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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2009
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2009
w09 3/15 पेज 11-15

इनाम पर नज़र जमाए रखो

“उस इनाम के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए उसका पीछा कर रहा हूँ।”—फिलि. 3:14, NW.

1. प्रेरित पौलुस के सामने क्या इनाम रखा गया था?

प्रेरित पौलुस, जो तरसुस का शाऊल भी कहलाता था, ऊँचे खानदान से था। पौलुस ने उस वक्‍त के कानून के नामी शिक्षक गमलीएल से अपने पुरखों के धर्म की शिक्षा पायी थी। (प्रेरि. 22:3) उस ज़माने के हिसाब से सोचें तो कामयाबी और शोहरत, पौलुस का इंतज़ार कर रही थी। इसके बावजूद, पौलुस ने अपना धर्म छोड़ दिया और एक मसीही बन गया। उस वक्‍त से पौलुस ने अपनी नज़रें हमेशा की ज़िंदगी के उस इनाम पर जमाए रखीं जो उसके सामने रखा गया था। उसे यह आशा थी कि वह स्वर्ग में परमेश्‍वर की बनायी सरकार में एक अमर राजा और याजक बनेगा। परमेश्‍वर का यह राज फिरदौस बनायी गयी धरती पर हुकूमत करेगा।—मत्ती 6:10; प्रका. 7:4; 20:6.

2, 3. स्वर्ग में जीवन हासिल करने का इनाम पौलुस के लिए कितना अनमोल था?

2 पौलुस इस इनाम को कितना अनमोल समझता था, इस बारे में वह कहता है: “जो जो बातें मेरे लाभ की थीं, उन्हीं को मैं ने मसीह के कारण हानि समझ लिया है। बरन मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहिचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूं: जिस के कारण मैं ने सब वस्तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूं।” (फिलि. 3:7, 8) इंसानों के लिए यहोवा का मकसद क्या है, यह सच्चाई जानने के बाद पौलुस ने उन तमाम चीज़ों को कूड़ा समझा, जो ज़्यादातर लोगों की नज़र में बहुत अहमियत रखती हैं। जैसे, दौलत, शोहरत, ऊँचा पद और शानदार पेशा।

3 उस वक्‍त से पौलुस के लिए अगर कोई बात सबसे ज़्यादा अहमियत रखने लगी, तो वह थी यहोवा और यीशु मसीह का अनमोल ज्ञान। यह वही ज्ञान था जिसके बारे में यीशु ने परमेश्‍वर से अपनी प्रार्थना में कहा था: “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए ज़रूरी है कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्‍वर का और यीशु मसीह का, जिसे तू ने भेजा है, ज्ञान लेते रहें।” (यूह. 17:3, NW) पौलुस हमेशा की ज़िंदगी पाने की कितनी ज़बरदस्त ख्वाहिश रखता था, यह फिलिप्पियों 3:14 (NW) में लिखे उसके इन शब्दों से पता चलता है: “मसीह यीशु के ज़रिए परमेश्‍वर ने ऊपर का जो बुलावा रखा है, [मैं] उस इनाम के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए उसका पीछा कर रहा हूँ।” जी हाँ, पौलुस की नज़र उस इनाम पर जमी हुई थी, यानी हमेशा की ज़िंदगी पर जिसमें वह स्वर्ग में परमेश्‍वर की बनायी सरकार का एक हिस्सा होगा।

धरती पर हमेशा की ज़िंदगी

4, 5. आज परमेश्‍वर की मरज़ी पर चलनेवाले लाखों लोगों के सामने क्या इनाम रखा है?

