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  • महान कुम्हार और उसकी कारीगरी
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महान कुम्हार और उसकी कारीगरी

‘आदर का बरतन बनो, और हर भले काम के लिये तैयार हो।’ —२ तीमुथियुस २:२१.

१, २. (क) यह क्यों कहा जा सकता है कि पहले पुरुष और स्त्री परमेश्‍वर की महान कारीगरी थे? (ख) महान कुम्हार ने आदम और हव्वा को किस मकसद से बनाया?

यहोवा महान कुम्हार है। हमारा पहला पिता, आदम उसके हाथों की बेज़ोड़ कारीगरी का नमूना था। बाइबल हमें बताती है: “यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्‍वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी,” यानी सांस लेनेवाला बन गया। (उत्पत्ति २:७) यह पहला इंसान परमेश्‍वर के स्वरूप में बनाया गया था, और वह सिद्ध था। मनुष्य को इस तरह बनाना इस बात का सबूत है कि यहोवा बुद्धिमान है और वह धर्म से प्रीति रखता है और न्यायी है।

२ आदम की पसली लेकर परमेश्‍वर ने उसके लिए एक ऐसा सहायक बनाया जो उससे मेल खाए, यानी उसने स्त्री को बनाया। हव्वा की लाजवाब खूबसूरती के सामने आज की सबसे सुंदर स्त्रियाँ कुछ भी नहीं हैं। (उत्पत्ति २:२१-२३) इस पहले जोड़े का शरीर ऐसा बनाया गया था और उन्हें ऐसी काबीलियत दी गयी थी कि वे परमेश्‍वर द्वारा दिए गए काम को पूरा कर सकें। और वह काम था पूरी धरती को एक खूबसूरत बगीचा बनाना। इसके साथ ही उन्हें ऐसी सामर्थ भी दी गयी थी कि वे परमेश्‍वर की उस आज्ञा का पालन कर सकें, जो उत्पत्ति १:२८ में दी गयी है: “फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो।” उन्हें पूरी धरती पर फैले इस खूबसूरत बगीचे को ऐसे लाखों करोड़ों इंसानों से भरना था जो हमेशा खुशी से रहते और उनमें वह प्रेम होता जो “एकता का सिद्ध बन्ध” है।—कुलुस्सियों ३:१४, NHT.

३. किस तरह हमारे पहले माता-पिता अनादर के बरतन बन गए और इसका अंजाम क्या हुआ?

३ अफसोस की बात है कि हमारे पहले माता-पिता ने जानबूझकर अपने महान कुम्हार, मालिक और सिरजनहार के अधिकार के खिलाफ विद्रोह किया। उन्होंने जो किया वह ठीक वैसा ही था जैसा यशायाह २९:१५, १६ में बताया गया है: “हाय उन पर जो अपनी युक्‍ति को यहोवा से छिपाने का बड़ा यत्न करते, और अपने काम अन्धेरे में करके कहते हैं, हम को कौन देखता है? हम को कौन जानता है? . . . क्या कुम्हार मिट्टी के तुल्य गिना जाएगा? क्या बनाई हुई वस्तु अपने कर्त्ता के विषय कहे कि उस ने मुझे नहीं बनाया, वा रची हुई वस्तु अपने रचनेवाले के विषय कहे, कि वह कुछ समझ नहीं रखता?” अपनी मरज़ी पर चलकर उन्होंने अपने ही तबाही को दावत दी यानी हमेशा की मृत्यु की सज़ा पायी। इतना ही नहीं, उनसे उत्पन्‍न होनेवाली पूरी मानवजाति जन्म से ही पाप और मृत्यु लेकर पैदा हुई। (रोमियों ५:१२, १८) और इस वज़ह से महान कुम्हार की कारीगरी की खूबसूरती पर कलंक लग गया।

४. हम किस तरह आदर का काम कर सकते हैं?

४ फिर भी, हम जो पापी आदम की संतान हैं, असिद्ध होने के बावजूद, यहोवा का गुणगान कर सकते हैं, जैसे भजन १३९:१४ में बताया गया है: “मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्‌भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्‍चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।” कितने दुख की बात है कि महान कुम्हार के अपने हाथों की कारीगरी इतनी बुरी तरह कलंकित हो गई!

