क्या यह आपका सबसे बेहतरीन पेशा बन सकता है?
अगर आप बपतिस्मा लेकर एक मसीही बन गए हैं, तो इसमें शक नहीं कि आप दिलो-जान से पहले परमेश्वर की इच्छा पूरी करना चाहेंगे क्योंकि आप उससे प्यार करते हैं। इसके अलावा, आपको अपना ध्यान खासकर सेवकाई में लगाना भी चाहिए क्योंकि यीशु मसीह ने अपना अनुकरण करनेवाले मसीहियों को चेला बनाने की आज्ञा दी थी। (मत्ती 28:19, 20) हो सकता है कि आप अपना खर्चा-पानी उठाने के लिए इस समय कोई नौकरी कर रहे हों। मगर यीशु का चेला और यहोवा के साक्षी होने के नाते, आप सबसे पहले एक मसीही सेवक हैं। और मसीही सेवक राज्य के प्रचार काम को ज़िंदगी में पहला स्थान देता है।—मत्ती 24:14.
अगर इस समय आपकी उम्र 20 के आस-पास है, तो आपने ज़रूर इस बात पर बहुत विचार किया होगा कि आप ज़िंदगी में क्या करना चाहते हैं। बेशक आपके सामने बहुत-से रास्ते हैं, जिनमें से चुनाव करते वक्त आप सबसे पहले यह देखेंगे कि कौन-सा काम करने से आपको ज़िंदगी में संतुष्टि मिलेगी।
गौर कीजिए कि डेनमार्क के यॉर्न ने अपने काम के बारे में क्या कहा। वह कहता है कि यह “ज़िंदगी का सबसे उम्दा पेशा है जिसमें आप दुनिया के सबसे ज़रूरी काम में पूरा-पूरा ध्यान लगा सकते हैं।” यूनान की 31 वर्षीया इवा कहती है: “जब मैं अपने दोस्तों को देखती हूँ तो मुझे लगता है कि मेरी ज़िंदगी ज़्यादा खुशहाल है। क्योंकि मेरे जीने का एक मकसद है, मुझे अपने काम से खुशी मिलती है, साथ ही यह रोमांचक भी है।” आखिर यह काम कौन-सा है, जो इतनी संतुष्टि देता है? और अगर आप यह काम करना चाहते हैं तो आपमें क्या योग्यताएँ होनी चाहिए?
क्या परमेश्वर रास्ता दिखाता है?
किसी काम या पेशे का चुनाव करना बहुत मुश्किल हो सकता है। यहाँ तक कि कुछ लोग कहते हैं कि काश परमेश्वर ही उन्हें बता देता कि उन्हें कौन-सा काम करना है।
जब मूसा मिद्यान में था तब यहोवा ने उसे निर्देशित किया कि वह मिस्र जाए और इस्राएलियों को गुलामी से छुड़ाए। (निर्गमन 3:1-10) परमेश्वर के स्वर्गदूत ने गिदोन से कहा कि इस्राएलियों को ज़ुल्म से छुटकारा दिलाने के लिए तुम्हें चुना गया है। (न्यायियों 6:11-14) जब दाऊद अपनी भेड़ों की रखवाली कर रहा था, तब परमेश्वर ने शमूएल से कहा कि इस्राएल के अगले राजा के तौर पर दाऊद का अभिषेक करे। (1 शमूएल 16:1-13) मगर आज हमें इस तरीके से कोई मार्गदर्शन नहीं मिलता। इसके बजाए, हमें खुद अच्छी तरह जाँच-परख करके फैसला करने की ज़रूरत होती है कि हम परमेश्वर से मिली काबिलीयतों का इस्तेमाल कैसे करेंगे।
यहोवा ने आज मसीही नौजवानों के सामने, सेवा के लिए “एक बड़ा और उपयोगी द्वार” खोल रखा है। (1 कुरिन्थियों 16:9) वह कैसे? पिछले दशक से 21,25,000 से भी ज़्यादा नए राज्य प्रचारक सुसमाचार के प्रचार काम में शामिल हैं और आज पूरी पृथ्वी पर प्रचारकों की संख्या 60,00,000 से भी ज़्यादा हो गई है। मगर संसार-भर में सुसमाचार का प्रचार करने और लोगों को आध्यात्मिक भोजन देने के लिए लाखों बाइबलें, किताबें, ब्रोशर, पत्रिकाएँ और ट्रैक्ट का प्रबंध कौन कर रहा है? यह खास काम दुनिया-भर में मौजूद बेथेल परिवार के सदस्य कर रहे हैं।
एक आशीष-भरी ज़िंदगी
बेथेल का मतलब है “परमेश्वर का घर,” और बेथेल घर में वॉच टावर सोसाइटी के मुख्यालय और शाखा दफ्तरों में काम करनेवाले मसीही स्वयंसेवक रहते हैं। (उत्पत्ति 28:19, इज़ी-टू-रीड वर्शन का फुटनोट।) आज के बेथेल परिवार के बारे में कहा जा सकता है कि यह ‘बुद्धि से बना व्यवस्थित घर है,’ जिसकी बुनियाद यहोवा के प्रति प्यार पर टिकी है।—नीतिवचन 24:3.
