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परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए
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अध्याय 36

शीर्षक को विकसित करना

आपको क्या करने की ज़रूरत है?

अपना शीर्षक बताइए और पूरे भाषण के दौरान उसे अलग-अलग तरीकों से खोलकर समझाइए।

इसकी क्या अहमियत है?

शीर्षक, आपके भाषण की जानकारी को बाँधे रखता है। इसकी मदद से सुननेवाले आपकी बात को समझ पाते हैं और उसे याद रख पाते हैं।

तजुर्बेकार वक्‍ता जानते हैं कि शीर्षक का होना कितना ज़रूरी है। जब वे किसी भाषण की तैयारी करते हैं, तो शीर्षक उन्हें किसी खास जानकारी पर नज़दीकी से ज़्यादा ध्यान देने और उस पर गहराई से सोचने में मदद देता है। नतीजा यह होता है कि भाषण देनेवाला सिर्फ सरसरी तौर पर कई मुद्दे नहीं बताता बल्कि अपनी जानकारी को इस तरह विकसित करता है कि सुननेवाले उससे सीख सकें और फायदा पा सकें। अगर हर मुख्य मुद्दे का सीधा संबंध शीर्षक से होगा और हर मुद्दे की मदद से उसे खोलकर समझाया जा सकता है, तो सुननेवालों को भी उन मुद्दों को याद रखने और उनकी अहमियत समझने में आसानी होती है।

अगर आप यह समझकर चलें कि आपका शीर्षक, आपके विषय का वह पहलू है, जिसके बारे में आपको खोलकर समझाना है, तो इससे आपका भाषण और भी बढ़िया होगा। मिसाल के लिए, राज्य, बाइबल और पुनरुत्थान कुछ मोटे विषय हैं। इन विषयों के बहुत-से पहलू हैं और हरेक पहलू को एक शीर्षक बनाकर उस पर भाषण दिया जा सकता है। इसकी कुछ मिसालें ये हैं: “राज्य, एक असली सरकार,” “परमेश्‍वर का राज्य धरती को फिरदौस बना देगा,” “बाइबल परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी है,” “बाइबल, आज भी हमारे लिए फायदेमंद है,” “पुनरुत्थान—शोक मनानेवालों के लिए आशा,” और “पुनरुत्थान की आशा, ज़ुल्मों को सहने की ताकत देती है।” ये सभी शीर्षक, अलग-अलग पहलू हैं जिनसे अलग-अलग भाषण तैयार किए जाते हैं।

धरती पर सेवा करते वक्‍त, प्रचार में यीशु ने बाइबल के मूल-विषय के मुताबिक इस शीर्षक पर ज़ोर दिया: “स्वर्ग का राज्य निकट आया है।” (मत्ती 4:17) इस शीर्षक को कैसे विकसित किया गया? सुसमाचार की चारों किताबों में 110 से भी ज़्यादा बार उस राज्य का ज़िक्र है। मगर यीशु ने बार-बार सिर्फ “राज्य” शब्द का ज़िक्र नहीं किया, बल्कि अपनी शिक्षाओं और चमत्कारों से लोगों को साबित कर दिखाया कि वह जो उनके बीच मौजूद है, वही परमेश्‍वर का बेटा यानी मसीहा है और उसी को यहोवा राज्य देनेवाला है। इसके अलावा, यीशु ने बताया कि उसके ज़रिए औरों को उस राज्य का सदस्य बनने का मौका मिलेगा। और इस बारे में भी यीशु ने बताया कि जिन्हें यह सुअवसर दिया जाएगा, उन्हें कौन-से गुण पैदा करने हैं। उसने अपनी शिक्षाओं और चमत्कारों से साफ दिखाया कि परमेश्‍वर का राज्य लोगों की ज़िंदगी में क्या मायने रखता। साथ ही, उसने बताया कि परमेश्‍वर की आत्मा की मदद से वह जो दुष्टात्माओं को निकालता है, यह इस बात का सबूत है कि “परमेश्‍वर का राज्य” उसके सुननेवालों के “पास आ पहुंचा” है। (लूका 11:20) इसी राज्य की गवाही देने की आज्ञा यीशु ने अपने चेलों को दी थी।—मत्ती 10:7; 24:14.