कुम्हार अपना काम बढ़ाता है

५. महान कुम्हार के गढ़ने का काम कब तक जारी रहना था?

५ मगर, खुशी की बात है कि महान कुम्हार, हमारे सिरजनहार के गढ़ने का काम पहले पुरुष और स्त्री को बनाने तक ही नहीं बल्कि इससे आगे भी ज़ारी रहना था। प्रेरित पौलुस हमें बताता है: “हे मनुष्य, भला तू कौन है, जो परमेश्‍वर का साम्हना करता है? क्या गढ़ी हुई वस्तु गढ़नेवाले से कह सकती है कि तू ने मुझे ऐसा क्यों बनाया है? क्या कुम्हार को मिट्टी पर अधिकार नहीं, कि एक ही लोंदे में से, एक बरतन आदर के लिये, और दूसरे को अनादर के लिये बनाए?”—रोमियों ९:२०, २१.

६, ७. (क) कई लोग आज किस तरह अनादर के लिए ढलना पसंद करते हैं? (ख) किस तरह धर्मी लोग आदर के लिए ढाले जा रहे हैं?

६ जी हाँ, महान कुम्हार के बनाए हुए कुछ बरतन आदर के काम के लिए और कुछ बरतन अनादर के काम के लिए गढ़े जाएँगे। यह दुनिया दिन-ब-दिन अधर्म की गंदी दलदल में धँसती जा रही है। और जो लोग इस दुनिया के साथ-साथ चलना पसंद करते हैं वे इस तरह ढलते हैं कि विनाश के लिए ठहराए जाएँ। ऐसे अनादर के बर्तन वे सारे बकरी समान हठीले लोग होंगे जो मत्ती २५:४६ में बताया गया “अनन्त दण्ड भोगेंगे,” जब महिमावान राजा, मसीह यीशु न्याय करने आता है। (मत्ती २५:४६) पर भेड़ जैसे “धर्मी” लोग, जिन्हें “आदर” के लिए ढाला जाता है “अनन्त जीवन” पाएँगे।

७ ये धर्मी लोग परमेश्‍वर द्वारा ढाले जाने के लिए नम्रता से खुद को पेश करते हैं। ये ईश्‍वरीय जीवन के मार्ग पर चलने लगे हैं। इन्होंने १ तीमुथियुस ६:१७-१९ में दी गयी इस सलाह को भी माना है: ‘तुम चंचल धन पर आशा न रखो, परन्तु परमेश्‍वर पर जो तुम्हारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है।’ ये ‘भलाई करने, और भले कामों में धनी बनने; और उदार और सहायता देने में तत्पर होने’ की कोशिश करते हैं। वे यह भी कोशिश करते हैं कि “आगे के लिये एक अच्छी नेव डाल रखें, कि सत्य जीवन को वश में कर लें।” ये लोग परमेश्‍वर द्वारा सिखायी जानेवाली सच्चाई द्वारा ढाले जाते हैं। ये यीशु मसीह के ज़रिए किए गए यहोवा के प्रबंध पर अटूट विश्‍वास रखते हैं जिसने “अपने आप को सब के छुटकारे के दाम में दे दिया” ताकि आदम के पाप की वज़ह से जो कुछ खो गया था, वापस मिल सके। (१ तीमुथियुस २:६) तो हमें पौलुस की इस सलाह को मानने के लिए कितना तैयार रहना चाहिए कि हम ‘नए मनुष्यत्व को पहिन लें जो अपने सृजनहार के स्वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता [ढाला] जाता है’!—कुलुस्सियों ३:१०.

आप किस तरह का बर्तन बनना चाहेंगे?

८. (क) एक व्यक्‍ति किस तरह का बर्तन बनेगा यह कैसे तय होता है? (ख) एक व्यक्‍ति किन दो बातों के द्वारा ढाला जाता है?