बेथेल के परिवार जैसे माहौल के बारे में क्या कहा जा सकता है? एस्टोनिया बेथेल परिवार की 25 वर्षीया सदस्य कहती है: “हर घड़ी यहोवा के दोस्तों से घिरे रहना मुझे बहुत अच्छा लगता है। और बेथेल की यही बात आज भी मेरे लिए बहुत मायने रखती है।”—भजन 15:1, 2.
इस समय संसार-भर में करीब 19,500 मसीहियों को बेथेल में सेवा करने का सुनहरा अवसर मिला है। (भजन 110:3) अमरीका के बेथेल में सेवा कर रहे 46 प्रतिशत भाई-बहनों की उम्र 19 से 29 के बीच है। उन्होंने यशायाह की तरह कहा है: “मैं यहां हूं! मुझे भेज।” (यशायाह 6:8) यशायाह तो पहले से ही परमेश्वर का समर्पित सेवक था, फिर भी वह परमेश्वर की सेवा में और ज़्यादा करने के लिए खुशी-खुशी आगे आया। ऐसा करने का मतलब है, जीवन में और भी बहुत-से त्याग करना। उसी तरह बेथेल में जो सेवा करने आते हैं, वे अपना घर-परिवार छोड़कर यानी अपने माता-पिता, भाई-बहन और दोस्तों को छोड़कर आते हैं। और “सुसमाचार के लिये” वे ऐसे त्याग खुशी-खुशी करते हैं।—मरकुस 10:29, 30.
इसके बदले में, उन्हें कितनी बढ़िया आध्यात्मिक आशीषें मिलती हैं! रूस बेथेल परिवार का एक नौजवान कहता है: “यहाँ की त्याग-भरी ज़िंदगी से हम बहुत कुछ सीखते हैं, जो हमें नई दुनिया में जीने के काबिल बनाता है। और जहाँ तक मेरी बात है, मैं यह कह सकता हूँ कि मैंने जितने त्याग किए हैं, उससे कहीं बढ़कर यहोवा ने मुझे आशीषें दी हैं।”—मलाकी 3:10.
