जो यहोवा का हक बनता है, उसे देना
टीमॉलॆऑन वॉसीलीऊ की ज़ुबानी
बाइबल सिखाने की वज़ह से मुझे पुलिस ने ओइदोनोहॉरी गाँव में गिरफ्तार कर लिया था। उन्होंने मेरे जूते उतारे और डंडों से तलवों पर मारना शुरू कर दिया। लगातार जूते पड़ने से मेरे पैर इतने सुन्न हो गए कि दर्द भी महसूस होना बंद हो गया। ग्रीस में ऐसा सलूक होना कोई बड़ी बात नहीं थी। इससे पहले कि मैं यह बताऊँ कि मुझे इतनी बुरी तरह से क्यों पीटा गया, पहले मैं यह बताना चाहता हूँ कि मैं बाइबल का टीचर कैसे बना।
सन् १९२१ में, मेरे पैदा होने के कुछ समय बाद मेरा परिवार उत्तरी ग्रीस में रॉडॉलॆवॉस शहर में जाकर बस गया। मैं एक मन-मौजी लड़का था। ११ साल की उम्र में ही मैंने सिगरॆट पीनी शुरू कर दी थी। बाद में मैं शराबी और जुआरी भी बन गया। मेरी लगभग हर रात गंदी पार्टियों में ही बीतती थी। संगीत की मुझमें प्रतिभा थी इसलिए मैं जाकर एक बैंड पार्टी में भरती हो गया। करीब एक साल में ही मैंने काफी इंस्ट्रूमेंट बजाने सीख लिए थे। इसके साथ-साथ मुझे पढ़ने का शौक था और नाइंसाफी मुझसे बर्दाश्त नहीं होती थी।
यह सन् १९४० की बात है जब दूसरा विश्वयुद्ध पूरे ज़ोरों पर था। उस समय हमारे बैंड को एक छोटी-सी लड़की के अंतिम-संस्कार के लिए बुलाया गया था। कब्रिस्तान में उसके रिश्तेदार और दोस्त फूट-फूटकर रो रहे थे। उनका दुख और निराशा देखकर मुझे भी बहुत दुख हुआ। मैं सोचने लगा, ‘आखिर हम मरते क्यों हैं? क्या ज़िंदगी बस कुछ दिन ज़िंदा रहने का नाम है? मुझे इन सवालों के जवाब कहाँ मिलेंगे?’
कुछ दिनों बाद मैंने घर में एक शैल्फ (बुक रैक) पर बाइबल रखी देखी। मैंने उसे उतारा और पढ़ना शुरू कर दिया। मत्ती २४:७ में जब मैंने यीशु के शब्दों को पढ़ा तो मुझे पता चला कि यीशु की उपस्थिति का एक चिन्ह है, बड़े पैमाने पर युद्ध होना। इससे मुझे समझ आया कि यीशु के ये शब्द वाकई आज पूरे हो रहे हैं। उसके अगले हफ्तों में मैंने उस मसीही यूनानी शास्त्र यानी आधी बाइबल को कई बार पढ़ डाला।
हमारे पड़ोस में एक विधवा अपने पाँच बच्चों के साथ रहती थी। दिसम्बर १९४० की बात है, जब मैं उनसे मिलने गया तो देखा, उनके घर की अटारी में बहुत सारी किताबें रखी हुई हैं। उनमें से एक किताब (बुकलेट) का नाम अ डिज़ाएरेबल गवर्नमैंट था, जिसे वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ने प्रकाशित किया था। मैंने वहीं अटारी पर बैठ-बैठे पूरी किताब पढ़ डाली। जो कुछ मैंने पढ़ा था, वह एकदम सच-सच लिखा था जिससे मुझे यकीन हो गया कि आज हम वाकई एक ऐसे समय में जी रहे हैं जिसे बाइबल ‘अन्तिम दिन’ कहती है, और बहुत जल्द यहोवा परमेश्वर दुनिया की बुराई का अंत कर देगा और नई धर्मी दुनिया बसाएगा।—२ तीमुथियुस ३:१-५; २ पतरस ३:१३.
