क्या आप खुद को दे सकते हैं?
सामान्य युग पूर्व 778 में एक अनोखी घटना घटती है। भविष्यवक्ता यशायाह को एक दर्शन मिलता है जिसमें वह “प्रभु [यहोवा] को बहुत ही ऊंचे सिंहासन पर विराजमान” देखता है। फिर वह सारापों को यहोवा के ऐश्वर्य का ऐलान करते हुए सुनता है: “सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है।” यह नज़ारा देखने पर यशायाह के दिल में कैसी श्रद्धा और विस्मय की भावना पैदा हुई होगी! उस मौके पर यहोवा एक ऐसा सवाल पूछता है जिसका जवाब देना इतना आसान नहीं था: “मैं किस को भेजूं, और हमारी ओर से कौन जाएगा?” इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती कि जो यहोवा की तरफ से भेजा जाएगा, उसे क्या काम करना होगा और क्या उसे कुछ फायदा होगा, फिर भी यशायाह बेझिझक कहता है: “मैं यहाँ हूं! मुझे भेज।”—यशा. 6:1, 3, 8.
2 यहोवा चाहे जो भी काम दे उसे करने के लिए यशायाह की तरह खुशी-खुशी तैयार होना, उसके लोगों की एक खासियत है। (भज. 110:3) और अब ऐसे लोगों को एक खास बुलावा दिया जा रहा है जो परमेश्वर की सेवा के लिए खुद को दे सकते हैं। क्या आप यशायाह की तरह बेझिझक यह न्यौता स्वीकार करने को तैयार हैं?
3 बेथेल में सेवा के लिए ज़्यादा-से-ज़्यादा भाइयों की हमेशा ज़रूरत रहती है। इस सेवा के लिए ज़रूरी है कि उनमें राज्य के काम को पहला स्थान देने की ज़बरदस्त इच्छा हो और संसार भर में होनेवाले प्रचार काम को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें जो भी काम दिया जाए उसे करने के लिए तैयार रहें। (मत्ती 6:33) इसमें दो राय नहीं कि बेथेल परिवार का एक सदस्य बनने से, यहोवा की सेवा तन-मन से करने का सुनहरा मौका मिलता है। वह कैसे?
4 बेथेल में किया जानेवाला काम: बैंगलोर, कर्नाटक के बेथेल में रोज़ाना कितना काम पूरा किया जाता है, ज़रा उसके बारे में सोचिए। यह बेथेल परिवार 220 भाई-बहनों से बना है। उन्हें विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग और उसके शासी निकाय के साथ मिलकर, ऐसे बाइबल साहित्य मुहैया कराने का सुअवसर मिला है जिन्हें पूरे संसार में बाँटने और निजी अध्ययन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। (मत्ती 24:45) उदाहरण के लिए, बैंगलोर बेथेल परिवार की मेहनत की बदौलत, पिछले सेवा साल में 75,207 किताबें, 2,63,784 बुकलेट और ब्रोशर, 15,665 केलेंडर, 20,20,021 पत्रिकाएँ, 33,39,239 ट्रैक्ट, और 1,033 वीडियो कैसेट प्रकाशित किए गए और अलग-अलग जगहों में भेजे गए। इन प्रकाशनों के लिए ‘मनभावने शब्द खोजने और सच्ची बातें लिखने’ में जी-तोड़ मेहनत की जाती है। (सभो. 12:9, 10) इसके अलावा, यहाँ काम करनेवाले तकरीबन 70 अनुवादकों को तालीम भी दी जा रही है, जो 25 से ज़्यादा भाषाओं में साहित्य तैयार करने में मदद देते हैं। अब ऐसे बहुत-से स्वयं-सेवकों की ज़रूरत है जो छपाई करने, साहित्य भेजने, साफ-सफाई, रख-रखाव, खाना बनाने, खरीदारी करने, चिकित्सा और बेथेल के दूसरे कामों में मदद दे सकें।
5 यह सारा काम है तो बहुत भारी, मगर इससे आध्यात्मिक तसल्ली भी मिलती है। इस बात से हमें बहुत खुशी मिलती है कि हमारी सारी ताकत और शक्ति, प्रचार और सिखाने के काम में इस्तेमाल हो रही है। बेथेल सेवा से हमें यहोवा के संगठन को करीब से जानने में मदद मिलती है। इससे हमें भजनहार की कही बात का खयाल आता है जिसने इस्राएलियों को उस जगह से अच्छी तरह वाकिफ होने का बढ़ावा दिया था जो उनके ज़माने में परमेश्वर की हुकूमत की राजधानी थी।—भज. 48:12, 13.