८ एक व्यक्‍ति किस तरह का बर्तन बनेगा यह कैसे तय होता है? उसके सोच-विचार से और उसके चालचलन से। सोच-विचार और चालचलन सबसे पहले मन के रुख और अभिलाषाओं के द्वारा ढाले जाते हैं। बुद्धिमान राजा सुलैमान ने कहा: “मनुष्य मन में अपने मार्ग पर विचार करता है, परन्तु यहोवा ही उसके पैरों को स्थिर करता है।” (नीतिवचन १६:९) और फिर जो हम देखते और सुनते हैं उनके द्वारा, और तजुर्बे और संगति के द्वारा भी ये ढाले जाते हैं। तो फिर यह कितना ज़रूरी है कि हम इस सलाह को मानें: “बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा।” (नीतिवचन १३:२०) जैसे २ पतरस १:१६ हमें चेतावनी देता है, हमें “चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों” या नयी हिंदी बाइबल के मुताबिक इंसान की “मनगढ़न्त कथा-कहानियों” को नहीं सुनना चाहिए। धर्मद्रोही ईसाईजगत की कई शिक्षाएँ और त्योहार ऐसी ही कथा-कहानियाँ हैं जिनसे हमें दूर रहना चाहिए।

९. महान कुम्हार द्वारा ढाले जाने के लिए हम किस तरह खुद को पेश कर सकते हैं?

९ इसलिए हमारी अपनी मरज़ी के मुताबिक परमेश्‍वर हमें ढाल सकता है। दाऊद की इस प्रार्थना को हम यहोवा के सामने नम्रता से दोहरा सकते हैं: “हे ईश्‍वर, मुझे जांचकर जान ले! मुझे परखकर मेरी चिन्ताओं को जान ले! और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!” (भजन १३९:२३, २४) यहोवा राज्य के सुसमाचार का प्रचार करवा रहा है। हमने इस सुसमाचार की और परमेश्‍वर के मार्गदर्शन की कदर की है और उसे स्वीकार किया है। अपने संगठन के ज़रिए वह हमें सुसमाचार प्रचार से संबंधित कई ज़िम्मेदारियाँ देता है; तो आइए हम इन ज़िम्मेदारियों को पूरा करें और उनकी अहमियत को समझें।—फिलिप्पियों १:९-११.

१०. हमें कौन-कौन से आध्यात्मिक काम करने का यत्न करना चाहिए?

१० यह बहुत ज़रूरी है कि हम परमेश्‍वर के वचन पर हमेशा ध्यान दें, हर रोज़ बाइबल पढ़ने की आदत बनाएँ, और अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाइबल के बारे में और यहोवा की सेवा के बारे में चर्चा करें। यहोवा के साक्षियों के हर बेथेल परिवार और मिशनरी घरों में सुबह के नाश्‍ते से पहले दैनिक वचन पर चर्चा होती है। एक हफ्ते बाइबल का एक भाग पढ़ा जाता है और अगले हफ्ते ईयरबुक पढ़ी जाती है। क्या आप भी अपने परिवार में ऐसा ही इंतज़ाम कर सकते हैं? अपने भाई-बहनों के साथ संगति करने से, मसीही कलीसिया की सभाओं से, और हर हफ्ते प्रहरीदुर्ग अध्ययन में भाग लेने से भी हमें कितने फायदे होते हैं!

परीक्षाओं का सामना करने के लिए गढ़े गए

११, १२. (क) अपनी रोज़ की ज़िंदगी में आनेवाली परीक्षाओं के बारे में हम याकूब की सलाह को कैसे अमल में ला सकते हैं? (ख) परीक्षा के वक्‍त वफादार बने रहने के लिए अय्यूब का अनुभव किस तरह हमारा हौसला बढ़ाता है?