बाइबल की जो बात मुझे अच्छी लगी वह यह थी कि इसी ज़मीन पर बगीचे समान माहौल में वफादार लोग हमेशा ज़िंदा रह सकेंगे, उस नई दुनिया में परमेश्वर राज करेगा और तब कोई दुख-तकलीफ नहीं होगी, मौत भी नहीं रहेगी। (भजन ३७:९-११, २९; प्रकाशितवाक्य २१:३, ४) पढ़ते-पढ़ते मैंने यहोवा से प्रार्थना की और इन सब आशीषों के लिए उसको धन्यवाद दिया, और कहा कि अपने पथ पर चलाने के लिए आप ही मुझे रास्ता दिखाइए। मुझे एक बात अच्छी तरह समझ आ गई थी कि मेरी सच्ची भक्ति का हकदार सिर्फ यहोवा परमेश्वर है।—मत्ती २२:३७.
जैसा सीखा वैसा जीया
तभी से मैंने सिगरॆट और शराब पीना बंद कर दिया, और जुआ खेलना भी छोड़ दिया। जो कुछ मैंने उस किताब में पढ़ा था, उसे मैं उस विधवा के पाँच बच्चों और अपने तीन छोटे भाई-बहनों को इकट्ठा करके समझाता था। कुछ ही समय बाद हमने जो कुछ सीखा था उसे हम दूसरों को बताने लगे। और लोग हमें यहोवा के साक्षी समझने लगे, मगर हम तो कभी किसी साक्षी से मिले भी नहीं थे। मैंने जो कुछ सीखा था उसे दूसरों को बताने में, शुरू से ही मैं हर महीने सौ से ज़्यादा घंटे बिताने लगा था।
एक बार, वहाँ के ऑर्थोडॉक्स चर्च का पादरी हमारी शिकायत करने मेयर के पास गया। लेकिन मेयर ने उस पादरी की शिकायत को नहीं सुना। दरअसल हमें इस बात का पता नहीं था मगर कुछ ही दिन पहले, एक जवान साक्षी की ईमानदारी देखकर मेयर खुश हो गया था। उस साक्षी को किसी का खोया हुआ घोड़ा मिला था जिसे उसने उसके मालिक को लौटा दिया था।
सन् १९४१ के अक्तूबर में एक दिन मैं जब बाज़ार में प्रचार कर रहा था तो किसी ने मुझे बताया कि एक यहोवा का साक्षी पास के शहर में रहता है। उसका नाम क्रीस्टॉस ट्रीऑनटॉफीलू था और वह पहले पुलिस की नौकरी करता था। जब मैं उससे मिलने गया तो जाना कि वह १९३२ में साक्षी बना था। उसने मुझे वॉच टावर संस्था की बहुत-सी पुरानी किताबें और पत्रिकाएँ दीं, जिन्हें पाकर मुझे बहुत खुशी हुई! इन प्रकाशनों से मुझे आध्यात्मिक तरक्की करने में सचमुच बहुत मदद मिली थी।
सन् १९४३ में मैंने अपना जीवन यहोवा को समर्पित कर दिया और इसे दिखाने के लिए पानी में बपतिस्मा लिया। उन दिनों मैं आस-पास के तीन गाँवों में बाइबल अध्ययन करा रहा था जिनके नाम डरावीसकॉस, पालॆऑकॉमी, और मावरॉलॉफॉस थे। और अध्ययन कराने के लिए मैं द हार्प ऑफ गॉड किताब इस्तेमाल करता था। कुछ समय बाद वहाँ मुझे यहोवा के साक्षियों की चार कलीसियाएँ बनते हुए देखने का मौका मिला।
मुसीबतों के बावजूद प्रचार करते रहना