6 बेथेल सेवा की आशीषें: बेथेल में काम करनेवाले भाई-बहन अपनी इस आशीष के बारे में कैसा महसूस करते हैं? गौर कीजिए कि बेथेल के कुछ जवान और बुज़ुर्ग सेवकों ने क्या कहा। बेथेल में तीन साल से सेवा करनेवाली एक बहन कहती है: “बेथेल में रहने से यहोवा के साथ मेरा रिश्ता और मज़बूत हुआ है। जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं और मैं बेथेल के कामों से और अच्छी तरह वाकिफ हो रही हूँ, उतना ही ज़्यादा मैं यहोवा की शख्सियत के बारे में सीख रही हूँ। बेथेल सेवा से मुझे यह भी देखने का मौका मिला कि यहोवा हर तरह के लोगों का इस्तेमाल करता है, जी हाँ, हर तरह के लोगों का। और उसकी मंज़ूरी पाने के लिए हमें सिद्ध होने की ज़रूरत नहीं है।”
7 एक जवान भाई कहता है: “मुझे याद है कि एक वक्त मैं सोचा करता था, ‘काश, ऐसा हो कि जब मैं नयी दुनिया में कदम रखूँ, तो प्राचीन समय के वफादार सेवकों को अपना अनुभव बता सकूँ कि मैंने दुनिया में पैसा कमाने के बजाय बेथेल में कई साल सेवा की।’”
8 एक जवान भाई बताता है कि बेथेल में रहकर उसने क्या सीखा: “मैंने खुद को अच्छी तरह जाना और देखा कि मुझमें क्या कमियाँ हैं और फिर मैंने अपने अंदर ज़रूरी गुण पैदा किए। यह सब मेरे लिए बड़ी आशीष साबित हुआ है। मुझे लगता है कि अब मैं यहोवा की सेवा करने के लिए पहले से ज़्यादा काबिल हूँ। धीरज धरने, खुद पर संयम बरतने, दूसरों के साथ और भी प्यार से पेश आने में मैंने तरक्की की है।”
9 एक बहन बताती है कि अब तक उसे क्या आशीषें मिलीं: “यहाँ के आध्यात्मिक कार्यक्रमों ने मुझे यहोवा को और करीब से जानने में मदद दी है और सिखाया है कि मैं कैसे उसके जैसे विचार और भावनाएँ पैदा कर सकती हूँ और काम कर सकती हूँ। और क्योंकि यहाँ हमेशा ट्रेनिंग मिलती रहती है इसलिए आशीषें भी हमेशा मिलती रहती हैं।”
10 एक भाई ने 59 साल पूरे समय की सेवा में बिताए हैं और उनमें से 43 साल से ज़्यादा समय उन्होंने बेथेल में सेवा की है। वे कहते हैं: “कई लोग सोचते हैं कि बेथेल एक मठ जैसा है। मगर यह सच नहीं है। यहाँ एक शेड्यूल के मुताबिक जीने की वजह से हम बहुत सारा काम पूरा कर पाते हैं। . . . यहाँ अब तक ऐसा कोई दिन नहीं रहा जब मैं काम पर गया और काम से खुशी न मिली हो। इसकी वजह क्या है? जब हम तन-मन से यहोवा की सेवा करते हैं, तो हमें इस बात का सुकून मिलता है कि ‘जो हमें करना चाहिए था वही किया है।’”—लूका 17:10.
