यहोवा के प्रेममय हाथ के अधीन सेवा करना
लाम्प्रोस ज़ूम्पोस द्वारा बताया गया
मेरे सामने एक महत्त्वपूर्ण चुनाव था: मेरे धनवान चाचा की बहुत बड़ी ज़मीन-जायदाद की देखभाल करने का उनका प्रस्ताव स्वीकार करूँ—और इस तरह अपने परिवार की आर्थिक समस्याओं को सुलझाऊँ—या यहोवा परमेश्वर का एक पूर्ण-समय सेवक बनूँ। मैं उन तत्वों के बारे में बताना चाहूँगा जिनका प्रभाव मेरे आख़िरी निर्णय पर हुआ।
मेरा जन्म १९१९ में, वोलास, यूनान में हुआ था। मेरे पिता पुरुष-पोशाकों की बिक्री करते थे, और हम भौतिक समृद्धि का आनन्द ले रहे थे। लेकिन १९२० के दशक के अंतिम भाग में हुई आर्थिक मन्दी के परिणामस्वरूप, पिताजी को दिवालिया होना पड़ा और उनकी दुकान बन्द पड़ गयी। हर बार जब मैं अपने पिता के चेहरे पर निराशा का भाव देखता तो मुझे बहुत दुःख होता।
कुछ समय के लिए मेरा परिवार घोर ग़रीबी में जीया। मैं हर दिन राशन लेने के लिए कतार में खड़े रहने के वास्ते स्कूल से एक घंटा जल्दी निकलता। फिर भी, हमारी ग़रीबी के बावजूद हम शान्त पारिवारिक जीवन का आनन्द उठाते थे। मेरा सपना था कि एक डॉक्टर बनूँ, लेकिन मेरी मध्य-किशोरावस्था में मुझे स्कूल छोड़कर काम करना पड़ा ताकि अपने परिवार को ज़िन्दा रखने के लिए मदद करूँ।
उसके बाद, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जर्मनों और इतालवियों ने यूनान पर क़ब्ज़ा किया और सख़्त अकाल पड़ा। मैं ने अकसर सड़कों पर दोस्तों और परिचितों को भुखमरी से मरते देखा—एक भयंकर दृश्य जिसे मैं कभी नहीं भूलूँगा! एक बार, हमारे परिवार ने बिना रोटी के, जो यूनान में मुख्य भोजन है, ४० दिन तक निर्वाह किया। ज़िन्दा रहने के लिए, मैं और मेरा बड़ा भाई पास के गाँवों में गए और दोस्तों और सगे-सम्बन्धियों से आलू ले आए।
बीमारी आशीष बन जाती है
१९४४ की शुरूआत में, मैं एक प्रकार की प्लूरिसी से बहुत ही बीमार हो गया। अस्पताल में मेरे तीन-माह के वास के दौरान, मेरा एक रिश्ते का भाई मेरे पास दो पुस्तिकाएँ ले आया और कहा: “इन्हें पढ़ो; मुझे यक़ीन है कि तुम्हें ये अच्छी लगेंगी।” परमेश्वर कौन है? (अंग्रेज़ी) और रक्षा (अंग्रेज़ी) पुस्तिकाएँ, वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित की गयी थीं। उन्हें पढ़ने के बाद, मैं ने उनके विषय को अपने साथ के मरीज़ों के साथ बाँटा।
अस्पताल छोड़ने के बाद, मैं यहोवा के साक्षियों की वोलास कलीसिया के साथ संगति करने लगा। लेकिन, एक महीने तक मैं एक बाहरी-मरीज़ के तौर पर अपने घर की चारदीवारी तक सीमित था, और हर दिन छः से आठ घंटों तक, मैं प्रहरीदुर्ग के पुराने अंकों को साथ ही वॉच टावर संस्था द्वारा प्रकाशित अन्य प्रकाशनों को पढ़ता था। इसके परिणामस्वरूप, मेरी आध्यात्मिक वृद्धि काफ़ी तेज़ थी।
बाल बाल बचना
१९४४ के मध्य में एक दिन, मैं वोलास में एक बग़ीचे की बेंच पर बैठा हुआ था। एक परासैन्य दल ने, जो जर्मन अधिकार सेना का समर्थक था, उस जगह को अचानक घेर लिया और वहाँ मौजूद हर व्यक्ति को गिरत्नतार कर लिया। हम जो क़रीब दो दर्जन लोग थे, हमें रास्तों से चलाकर गॆस्टापो मुख्यालय तक ले जाया गया, जो तम्बाकू के एक गोदाम में था।
