विश्वासयोग्य परमेश्वर की सेवा करना
कीमॉन प्रोगाकीस द्वारा बताया गया
वह १९५५ की एक कड़ाकेदार ठंडी शाम थी। मेरी पत्नी यानूले को और मुझे चिन्ता होने लगी क्योंकि हमारा १८-वर्षीय पुत्र, यॉरगोस उस गुमटी से नहीं लौटा जहाँ वह काम करता था। अचानक, एक पुलिसवाले ने हमारा दरवाज़ा खटखटाया। “अपनी साइकिल पर घर आते समय आपके पुत्र की टक्कर हो गयी,” उसने कहा, “और वह मर गया।” फिर वह आगे झुका और फुसफुसाया: “वे आपसे कहेंगे कि यह एक दुर्घटना थी, लेकिन मेरी मानिए, उसकी हत्या की गयी है।” स्थानीय पादरी और कुछ परासैन्य नेताओं ने उसे मारने का षड्यंत्र रचा था।
उन सालों में, जब यूनान संघर्ष और कष्ट के समय से उभर रहा था, एक यहोवा का साक्षी होना ख़तरनाक था। मैं यूनानी रूढ़िवादी गिरजे और परासैन्य संगठनों की शक्ति के बारे में स्वतः जानता था क्योंकि १५ से अधिक सालों तक, मैं उनका एक सक्रिय सदस्य था। आइए आपको उन घटनाओं के बारे में बताऊँ जो ४० से भी अधिक साल पहले हमारे परिवार को इस त्रासदी की ओर ले गयीं।
यूनान में बड़ा होना
मेरा जन्म १९०२ में यूनान में, कालकीस नगर के पास एक छोटे-से गाँव के एक संपन्न परिवार में हुआ। मेरे पिता स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे, और हमारे परिजन यूनानी रूढ़िवादी गिरजे के पक्के सदस्य थे। मैं उस समय राजनीतिक और धार्मिक पुस्तकों का उत्सुक पाठक बन गया जब मेरे अधिकांश देशवासी अनपढ़ थे।
बीसवीं शताब्दी के आरंभ में व्याप्त ग़रीबी और अन्याय ने मेरे अन्दर एक ऐसे संसार की अभिलाषा उत्पन्न कर दी जहाँ बेहतर परिस्थितियाँ हों। मैं ने सोचा, धर्म को मेरे देशवासियों की दुःखद स्थिति को सुधारने में समर्थ होना चाहिए। मेरी धार्मिक प्रवृत्ति के कारण, मेरे गाँव के अगुवों ने प्रस्ताव रखा कि मैं अपने समुदाय का यूनानी रूढ़िवादी पादरी बन जाऊँ। लेकिन, हालाँकि मैं कई मठों में गया था और बिशपों और मठाध्यक्षों से लम्बी-लम्बी चर्चाएँ की थीं, फिर भी मैं ने ऐसी ज़िम्मेदारी को स्वीकार करने के लिए तैयार या इच्छुक नहीं महसूस किया।
गृह-युद्ध के मध्य में
सालों बाद, अप्रैल १९४१ में, यूनान नात्ज़ी क़ब्ज़े में आ गया। अब हत्याओं, अकाल, अभाव, और अकथित मानव दुःख के दयनीय युग की शुरूआत हुई। एक प्रचण्ड विरोध आंदोलन चला, और मैं एक गुरिल्ला दल में शामिल हो गया जो नात्ज़ी आक्रमणकारियों से लड़ रहा था। फलस्वरूप, कई बार मेरे घर को आग लगा दी गयी, मुझ पर गोली चलायी गयी, और मेरी फ़सलें नष्ट कर दी गयीं। १९४३ के आरंभ में मेरे और मेरे परिवार के पास उबड़-खाबड़ पहाड़ों पर भागने के अलावा और कोई चारा नहीं था। हम वहाँ अक्तूबर १९४४ में जर्मन क़ब्ज़े के अन्त तक रहे।
