“सोने की जगह, मैंने हीरे पाए”
मिकालिस कामिनारिस द्वारा बताया गया
दक्षिण अफ्रीका में पाँच वर्ष बिताने के बाद, जहाँ मैं सोने की खोज में गया था, मैं उससे भी कुछ अधिक मूल्यवान वस्तु लेकर वापस लौट रहा था। आइए मैं आपको उस सम्पत्ति के बारे में बताता हूँ जो मेरे पास अब है और जिसे बाँटने की मैंने इच्छा की।
मेरा जन्म १९०४ में आयोनियन समुद्र में यूनान के सेफोलोनिया द्वीप में हुआ था। उसके थोड़े समय बाद मेरे माता-पिता दोनों मर गए, सो मैं एक अनाथ के रूप में बढ़ा हुआ। मैं मदद के लिए तरसा, और मैंने परमेश्वर से अकसर प्रार्थना की। हालाँकि मैं नियमित रूप से ग्रीक ऑर्थोडॉक्स चर्च में उपस्थित हुआ, मैं बाइबल से बिलकुल परिचित नहीं था। मैंने कोई सांत्वना नहीं पाई।
वर्ष १९२९ में, मैंने दूर जाने का और अच्छी ज़िन्दगी तलाश करने का फ़ैसला किया। अपने बंजर द्वीप को छोड़ते हुए, मैंने इंग्लैंड के मार्ग से दक्षिण अफ्रीका की जल यात्रा की। समुद्री यात्रा के १७ दिन बाद मैं केप टाउन, दक्षिण अफ्रीका पहुँचा, जहाँ एक मेरे देशवासी ने मुझे तुरन्त भाड़े पर रख लिया। लेकिन मैंने भौतिक सम्पत्ति में सांत्वना नहीं पाई।
कुछ अधिक मूल्यवान
मुझे दक्षिण अफ्रीका में रहते दो वर्ष हो गए थे जब एक यहोवा के साक्षी ने मेरे कार्यस्थल पर आकर मुझसे भेंट की और यूनानी भाषा में मुझे बाइबल साहित्य पेश किया। इनमें पुस्तिका मृतजन कहाँ हैं (अंग्रेज़ी) और उत्पीड़न, यह कब समाप्त होगा? (अंग्रेज़ी) शामिल थीं। मुझे याद है कि मैंने उन्हें कितनी उत्सुकता से पढ़ा, यहाँ तक कि दिए गए शास्त्रवचनों को मुँह-ज़बानी याद कर लिया। एक दिन मैंने एक सहकर्मी से कहा: “जिस बात की मैं इतने वर्षों तक खोज करता रहा मैंने उसे पा लिया है। मैं अफ्रीका सोने की तलाश में आया था, लेकिन सोने की बजाय मैंने हीरे पाए।”
बहुत हर्ष के साथ मैंने सीखा कि परमेश्वर का एक व्यक्तिगत नाम, यहोवा है, कि उसका राज्य स्वर्ग में स्थापित हो चुका है, और कि हम इस रीति-व्यवस्था के अन्तिम समय में जी रहे हैं। (भजन ८३:१८; दानिय्येल २:४४; मत्ती ६:९, १०; २४:३-१२; २ तीमुथियुस ३:१-५; प्रकाशितवाक्य १२:७-१२) यह जानना कितना रोमांचकारी था कि यहोवा का राज्य सभी मानवी जातियों के लिए अनन्त आशिषें लाएगा! एक और सच्चाई जिसने मुझे प्रभावित किया वह थी कि यह मूल्यवान सच्चाइयाँ पूरे संसार में प्रचार की जा रही थीं।—यशायाह ९:६, ७; ११:६-९; मत्ती २४:१४; प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.