कुछ मिनट बाद, मैं ने किसी को मेरा और उस व्यक्ति का नाम पुकारते हुए सुना जिसके साथ मैं बग़ीचे में बात कर रहा था। एक यूनानी सैन्य अफ़सर ने हमें बुलाया और हमसे कहा कि जब मेरे एक रिश्तेदार ने हमें सिपाहियों द्वारा ले जाए जाते हुए देखा, तो उसने उससे कहा कि हम यहोवा के साक्षी हैं। उस यूनानी अफ़सर ने तब कहा कि हम घर जाने के लिए आज़ाद थे, और उसने हमें अपना सरकारी कार्ड दिया कि अगर हम फिर गिरत्नतार हुए तो उसका प्रयोग करें।
उसके दूसरे दिन हमें पता चला कि उन जर्मनों ने, यूनानी प्रतिरोधी लड़ाकुओं द्वारा दो जर्मन सैनिकों को मारने का बदला लेने के लिए, गिरफ़्तार किए गए अधिकांश लोगों की हत्या कर दी थी। संभवतः मृत्यु से छुटकारा मिलने के अलावा, मैं ने उस अवसर पर मसीही तटस्थता का महत्त्व सीखा।
१९४४ की शरत् में, मैं ने पानी के बपतिस्मे के द्वारा यहोवा के प्रति अपने समर्पण को चिन्हित किया। उसके बाद की गर्मियों में, साक्षियों ने मेरे लिए प्रबन्ध किए ताकि ऊपर पहाड़ों में स्थित, स्क्लीथ्रो कलीसिया के साथ संगति करूँ, जहाँ मैं फिर से पूरी तरह स्वस्थ हो सकता था। यूनान में तब जर्मन अधिकार के अन्त के बाद शुरू हुआ गृह-युद्ध छिड़ा हुआ था। ऐसा हुआ कि जिस गाँव में मैं ठहरा हुआ था वह एक प्रकार से गुरिल्ला सेना के केन्द्र का काम कर रहा था। स्थानीय पादरी और एक और विद्वेषी व्यक्ति ने मुझ पर सरकारी सेना के लिए जासूसी करने का इल्ज़ाम लगाया और एक स्वनियुक्त गुरिल्ला सैन्य अदालत द्वारा मुझसे पूछताछ करवायी।
इस नक़ली अदालती मुक़दमे में उस क्षेत्र के गुरिल्ला सेना का नेता भी मौजूद था। जब मैं ने उस गाँव में ठहरने के कारण की सफ़ाई देना ख़त्म किया और यह दिखाया कि एक मसीही के तौर पर, मैं गृह-युद्ध में पूरी तरह से तटस्थ था, तो उस नेता ने अन्य लोगों से कहा: “अगर कोई इस इंसान को छूएगा, तो मैं उससे इसका हिसाब लूँगा!”
बाद में मैं अपने शारीरिक स्वास्थ्य से अधिक अपने विश्वास में ज़्यादा हृष्ट-पुष्ट होकर अपने गृहनगर वोलास लौटा।
आध्यात्मिक प्रगति
उसके कुछ ही समय बाद मुझे स्थानीय कलीसिया में लेखा सेवक नियुक्त किया गया। गृह-युद्ध द्वारा उत्पन्न हुई कठिनाइयों के बावजूद—जिनमें पादरियों द्वारा उकसाए गए धर्मांतरण के इल्ज़ामों के कारण अनेक गिरफ़्तारियाँ भी शामिल थीं—मसीही सेवकाई में भाग लेने से मुझे और हमारी कलीसिया के बाक़ी लोगों को बहुत आनन्द मिला।
उसके बाद, १९४७ की शुरूआत में, हमसे यहोवा के साक्षियों के एक सफ़री ओवरसियर ने भेंट की। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहली ऐसी भेंट थी। उस समय वोलास में हमारी फलती-फूलती कलीसिया को दो कलीसियाएँ बनाने के लिए विभाजित किया गया, और मुझे एक कलीसिया का प्रिसाइडिंग ओवरसियर नियुक्त किया गया। परासैन्य और राष्ट्रवादी संगठन उस समय लोगों में डर फैला रहे थे। पादरियों ने इस स्थिति का फ़ायदा उठाया। उन्होंने यह झूठी अफ़वाह फैलाने के द्वारा अधिकारियों को यहोवा के साक्षियों के विरुद्ध कर दिया कि हम साम्यवादी थे या वामपंथी दलों के समर्थक थे।