जर्मनों के जाने के बाद आन्तरिक राजनीतिक और गृह संघर्ष फूट पड़ा। वह गुरिल्ला विरोध दल जिसका मैं सदस्य था गृह युद्ध में एक प्रमुख लड़ाकू शक्ति बन गया। हालाँकि न्याय, समानता, और साहचर्य के साम्यवादी आदर्श मुझे आकर्षक लगे, वास्तविकता ने अंततः मुझे पूरी तरह निरुत्साहित छोड़ दिया। चूँकि दल में मेरा एक ऊँचा पद था, मैं ने स्वतः देखा कि शक्ति अकसर लोगों को भ्रष्ट कर देती है। प्रत्यक्षतः ऊँचे सिद्धान्तों और आदर्शों के बावजूद, स्वार्थ और अपरिपूर्णता अच्छे से अच्छे राजनीतिक इरादों को बेकार कर देती है।
जिस बात ने मुझे ख़ासकर हैरान किया वह यह थी कि गृह संघर्ष के विभिन्न पक्षों में, रूढ़िवादी पादरी अपने ही धर्म के लोगों की हत्या करने के लिए हथियार उठा रहे थे! मैं ने सोचा, ‘ये पादरी कैसे कह सकते हैं कि वे यीशु मसीह का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने चिताया: “जो तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से नाश किए जाएंगे”?’—मत्ती २६:५२.
१९४६ में गृह युद्ध के दौरान, मैं केंद्रीय यूनान में, लामिया नगर के निकट छिपाव स्थान में था। मेरे कपड़े पूरी तरह से घिस गए थे, सो मैं ने भेष बदलकर शहर में एक दरज़ी के पास जाकर कुछ नए कपड़े बनवाने का फ़ैसला किया। जब मैं वहाँ पहुँचा तब एक गरमागरम बहस चल रही थी, और जल्द ही मैं ने ख़ुद को बोलता हुआ पाया, राजनीति के बारे में नहीं, बल्कि अपने पुराने प्रेम, धर्म के बारे में। मेरे जानकार विचारों को नोट करते हुए, आस-पास के लोगों ने सुझाया कि मैं अमुक ‘धर्म-विज्ञान के प्रोफ़ॆसर’ से बात करूँ। तुरन्त, वे उसे लाने गए।
एक विश्वसनीय आशा पाना
उसके बाद जो चर्चा हुई उसमें “प्रोफ़ॆसर” ने मुझसे पूछा कि मेरे विश्वासों का आधार क्या था। “पवित्र पिता और अखिल चर्ची धर्मसभाएँ,” मैं ने उत्तर दिया। मेरा खण्डन करने के बजाय, उसने अपनी छोटी-सी बाइबल में मत्ती २३:९, १० खोला, और मुझसे यीशु के शब्द पढ़ने को कहा: “और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है। और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात् मसीह।”
उससे मेरी आँखें खुल गयीं! मैं ने भाँप लिया कि यह व्यक्ति सत्य बता रहा है। जब उसने अपनी पहचान एक यहोवा के साक्षी के रूप में करायी, तब मैं ने पढ़ने के लिए उससे कुछ साहित्य माँगा। वह मेरे लिए पुस्तक प्रकाश (अंग्रेज़ी) लाया, जो कि प्रकाशितवाक्य नामक बाइबल पुस्तक पर टीका-टिप्पणी है, और मैं उसे अपने छिपाव स्थान पर ले गया। बहुत समय से, प्रकाशितवाक्य में उल्लिखित जंगली पशु मेरे लिए एक रहस्य थे, लेकिन अब मैं ने सीखा कि ये उन राजनीतिक संगठनों को चित्रित करते हैं जो हमारी २०वीं शताब्दी में विद्यमान हैं। मैं यह समझने लगा कि बाइबल का हमारे समय के लिए व्यावहारिक अर्थ है और कि मुझे इसका अध्ययन करना चाहिए और इसकी सच्चाइयों के अनुसार अपना जीवन ढालना चाहिए।
पकड़ा और क़ैद किया गया