11 एक और भाई जिसने बेथेल में 62 साल सेवा की, वे कहते हैं: “मेरा यह दिल से मानना है कि जब तक धरती पर फिरदौस कायम नहीं होता, तब तक दुनिया में बेथेल से बढ़िया जगह और कोई नहीं हो सकती। मैंने पूरे समय की सेवा को अपना करियर बनाने की वजह से कभी एक पल के लिए भी पछतावा महसूस नहीं किया। धरती पर यहोवा के संगठन ने जिस तरह शानदार तरक्की की है, उसे खुद अपनी आँखों से देखना और उसमें हिस्सा लेना मेरे लिए बड़ी आशीष रही है! यह मेरा पक्का इरादा है कि यहोवा की मदद से मैं बेथेल में ही अपनी सारी ज़िंदगी बिताऊँ और राज्य के कामों को आगे बढ़ाने में खूब मेहनत करूँ।”
12 इन बेथेल सेवकों ने अपनी ढेरों आशीषों में से कुछ ही के बारे में बताया है। आप भी ये आशीषें पा सकते हैं, बशर्ते आप अपने आपको बेथेल सेवा के लिए सौंप दें। लेकिन सेवा की हर खास ज़िम्मेदारी की तरह, इसके लिए भी आपको कुछ माँगें पूरी करनी पड़ेंगी। वे कौन-सी माँगें हैं जिन्हें बेथेल परिवार का सदस्य बनने के लिए पूरा करना पड़ता है?
13 बेथेल सेवा के लिए माँगें: इस लेख में दिए बक्स में बताया गया है कि जो बेथेल सेवा के लिए अर्ज़ी भरते हैं, उन्हें कौन-सी बुनियादी माँगें पूरी करनी हैं। इसके अलावा, ज़रूरी है कि वे कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हों और “सुख-विलास के चाहनेवाले” न हों। (2 तीमु. 3:4; 1 कुरि. 13:11) बेथेल परिवार के सदस्यों को आध्यात्मिक बातों पर मन लगानेवाले होना चाहिए, जिन्होंने निजी अध्ययन की अच्छी आदतें पैदा की हों और “भले बुरे में भेद करने के लिये” अपनी ज्ञानेन्द्रियों को पक्का किया हो। (इब्रा. 5:14) बेथेल आने से पहले ही ज़िंदगी के हर पहलू में उनकी मसीही प्रौढ़ता ज़ाहिर होनी चाहिए, जैसे पहनावे, साज-श्रृंगार, संगीत और मनोरंजन जैसे मामलों में। बेथेल परिवार के सदस्य, जहाँ भी ज़रूरत हो, वहाँ काम करने के लिए हरदम तैयार रहते हैं। जो उम्र में छोटे हैं, उन्हें ज़्यादातर ऐसे काम दिए जाते हैं जिनमें शारीरिक मेहनत लगती है, जैसे छपाई, साहित्य तैयार करना और भेजना, रख-रखाव, हाउसकीपिंग, साफ-सफाई, लॉन्ड्री और खाना बनाने का काम। (नीति. 20:29) यह बाहर दुनिया में काम करने जैसा नहीं हैं, बल्कि यहाँ हर काम से सच्ची खुशी मिलती है क्योंकि यह एक पवित्र सेवा है जिससे यहोवा की महिमा होती है।—कुलु. 3:23.
14 बेथेल सेवा के लिए जिन्हें बुलाया जाता है, उनका वहाँ कम-से-कम एक साल रहना ज़रूरी है। इस दौरान वे सीखते हैं कि कैसे वे बढ़िया तरीके से काम कर सकते हैं। उनसे उम्मीद की जाती है कि वे हमेशा बेथेल में ही रहने का लक्ष्य रखें। यहोवा के लिए प्यार ही वह चीज़ है जो बेथेल परिवार के सदस्यों को उकसाती है कि वे राज्य के कामों को अपने निजी कामों से ज़्यादा अहमियत दें, क्योंकि ऐसी त्याग की भावना से यहोवा को खुशी होती है।—मत्ती 16:24.