4 लेकिन आज, परमेश्‍वर की मरज़ी पर चलने का चुनाव करनेवाले ज़्यादातर लोगों के सामने परमेश्‍वर की नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी पाने का इनाम रखा है। इस इनाम को हासिल करने के लिए हमें जी-जान से मेहनत करनी होगी। (भज. 37:11, 29) यीशु ने भी इस बात को पुख्ता किया कि हमेशा की ज़िंदगी की आशा करना सही है और यह आशा ज़रूर पूरी होगी। उसने कहा: “धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।” (मत्ती 5:5) हमारी पृथ्वी के अधिकारी होनेवालों में सबसे प्रमुख यीशु है, जैसा कि भजन 2:8 से पता चलता है। यीशु के अलावा, 1,44,000 जन उसके साथ स्वर्ग से इस पृथ्वी पर राज करेंगे। (दानि. 7:13, 14, 22, 27) इस राज की प्रजा, यानी भेड़-समान लोग जिनके लिए ‘जगत के आदि से यह राज तैयार किया गया है,’ इस मायने में इस राज के ‘अधिकारी’ होंगे कि वे सचमुच इस धरती पर रहेंगे। (मत्ती 25:34, 46) और हमें इस बात की गारंटी दी गयी है कि यह सब ज़रूर होगा, क्योंकि इसका वादा परमेश्‍वर ने किया है जो “झूठ बोल नहीं सकता।” (तीतु. 1:2) परमेश्‍वर के वादों के पूरा होने पर हमें वैसा ही भरोसा होना चाहिए, जैसा यहोशू ने दिखाया था, जब उसने इसराएलियों से कहा था: “जितनी भलाई की बातें हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने हमारे विषय में कहीं उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही; वे सब की सब तुम पर घट गई हैं, उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही।”—यहो. 23:14.

5 परमेश्‍वर की नयी दुनिया में ज़िंदगी आज की तरह मायूसी-भरी नहीं, बल्कि बिलकुल अलग होगी। न युद्ध होगा, न जुर्म, न गरीबी, न अन्याय, न बीमारी, ना ही मौत। लोग पूरी तरह सेहतमंद होंगे और उनका घर यानी यह धरती एक खूबसूरत बाग में तबदील कर दी जाएगी। उस वक्‍त ज़िंदगी इस कदर संतोष और चैन से भरी होगी कि जिसकी कल्पना आज हम ख्वाबों में भी नहीं कर सकते। जी हाँ, तब हर दिन बेइंतिहा खुशियाँ लेकर आएगा। सच, वह क्या ही शानदार इनाम होगा!

6, 7. (क) यीशु ने कैसे दिखाया कि परमेश्‍वर की नयी दुनिया में हम क्या-क्या होने की उम्मीद कर सकते हैं? (ख) किस तरह मरे हुओं को भी नए सिरे से ज़िंदगी शुरू करने का मौका दिया जाएगा?

6 जब यीशु धरती पर था, तो परमेश्‍वर ने उसे अपनी पवित्र शक्‍ति दी, ताकि वह दिखा सके कि नयी दुनिया में सारी धरती पर कैसे-कैसे हैरतअँगेज़ काम होंगे। मिसाल के लिए, एक आदमी जिसके शरीर को 38 साल से लकवा मारा हुआ था, उससे यीशु ने उठकर चलने के लिए कहा। बाइबल बताती है कि वह चलने-फिरने लगा। (यूहन्‍ना 5:5-9 पढ़िए।) एक और मौके पर, यीशु को एक ऐसा आदमी मिला “जो जन्म से अंधा था,” फिर भी यीशु ने उसकी आँखों की रौशनी लौटा दी। बाद में, इस आदमी से पूछा गया कि उसकी आँखों को रौशनी देनेवाले के बारे में वह क्या कहता है, तो उसका जवाब था: “जगत के आरम्भ से यह कभी सुनने में नहीं आया, कि किसी ने भी जन्म के अन्धे की आंखें खोली हों। यदि यह व्यक्‍ति परमेश्‍वर की ओर से न होता, तो कुछ भी नहीं कर सकता।” (यूह. 9:1, 6, 7, 32, 33) यीशु ये सारे काम इसलिए कर पाया क्योंकि परमेश्‍वर ने उसे शक्‍ति दी थी। जहाँ कहीं यीशु गया वहाँ उसने, “जो चंगे होना चाहते थे, उन्हें चंगा किया।”—लूका 9:11.