उसके कुछ ही समय बाद, सैनिक मेरे छिपाव स्थान में घुस आए और मुझे गिरफ़्तार कर लिया। मुझे एक काल-कोठरी में फेंक दिया गया। क्योंकि मैं कुछ समय से फ़रार था और कानून को मेरी तलाश थी, मैं ने सोचा कि मुझे फाँसी दी जाएगी। वहाँ, मेरी कोठरी में, मुझसे वह साक्षी मिलने आया जिसने पहली बार मुझसे बात की थी। उसने मुझे पूरी तरह से यहोवा पर भरोसा रखने के लिए प्रोत्साहित किया, जो मैं ने किया। मुझे ईकारीया नामक एजीयन द्वीप पर छः महीने के लिए निर्वासित किया गया।
जैसे ही मैं वहाँ पहुँचा, मैं ने अपनी पहचान एक साम्यवादी के रूप में नहीं, बल्कि एक यहोवा के साक्षी के रूप में करायी। दूसरे भी जिन्होंने बाइबल सत्य सीखा था वहाँ निर्वासित थे, सो मैं ने उन्हें ढूँढ निकाला, और हमने नियमित रूप से एकसाथ बाइबल का अध्ययन किया। उन्होंने शास्त्र में से अधिक ज्ञान प्राप्त करने और हमारे विश्वासयोग्य परमेश्वर, यहोवा की बेहतर समझ पाने में मेरी मदद की।
वर्ष १९४७ में, जब मेरी सज़ा समाप्त हुई, तब मुझे सरकारी अभियोक्ता के कार्यालय में बुलाया गया। उसने मुझे बताया कि वह मेरे आचरण से प्रभावित हुआ है और कहा कि यदि मुझे फिर कभी निर्वासित किया जाए तो मैं प्रमाण के रूप में उसका नाम प्रयोग कर सकता हूँ। ऐथेन्स पहुँचने पर, जहाँ इस दौरान मेरा परिवार जा बसा था, मैं यहोवा के साक्षियों की एक कलीसिया के साथ संगति करने लगा और जल्द ही मैं ने यहोवा के प्रति अपने समर्पण के प्रतीक के रूप में बपतिस्मा लिया।
धर्म-परिवर्तन के लिए आरोपित
यूनान में १९३८ और १९३९ में नियम पारित किए गए जिनमें धर्म-परिवर्तन वर्जित किया गया। दशकों तक, इनके तहत यहोवा के साक्षियों के विरुद्ध मुक़द्दमे चलाए गए। अतः, १९३८ से १९९२ तक, यूनान में साक्षियों की १९,१४७ गिरफ़्तारियाँ हुईं, और अदालतों ने जो सज़ाएँ सुनायीं वे कुल मिलाकर ७५३ साल की थीं, जिनमें से ५९३ साल असल में जेल में बिताए गए। व्यक्तिगत रूप से, मुझे परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार करने के लिए ४० से अधिक बार गिरफ़्तार किया गया, और कुल मिलाकर मैं ने विभिन्न जेलों में २७ महीने बिताए।
मेरी एक गिरफ़्तारी इसके फलस्वरूप हुई कि मैं ने कालकीस में एक यूनानी रूढ़िवादी पादरी को एक पत्र लिखा था। वर्ष १९५५ में, यहोवा के साक्षियों की कलीसियाओं से यह आग्रह किया गया था कि पुस्तिका मसीहीजगत या मसीहियत—“जगत की ज्योति” कौन है? (अंग्रेज़ी) सभी पादरियों को भेजें। एक उच्च-पदधारी पादरी ने, जिसे मैं ने लिखा था, मुझ पर धर्म-परिवर्तन का मुक़द्दमा चला दिया। मुक़द्दमे के दौरान, साक्षी आटर्नी और स्थानीय वकील, दोनों ने बढ़िया प्रतिवाद किया, और परमेश्वर के राज्य के बारे में सुसमाचार का प्रचार करने की सच्चे मसीहियों की बाध्यता को समझाया।—मत्ती २४:१४.