बेथेल की ज़िंदगी
बेथेल की ज़िंदगी कैसी है? बेथेल परिवार के सदस्य मानते हैं कि उनकी ज़िंदगी बहुत ही बढ़िया, संतुष्ट, यहाँ तक कि रोमांचक भी है। 43 साल का यैन्स बेथेल-सेवा से बहुत खुश है। क्यों? वह कहता है: “दुनिया-भर में, आज सबसे महत्त्वपूर्ण काम के लिए जो मेहनत की जा रही है, उसमें मेरा भी हाथ है, इस एहसास से ही मेरे अंदर खुशी की लहर दौड़ उठती है। यहाँ रहकर मैं अच्छी तरह देख पाया हूँ कि यहोवा का काम कितना ज़रूरी है और यह कितने बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।”
सोमवार से लेकर शनिवार तक बेथेल सदस्यों के हर दिन की शुरूआत मॉर्निंग वर्शिप से होती है। इसमें एक अनुभवी प्राचीन बाइबल के वचन पर चर्चा करता है। हर सोमवार की शाम को एक घंटा प्रहरीदुर्ग से पारिवारिक बाइबल अध्ययन किया जाता है। कभी-कभी इस अध्ययन के बाद, बाइबल पर आधारित एक भाषण, खासकर बेथेल परिवार की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर दिया जाता है।
जब कोई नया सदस्य बेथेल परिवार से जुड़ता है तब क्या होता है? नए सदस्य को बेथेल की ज़िंदगी से वाकिफ कराने के लिए बेथेल परिवार के प्रौढ़ भाई भाषण देते हैं, जिनमें यहाँ की ज़िंदगी और यहाँ किए जा रहे अलग-अलग कामों के बारे में उन्हें जानकारी दी जाती है। पहले साल के दौरान एक बढ़िया स्कूल का भी इंतज़ाम किया जाता है, जिसमें कई हफ्तों तक नए सदस्यों को बाइबल की समझ बढ़ाने के लिए अच्छी ट्रेनिंग दी जाती है। ये भाई-बहन एक खास बाइबल-पढ़ाई के कार्यक्रम का भी आनंद उठाते हैं। अपनी बेथेल-सेवा के पहले साल के दौरान, वे पूरी बाइबल पढ़कर खत्म करते हैं।
ऐसी ट्रेनिंग का फायदा क्या होता है? हांग-कांग बेथेल परिवार से 33 साल का जॉशवा कहता है: “बेथेल में रहने की वजह से मेरे दिल में यहोवा के लिए कदरदानी और भी बढ़ गयी है। मुझे यहाँ ऐसे भाइयों से मेल-जोल करने का मौका मिला है, जिन्होंने लगभग अपनी सारी ज़िंदगी यहोवा की सेवा में लगा दी है। मुझे खासकर यहाँ के आध्यात्मिक इंतज़ाम बहुत पसंद हैं, जैसे हर सुबह बाइबल के वचन पर चर्चा, साथ ही प्रहरीदुर्ग से पारिवारिक अध्ययन। इसके अलावा, यहाँ की सादगी-भरी ज़िंदगी और हर काम को व्यवस्थित रूप से करने की बात मुझे बहुत अच्छी लगती है। इससे मैं बेकार की चिंताओं से दूर रहता हूँ। यहाँ मैंने एक और बात सीखी है कि अगर कोई समस्या आए तो मसीही सिद्धांतों के मुताबिक उसे कैसे निपटाया जा सकता है। और मैंने पाया है कि ऐसा करना हमेशा फायदेमंद रहा है।”
बेथेल परिवार के सदस्य, मेहनत और लगन के साथ अपना ज़्यादातर समय बेथेल के कामों में ही लगाते हैं, जिसके लिए वे यहाँ आए हैं। इसका मतलब है कि यहाँ उन्हें जो भी काम मिलता है, उसमें वे अपनी पूरी ताकत और सूझ-बूझ का अच्छी तरह इस्तेमाल करते हैं। यहाँ अलग-अलग काम किए जाते हैं। कुछ लोग प्रिंटिंग प्रॆस चलाते हैं, तो कुछ बाइंडिंग का काम करके किताबें तैयार करते हैं, जिन्हें फिर अलग-अलग कलीसियाओं में भेजा जाता है। दूसरे हैं, जो किचन, डाइनिंग रूम या लॉन्ड्री में काम करते हैं। इसके अलावा, कुछ लोगों को साफ-सफाई, खेती-बाड़ी और निर्माण का काम भी दिया जाता है। इन अलग-अलग विभागों में इस्तेमाल की जानेवाली चीज़ों के रख-रखाव के लिए भी कुछ भाई-बहनों को नियुक्त किया जाता है। कुछ और हैं, जो स्वास्थ्य की देखरेख करते हैं और कुछ ऑफिस में काम करते हैं। बेथेल का हर काम चुनौती-भरा है, फिर भी इससे खुशी और बढ़िया नतीजे मिलते हैं। दरअसल यहाँ के हर काम से संतुष्टि मिलती है क्योंकि इसका सीधा संबंध राज्य के प्रचार काम को आगे बढ़ाने से है। और यहाँ जो भी काम किया जाता है, परमेश्वर के लिए प्यार की खातिर किया जाता है।
बेथेल परिवार के सदस्यों को अलग-अलग कलीसियाओं में नियुक्त किया जाता है, जहाँ उन्हें अपने काम का नतीजा अपनी आँखों से देखने को मिलता है। उन्हें अपनी कलीसिया की सभाओं में हाज़िर रहना और प्रचार काम में हिस्सा लेना अच्छा लगता है। इससे वे अपनी कलीसिया के भाई-बहनों के साथ एक नज़दीकी रिश्ता भी कायम कर पाते हैं।—मरकुस 10:29, 30.