सन् १९४४ में ग्रीस को जर्मनी से आज़ादी मिल गई। इसके कुछ समय बाद एथेंस में वॉच टावर सोसाइटी के ब्रांच ऑफिस से संबंध स्थापित किया जा सका। फिर ब्रांच आफिस ने मुझे एक ऐसी जगह जाकर प्रचार करने के लिए कहा जहाँ शायद ही कभी किसी ने राज्य संदेश सुना हो। वहाँ जाने के बाद मैंने तीन महीने एक फॉर्म-हाऊस में काम किया और साल के बाकी महीनों में प्रचार किया।
उसी साल मैंने अपनी माँ, उस विधवा और उसके चार बच्चों को बपतिस्मा लेते हुए देखा, जो मेरे लिए सचमुच एक बड़ी आशीष थी। विधवा की सबसे छोटी बेटी मॉरीऑनथी का बपतिस्मा १९४३ में ही हो चुका था और उसी साल नवम्बर में मैंने उससे शादी कर ली। तीस साल बाद १९७४ में मेरे पिताजी ने भी बपतिस्मा ले लिया।
ब्रांच आफिस से हमें पहली बार १९४५ में, हाथ से छपी (मीमियोग्राफ) द वॉचटावर की एक कॉपी मिली जिसका मुख्य विषय था “जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ।” (मत्ती २८:१९) मॉरीऑनथी और मैंने तुरंत अपना घर छोड़ दिया और दूर स्ट्राईमॉन नदी के पूर्व में प्रचार करने के लिए चल पड़े। बाद में हमारे पास वहाँ दूसरे साक्षी भी आ गए।
किसी गाँव तक पहुँचने के लिए अकसर हमें कई किलोमीटर घाटियों और पहाड़ों को पार करते हुए नंगे पाँव चलना पड़ता था। ऐसा हम अपने जूते बचाने के लिए करते थे क्योंकि अगर वे फट जाते तो हमारे पास दूसरे जूते नहीं थे। सन् १९४६ से १९४९ के दौरान पूरे ग्रीस में आंतरिक-युद्ध चल रहा था, और सफर करना बड़ा खतरनाक था। रोड पर लाशें पड़ी देखना आम बात हो गई थी।
मुसीबतों से हार मानकर बैठने की बजाए हम जोश से प्रचार करने में लगे रहे। मैंने बहुत बार भजनहार की तरह महसूस किया, जिसने लिखा: “चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।” (भजन २३:४) उन दिनों हम अकसर कई-कई हफ्तों तक अपने घर से बाहर रहते थे, और मैं कभी-कभी एक महीने में सेवकाई में २५० घंटे बिताता था।
ओइदोनोहॉरी में सेवकाई करना
सन् १९४६ में हम जिन गाँवों में गए उनमें से एक गाँव का नाम ओइदोनोहॉरी था, जो एक पहाड़ पर बसा हुआ था। वहाँ हम एक ऐसे आदमी से मिले जिसने हमें बताया कि गाँव में दो आदमी हैं जो बाइबल सीखना चाहते हैं। मगर अपने पड़ोसियों के डर से उस आदमी ने हमें उन आदमियों का पता नहीं बताया। मगर हमने उनका घर ढूँढ़ ही लिया, और उन्होंने बड़े प्यार से हमारा स्वागत किया। हमने देखा कि थोड़ी ही देर में उनका घर पूरी तरह रिश्तेदारों और दोस्तों से भर गया! जिस कदर वे हमारी बातें बड़े ध्यान से सुन रहे थे यह देखकर मैं दंग रह गया। उन्होंने हमें बताया कि उन्हें किसी यहोवा के साक्षी से मिलने की बहुत इच्छा थी। लेकिन उस इलाके में जर्मनी का कब्ज़ा होने की वज़ह से वहाँ एक भी यहोवा का साक्षी नहीं था। मगर क्या कारण था कि वे हमारी बात सुनने के लिए आतुर थे?