मैंने शीघ्र ही केप टाउन में वॉच टावर संस्था के शाखा दफ़्तर की जगह का पता लगा लिया और अधिक बाइबल साहित्य प्राप्त किया। बाइबल की एक व्यक्तिगत प्रति पाकर मैं ख़ास-तौर पर ख़ुश था। जो मैंने पढ़ा उसने मुझे साक्षी देने की इच्छा करने के लिए प्रेरित किया। मैंने अपने रिश्तेदारों, दोस्तों, और जान-पहचानवालों को अपने निज शहर लिक्सूरीऑन में बाइबल साहित्य भेजने के द्वारा शुरूआत की। मेरे अध्ययन से धीरे-धीरे मुझे यह समझ आया कि यहोवा को प्रसन्न करने के लिए एक व्यक्ति को अपना जीवन उसे समर्पित करना होता है। सो मैंने शीघ्र ही प्रार्थना में ऐसा किया।
एक अवसर पर, मैं यहोवा के साक्षियों की एक सभा में उपस्थित हुआ, लेकिन चूँकि मुझे अंग्रेज़ी नहीं आती थी, मुझे एक शब्द भी समझ नहीं आया। जब मुझे मालूम हुआ कि पोर्ट एलिज़ॆबथ में अनेक यूनानी रह रहे थे, तो मैं वहाँ चला गया, लेकिन मैं किसी भी यूनानी बोलनेवाले साक्षी को खोजने में सफल नहीं हुआ। अतः, एक पूर्ण-समय सुसमाचारक बनने के लिए मैंने यूनान लौटने का फ़ैसला किया। मुझे याद है मैंने ख़ुद से कहा था, ‘चाहे मेरे तन पर कपड़े न भी रहें मैं यूनान ज़रूर जाऊँगा।’
यूनान में पूर्ण-समय सेवकाई
वर्ष १९३४ की वसन्त में मैं इतालवी महासागरीय जहाज़ द्वीलिओ पर सवार था। मैं मारसे, फ्रांस पहुँचा, और वहाँ दस दिन ठहरने के बाद यूनान के लिए यात्री जहाज़ पात्रिस में चढ़ गया। जिस दौरान हम समुद्र में थे, जहाज़ में कुछ तकनीक़ी समस्या आ गई, और रात के दौरान रक्षा-नौकाओं को समुद्र में उतारने का आदेश दिया गया। तब मैंने अपने तन पर कपड़ों के बिना यूनान जाने का अपना विचार याद किया। लेकिन, एक इतालवी कर्षनाव आख़िरकार पहुँच गई और हमें खींचकर नेपल्स, इटली पहुँचा दिया। बाद में अन्ततः हम पीरेऎफ़्स (पाईरीअस), यूनान पहुँच गए।
वहाँ से मैं एथेन्स की ओर गया जहाँ मैंने वॉच टावर संस्था के शाखा दफ़्तर की भेंट की। शाखा ओवरसियर, आथानासियोस कारानासियोस के साथ एक बातचीत में, मैंने एक पूर्ण-समय प्रचार कार्य नियुक्ति प्राप्त करने के लिए पूछा। अगले दिन मैं मुख्यक्षेत्र यूनान के दक्षिणी भाग, पेलोपोन्निसोस के लिए रवाना हो गया। यह सम्पूर्ण ज़िला मुझे मेरे व्यक्तिगत कार्यक्षेत्र के रूप में दिया गया था!
नगर-नगर, गाँव-गाँव, खेत-खेत और पृथक-पृथक घरों में जाते हुए, बेहद उत्साह के साथ मैंने प्रचार कार्य आरम्भ किया। जल्द ही मेरे साथ माइकल त्रिआन्दाफिलोपूलोस आ गया, जिसने मुझे—पूर्ण-समय सेवकाई में मेरे एक से ज़्यादा वर्ष बाद—१९३५ की गर्मियों में बपतिस्मा दिया! कोई भी जन-परिवहन उपलब्ध नहीं था, सो इसलिए हम सभी जगह पैदल गए। हमारी सबसे बड़ी समस्या पादरीवर्ग से विरोध था, जो हमें रोकने के लिए कुछ भी करते। परिणामस्वरूप, हमने काफ़ी पूर्वधारणा का सामना किया। फिर भी, बाधाओं के बावजूद, साक्षी दी गई, और यहोवा का नाम चारों ओर प्रचार किया गया।
विरोध को बर्दाशत करना
एक सुबह, आरकेडिया के पहाड़ी ज़िले में प्रचार करते वक़्त, मैं मागूल्याना गाँव पहुँचा। साक्षी देने के एक घंटे बाद, मैंने गिरजे की घंटियाँ सुनीं और जल्द ही समझ लिया कि वे मेरे लिए बजाई जा रही थीं! यूनानी ऑर्थोडॉक्स मठाधीश (बिशप से नीचे एक पदाधिकारी) के नेतृत्व में एक भीड़ इकट्ठी हो गई। मैंने जल्दी-से अपना साक्षी बैग बन्द किया और चुपचाप यहोवा से प्रार्थना की। वह मठाधीश जिसके पीछे बच्चों की भीड़ चल रही थी, सीधे मेरे पास आया। उसने चिल्लाना शुरू किया, “यही है! यही है!”