ब्रिटेन बेथेल परिवार की एक सदस्या रीटा कहती है: “मैं अपनी कलीसिया के लिए तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ! जब मैं अपने प्यारे भाई-बहनों को, बच्चों और बुज़ुर्गों को सभाओं और प्रचार काम में देखती हूँ तो मेरा विश्वास और भी मज़बूत हो जाता है। चाहे कुछ भी हो जाए, वे हमेशा सभाओं में और प्रचार काम के लिए हाज़िर होते हैं। इन्हें देखकर ही बेथेल में सेवा करने का मेरा जोश और भी बढ़ जाता है।”
लेकिन बेथेल की ज़िंदगी का मतलब सिर्फ काम करना, सभाओं और प्रचार में जाना या पढ़ाई और अध्ययन करना ही नहीं है। इस परिवार के लोग कभी-कभार मनोरंजन में भी अपना समय बिताते हैं। समय-समय पर “फैमिली नाइट” का कार्यक्रम होता है, जो मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें आध्यात्मिक रूप से भी मज़बूत करता है। इस दौरान कई भाई-बहनों का हुनर सामने आता है, साथ ही उनकी ज़िंदगी के बारे में बहुत-सी अच्छी बातें जानने को मिलती हैं। वे मेहमान-नवाज़ी के लिए एक-दूसरे को अपने घर भी बुलाते हैं। इस मेल-जोल से उन्हें खुशी मिलती है, साथ ही उनका हौसला बढ़ता है। उन्हें खेलकूद की भी सुविधाएँ दी जाती हैं। निजी अध्ययन और किसी विषय पर अधिक जानकारी के लिए लाइब्रेरी का भी इंतज़ाम है। और हाँ, बातचीत का वो माहौल तो देखते बनता है, जब भाई-बहन खाने के लिए डाइनिंग रूम में आते हैं।
एस्टोनिया बेथेल परिवार का सदस्य टॉम कहता है: “हमारे बेथेल से कुछ ही दूरी पर एक समुंदर है जिसके पास एक सुंदर-सा जंगल है। मैं और मेरी पत्नी अकसर सैर के लिए वहाँ जाया करते हैं। इसके अलावा, मैं बेथेल और कलीसिया के दोस्तों के साथ कभी-कभी गॉल्फ, हॉकी और टेनिस भी खेलता हूँ। और अगर मौसम सुहावना हो, तो हम अपनी बाइक से सैर के लिए भी निकल जाते हैं।”
आपमें क्या योग्यताएँ होनी चाहिए?
बेशक बेथेल एक ऐसी जगह है जहाँ प्रौढ़ मसीही, यहोवा और दुनिया-भर में मौजूद अपने विश्वासी भाइयों के लिए खासकर सेवा करते हैं। इसलिए बेथेल परिवार का सदस्य बननेवालों में कुछ खास योग्यताएँ होनी ज़रूरी है। तो वे योग्यताएँ क्या हैं?