15 मौजूदा ज़रूरतें: बेथेल में जिस तरह का काम किया जाता है, उसे मद्देनज़र रखते हुए, फिलहाल यहाँ अविवाहित भाइयों की ज़्यादा ज़रूरत है। हालाँकि यह एक माँग नहीं है कि वे रेग्युलर पायनियर हों, मगर ऐसे भाइयों को पहले मौका दिया जाता है जो रेग्युलर पायनियर हैं क्योंकि वे पहले से ही पूरे समय की सेवा कर रहे हैं। कभी-कभी ऐसी अविवाहित बहनों और शादी-शुदा जोड़ों को भी बुलाया जाता है जिनकी उम्र 19 और 35 के बीच है और जिनमें ऐसा कोई खास हुनर है जिसकी बेथेल में ज़रूरत हो। इसके अलावा, ऐसे भाई-बहन भी बेथेल के लिए अर्ज़ी भर सकते हैं जिनकी उम्र 35 से थोड़ी ज़्यादा है, मगर उनके पास कोई ऐसा हुनर है या उन्होंने ऐसी ट्रेनिंग पायी है जो बेथेल में काम आ सकती है। कुछ उदाहरण हैं, दंत-चिकित्सक, डॉक्टर, सर्टीफाइड पब्लिक अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट, इंजीनियर, रजिस्टर्ड नर्सें, गाड़ी के मैकेनिक, या इलेक्ट्रॉनिक टेकनीशियन, वगैरह। लेकिन हम भाई-बहनों को यह बढ़ावा नहीं दे रहे हैं कि वे यह सोचकर कोई खास शिक्षा या ट्रेनिंग पाने की कोशिश करें कि इससे उनके बेथेल बुलाए जाने की गुंजाइश बढ़ जाएगी। जिनके पास फिलहाल ऐसा हुनर है, जो शायद उन्होंने सच्चाई में आने से पहले हासिल किया था, वे अपनी योग्यताओं का पूरा ब्योरा लिखकर बेथेल एप्लीकेशन फॉर्म के साथ भेज सकते हैं।
16 अगर आपने बेथेल के लिए अर्ज़ी भरी है, मगर आपको बुलाया नहीं जाता तो निराश मत होइए। आप साल में एक बार दोबारा अर्ज़ी भर सकते हैं। ऐसे कुछ भाई, जिन्हें बेथेल में काम आनेवाली कोई खास ट्रेनिंग या हुनर हासिल है, वे कुछ समय के लिए बेथेल आकर सेवा करते हैं। ऐसे भाई चाहे तो एक, दो, तीन या चार हफ्तों से लेकर तीन महीनों तक सेवा करने की अर्ज़ी भर सकते हैं। कलीसिया के सेकेट्री के पास थोड़े समय सेवा करनेवालों के लिए एप्लीकेशन फॉर्म होते हैं, ताकि जो इस तरीके से मदद करना चाहते हैं वे आगे आ सकें। अगर और भी ऐसे फॉर्म की ज़रूरत हो, तो लिट्रेचर रिक्वेस्ट फॉर्म के साथ मँगाए जा सकते हैं।
17 बेथेल में सेवा करनेवालों के पास, मसीह के भाइयों के करीब रहकर यहोवा की सेवा करने का अनोखा अवसर है। शासी निकाय उन सभी की कदर करता है जो दुनिया भर में रहनेवाले हमारे भाइयों की सेवा के लिए त्याग की भावना दिखाते हुए खुद को दे देते हैं।—फिलि. 2:20-22; 2 तीमु. 4:11.