उन बच्चों ने मेरे चारों ओर एक सख़्त घेरा बना लिया, और वह पादरी सामने बढ़ा और अपनी बाहर निकली तोंद से मुझे यह कहकर धकेलने लगा, कि वह मुझ पर हाथ नहीं उठाना चाहता ‘हो सकता है कि तुम दूषित हों।’ वह चिल्लाया, “इसे मारो! इसे मारो!” लेकिन तभी एक पुलिस अधिकारी नज़र आया और हम दोनों को पुलिस स्टेशन ले गया। उस पादरी पर एक भीड़ को भड़काने का मुक़द्दमा चलाया गया और ३०० दिरहम जुर्माना किया गया। मुझे छोड़ दिया गया।
जब हम एक नए क्षेत्र में आए, हमने एक बड़े शहर को अपनी गतिविधि का आधार-स्थल बनाया, और वहाँ से हमने सारा क्षेत्र चार-घंटे की पैदल दूरी से पूरा किया। इसका अर्थ था कि हम सुबह चलते जब अंधेरा ही होता था और आम-तौर पर एक या दो गाँव प्रतिदिन भेंट करके शाम को अंधेरा छाने के बाद लौटते थे। आस-पास के गाँवों को पूरा करने के बाद, हमने आधार-स्थल शहर में प्रचार किया और आगे बढ़ गए। अकसर हमें गिरफ़्तार किया जाता था क्योंकि पादरी लोगों को हमारे ख़िलाफ़ भड़काते थे। मुख्य यूनान के पारनैसस् क्षेत्र में, मुझे पुलिस ने महीनों खोजा। लेकिन वे मुझे कभी पकड़ नहीं पाए।
एक दिन भाई त्रिआन्दाफिलोपूलोस और मैं बीओशिआ प्रान्त के, मूरीकी गाँव में प्रचार कर रहे थे। हमने गाँव को दो भागों में बाँटा, और चूँकि मैं उससे जवान था तो मैंने खड़ी ढलानों पर काम करना शुरू कर दिया। अचानक मैंने नीचे से चीख़ने की आवाज़ें सुनीं। जैसे मैं नीचे भागा, मैंने सोचा, ‘त्रिआन्दाफिलोपूलोस को पीटा जा रहा है।’ गाँववाले स्थानीय कॉफ़ी-घर में जमा हुए थे, और एक पादरी क्रोधित साँड की तरह आगे पीछे पैर पटक रहा था। “ये लोग हमें ‘साँप का वंश कहते हैं,’” वह चिल्ला रहा था।
वह पादरी पहले ही एक चलनेवाला बेंत भाई त्रिआन्दाफिलोपूलोस के सिर पर मारकर तोड़ चुका था, और भाई के चेहरे पर से होते हुए खून बह रहा था। मेरे खून पोंछने के बाद, हम वहाँ से निकलने में समर्थ हुए। थीब्ज़ शहर पहुँचने से पहले हमें तीन घंटे पैदल चलना पड़ा। वहाँ एक दवाख़ाने में, घाव की मरहम-पट्टी की गई। हमने इस घटना की पुलिस में रिपोर्ट की, और एक मुक़द्दमा दायर किया गया। लेकिन, पादरी के सम्पर्क थे और अन्ततः उसे बरी कर दिया गया।
जब हम लूकस शहर में काम कर रहे थे, उस क्षेत्र के एक राजनैतिक नेता के समर्थकों ने हमें “गिरफ़्तार” कर लिया और हमें गाँव के कॉफ़ी-घर में ले आए, जहाँ हमने ख़ुद को एक सार्वजनिक फर्ज़ी न्यायालय में लोगों को हम पर इलज़ाम लगते पाया। उस राजनैतिक नेता और उसके आदमी बारी-बारी करके आगे-पीछे घूमते, भाषण देते—लेक्चर झाड़ते—और हमें अपनी भीची हुई मुट्ठियों से डराते। वे सभी पिये हुए थे। हमारे ख़िलाफ़ उनके निन्दापूर्ण भाषण दोपहर से शाम तक चलते रहे, लेकिन हम शान्त रहे और अपनी निर्दोषता घोषित करते मुस्कराते रहे और चुपचाप यहोवा से मदद के लिए प्रार्थना करते रहे।