बेथेल-सेवा की इच्छा रखनेवाले भाई-बहनों का, प्रेरित पौलुस के साथी तीमुथियुस की तरह अपनी कलीसिया में अच्छा नाम होना चाहिए। (1 तीमुथियुस 1:1) तीमुथियुस के बारे में कहा गया कि वह “लुस्त्रा और इकुनियुम के भाइयों में सुनाम था।” (प्रेरितों 16:2) हालाँकि वह उम्र में छोटा था, फिर भी उसके पास पवित्र-शास्त्र का अच्छा ज्ञान था और सच्चाई में उसकी नींव मज़बूत थी। (2 तीमुथियुस 3:14, 15) उसी तरह जो बेथेल में सेवा करना चाहते हैं, उनसे भी यही उम्मीद की जाती है कि उनके पास बाइबल का अच्छा ज्ञान हो।
बेथेल परिवार के सदस्यों को आत्म-त्याग की भावना दिखाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। तीमुथियुस की भी ऐसी ही भावना थी। उसने अपना स्वार्थ न देखते हुए खुशी-खुशी प्रचार काम को पहला स्थान दिया, इसीलिए पौलुस उसके बारे में यह कह सका: “मेरे पास ऐसे स्वभाव का कोई नहीं, जो शुद्ध मन से तुम्हारी चिन्ता करे। क्योंकि सब अपने स्वार्थ की खोज में रहते हैं, न कि यीशु मसीह की। पर उसको तो तुम ने परखा और जान भी लिया है, कि जैसा पुत्र पिता के साथ करता है, वैसा ही उस ने सुसमाचार के फैलाने में मेरे साथ परिश्रम किया।”—फिलिप्पियों 2:20-22.
बेथेल में सेवा करनेवालों को आध्यात्मिक रूप से मज़बूत होना चाहिए। और उनकी आध्यात्मिकता को बढ़ाते रहने के लिए बेथेल में अच्छे इंतज़ाम किए जाते हैं, जैसे बाइबल अध्ययन करना, नियमित रूप से सभाओं में जाना, क्षेत्र-सेवकाई में हिस्सा लेना और प्रौढ़ मसीहियों के साथ संगति करना। इस तरह जो लोग बेथेल में हैं, उन्हें पौलुस की सलाह के मुताबिक चलने में मदद मिलती है: “[मसीह यीशु] में चलते रहो। और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ; और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ, और अत्यन्त धन्यवाद करते रहो।”—कुलुस्सियों 2:6, 7.
बेथेल के काम के लिए व्यक्ति को शारीरिक रूप से चुस्त और तंदुरुस्त होना चाहिए। इसलिए यहाँ काम करनेवालों को सेहतमंद होना बहुत ज़रूरी है। यहाँ बतायी गयी योग्यताएँ अगर आपमें हैं, साथ ही आपकी उम्र 19 से ज़्यादा है और बपतिस्मा लिए आपको कम-से-कम एक साल हो गया है, तो हम यही चाहेंगे कि आप बेथेल में सेवा करने की बात पर विचार करें।
हम सबका हाथ है
मसीही होने के नाते हम सबकी यही इच्छा होती है कि हम राज्य के प्रचार काम को ज़िंदगी में पहला स्थान दें और तन-मन से यहोवा की सेवा करें। (मत्ती 6:33; कुलुस्सियों 3:23) हम ऐसे भाई-बहनों का हौसला बढ़ा सकते हैं जो पहले से ही बेथेल में सेवा कर रहे हैं ताकि वे आगे भी इसी तरह पवित्र-सेवा करते रहें। और बेथेल-सेवा के बढ़िया काम के लिए खासकर हमें काबिल जवानों को उकसाना चाहिए।
बेथेल की ज़िंदगी से आध्यात्मिक रूप से पूरी तरह संतुष्टि मिलती है इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि यही काम आपकी ज़िंदगी का सबसे बेहतरीन काम हो सकता है! निक की भी यही राय है, जिसने 20 साल की उम्र में बेथेल-सेवा शुरू की थी। अपनी दस साल की सेवा के बाद वह कहता है: “यहोवा की अपार कृपा के लिए मैं अकसर उसका तहेदिल से धन्यवाद करता हूँ। मुझे और क्या चाहिए? यहाँ मेरा हर पल ऐसे वफादार मसीहियों के साथ गुज़रता है, जो अपना सब कुछ यहोवा की सेवा में लगाते हैं।”
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प्राचीन और माता-पिता क्या कर सकते हैं?