18 जवानो—बेथेल सेवा के लिए अभी से खुद को तैयार करो: बेथेल सेवा की तैयारी उन्नीस साल के होने से बहुत पहले ही शुरू हो जाती है। बेथेल सेवा के लिए बच्चे खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं? यीशु ने कहा: “तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहिले बैठकर खर्च न जोड़े”? (लूका 14:28) किसी भी निर्माण काम में सफल होने के लिए पहले से तैयारी करना और उसकी योजना बनाना ज़रूरी है। इसलिए जवानों को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए कि वे यहोवा की सेवा में कैसे भविष्य का निर्माण कर रहे हैं! आध्यात्मिक लक्ष्यों को पाने के लिए उन्हें बचपन में ही मज़बूत नींव डालनी चाहिए। तो जवान होने के नाते क्या आप अपने लिए एक अच्छी नींव डाल रहे हैं? अगर आप बेथेल में सेवा करना चाहते हैं, तो आगे बतायी बातों पर ध्यान देने से आपको फायदा होगा।
19 इस खास सेवा के लिए ‘जगह बनाएँ’: जैसा कि मत्ती 19:12 (NW) में लिखा है, यीशु ने अपने चेलों को अविवाहित रहने के लिए ‘जगह बनाने’ को उकसाया। किस मकसद से? अपने खुद के फायदे के लिए नहीं बल्कि “स्वर्ग के राज्य के लिये”। पौलुस ने भी अविवाहित रहने के लिए मसीहियों का उत्साह बढ़ाया ताकि वे ‘एक चित्त होकर प्रभु की सेवा में लगे रहें।’ (1 कुरि. 7:32-35) मगर अफसोस की बात है कि कई भाई, कम उम्र में ही शादी करने की वजह से बेथेल में अविवाहित स्थिति में सेवा करने का मौका गवाँ देते हैं। हम अपने जवान भाइयों को यह सुझाव देना चाहते हैं कि वे अपनी ताकत पूरे समय की सेवा करने में लगाएँ क्योंकि अभी वे पारिवारिक ज़िम्मेदारियों से आज़ाद हैं। अगर बाद में वे शादी करने का फैसला करते हैं, तो वे पति होने की ज़िम्मेदारी बखूबी निभा सकेंगे क्योंकि तब तक उन्होंने ज़िंदगी और मसीही सेवा में काफी तजुर्बा हासिल कर लिया होगा। कई साल बेथेल में सेवा करने के बाद कुछ लोगों ने शादी की है और अब वे एक जोड़े के रूप में बेथेल में सेवा कर रहे हैं। अगर आगे चलकर उन्हें सर्किट या डिस्ट्रिक्ट काम जैसी दूसरी खास ज़िम्मेदारियाँ मिलती हैं, तो बेशक उन्हें कोई पछतावा नहीं होगा कि उन्होंने बेथेल सेवा के लिए अपना समय दिया था।
20 दौलत की तरफ ध्यान भटकने न दें: हरेक जवान का अपने आपसे यह पूछना अच्छा होगा: ‘मैनें पढ़ाई पूरी करने के बाद क्या करने का लक्ष्य रखा है, पूरे समय की नौकरी करना या पूरे समय यहोवा की सेवा करना?’ माना कि पूरे समय की सेवा के लिए बहुत-से त्याग करने पड़ेंगे। लेकिन नौकरी करने पर भी तो त्याग करने पड़ते हैं! इसलिए सोचिए कि कौन-सा काम करने से हमें हमेशा का फायदा होगा? यीशु ने इसका जवाब साफ-साफ बताया। मत्ती 6:19-21 के मुताबिक उसने कहा: “अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।” आइए हम अपने दिल की चौकसी करें ताकि यह हमें ऐसा सोचने के लिए न बहकाए कि हम यहोवा की सेवा तन-मन से करने के बजाय, दुनियावी पेशा चुनें या दौलत कमाने में लग जाएँ। हम सबको यह बात दिल में बसा लेनी चाहिए कि यहोवा को खुश करने के लिए उसके साथ एक बढ़िया रिश्ता कायम रखना ही हमारी ज़िंदगी की सबसे बड़ी दौलत है। (नीति. 