झुटपुटे के समय दो पुलिसवालों ने हमें छुड़ाया। वे हमें पुलिस स्टेशन ले गए और हमारे साथ अच्छा व्यवहार किया। अपने कामों को उचित ठहराने के लिए, वह राजनैतिक नेता अगले दिन आया और हम पर यूनान के राजा के विरुद्ध प्रचार करने का इलज़ाम लगाया। सो पुलिस ने हमें दो लोगों की हिफ़ाज़त में और छानबीन करने के लिए लामिया शहर भेज दिया। हमें वहाँ सात दिन हिरासत में रखा गया और उसके बाद जाँच-पड़ताल के लिए हथकड़ी लगाकर लारिस्सा शहर ले जाया गया।
लारिस्सा में हमारे मसीही भाइयों ने, जिन्हें पहले ही सूचित किया जा चुका था, हमारे आगमन का इन्तज़ार किया। जो बड़ा स्नेह उन्होंने हमें दिखाया वह सुरक्षा-कर्मियों के लिए एक उत्तम साक्ष्य था। हमारा अभिवक्ता, यहोवा का एक साक्षी और भूतपूर्व लॆफ़्टिनॆंट कर्नल, शहर में जाना-माना था। जब वह न्यायालय में आया और हमारे मामले पर बहस की, तो हम पर लगाए गए झूठे इलज़ामों का परदाफ़ाश हुआ, और हमें रिहा कर दिया गया।
यहोवा के साक्षियों के प्रचार में आम सफलता से विरोध सख़्त हो गया। धर्म-परिवर्तन को वर्जित करते हुए १९३८ और १९३९ में नियम पारित किए गए, और माइकल और मैं इस विवाद के दर्जनों न्यायिक मामलों में शामिल थे। इसके बाद, शाखा दफ़्तर ने हमें अलग-अलग काम करने की हिदायत दी ताकि हमारी गतिविधि पर कम ध्यान जाए। एक साथी के न होने से मुझे कठिनाई महसूस हुई। फिर भी, यहोवा पर भरोसा करते हुए मैंने पैदल एटिका, बीओशीआ, थाईओटस, इवया, ईटोली, ऐकरनानीआ, युरटानीआ के ज़िलों, और पेलोपोन्निसोस के ज़िले को पूरा किया।
इस समय के दौरान जिस बात ने मेरी मदद की वह भजनहार के यहोवा में भरोसा रखने के शब्द थे: “क्योंकि तेरी सहायता से मैं सेना पर धावा करता हूं; और अपने परमेश्वर की सहायता से शहरपनाह को लांघ जाता हूं। यह वही ईश्वर है, जो सामर्थ से मेरा कटिबन्ध बान्धता है, और मेरे मार्ग को सिद्ध करता है। वही मेरे पैरों को हरिणियों के पैरों के समान बनाता है, और मुझे मेरे ऊंचे स्थानों पर खड़ा करता है।”—भजन १८:२९, ३२, ३३.
वर्ष १९४० में, इटली ने यूनान से युद्ध घोषित कर दिया, और तत्पश्चात् जर्मनी सेनाएँ देश में घुस आयीं। मार्शल लॉ की घोषणा कर दी गई, और वॉच टावर संस्था की पुस्तकों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। यूनान में यहोवा के साक्षियों के लिए वे कठिन दिन थे; फिर भी, वे गिनती में असाधारण रूप से बढ़े—१९४० में १७८ से लेकर १९४५ में द्वितीय विश्व युद्ध के अन्त तक १,७७०!