सही शीर्षक चुनना। बाइबल किसी शीर्षक के बारे में जितना खोलकर समझाती है, आपसे वह सब बताने की उम्मीद नहीं की जाती। मगर भाषण का एक सही शीर्षक होना बहुत ज़रूरी है।

अगर भाषण का शीर्षक आपको चुनना है, तो सबसे पहले गौर कीजिए कि भाषण पेश करने का आपका मकसद क्या है। फिर आउटलाइन तैयार करने के लिए जब आप मुख्य मुद्दों का चुनाव करते हैं, तो देखिए कि ये मुद्दे आपके चुने हुए शीर्षक से वाकई मेल खाते हैं या नहीं।

लेकिन अगर आपको शीर्षक दिया जाता है, तो ध्यान से जाँचिए कि किस तरह आपको अपने शीर्षक के मुताबिक जानकारी का विकास करना है। शीर्षक की अहमियत को समझने और यह जानने के लिए मेहनत लगती है कि इस शीर्षक में क्या-क्या बताया जा सकता है। अगर आपको दिए गए शीर्षक के मुताबिक खुद जानकारी चुननी है, तो सोच-समझकर सिर्फ ऐसी जानकारी चुनिए जिससे सुननेवालों का ध्यान शीर्षक से ना हटे। दूसरी तरफ, अगर आपको भाषण की जानकारी दी गयी है, तब भी आपको ध्यान से देखना चाहिए कि आप अपने शीर्षक के मुताबिक किस तरह उस जानकारी को काम में लाएँगे। आपको यह भी सोचना है कि यह जानकारी आपके सुननेवालों के लिए ज़रूरी क्यों है और इसे पेश करने में आपका मकसद क्या है। इससे पता चलेगा कि भाषण में आपको किस मुद्दे पर ज़ोर देना है।

शीर्षक पर कैसे ज़ोर दें। शीर्षक पर सही-सही ज़ोर देने के लिए, अपनी जानकारी को चुनते और उसका क्रम बिठाते वक्‍त इसकी तैयारी करना ज़रूरी है। अगर आप सिर्फ वही जानकारी लें जो आपके शीर्षक को खोलकर समझाती है, साथ ही आप अच्छी आउटलाइन तैयार करने के उसूलों पर चलें, तो खुद-ब-खुद शीर्षक पर ज़ोर पड़ेगा।

शीर्षक को दोहराने से भी उस पर ज़ोर दिया जा सकता है। मिसाल के तौर पर, प्यार के किसी गीत को ही ले लीजिए। पूरे गीत में गायक एक ही शीर्षक या विषय पर ज़ोर देता है कि वह अपनी प्रेमिका से कितना प्यार करता है। वह अपने गीत में कई तरीकों से यही बात बार-बार दोहराता है। वह “प्यार” शब्द के अलग-अलग रूप इस्तेमाल करता है। इसके अलावा, वह पर्यायवाची शब्द, रूपक इस्तेमाल करता है, कविता करता है या दूसरी मिसालें देता है। फिर भी, उसके गीत का विषय नहीं बदलता। ऐसा ही आपके भाषण के शीर्षक के साथ होना चाहिए। जिस तरह गीत में प्यार का विषय कई बार दोहराया जाता है, उसी तरह आपको अपने पूरे भाषण में शीर्षक के खास शब्द दोहराने चाहिए। यह आप अलग-अलग तरीके से कर सकते हैं, जैसे आप शीर्षक के खास शब्दों से मिलते-जुलते शब्द इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर उसी शीर्षक को दूसरे शब्दों में बता सकते हैं। इस तरीके से शीर्षक पर ज़ोर देने से आपके सुननेवाले उसे याद रख पाएँगे।

इन सिद्धांतों पर ना सिर्फ स्टेज से भाषण देते वक्‍त, बल्कि तब भी अमल किया जाना चाहिए जब आप प्रचार में किसी के साथ चर्चा करते हैं। बातचीत चाहे छोटी क्यों न हो, अगर आपका शीर्षक एकदम साफ हो, तो उस बातचीत को आसानी से भुलाया नहीं जा सकता है। बाइबल अध्ययन के दौरान शीर्षक पर ज़ोर देने से सीखी हुई बातों की याद ताज़ा करना ज़्यादा आसान होता है। सही शीर्षक चुनने और उन्हें खोलकर समझाने में आप जो मेहनत करते हैं, उससे भाषण देने और परमेश्‍वर का वचन सिखाने की आपकी काबिलीयत और भी निखर जाएगी।