27:11) जवानी से ही ज़िंदगी में यहोवा को पहला स्थान देने से हम दिखाएँगे कि हमें कौन-सी बात ज़्यादा प्यारी है और राज्य हमारे लिए कितनी अहमियत रखता है। याद रखिए, “यहोवा की आशीष ही धनी बनाती है और वह उसके साथ कोई दुःख नहीं देता।” (नीति. 10:22, NW) जवानों के पास यह बढ़िया मौका है कि वे यहोवा के किए उपकारों के बदले, उसे उत्तम चीज़ अर्पित करके दिखाएँ कि उन्हें कौन-सी चीज़ ज़्यादा प्यारी है। यहोवा को अपनी उत्तम चीज़ देने का बेहतरीन मौका उन जवानों को मिलता है जो बेथेल सेवा के लिए योग्य साबित होते हैं।
21 बेथेल में सेवा करनेवालों का चालचलन शुद्ध होना ज़रूरी है: भजनहार ने पूछा: “जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे?” फिर उसने जवाब दिया: “[यहोवा के] वचन के अनुसार सावधान रहने से।” (भज. 119:9) सावधान रहने में यह भी शामिल है कि वे शैतान के संसार की हर अनैतिक बात से बिलकुल दूर रहें। इंटरनॆट पर पोर्नोग्राफी, लड़के-लड़कियों का एक-दूसरे के साथ गलत तरीके से पेश आना, नीच कामों को बढ़ावा देनेवाला संगीत और मनोरंजन, कम उम्र में ही शराब की लत, ये शैतान के कुछ ऐसे फंदे हैं जिनका इस्तेमाल करके वह हमारे जवानों को आध्यात्मिक लक्ष्य हासिल करने से रोकता है। इन चालों से बचने के लिए अटल इरादे की ज़रूरत है। अगर आप जवान हैं, और इनमें से किसी बुरे काम में फँसे हुए हैं, तो बेथेल सेवा के लिए अर्ज़ी भरने से पहले इस बारे में अपनी कलीसिया के प्राचीनों से बात कीजिए और ऐसी बुरी आदतों से निजात पाइए। यहोवा की सेवा तन-मन से करने के लिए एक शुद्ध विवेक का होना बहुत ज़रूरी है।—1 तीमु. 1:5.
22 दूसरों के साथ अच्छा रिश्ता कायम रखना सीखिए: बेथेल सेवा में सफल होने के लिए एक ज़रूरी बात है कि आप दूसरों के साथ मिल-जुलकर रहना सीखें। बैंगलोर में रहनेवाला बेथेल परिवार अलग-अलग जाति-भाषा के भाई-बहनों से बना है। इन अलग-अलग तरह के लोगों का साथ मिलकर रहना बेथेल की आध्यात्मिक खूबसूरती को बढ़ाता है, लेकिन कभी-कभी इस वजह से समस्याएँ भी पैदा हो सकती हैं। अगर आप बेथेल में सेवा करने की सोच रहे हैं तो आपको खुद से पूछना चाहिए: ‘जब दूसरे मेरी राय से सहमत नहीं होते तब क्या मैं बहुत जल्दी बुरा मान जाता हूँ? क्या मैं ऐसा इंसान हूँ कि दूसरों को मेरे साथ पेश आने में आसानी हो?’ अगर आपको इन बातों में सुधार करने की ज़रूरत है, तो अभी से शुरू कर दीजिए। ऐसा करने से आपके लिए बेथेल परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर रहना और सेवा करना आसान रहेगा।
23 यहोवा के साथ एक नज़दीकी रिश्ता बनाने के ज़रिए आध्यात्मिक रूप से मज़बूत होने के लिए कड़ी मेहनत कीजिए। निजी अध्ययन का एक अच्छा कार्यक्रम बनाइए जिसमें रोज़ाना बाइबल पढ़ाई भी शामिल हो। दूसरों को सुसमाचार सुनाने में जोश से हिस्सा लीजिए। ये सभी काम करके आप अपनी आध्यात्मिक तरक्की सब पर ज़ाहिर कर सकेंगे। (1 तीमु. 4:15) जो लोग अभी से पूरे समय की सेवा की तैयारी कर रहे हैं, उनका भविष्य कितना उज्ज्वल रहेगा!