बेथेल में सेवा करना
वर्ष १९४५ में, मुझे एथेन्स में यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ़्तर में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया गया। बेथेल, जिसका अर्थ है, “परमेश्वर का भवन” उस समय लोमबारडू स्ट्रीट में एक किराए के घर में स्थित था। कार्यालय निचली मंज़िल में था, और छापाख़ाना तैख़ाने में था। यह एक छोटी प्रैस और एक छँटाई मशीन से मिलकर बना था। पहले छापाख़ाना केवल दो व्यक्तियों के कर्मचारी दल से बना था, लेकिन जल्द ही अन्य स्वयंसेवी अपने घरों से काम में सहायता करने के लिए आने-जाने लगे।
ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क, वॉच टावर के मुख्यालय से १९४५ में सम्पर्क पुनःस्थापित किया गया, और उस वर्ष से हमने यूनानी में नियमित रूप से प्रहरीदुर्ग छापना शुरू कर दिया। उसके बाद, १९४७ में, हमारी शाखा १६ टॆनॆडू स्ट्रीट चली गई, लेकिन छापाख़ाना लोमबारडू स्ट्रीट में ही रहा। बाद में छापाख़ाना लोमबारडू स्ट्रीट से तीन मील दूर साक्षियों की एक फ़ैक्ट्री में चला गया। सो कुछ समय के लिए हम इन तीन स्थानों के बीच भागा-दौड़ी करते रहे।
टॆनॆडू स्ट्रीट में हमारे रहने के कमरों को पौह फटने से पहले छोड़ना और छापेख़ाने तक यात्रा करना मुझे याद है। दोपहर के १:०० बजे तक काम करके, मैं लोमबारडू स्ट्रीट जाता जहाँ वे पेपर शीट ले जाई जाती थीं जिन्हें हम छापते थे। यहाँ इन्हें पत्रिकाओं के रूप में हाथ से मोड़ा, सिला, और छाँटा जाता था। उसके बाद हम तैयार पत्रिकाओं को डाकख़ाने ले जाते, उन्हें तीसरी मंज़िल पर पहुँचाते, उन्हें छाँटने में कर्मचारियों की मदद करते, और डाक द्वारा भेजने के लिए उन पर स्टैम्प लगाते थे।
वर्ष १९५४ तक यूनान में साक्षियों की संख्या बढ़कर ४,००० से ज़्यादा हो गई, और बड़ी सुविधाओं की ज़रूरत पड़ी। इसलिए, हम एथेन्स के भीतरी-क्षेत्र में कारटाली स्ट्रीट में नए तीन-मंज़िला बेथेल में चले गए। १९५८ में मुझे रसोई-घर का कार्यभार देखने के लिए कहा गया, और १९८३ तक यही मेरी ज़िम्मेदारी थी। इसी दौरान, १९५९ में, मैंने ऎलॆफ़्थरीया से विवाह कर लिया, जो यहोवा की सेवा में एक निष्ठावान सहायक-साथी साबित हुई है।
दोबारा विरोध का सामना करना
वर्ष १९६७ में सैन्य शासक दल ने सत्ता ले ली, और एक बार फिर हमारे प्रचार कार्य पर प्रतिबन्ध लगा दिए गए। लेकिन, हमारी गतिविधियों पर लगे प्रतिबन्धों का सामना करने के हमारे पिछले अनुभव के कारण, हमने शीघ्रता से समंजन कर लिया और सफलतापूर्वक भूमिगत कार्य करना जारी रखा।
हमने अपनी सभाएँ निजी घरों में आयोजित कीं और घर-घर सेवकाई में सावधानी बरती। फिर भी, हमारे भाइयों को लगातार गिरफ़्तार किया गया, और अदालती मामले बढ़ते गए। हमारे वकील देश के अनेक भागों में सुनवाई के लिए हमेशा इधर-उधर भागते रहते थे। विरोध के बावजूद, अधिकांश साक्षी प्रचार गतिविधि में नियमित रहे, ख़ास-तौर पर सप्ताहांतों में।
हर शनिवार या रविवार को हमारे प्रचार कार्य के समाप्त होने के बाद यह देखने के लिए एक जाँच की जाती थी कि समूह में से कौन मौजूद नहीं है। आम-तौर पर जो मौजूद नहीं होते थे उन्हें पास के पुलिस स्टेशन पर हवालात में रोका हुआ होता था। सो हम उनके लिए कम्बल और खाना ले जाते और उन्हें प्रोत्साहन देते। साथ ही, हम अपने वकील को भी सूचित करते थे, जो हिरासत में लिए गए लोगों के बचाव के लिए सोमवार को प्रॉसीक्यूटर के सामने उपस्थित होता था। हमने ख़ुशी से इस परिस्थिति का सामना किया क्योंकि हम सच्चाई के लिए दुःख उठा रहे थे!