अदालत के पीठासीन न्यायाधीश ने आर्किमैनड्राइट (एक गिरजा उच्च-पदाधिकारी जिसका पद बिशप से छोटा होता है) से पूछा: “क्या आपने वह पत्र और पुस्तिका पढ़ी?”
“जी नहीं,” उसने ज़ोरदार ढंग से उत्तर दिया, “मैं ने लिफ़ाफ़ा खोलते ही उन्हें फाड़कर फेंक दिया!”
“तब आप कैसे कह सकते हैं कि इस व्यक्ति ने आपका धर्म-परिवर्तन किया?” पीठासीन न्यायाधीश ने पूछा।
उसके बाद हमारे आटर्नी ने प्रोफ़ॆसरों और दूसरों के उदाहरण दिए जिन्होंने जन पुस्तकालयों को ढेरों-ढेर पुस्तकें दान दीं। “क्या आप कहेंगे कि वे लोग दूसरों का धर्म-परिवर्तन करने की कोशिश कर रहे थे?” उसने पूछा।
स्पष्टतया, ऐसी गतिविधि धर्म-परिवर्तन कार्य नहीं होती है। मैं ने यहोवा को धन्यवाद दिया जब मैं ने फ़ैसला सुना: “दोषी नहीं।”
मेरे पुत्र की मृत्यु
मेरे पुत्र यॉरगोस को भी लगातार परेशान किया गया, सामान्यतः रूढ़िवादी पादरियों के उकसाए पर। परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने के अपने जवानी के जोश के कारण उसे भी कई बार गिरफ़्तार किया गया। अंततः, विरोधियों ने उसको रास्ते से हटाने का फ़ैसला किया, और साथ ही, हममें से बाक़ियों को धमकी-भरा संदेश भेजा कि प्रचार करना बन्द कर दें।
जो पुलिसवाला हमारे घर यॉरगोस की मृत्यु का समाचार देने आया था उसने कहा कि स्थानीय यूनानी रूढ़िवादी पादरी और कुछ परासैन्य नेताओं ने हमारे पुत्र की हत्या करने का षड्यंत्र बनाया था। उन संकटपूर्ण दिनों में ऐसी “दुर्घटनाएँ” सामान्य थीं। उसकी मृत्यु से हुए शोक के बावजूद, प्रचार कार्य में सक्रिय रहने और यहोवा पर पूरी तरह से भरोसा रखने का हमारा दृढ़संकल्प और भी पक्का हो गया।
यहोवा पर भरोसा रखने में दूसरों की मदद करना
दशक १९६० के मध्य में, मेरी पत्नी और बच्चे गर्मियों के महीने ऐथेन्स से लगभग ५० किलोमीटर दूर, स्काला ऑरोपस के तटीय गाँव में बिताते। उस समय, वहाँ कोई साक्षी नहीं रहता था, सो हम पड़ोसियों को अनौपचारिक साक्षी देते थे। कुछ स्थानीय किसानों ने अनुकूल प्रतिक्रिया दिखायी। क्योंकि पुरुष दिन में अपने खेतों पर बहुत समय तक काम करते थे, हम उनके साथ बाइबल अध्ययन देर रात को करते थे, और कई जन साक्षी बन गए।
यह देखकर कि यहोवा हमारे प्रयासों पर कैसे आशिष दे रहा था, कुछ १५ साल तक हम वहाँ दिलचस्पी दिखानेवालों के साथ बाइबल अध्ययन करने के लिए हर सप्ताह जाते थे। वहाँ हमने जिनके साथ अध्ययन किया उनमें से लगभग ३० व्यक्तियों ने बपतिस्मे की हद तक प्रगति की है। शुरू-शुरू में, एक अध्ययन समूह बनाया गया, और मुझे सभाएँ संचालित करने के लिए नियुक्त किया गया। बाद में वह समूह एक कलीसिया बन गया, और आज उस क्षेत्र के एक सौ से अधिक साक्षियों से मालाकासा कलीसिया बनी है। हम आनन्दित हैं कि जिनको हमने मदद दी उनमें से चार व्यक्ति अब पूर्ण-समय के सेवकों के रूप में सेवा कर रहे हैं।