गिरफ़्तारियाँ और क़ैद
१९४७ में, मुझे क़रीब दस बार गिरफ़्तार किया गया और मुझ पर तीन मुक़दमे चलाए गए। हर बार मुझे बरी कर दिया गया। १९४८ के वसन्त में, मुझे धर्मांतरण के लिए चार महीने की क़ैद की सज़ा सुनायी गयी। मैं ने अपनी सज़ा वोलास जेल में काटी। इस दौरान हमारी कलीसिया में राज्य उद्घोषकों की संख्या दुगुनी हो गयी, और भाइयों के हृदय आनन्द और ख़ुशी से भरे हुए थे।
अक्तूबर १९४८ में, जब हमारी कलीसिया में अगुवाई लेनेवाले अन्य छः व्यक्तियों के साथ मेरी मीटिंग चल रही थी, तो पाँच पुलिसवाले घर में घुस आए और बन्दूक की नोक पर हमें गिरफ़्तार कर लिया। वे हमें गिरफ़्तारी का कारण बताए बग़ैर थाने ले गए, और वहाँ हमें पीटा गया। एक पुलिसवाले ने जो पहले एक मुक्केबाज़ रहा था, मेरे मुँह पर मुक्के मारे। उसके बाद हमें एक कोठरी में डाल दिया गया।
उसके बाद कार्यभारी अफ़सर ने मुझे अपने कार्यालय में बुलाया। जब मैं ने दरवाज़ा खोला, उसने मुझ पर स्याही की एक बोतल फेंकी, जो अपने निशाने से चूक गयी और दीवार पर जा टूटी। उसने यह मुझे डराने की कोशिश करने के लिए किया। उसके बाद उसने मुझे कागज़ का एक टुकड़ा और एक कलम दी और हुक़्म दिया: “वोलास में सभी यहोवा के साक्षियों के नाम लिखो, और सुबह मेरे पास इसकी सूची ले आना। अगर तुम नहीं लाए, तो तुम जानते हो कि तुम्हारा क्या हश्र होगा!”
मैं ने जवाब नहीं दिया, लेकिन कोठरी में मेरी वापसी पर, बाक़ी सभी भाइयों ने और मैं ने यहोवा से प्रार्थना की। मैं ने कागज़ पर केवल अपना नाम लिखा और बुलाए जाने का इन्तज़ार करने लगा। लेकिन मुझे उस अफ़सर से कोई और संदेश नहीं मिला। रात के समय, विरोधी सैन्य-दल आया था, और उनके विरोध में इस अफ़सर ने अपने लोगों की अगुवाई की थी। उसके बाद हुई मुठभेड़ में, वह गंभीर रूप से घायल हुआ, और उसकी एक टाँग को काटना पड़ा था। आख़िरकार, हमारे मुक़दमे की सुनवाई हुई, और हम पर एक ग़ैर-क़ानूनी मीटिंग आयोजित करने का इल्ज़ाम लगाया गया। हम सातों को जेल में पाँच साल की सज़ा सुनायी गयी।
जेल में रविवार के मिस्सा में उपस्थित होने से इनकार करने के कारण, मुझे काल-कोठरी में डाल दिया गया। तीसरे दिन, मैं ने जेल के संचालक से बात करने की माँग की। “बोलने के लिए माफ़ी चाहता हूँ,” मैं ने उससे कहा, “लेकिन ऐसे किसी व्यक्ति को सताना मूर्खता लगती है जो अपने धर्म के लिए जेल में पाँच साल बिताने पर सहमत है।” उसने इसके बारे में गंभीरतापूर्वक सोचा, और आख़िरकार उसने कहा: “कल से, तुम यहाँ मेरे दफ़्तातर में मेरे साथ काम करोगे।”
आख़िरकार, मुझे जेल में एक डॉक्टर के सहायक के तौर पर काम मिला। इसके परिणामस्वरूप, मैं ने स्वास्थ्य सेवा के बारे में बहुत कुछ सीखा, और वह बाद के सालों में बहुत ही उपयोगी साबित हुआ है। जब मैं जेल में था, मुझे प्रचार करने के अनेक अवसर प्राप्त हुए और तीन व्यक्तियों ने प्रतिक्रिया दिखायी और यहोवा के साक्षी बने।
