे ज़रूरी विचार हैं जिनके आधार पर जानकारी तैयार की गयी है। कभी-कभी मैन्यूस्क्रिप्ट में एक खास विचार एक ही वाक्य में दिया होता है और इसके बाद कोई वृत्तांत होता है या कुछ दलीलें दी जाती हैं। कई दफा तो सबूत पेश करने के बाद एक ज़बरदस्त बात कहकर खास विचार पेश किया जाता है। मैन्यूस्क्रिप्ट में इन खास विचारों को पहचान लेने के बाद, भाषण देनेवाले को उन पर निशान लगा लेना चाहिए। आम तौर पर ऐसे खास विचार कम यानी ज़्यादा-से-ज़्यादा चार या पाँच होते हैं। निशान लगाने के बाद, उसे इन विचारों को इस तरीके से पढ़ने का अभ्यास करना चाहिए जिससे कि सुननेवाले फौरन भाँप सकें कि हाँ, यही खास विचार हैं। ये विचार बाकी की जानकारी से बिलकुल अलग नज़र आने चाहिए। सही ज़ोर के साथ भाषण देने से, ज़ाहिर है कि ये खास विचार लोगों की याद में बस जाएँगे। और यही, भाषण देनेवाले का मकसद होना चाहिए।
भाषण देनेवाला कई तरीकों से मुख्य मुद्दों पर ज़ोर दे सकता है जिससे सुननेवालों को इन्हें पहचानने में मदद मिले। उनमें से कुछ हैं, बड़े जोश या गहरी भावनाओं के साथ ये मुद्दे बताना, बोलने की रफ्तार में बदलाव लाना, या सही हाव-भाव का इस्तेमाल करना।