24 माता-पिताओ, अपने बच्चों को तालीम दीजिए: पूरे समय की सेवा में बच्चों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं? यीशु ने कहा: “पूर्णतः प्रशिक्षित होने पर प्रत्येक चेला गुरु के समान बन जाता है।” (लूका 6:40, NHT) इसमें दो राय नहीं कि जो शागिर्द बढ़िया तालीम पाता है, वह ज़रूर अपने सिखानेवाले के जैसे बढ़िया गुण दिखाएगा। मसीही माता-पिताओं को यही उसूल मन में रखना चाहिए और बच्चों को तालीम देने की जी-तोड़ कोशिश करनी चाहिए जिससे कि वे ईश्वरीय “भक्ति” पैदा कर सकें। (1 तीमु 4:7) यह स्वाभाविक है कि बच्चे आध्यात्मिक बातों के बारे में अपने माता-पिता जैसा नज़रिया दिखाएँगे, इसलिए माता-पिताओं के लिए खुद से पूछना अच्छा रहेगा: ‘यहोवा की सच्ची उपासना को बढ़ावा देने के लिए बेथेल में जो काम किया जाता है, क्या हम उसकी कदर करते हैं? क्या हम मानते हैं कि बेथेल के इंतज़ाम पर यहोवा की आशीष है? क्या हमें यकीन है कि यहोवा की सेवा में ज़िंदगी बिताना ही हमारे बच्चों के लिए सबसे बढ़िया फैसला रहेगा?’ बेथेल सेवा और वहाँ किए जानेवाले काम की अगर हम सच्चे दिल से कदर करें, तो हम अपने बच्चों में भी ऐसी ही भावना पैदा कर सकेंगे।
25 एल्काना और हन्ना के दिल में सच्ची उपासना के लिए गहरी कदरदानी थी। उन्होंने मसीही माता-पिताओं के लिए बढ़िया उदाहरण रखा है। प्राचीन इस्राएल में सिर्फ इस्राएली पुरुषों से यह माँग की गयी थी कि वे साल में तीन बार निवासस्थान में “प्रभु यहोवा को अपना मुंह दिखाएं।” मगर जहाँ तक एल्काना की बात है, वह “प्रति वर्ष” यहोवा की उपासना की जगह बलिदान चढ़ाने के लिए अपने पूरे परिवार के साथ जाता था। यह करीब 30 किलोमीटर का सफर था और शायद उन्हें पैदल ही जाना होता था। (निर्ग. 23:17; 1 शमू. 1:3, 4, 9, 19; 2:19) इससे साफ ज़ाहिर होता है कि परिवार का यह मुखिया चाहता था कि उसका पूरा परिवार उसी की तरह आध्यात्मिक बातों में गहरी दिलचस्पी ले।
26 हन्ना ने भी अपने पति की तरह सच्ची उपासना के लिए जोश दिखाया। वह दिल से मानती थी कि निवासस्थान में सच्ची उपासना को बढ़ावा देना उसका फर्ज़ है। हन्ना ने मन्नत मानी कि अगर यहोवा ने उसे एक बेटा दिया, तो वह उसे निवासस्थान में सेवा करने के लिए अर्पित कर देगी। (1 शमू. 1:11) मूसा के नियम के तहत एक पति को यह हक था कि चाहे तो वह अपनी पत्नी की मन्नत को रद्द कर सकता था। (गिन. 30:6-8) लेकिन ऐसा लगता है कि एल्काना को अपनी पत्नी की वह मन्नत मंज़ूर थी। इस तरह उसने भी सच्ची उपासना की खातिर किए हन्ना के उस वादे को पूरा करने में उसका साथ दिया।—1 शमू. 1:22, 23.