क़रीब चार साल जेल काटने के बाद, मुझे आख़िरकार १९५२ में परिवीक्षा पर रिहा किया गया। बाद में, मुझे तटस्थता के वाद-विषय पर कोरिन्थ की अदालत में हाज़िरी देनी पड़ी। (यशायाह २:४) वहाँ मुझे सैन्य जेल में कुछ समय के लिए रखा गया, और दुर्व्यवहार का एक और दौर शुरू हुआ। कुछ अफ़सर काफ़ी नयी-नयी धमकियाँ देते, वे कहते: “मैं एक छुरे से तुम्हारे दिल के टुकड़े काट-काट कर निकालूँगा,” या “यह आशा मत करो कि सिर्फ़ छः गोलियाँ लगकर तुम्हारी मौत तुरन्त हो जाएगी।”
एक अलग क़िस्म का इम्तहान
लेकिन, जल्द ही मैं घर लौटा, और वोलास कलीसिया के साथ फिर से सेवा करने लगा और लौकिक रूप से अंशकालिक काम करने लगा। एक दिन, मुझे ऐथॆन्स में वॉच टावर संस्था के शाखा दफ़्तातर से एक चिट्ठी प्राप्त हुई, जिसमें मुझे दो सप्ताह के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने और फिर सर्किट ओवरसियर के तौर पर यहोवा के साक्षियों की कलीसियाओं में भेंट करना शुरू करने के लिए आमंत्रित किया गया था। उसी समय पर, एक चाचा ने, जो निःसंतान थे और जिनकी ज़मीन-जायदाद बहुत बड़ी थी, अपनी सम्पत्ति की देखभाल करने के लिए मुझसे कहा। मेरा परिवार अब भी ग़रीबी में गुज़ारा कर रहा था, और इस रोज़गार से उनकी आर्थिक समस्याएँ हल हो जातीं।
उनके प्रस्ताव के लिए आभार व्यक्त करने की ख़ातिर मैं ने अपने चाचा से भेंट की, लेकिन मैं ने उन्हें बताया कि मसीही सेवकाई में एक ख़ास नियुक्ति को स्वीकार करने का मैं ने निर्णय किया था। इस पर वो उठ खड़े हुए, मुझ पर एक सौम्य दृष्टि डाली, और सहसा कमरे से निकल गए। वो लौटे और उपहारस्वरूप ढेर सारा पैसा ले आए जो कुछ महीनों के लिए मेरे परिवार का भरण-पोषण कर सकता था। उन्होंने कहा: “इसे लो, और जैसा तुम्हें अच्छा लगे इसका इस्तेमाल करो।” आज तक, मैं उन भावनाओं का वर्णन नहीं कर सकता जिनका अनुभव मुझे उस घड़ी हुआ। यह ऐसा था मानो मैं ने यहोवा की आवाज़ को मुझसे यह कहते हुए सुना, ‘तुमने सही चुनाव किया। मैं तुम्हारे संग हूँ।’
अपने परिवार के आशीर्वाद के साथ, मैं दिसम्बर १९५३ में ऐथॆन्स के लिए निकल पड़ा। हालाँकि केवल मेरी माँ एक साक्षी बनीं, मेरे परिवार के अन्य सदस्यों ने मेरे मसीही कार्य का विरोध नहीं किया। जब मैं ऐथॆन्स में शाखा दफ़्तातर को गया, तो मुझे एक और आश्चर्य हुआ। मेरी बहन से एक तार आया था, जिसमें बताया था कि कल्याण-पेंशन पाने का पिताजी का दो साल से चल रहा संघर्ष उस दिन सफल हो गया था। मैं इससे ज़्यादा और क्या माँग सकता था? मुझे ऐसा लगा मानो मेरे पर निकल आए हों, और मैं यहोवा की सेवा में ऊँची उड़ान भरने के लिए तैयार हूँ!
सावधानी बरतना
सर्किट कार्य में मेरे शुरूआत के सालों में, मुझे बहुत सतर्क होना था क्योंकि यहोवा के साक्षियों को धार्मिक और राजनैतिक अधिकारियों द्वारा कठोरतापूर्वक सताया जा रहा था। अपने मसीही भाइयों से भेंट करने के लिए, विशेषकर उन भाइयों से जो छोटे क़स्बों और गाँवों में रहते थे, मुझे रात के अंधेरे में कई घंटे चलना पड़ता था। वे भाई, जो गिरफ़्तारी का जोख़िम उठाते थे, एक मकान में इकट्ठे होते और मेरे आगमन के लिए धैर्यपूर्वक इंतज़ार करते थे। इन भेंटों से हम सभी के लिए प्रोत्साहन का क्या ही बढ़िया आदान-प्रदान होता था!—रोमियों १:११, १२.