११ परमेश्‍वर हमारी रोज़ की ज़िंदगी में कुछ ऐसे हालात पैदा होने देता है, जो हमारे लिए शायद बहुत ही मुश्‍किल हों। हमें इन्हें किस नज़र से देखना चाहिए? जैसे याकूब ४:८ हमें सलाह देता है, आइए हम कभी भी उदास न हों, मगर परमेश्‍वर के निकट जाएँ और पूरे दिल से उस पर भरोसा करें, और यह विश्‍वास रखें कि जब हम उसके ‘निकट आते हैं तो वह भी हमारे निकट आता है।’ हाँ, यह सच है कि हमें मुसीबतों और परीक्षाओं को सहना पड़ेगा और उनसे गुज़रना पड़ेगा। मगर इन मुसीबतों और परीक्षाओं को हम पर इसलिए आने दिया जाता है, ताकि हम ढाले जाएँ और आखिर में इनका अंजाम अच्छा हो। इसी तरह, याकूब १:२, ३ हमें यकीन दिलाता है: “हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो, तो इस को पूरे आनन्द की बात समझो, यह जानकर, कि तुम्हारे विश्‍वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्‍न होता है।”

१२ याकूब यह भी कहता है: “जब किसी की परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्‍वर की ओर से होती है; क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्‍वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है। परन्तु प्रत्येक व्यक्‍ति अपनी ही अभिलाषा से खिंचकर, और फंसकर परीक्षा में पड़ता है।” (याकूब १:१३, १४) हम पर कई और तरह-तरह की परीक्षाएँ आ सकती हैं। पर जैसा अय्यूब के साथ हुआ, ये परीक्षाएँ हमें गढ़ने का काम करती हैं। तो याकूब ५:११ में बाइबल हमें कितने बढ़िया तरीके से यकीन दिलाती है: “देखो, हम धीरज धरनेवालों को धन्य कहते हैं: तुम ने ऐयूब के धीरज के विषय में तो सुना ही है, और प्रभु की ओर से जो उसका प्रतिफल हुआ उसे भी जान लिया है, जिस से प्रभु की अत्यन्त करुणा और दया प्रगट होती है।” आइए, हम खुद को महान कुम्हार के हाथों में बर्तन की तरह सौंप दें और परीक्षाओं के वक्‍त हमेशा वफादार बने रहें और अय्यूब की तरह भरोसा रखें कि इसका अंजाम अच्छा ही होगा!—अय्यूब २:३, ९, १०; २७:५; ३१:१-६; ४२:१२-१५.

अपने बच्चों को ढालना

१३, १४. (क) माता-पिताओं को अपने बच्चों को ढालना कब से शुरू करना चाहिए, और किस अंजाम को मन में रखकर? (ख) आप इससे संबंधित कौन-से अच्छे अनुभव बता सकते हैं?

१३ माता-पिता अपने बच्चों को उनके बालकपन से ही ढाल सकते हैं और अगर हम ऐसा करेंगे तो हमारे ये बच्चे बड़े होकर वफादारी की कितनी बढ़िया मिसाल कायम कर सकते हैं! (२ तीमुथियुस ३:१४, १५) हमारे बच्चों ने भयानक-से-भयानक परीक्षाओं में भी वफादारी दिखायी है। कुछ साल पहले की बात है। एक अफ्रीकी देश में भाइयों को बहुत ही बुरी तरह सताया जा रहा था, लेकिन एक भरोसेमंद और वफादार परिवार चोरी-छिपे अपने घर के पीछे प्रहरीदुर्ग छापने का काम कर रहा था। एक दिन कुछ सैनिक हर घर की तलाशी ले रहे थे ताकि नौजवानों को ढूँढकर सेना में ज़बरदस्ती भर्ती करें। तलाशी लेते-लेते वे इस परिवार के घर की तरफ आ रहे थे। इस परिवार के दोनों जवान लड़कों को छिपने के लिए काफी समय था। लेकिन अगर सैनिक आकर घर की तलाशी लेते तो प्रिंटिंग प्रेस पर उनकी नज़र ज़रूर पड़ती। और इस तरह पूरे परिवार को सताया जाता या मार दिया जाता। उन्होंने क्या किया? हिम्मत के साथ उन दोनों लड़कों ने यूहन्‍ना १५:१३ को याद करते हुए कहा: “इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।” लाख कहने पर भी उन्होंने कहा कि वे सामनेवाले कमरे में ही रहेंगे। लेकिन उनके वहाँ रहने से सैनिक उन्हें ज़रूर पकड़ लेते। और इसमें कोई शक नहीं है कि अगर वे सेना में भर्ती होने से इंकार करते तो उन्हें बुरी तरह सताया जाता या फिर उन्हें मार डाला जाता। लेकिन इन दोनों को पकड़ने पर वे कम-से-कम पूरे घर की तलाशी नहीं लेते। प्रिंटिंग प्रेस और परिवार के बाकी के लोग बच जाते। मगर कुछ ऐसा हुआ जिसका हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते! दरअसल सैनिक उस घर को छोड़कर दूसरे घर पर चले गए! आदर के लिए ढाले गए ये बर्तन, बच निकले और साथ ही प्रिंटिंग प्रेस भी बाल-बाल बच गयी। इस तरह वे समय पर आध्यात्मिक भोजन देते रहे। उन दोनों में से एक लड़का और उसकी बहन आज बेथेल में सेवा कर रहे हैं; और वह अब भी उसी पुरानी प्रिंटिंग प्रेस को चला रहा है।