उस घर के वे दोनों आदमी, उस गाँव की कम्युनिस्ट पार्टी के खास सदस्य थे, और उन्होंने गाँव के लोगों को कम्युनिस्ट विचार बताए थे। मगर बाद में जब उन्होंने वॉच टावर सोसाइटी द्वारा छापी गई गवर्नमॆंट किताब पढ़ी, तो उन्हें इस बात का यकीन हो गया कि सिर्फ परमेश्वर का राज्य ही ऐसी सरकार है जो इस ज़मीन पर धार्मिकता और शांति ला सकता है।
हम उन आदमियों और उनके दोस्तों से आधी रात तक बात करते रहे। बाइबल से अपने सवालों के जवाब सुनकर वे लोग पूरी तरह संतुष्ट हो गए थे। कुछ समय बाद गाँव के कम्युनिस्ट लोगों ने मुझे मार देने की योजना बनाई, क्योंकि वे सोच रहे थे कि मैंने उनके नेताओं का दिमाग खराब कर दिया है। पहली बार जब हम उस घर में बात कर रहे थे तो वहाँ लोगों में वह आदमी भी मौजूद था जिसने हमें उन दो आदमियों के बारे में बताया था। वह बाइबल से सच्चाई सीखता चला गया और उसने बपतिस्मा भी लिया। आगे चलकर वह एक मसीही प्राचीन बन गया।
भयंकर सताहट
उन दो आदमियों से मुलाकात करने के कुछ दिन बाद जब हम एक कमरे में सभा कर रहे थे तो दो पुलिसवाले अंदर आ गए। और हममें से चार लोगों को बंदूक की नोक पर गिरफ्तार करके पुलिस स्टेशन ले गए। वहाँ एक पुलिस अफसर था जिसका संबंध ग्रीक-ऑर्थोडॉक्स के पादरी से था। पहले तो उसने हमारी बहुत बेइज़्ज़ती की, फिर हमसे पूछा, “अब तुम्हारे साथ क्या सलूक किया जाए?”
हमारे पीछे जो पुलिसवाले खड़े थे वे सब एक साथ चिल्लाते हुए बोले, “चलो इनकी अच्छी तरह धुनाई करें!”।
रात बहुत हो गई थी, पुलिसवालों ने हमें तहखाने में बंद कर दिया और पड़ोस के शराबखाने में चले गए। जब वे पीकर धुत हो गए, तो वापस आए और मुझे ऊपर बुलाया।
उनकी हालत देखकर मैं समझ गया कि मेरी जान कभी भी जा सकती है। मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की कि ये लोग मुझे चाहे कितना भी सताएँ मगर उसे सहने की आप मुझे ताकत दें। पुलिसवालों ने लकड़ी के डंडे उठाए और मेरे तलवों पर मारने शुरू कर दिए जैसा कि मैंने शुरू में बताया था। फिर उन्होंने मेरे पूरे शरीर पर डंडे बरसाने शुरू कर दिए और बाद में मुझे तहखाने में डाल दिया। और दूसरे साक्षी को ऊपर पीटने के लिए ले गए।
इस बीच मैं दूसरे दो जवान भाइयों की हिम्मत बँधाने लगा ताकि वे आनेवाली परीक्षा का साम्हना कर सकें। मगर पुलिसवाले तो उनके बदले फिर से मुझे ही ऊपर ले गए। इस बार उन्होंने मेरे कपड़े उतारे और उनमें से पाँच लोग करीब एक घंटे तक मुझे पीटते रहे और मेरे सिर पर अपने फौजी जूतों से ठोकरें मारते रहे। फिर उन्होंने मुझे सीढ़ियों से नीचे लुढ़का दिया जहाँ मैं करीब १२ घंटे तक बेहोश पड़ा रहा।
जब हमें वहाँ से छोड़ा गया तो उस गाँव के एक परिवार ने हमें रातभर के लिए अपने घर में जगह दी और हमारी देखभाल की। अगले दिन हम अपने घर के लिए चल दिए। उस रात की पिटाई से हम इतने कमज़ोर और बेजान हो गए थे कि दो घंटे का सफर तय करने में हमें आठ घंटे लग गए। पिटाई की वज़ह से मेरा शरीर इतना सूज गया था कि मॉरीऑनथी बड़ी मुश्किल से मुझे पहचान पाई।
विरोध के बावजूद बढ़ोतरी
सन् १९४९ में जब आंतरिक-युद्ध जारी था, हम थिस्सलुनीका में जाकर बस गए। उस शहर में चार कलीसियाएँ थीं। एक कलीसिया में मुझे काँग्रीगेशन सर्वेंट अस्सिटेंट की हैसियत से सेवा करने के लिए कहा गया। सालभर में ही इतनी बढ़ोतरी हो गई कि दूसरी कलीसिया बनानी पड़ी जिसमें मुझे काँग्रीगेशन सर्वेंट (प्रिज़ाइडिंग ओवरसियर) बना दिया गया। ये नई कलीसिया भी एक साल में बहुत बढ़ गई इसलिए फिर से एक और कलीसिया बनानी पड़ी!