पता न लगे, इसलिए मैं कभी-कभी भेष बदला करता था। एक बार, मैं ने एक मार्ग-रोक से गुज़रने के लिए एक चरवाहे जैसे कपड़े पहने ताकि भाइयों के उस समूह तक पहुँच सकूँ जिन्हें आध्यात्मिक चरवाही की बुरी तरह से ज़रूरत थी। १९५५ में, एक और अवसर पर एक संगी साक्षी ने और मैं ने लहसुन बेचनेवाले होने का स्वाँग किया ताकि पुलिस के शक को जगाने से दूर रहें। हमारा काम था कि कुछ ऐसे मसीही भाइयों से सम्पर्क करें जो आर्गास् ऑरॆस्टीकॉन के छोटे-से क़स्बे में निष्क्रिय हो गए थे।
हमने क़स्बे के आम बाज़ार में अपना माल लगाया। लेकिन, उस क्षेत्र में गश्त लगानेवाले एक युवा पुलिसवाले को शक हो गया, और हर बार जब वह गुज़रता तो हमारी ओर जिज्ञासा से घूरता। आख़िरकार, उसने मुझसे कहा: “तुम लहसुन बेचनेवाले जैसे नहीं दिखते।” उसी घड़ी, तीन युवतियाँ पास आयीं और थोड़ा लहसुन ख़रीदने की इच्छा ज़ाहिर की। अपने माल की ओर इशारा करते हुए, मैं ने ज़ोर से कहा: “यह जवान पुलिसवाला ऐसा लहसुन खाता है, और देखिए तो यह कितना हट्टा-कट्टा और बाँका है!” युवतियों ने उस पुलिसवाले की ओर देखा और हँस पड़ीं। वह भी मुस्कुराया और फिर चला गया।
जब वह चला गया तो मैं ने इस अवसर का फ़ायदा उस दुकान में जाने के लिए उठाया जहाँ हमारे आध्यात्मिक भाई दरज़ियों के तौर पर काम करते थे। मैं ने उनमें से एक को बटन सीने के लिए कहा जो मैं ने अपनी जैकेट से उखाड़ लिया था। जब वह ऐसा कर रहा था, मैं झुककर बुदबुदाया: “मैं आप से मिलने शाख़ा दफ़्तर से आया हूँ।” पहलेपहल तो भाई डर गए, क्योंकि कई सालों से उनका संगी साक्षियों के साथ सम्पर्क नहीं रहा था। मैं ने उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए पूरा प्रयास किया और ज़्यादा बातचीत के लिए उनसे बाद में क़स्बे के क़ब्रिस्तान में मिलने का प्रबन्ध किया। ख़ुशी की बात है कि यह भेंट प्रोत्साहक थी, और वे फिर से मसीही सेवकाई में उत्साहपूर्ण बने।
एक वफ़ादार साथी पाना
१९५६ में, सफ़री कार्य शुरू करने के तीन साल बाद, मैं निकी से मिला, एक मसीही युवती जिसे प्रचार कार्य के लिए बड़ा प्रेम था और जो अपना जीवन पूर्ण-समय सेवकाई में बिताना चाहती थी। हमें एक दूसरे से प्यार हो गया और जून १९५७ में हमारा विवाह हुआ। मैं सोच रहा था कि क्या निकी उन प्रतिकूल परिस्थितियों के अधीन सफ़री कार्य की माँगों को पूरा कर सकेगी जो उस समय यूनान में यहोवा के साक्षियों के लिए विद्यमान थीं। यहोवा की मदद से उसने निभा लिया, और इस प्रकार यूनान में सर्किट कार्य में अपने पति का साथ देनेवाली पहली स्त्री बनी।
हम दस सालों तक सफ़री कार्य में साथ-साथ रहे, यूनान में अधिकांश कलीसियाओं में सेवा की। अकसर हम भेष बदलते और सूटकेस हाथ में लिए रात के अंधेरे में किसी कलीसिया तक पहुँचने के लिए घंटों चलते। जिस कड़े विरोध का हमने अकसर सामना किया उसके बावजूद, हम साक्षियों की संख्या में शानदार वृद्धि को प्रत्यक्ष देखकर रोमांचित थे।