प्रतिबन्ध के दौरान बेथेल में हमारा छपाई कार्य बन्द कर दिया गया। सो एथेन्स के जिस उपनगरीय घर में ऎलॆफ़्थरीया और मैं रहते थे, वह एक तरह का छापाख़ाना बन गया। ऎलॆफ़्थरीया प्रहरीदुर्ग के लेख की प्रतियाँ भारी टाइपराइटर का प्रयोग करते हुए बनाती थी। वह एक बार में दस पेपर टाइपराइटर में रखती और उसे बहुत ज़ोर से टाइपराइटर को चलाना होता था जिससे कि अक्षर छप सकें। उसके बाद मैं पृष्ठ इकट्ठे करता और उनकी एक-साथ सिलाई करता। हर शाम यह आधी रात तक चलता था। एक पुलिसकर्मी हमसे निचली मंज़िल पर रहता था, और हम आज तक ताज्जुब करते हैं कि उसने कभी-भी सन्देह क्यों नहीं किया।
लगातार विस्तार में आनन्द मनाना
यूनान में १९७४ में प्रजातंत्र पुनःस्थापित किया गया, और हमारा प्रचार कार्य दोबारा और खुले रूप में किया जाने लगा। फिर भी, हमारे कार्य पर सात वर्ष के प्रतिबन्ध के दौरान, हमने ६,००० नए साक्षियों की बढ़ोतरी के शानदार शिखर का आनन्द उठाया, जिससे राज्य उद्घोषकों का कुल योग १७,००० से ऊपर पहुँच गया।
हमने अपना नियमित छपाई कार्य फिर से शाखा आहातों में शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप, शीघ्र ही कारटाली स्ट्रीट में बेथेल सुविधा छोटी पड़ गई। सो २.५ एकड़ भूमि एथेन्स के किनारे मारूसी में ख़रीदी गयी। नए बेथेल आहातों का निर्माण किया गया जिनमें २७ शयन कक्ष, एक फ़ैक्ट्री, कार्यालय, और अन्य सुविधाएँ शामिल थीं। इन्हें अक्तूबर १९७९ में समर्पित किया गया।
कुछ समय बाद हमें और जगह की ज़रूरत थी। सो एथेन्स के उत्तर में ६० किलोमीटर दूर एक ५४ एकड़ भूमि ख़रीदी गई। यह क्षेत्र एलीओना पहाड़ी क्षेत्र में है, जहाँ से पहाड़ और हरी-भरी घाटियाँ नज़र आती हैं। वहाँ, अप्रैल १९९१ में हमने एक बड़ी सुविधा का समर्पण किया जिसमें २२ घर हैं, जिनमें से हरेक में आठ लोग रह सकते हैं।
पूर्ण-समय सेवा में ६० से ज़्यादा वर्ष बिताने के बाद, मुझे आज भी अच्छे स्वास्थ्य की आशिष मिली हुई है। ख़ुशी से, मैं ‘पुराना होने पर भी फल रहा’ हूँ। (भजन ९२:१४) मैं ख़ास तौर पर यहोवा का आभारी हूँ कि मैं अपनी आँखों से उसके सच्चे उपासकों की संख्या में महान वृद्धि देखने के लिए जीवित रहा हूँ। भविष्यवक्ता यशायाह ने ऐसी वृद्धि के बारे में पूर्वबताया था: “तेरे फाटक सदैव खुले रहेंगे; दिन और रात वे बन्द न किए जाएंगे जिस से अन्यजातियों की धन-सम्पत्ति . . . तेरे पास पहुंचाए जाएं।”—यशायाह ६०:११.
लाखों लोगों को यहोवा के संगठन में आते देखना और यह सीखते देखना कि बड़े क्लेश से परमेश्वर के नए संसार में कैसे जाएँ, कितनी ही मनोहर बात है! (२ पतरस ३:१३) मैं सच्चाई से कह सकता हूँ कि जो कुछ भी यह संसार दे सकता है उससे कहीं ज़्यादा पूर्ण-समय सेवकाई मेरे लिए मूल्यवान साबित हुई है। जी हाँ, मैंने पाया है, सोने का खज़ाना नहीं, लेकिन ऐसे आध्यात्मिक हीरों का जिन्होंने मेरे जीवन को कल्पना से ज़्यादा धनी बना दिया है।
[पेज 23 पर तसवीर]
मिकालिस और ऎलॆफ़्थरीया कामिनारिस
(दाएं) लोमबारडू स्ट्रीट का छापाख़ाना