थिस्सलुनीका में यहोवा के साक्षियों की बढ़ोतरी देखकर विरोधी लोग जल-भुन गए थे। सन् १९५२ में, एक दिन जब मैं नौकरी से घर लौटा तो क्या देखा, मेरा पूरा घर आग में जलकर राख हो चुका था। मॉरीऑनथी बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर निकल पाई थी। उस शाम जब हम मीटिंग में पहुँचे तब हमने उन्हें बताया कि हमारे कपड़े गंदे क्यों हैं। उस आग में हमारा सब कुछ भस्म हो चुका था। हमारे मसीही भाई-बहनों ने हमें बहुत हमदर्दी दिखाई और हमें बड़ा सहारा दिया।
सन् १९६१ में मुझे ट्रेवलिंग-कार्य दिया गया ताकि मैं हर हफ्ते अलग-अलग कलीसिया में जाकर भाइयों को आध्यात्मिक रूप से मज़बूत करूँ। मैंने और मॉरीऑनथी ने अगले २७ साल मेस्सेडोनीया, थ्रासी और थॆसली के सर्किट और डिस्ट्रिक्ट में सेवा की। मॉरीऑनथी को १९४८ से बहुत कम दिखाई देने लगा था मगर फिर भी वह जोश से मेरे साथ सेवा करती रही और उसने बड़े धीरज से अपने विश्वास की परीक्षाओं को सहा। उसे भी बहुत बार गिरफ्तार किया गया, पूछताछ की गई, और कैद किया गया। बाद में उसकी सेहत गिरती चली गई और काफी समय तक कैंसर से लड़ते-लड़ते अंत में १९८८ में उसकी मौत हो गई।
उसी साल मुझे स्पैशल पायनियर बना दिया गया ताकि मैं थिस्सलुनीका में सेवा करूँ। मुझे यहोवा की सेवा करते हुए अब ५६ से ज़्यादा साल बीत चुके हैं। मगर आज भी मैं बहुत मेहनत कर सकता हूँ और प्रचार करने के लिए अलग-अलग तरीके इस्तेमाल कर सकता हूँ। कभी-कभी मैंने एक हफ्ते में २० बाइबल अध्ययन भी कराए हैं।
मैं इस बात को बहुत अच्छी तरह समझता हूँ कि आज हम एक बहुत बड़े शिक्षा-कार्यक्रम की शुरूआत कर रहे हैं जो आगे चलकर यहोवा के नए संसार में एक हज़ार साल तक चलता रहेगा। मगर शुरूआत होने के बावजूद मैं यह मानता हूँ कि यह समय ढीले पड़ने, आलसी होने या शारीरिक इच्छाओं को पूरा करने का समय नहीं है। मैं परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ क्योंकि शुरू में मैंने जिस वादे के बारे में बताया था उसको पूरा करने में उसने मेरी मदद की है। वाकई हमारी सच्ची भक्ति और तन-मन से की गई सेवा का हकदार सिर्फ यहोवा परमेश्वर ही है।
[पेज 24 पर तसवीर]
जब हमारे प्रचार-कार्य पर पाबंदी थी उस समय भाषण देते हुए
[पेज 25 पर तसवीर]
अपनी पत्नी मॉरीऑनथी के साथ