बेथेल सेवा
जनवरी १९६७ में, निकी और मुझे बेथेल में, जैसे यहोवा के साक्षियों के शाख़ा दफ़्तातर को पुकारा जाता है, सेवा करने के लिए आमंत्रित किया गया। इस आमंत्रण से हम दोनों को बहुत आश्चर्य हुआ, लेकिन हमने उसे स्वीकार किया, इस बात से विश्वस्त होकर कि यहोवा मामलों को निर्देशित कर रहा था। जैसे-जैसे समय बीता, हम इस बात की क़दर करने लगे कि ईश्वरशासित गतिविधि के इस केन्द्र में सेवा करना कितना बड़ा विशेषाधिकार है।
हमारे बेथेल सेवा में प्रवेश करने के तीन महीने बाद, एक सैन्य गुट ने सत्ता हथिया ली, और यहोवा के साक्षियों को अपना काम ज़्यादा गुप्त रूप से जारी रखना पड़ा। हम छोटे समूहों में इकट्ठे होने लगे, जंगल में अपने सम्मेलन आयोजित करते, सतर्कता से प्रचार करते, और गुप्त रूप से बाइबल साहित्य को छापते और वितरित करते। इन परिस्थितियों के अनुकूल होना मुश्किल नहीं था, क्योंकि हमने अपने कार्य को जारी रखने के लिए उन तरीक़ों का केवल पुनःप्रयोग किया जिन्हें हमने गत वर्षों में प्रयोग किया था। प्रतिबंधों के बावजूद, १९६७ में ११,००० से कम साक्षियों की गिनती बढ़कर १९७४ में १७,००० से ज़्यादा हो गयी।
बेथेल सेवा में क़रीब ३० साल के बाद, निकी और मैं, स्वास्थ्य और उम्र की सीमाओं के बावजूद, अपनी आध्यात्मिक आशीषों का आनन्द अब भी उठाते हैं। दस से अधिक साल तक, हम ऐथॆन्स में कार्ताली स्ट्रीट पर स्थित शाखा-परिसर में रहते थे। १९७९ में, ऐथॆन्स के एक उपनगर, मारूसी में एक नयी शाख़ा समर्पित की गयी थी। लेकिन १९९१ से हमने, ऐथॆन्स से ६० किलोमीटर उत्तर में, एलीओना में नयी बड़ी शाखा सुविधाओं का आनन्द उठाया है। यहाँ हमारे बेथेल के दवाख़ाने में मैं सेवा करता हूँ, जहाँ जेल के डॉक्टर के सहायक के तौर पर मुझे मिला प्रशिक्षण बहुत कारगर साबित हुआ है।
पूर्ण-समय सेवकाई में मेरे चार दशकों से भी अधिक के समय में, यिर्मयाह की तरह मैं ने, यहोवा की प्रतिज्ञा की सच्चाई को महसूस किया है: “वे तुझ से लड़ेंगे तो सही, परन्तु तुझ पर प्रबल न होंगे, क्योंकि बचाने के लिये मैं तेरे साथ हूं, यहोवा की यही वाणी है।” (यिर्मयाह १:१९) जी हाँ, निकी और मैं ने यहोवा की आशीषों से उमड़ते प्याले का आनन्द उठाया है। हम उसकी भरपूर प्रेममय परवाह का और उसके अपात्र अनुग्रह में निरन्तर आनन्द मनाते हैं।
यहोवा के संगठन में युवाओं को मेरा प्रोत्साहन है कि पूर्ण-समय सेवकाई का लक्ष्य रखें। इस तरीक़े से वे यह परखने के यहोवा के आमंत्रण को स्वीकार कर सकते हैं कि वह ‘आकाश के झरोखे खोलकर उन पर अपरम्पार आशीष की वर्षा करने’ की अपनी प्रतिज्ञा में सच्चा ठहरेगा कि नहीं। (मलाकी ३:१०) मेरे अपने अनुभव से, मैं आप युवाओं को आश्वस्त कर सकता हूँ कि इस प्रकार उस पर पूरी तरह भरोसा रखनेवाले आप सभी लोगों को यहोवा ज़रूर आशीष देगा।
[पेज 26 पर तसवीरें]
लाम्प्रोस ज़ूम्पोस और उनकी पत्नी, निकी