खासकर सफरी ओवरसियरों और प्राचीनों को, बेथेल में सेवा करने के लिए जवान भाइयों का हौसला बढ़ाना चाहिए। हाल ही में बेथेल परिवार के कुछ जवानों से जब पूछा गया कि बेथेल-सेवा का लक्ष्य उनके सामने किसने रखा था, तो उनमें से 34 प्रतिशत लोगों का कहना था कि इसके लिए उनके मसीही ओवरसियरों ने उनका हौसला बढ़ाया। यह सच है कि कलीसिया से इनके चले जाने के बाद इनकी कमी महसूस होगी। लेकिन याद कीजिए कि हालाँकि तीमुथियुस की संगति का लुस्त्रा और इकुनियुम कलीसिया के जवानों पर अच्छा असर हो रहा था, फिर भी वहाँ के प्राचीनों ने उसे पौलुस के साथ जाने से नहीं रोका। उन्होंने यह नहीं सोचा कि अगर तीमुथियुस पौलुस के साथ चला गया, तो यह हमारी कलीसिया के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा।—1 तीमुथियुस 4:14.
इस मामले में खासकर मसीही माता-पिताओं को अपने बच्चों का हौसला बढ़ाना चाहिए। ऊपर ज़िक्र किए गए सर्वे में, 40 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने खासकर अपने माता-पिता के प्रोत्साहन की वजह से बेथेल-सेवा का चुनाव किया। एक बहन जो कुछ सालों से बेथेल में सेवा कर रही है, कहती है: “मेरे माता-पिता ने यहोवा की सेवा में जिस तरह से अपनी ज़िंदगी गुज़ारी, उसका मुझ पर ऐसा ज़बरदस्त असर पड़ा कि मैंने सोच लिया कि मैं बेथेल-सेवा ही करूँगी। पूर्ण-समय की सेवकाई में उनकी मिसाल देखकर मुझे यकीन हो गया था कि यही काम मेरी ज़िंदगी का सबसे उम्दा काम हो सकता है, जिससे मुझे पूरी तरह संतुष्टि मिल सकती है।”
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इन्होंने बेथेल-सेवा को अनमोल समझा
“मेरे लिए बेथेल की सेवा बहुत ही अनमोल है। और मैं बहुत खुश हूँ कि मैं अपना पूरा दिन यहोवा की सेवा में लगाती हूँ। साथ ही मुझे यह सोचकर भी अच्छा लगता है कि मैं ऐसे ही कल, परसों और आगे, हमेशा-हमेशा तक उसकी सेवा करती रहूँगी। इससे मेरा विवेक शुद्ध रहता है और मेरा मन अच्छे विचारों से भरा रहता है।”
“बेथेल एक ऐसी जगह है, जहाँ हम दुनिया के विकर्षणों से दूर, अपना पूरा समय और शक्ति यहोवा की सेवा में लगा सकते हैं। इससे मेरे दिल को बहुत सुकून मिलता है। इसके अलावा, बेथेल ऐसी जगह है जहाँ आप यहोवा के संगठन को एक अलग नज़र से भी देख सकते हैं। यहाँ रहकर हम देख पाते हैं कि यहोवा का काम किस तरह पूरी दुनिया में चल रहा है इसलिए हम संगठन के और भी करीब महसूस करते हैं। और इस खयाल से ही हम रोमांचित हो उठते हैं।”
“मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन पल वो था, जब मैं बेथेल में सेवा करने के लिए आयी। यहाँ हमेशा ही कुछ-न-कुछ सीखने को मिलता है। और जो कुछ मैं सीखती हूँ सब कुछ यहोवा के लिए है, न कि मेरे लिए। इसके अलावा मैं यह भी जानती हूँ कि यहाँ मेरा काम कभी बेकार नहीं जाएगा।”
“बेथेल के काम में अपना हुनर इस्तेमाल करके मुझे बेहद खुशी और संतुष्टि मिलती है क्योंकि यहाँ मेरे हुनर का इस्तेमाल यहोवा और भाई-बहनों के लिए होता है।”
“जहाँ मैं पहले काम करता था, वहाँ मुझे कभी सच्ची खुशी और संतुष्टि नहीं मिली। मेरी बरसों से यही ख्वाहिश थी कि मैं अपने भाई-बहनों के साथ और उनके लिए काम करूँ। इसीलिए मैंने बेथेल आने का फैसला किया। मुझे यह जानकर बेहद खुशी होती है कि मेरी सारी मेहनत से दूसरों को आध्यात्मिक रूप से फायदा होगा और यहोवा के नाम की महिमा होगी।”