एक भरपूर विरासत
जब मैं ने यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया उसके कुछ ही समय बाद, मेरी पत्नी ने आध्यात्मिक रूप से प्रगति करनी शुरू की और बपतिस्मा लिया। सताहट के कठिन समय के दौरान, उसका विश्वास मज़बूत रहा और वह अपनी खराई में दृढ़ और अटल रही। मेरे बार-बार क़ैद होने के फलस्वरूप आयी अनेक कठिनाइयों के बारे में उसने कभी शिक़ायत नहीं की।
सालों के दौरान, हमने एकसाथ अनेक बाइबल अध्ययन संचालित किए, और उसने अपने सरल और उत्साही ढंग से अनेक लोगों को प्रभावकारी रीति से मदद दी। अभी, उसका एक पत्रिका मार्ग है जिसमें ऐसे दर्जनों लोग सम्मिलित हैं जिनके पास वह नियमित रूप से पहुँचाती है प्रहरीदुर्ग और सजग होइए!
मुख्यतः मेरी प्रिय साथी के समर्थन के कारण, हमारे तीन जीवित बच्चे और उनके परिवार, जिनमें छः नाती-पोते और चार परनाती-परपोते सम्मिलित हैं, सभी यहोवा की सेवा में सक्रिय हैं। हालाँकि उनको वह सताहट और कटु विरोध नहीं सहना पड़ा है जिसका सामना मेरी पत्नी और मैं ने किया, फिर भी उन्होंने अपना पूरा भरोसा यहोवा पर रखा है, और वे उसके मार्ग पर चलते जाते हैं। जब हमारा प्रिय यॉरगोस पुनरुत्थान में वापिस आएगा तब उससे फिर से मिलना हम सब के लिए क्या ही आनन्द की बात होगी!
यहोवा पर भरोसा रखने के लिए दृढ़संकल्प
इन सारे सालों के दौरान, मैं ने यहोवा की आत्मा को उसके लोगों पर कार्य करते देखा है। उसके आत्मा-निर्देशित संगठन ने मुझे यह देखने में मदद दी है कि हम अपना भरोसा मनुष्यों के प्रयासों पर नहीं रख सकते। एक बेहतर भविष्य के लिए उनकी प्रतिज्ञाएँ बेकार की हैं, एक बड़े झूठ से बढ़कर कुछ नहीं हैं।—भजन १४६:३, ४.
मेरी ढलती उम्र और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद, मेरी आँखें राज्य आशा की वास्तविकता पर लगी हुई हैं। मुझे सचमुच उन सालों का खेद है जो मैं ने झूठे धर्म को समर्पित किए और राजनैतिक माध्यम से बेहतर परिस्थितियाँ लाने की कोशिश में बिताए। यदि मुझे अपना जीवन फिर से जीना होता, तो निःसंदेह मैं विश्वासयोग्य परमेश्वर, यहोवा की सेवा करने का फ़ैसला फिर से करता।
(कीमॉन प्रोगाकीस हाल ही में मृत्यु में सो गया। उसकी आशा पार्थिव थी।)
[पेज 26 पर तसवीरें]
अपनी पत्नी यानूले के साथ कीमॉन की हाल की एक तस्वीर