एक बड़े ग्रंथ का मूल-विषय

यह समझने के लिए कि मूल-विषय यानी शीर्षक की क्या अहमियत है, यहोवा परमेश्‍वर की मिसाल से हम काफी कुछ सीख सकते हैं। हालाँकि उसने बाइबल की 66 किताबों को इंसानों से लिखवाया, फिर भी उसने सारी किताबों को एक ही मूल-विषय के साथ पिरो दिया। वह विषय है, यहोवा परमेश्‍वर के राज्य के ज़रिए इंसानों पर उसके हुकूमत करने के हक को बुलंद करना और उसके प्यार-भरे उद्देश्‍य को पूरा करना।

इस मूल-विषय का सबसे पहला ज़िक्र उत्पत्ति किताब के शुरूआती अध्यायों में मिलता है और इसके बाद पूरी बाइबल में इसके कई पहलुओं को विकसित किया गया है। यहाँ तक कि परमेश्‍वर के नाम का ज़िक्र बार-बार 7,000 से भी ज़्यादा बार किया गया है। सृष्टि के वृत्तांत से साफ ज़ाहिर होता है कि यहोवा को हुकूमत करने का पूरा हक है। फिर आगे बताया गया है कि कैसे उसकी हुकूमत को चुनौती दी गयी और उसकी आज्ञा तोड़ने का कौन-सा भयानक अंजाम निकला। बाइबल के ज़रिए, अपनी सृष्टि के साथ परमेश्‍वर के व्यवहार से उसके प्रेम, बुद्धि, न्याय और उसकी ज़बरदस्त शक्‍ति का पता चलता है। ऐसी अनगिनत मिसालें दी गयी हैं जो दिखाती हैं कि परमेश्‍वर की आज्ञा मानने से फायदा होता है, जबकि उसकी आज्ञा तोड़ने से हमेशा आफत आती है। पाप और मृत्यु को मिटाने के लिए यहोवा ने यीशु मसीह के ज़रिए जो इंतज़ाम किया है, उसके बारे में समझाया गया है और यह भी दिखाया गया है कि यह इंतज़ाम कैसे किया गया। एक स्वर्गीय सरकार की जानकारी दी गयी है कि वह कैसे दुष्ट आत्माओं और पृथ्वी पर रहनेवाले उन सभी प्राणियों का सर्वनाश करेगी जो यहोवा की सृष्टि पर उसकी हुकूमत को मानने से इनकार करते हैं। यह साफ बताया गया है कि परमेश्‍वर का राज्य, पृथ्वी को फिरदौस बनाएगा और उसमें ऐसे लोग जीएँगे जो एकमात्र सच्चे परमेश्‍वर से प्रेम और उसकी उपासना करते हैं, साथ ही जो एक-दूसरे से प्यार करते हैं। और इस तरह यह राज्य, परमेश्‍वर के मकसद को पूरा करेगा।

यह कैसे करें

  • अपना भाषण तैयार करते वक्‍त, मुख्य मुद्दे और उनसे जुड़ी बाकी जानकारी को इस तरह चुनिए कि वे सचमुच शीर्षक को विकसित करने में आपकी मदद करें।

  • भाषण देने का अभ्यास करते वक्‍त, सोचिए कि आप कहाँ और कैसे शीर्षक पर ज़ोर देंगे। इसके लिए, आप शायद अपनी आउटलाइन में उन जगहों पर निशान लगाना चाहेंगे।

  • भाषण देते वक्‍त समय-समय पर, अपने शीर्षक के खास शब्दों या विचारों को दोहराइए।

अभ्यास: प्रचार के लिए हाल की प्रहरीदुर्ग या सजग होइए! पत्रिका के किसी एक लेख के मुताबिक शीर्षक चुनिए। बातचीत की शुरूआत में ही उस लेख में दिलचस्पी जगाने की कोशिश कीजिए। फिर अपनी बातचीत के दौरान एक-दो मुद्दों की मदद से उस शीर्षक को खोलकर समझाइए और फिर आखिर में बताइए कि यह लेख, घर-मालिक के लिए क्या अहमियत रखता है।

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