27 एल्काना और हन्ना ने सच्ची उपासना के लिए जो कदरदानी और बढ़िया नज़रिया दिखाया, क्या उसका उनके बेटे पर अच्छा असर हुआ? जी हाँ, बिलकुल। शमूएल ने छुटपन से ही, दिए जानेवाले सभी काम खुशी-खुशी और वफादारी से किए और तब से ही उसे अच्छी तालीम दी गयी, ताकि वह बड़ा होने पर यहोवा की सेवा में खास ज़िम्मेदारियाँ निभा सके। एल्काना और हन्ना, निवासस्थान में सेवा करने के लिए शमूएल का जोश बढ़ाते रहे और ऐसा वे तब भी करते रहे जब शमूएल वहाँ पर ज़िम्मेदारियाँ निभाने लगा। पूरे समय की सेवा में उसका जोश बुलंद रखने और उसकी मदद करने के लिए वे लगातार उससे मिलने जाते थे।—1 शमू. 2:18, 19.
28 आज के मसीही माता-पिता, एल्काना और हन्ना से कितना कुछ सीख सकते हैं! जब बच्चे हमें अकसर बेथेल सेवा की सच्चे दिल से तारीफ करते हुए सुनेंगे और देखेंगे कि राज्य के कामों को आगे बढ़ाने के लिए हम कैसे अपना चैन-आराम त्याग देते हैं, तो उनके अंदर भी दूसरों की सेवा करने का जज़्बा पैदा होगा। बहुत-से माता-पिता अपने बच्चों के दिल में ऐसी भावना पैदा करने में कामयाब हो रहे हैं। सात साल की एक बच्ची ने लिखा: “मैं बड़ी होकर बेथेल में सेवा करना चाहती हूँ। ऐसे कुछ काम हैं जो मैं वहाँ करना चाहूँगी। (1) प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं को टाइप करूंगी, (2) आपके कला विभाग में काम करूँगी, (3) लॉन्ड्री में कपड़े तह करूँगी। चाहे कोई भी काम हो, मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।” हमारे बच्चों के दिल में ऐसी सेवा की भावना देखकर उन पर कैसे प्यार उमड़ आता है!
29 जवानो, याद रखिए कि “संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।” (1 यूह. 2:17) आध्यात्मिक लक्ष्यों को हासिल करने की लगातार कोशिश करते रहिए, जिनमें एक है बेथेल सेवा का सुअवसर। माता-पिताओ, प्राचीन समय के उन लोगों के उदाहरण पर चलिए जिन्होंने अपने बच्चों को ईश्वरीय भक्ति पैदा करने के लिए उकसाया। (2 पत. 3:11) आइए हम सभी अपने जवान भाई-बहनों की मदद करने का अपना फर्ज़ निभाएँ ताकि वे हमारे महान सिरजनहार की सेवा में अपना भरसक करें क्योंकि इससे “इस समय के और आनेवाले जीवन की भी प्रतिज्ञा” मिलती है।—1 तीमु. 4:8; सभो. 12:1.
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बेथेल सेवा के लिए बुनियादी माँगें
● बपतिस्मा पाए हुए कम-से-कम एक साल पूरा होना है
● आध्यात्मिक बातों पर मन लगानेवाला जिसके दिल में यहोवा और उसके संगठन के लिए गहरा प्यार हो
● आध्यात्मिक, मानसिक, भावात्मक और शारीरिक रूप से सेहतमंद
● भारत का नागरिक या कानूनी तौर पर भारत का स्थायी निवासी
● अँग्रेज़ी अच्छी तरह पढ़नी, लिखनी और बोलनी आती हो
● उम्र 19-35 साल