१४ बच्चों को प्रार्थना करना सिखाया जा सकता है। और परमेश्‍वर उनकी प्रार्थनाओं का जवाब ज़रूर देता है। इसकी एक बढ़िया मिसाल हम रुवाण्डा में देख सकते हैं जब वहाँ हत्याकांड हो रहा था। सैनिकों ने एक छह साल की लड़की और उसके माता-पिता को गिरफ्तार किया और वे उन पर हथगोला फेंककर उन्हें मारने ही वाले थे। तब उनकी बेटी ने ऊँची आवाज़ में गिड़गिड़ाकर प्रार्थना की कि आगे भी यहोवा की सेवा करने के लिए उन्हें छोड़ दिया जाए। यह सुनकर वे हत्यारे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें छोड़ दिया और कहा, “हम इस छोटी-सी बच्ची की खातिर तुम्हें छोड़ देते हैं।”—१ पतरस ३:१२.

१५. प्रेरित पौलुस ने किन भ्रष्ट करनेवाले प्रभावों के बारे में चेतावनी दी?

१५ जिन मुश्‍किल हालात के बारे में हमने अभी देखा, हमारे ज़्यादातर जवान उतनी मुश्‍किलों से तो नहीं गुज़रते। मगर हाँ, स्कूल में और इस बुरे समाज में उन पर कई परीक्षाएँ आती हैं। कई जगहों में आज गंदी बोली बोलने, अश्‍लील किताबें पढ़ने, घटिया मनोरंजन और अनैतिक काम करने के लिए साथियों के दबाव बेतहाशा बढ़ते जा रहे हैं। और प्रेरित पौलुस ने इन प्रभावों के बारे में बार-बार चेतावनी दी है।—१ कुरिन्थियो ५:६; १५:३३, ३४; इफिसियों ५:३-७.

१६. किस तरह एक व्यक्‍ति आदर के लिए ठहराया गया बर्तन बन सकता है?

१६ यह बताने के बाद की कुछ बर्तन “आदर, और कोई कोई अनादर के लिये” रखे गए हैं, पौलुस कहता है: “यदि कोई अपने आप को इन से [अनादर के बर्तनों से] शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा।” तो आइए हम अपने बच्चों को समझाएँ कि वे बुरी संगति से दूर रहें। यह बहुत ही ज़रूरी है कि वे ‘जवानी की अभिलाषाओं से भागें और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्‍वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा करें।’ (२ तीमुथियुस २:२०-२२) जब परिवार में शिक्षा का कोई प्रबंध होता है तो इससे “एक दूसरे की उन्‍नति” होती है, और हमारे बच्चों को ढालने में काफी मदद मिलती है। (१ थिस्सलुनीकियों ५:११; नीतिवचन २२:६) इसके लिए हर रोज़ बाइबल पढ़ने और अध्ययन करने के लिए संस्था की किसी किताब का इस्तेमाल करने से बढ़िया मदद मिल सकती है।

सब लोगों का ढाला जाना

१७. ताड़ना किस तरह हमें ढाल सकती है, इसका कौन-सा अच्छा अंजाम होगा?

१७ हमें ढालने के लिए यहोवा अपने वचन और अपने संगठन के ज़रिए सलाह देता है। परमेश्‍वर की इस सलाह को कभी मत ठुकराइए! समझदारी से काम कीजिए, इस सलाह को मानिए, और अमल में लाइए। और जब यहोवा आपको गढ़कर आदर के बरतन बनाए तब गढ़े जाने के लिए तैयार रहिए। नीतिवचन ३:११, १२ यह सलाह देता है: “हे मेरे पुत्र, यहोवा की शिक्षा [या ताड़ना] से मुंह न मोड़ना, और जब वह तुझे डांटे, तब तू बुरा न मानना, क्योंकि यहोवा जिस से प्रेम रखता है उसको डांटता है, जैसे कि बाप उस बेटे को जिसे वह अधिक चाहता है।” जैसे एक पिता सलाह देता है, वैसी ही सलाह इब्रानियों १२:६-११ में भी दी गई है, जहाँ कहा गया है: “प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है . . . वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तौभी जो उस को सहते सहते पक्के हो गए हैं, पीछे उन्हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है।” लेकिन ऐसी शिक्षा या ताड़ना खासकर परमेश्‍वर के प्रेरित वचन से ही होनी चाहिए।—२ तीमुथियुस ३:१६, १७.

१८. पछतावे के बारे में हम लूका के १५वें अध्याय से क्या सीखते हैं?

१८ इसके अलावा, यहोवा दयालू भी है। (निर्गमन ३४:६) जब एक व्यक्‍ति गंभीर-से-गंभीर पाप करने के बावजूद दिल से पछताता है तो वह उसे माफ करता है। यहाँ तक कि आज ‘उड़ाऊ पुत्र’ जैसे लोगों को ढालकर आदर के बर्तन बनाया जा सकता है। (लूका १५:२२-२४, ३२) हालाँकि हमारे पाप शायद उतने गंभीर न हों जितने उस उड़ाऊ पुत्र के थे, फिर भी जब हम बाइबल द्वारा दी गयी सलाह को नम्रता से स्वीकार करते और अमल में लाते हैं, तब यह हमें हमेशा आदर के बर्तन बनने के मार्ग पर ले जाएगा।

१९. हम किस तरह यहोवा के हाथों में आदर के बर्तन बनकर उसकी सेवा करते रह सकते हैं?

१९ जब हमने पहली बार सच्चाई सीखी, तब हमने दिखाया कि हम यहोवा द्वारा ढाले जाने के लिए तैयार हैं। हमने इस दुनिया के तौर-तरीकों को छोड़ दिया, नया मनुष्यत्व धारण करने लगे, और फिर खुद को समर्पित किया और बपतिस्मा लेकर मसीही बन गए। हमने इफिसियों ४:२०-२४ की सलाह मानी और ‘अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमानेवाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डाला और नये मनुष्यत्व को पहिन लिया, जो परमेश्‍वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता में सृजा गया है।’ सो आइए हम हमेशा महान कुम्हार, यहोवा के हाथों ढाले जाने के लिए मुलायम और लोंचदार बनें और आदर के बर्तन बनकर हमेशा उसकी सेवा करते रहें!

क्या हमें याद है

◻ हमारी पृथ्वी के लिए महान कुम्हार का उद्देश्‍य क्या है?

◻ आप किस तरह आदर के लिए ढाले जा सकते हैं?

◻ किस तरह हमारे बच्चे ढाले जा सकते हैं?

◻ हमें शिक्षा या ताड़ना को किस नज़र से देखना चाहिए?

[पेज 10 पर तसवीर]

क्या आप आदर के लिए ढाले जाएँगे या ठुकरा दिए जाएँगे?

[पेज 12 पर तसवीर]

बच्चों को बालकपन से ही ढाला जा सकता है

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