7 यीशु न सिर्फ बीमार और अपंग लोगों को ठीक करने के काबिल था, बल्कि वह मरे हुओं को भी ज़िंदा कर सकता था। इसकी एक मिसाल 12 साल की वह लड़की है, जो मर गयी थी। उसकी मौत के दुख से उसके माता-पिता का कलेजा फट गया। मगर यीशु ने उस मरी हुई लड़की से कहा: “हे लड़की, मैं तुझ से कहता हूं, उठ।” और वह वाकई उठ बैठी! क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह देखकर उस लड़की के माता-पिता और वहाँ मौजूद लोगों पर कैसा असर हुआ होगा? (मरकुस 5:38-42 पढ़िए।) परमेश्‍वर की नयी दुनिया में, जब मरे हुए अरबों लोग फिर से जी उठेंगे तब लोगों की “खुशी का ठिकाना न” (NW) रहेगा, क्योंकि बाइबल कहती है “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।” (प्रेरि. 24:15; यूह. 5:28, 29) इन लोगों को इस उम्मीद के साथ नए सिरे से ज़िंदगी शुरू करने का मौका दिया जाएगा कि वे उस वक्‍त से हमेशा-हमेशा तक जीते रह सकते हैं।

8, 9. (क) मसीह के हज़ार साल के राज के दौरान, आदम से विरासत में मिले पाप का क्या होगा? (ख) मरे हुओं का न्याय किस आधार पर किया जाएगा?

8 मरे हुओं में से जी उठनेवालों के पास मौका होगा कि वे हमेशा की ज़िंदगी हासिल कर सकें। मरने से पहले उन्होंने जो पाप किए थे, उनके लिए उन्हें सज़ा के लायक नहीं ठहराया जाएगा। (रोमि. 6:7) मसीह के हज़ार साल के राज के दौरान, जब फिरौती बलिदान के फायदे देने शुरू किए जाएँगे, तब उस राज की आज्ञाकारी प्रजा धीरे-धीरे सिद्धता हासिल करने की तरफ बढ़ती जाएगी। आखिर में, एक वक्‍त ऐसा आएगा जब यह प्रजा आदम के पाप के हर असर से पूरी तरह आज़ाद हो जाएगी। (रोमि. 8:21) यहोवा “मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा।” (यशा. 25:8) परमेश्‍वर का वचन यह भी कहता है कि ‘पुस्तकें खोली जाएँगी,’ जो दिखाता है कि उस वक्‍त जीनेवालों को नयी जानकारी दी जाएगी। (प्रका. 20:12) जैसे-जैसे इस धरती को एक खूबसूरत बाग बनाया जा रहा होगा, ‘जगत के निवासी धार्मिकता सीखेंगे।’—यशा. 26:9, NHT.

9 पुनरुत्थान पानेवालों का न्याय, आदम से विरासत में मिले पाप के आधार पर नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, वे खुद क्या करने का चुनाव करते हैं, इस आधार पर उनके भविष्य का फैसला होगा। प्रकाशितवाक्य 20:12 कहता है: “जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार” यानी जी उठने के बाद वे जिस तरह के काम करेंगे उनके हिसाब से “मरे हुओं का न्याय किया” जाएगा। यह एक मिसाल है कि इंसाफ करने, प्यार और दया दिखाने के मामले में यहोवा जैसा कोई नहीं! इतना ही नहीं, इन लोगों ने मरने से पहले इस पुरानी दुनिया में जो दुख-दर्द सहे थे, वे सब ‘स्मरण न रहेंगे और सोच विचार में भी न आएंगे।’ (यशा. 65:17) उन्हें नयी-नयी बातें सीखने को मिलेंगी जिससे उन्हें हिम्मत मिलेगी और ज़िंदगी में सबकुछ बहुत अच्छा होगा। इसलिए वे बीते हुए कल की बुरी बातें याद कर मायूस नहीं होंगे। गुज़रे हुए कल की कड़वी यादें भुला दी जाएँगी। (प्रका. 21:4) ऐसा ही उस “बड़ी भीड़” के साथ भी होगा जो हरमगिदोन से बचकर पार होगी।—प्रका. 7:9, 10, 14.

10. (क) परमेश्‍वर की नयी दुनिया में ज़िंदगी कैसी होगी? (ख) क्या करने से आपको इनाम पर नज़र जमाए रखने में मदद मिल सकती है?

10 परमेश्‍वर की नयी दुनिया में जीनेवाले, फिर न बीमार होंगे, न मौत उनकी राह तक रही होगी। “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।” (यशा. 33:24) एक वक्‍त ऐसा आएगा जब नयी दुनिया में जीनेवाले हर सुबह पूरी तंदुरुस्ती के साथ उठेंगे और वे ज़िंदगी का एक और शानदार दिन जीना चाहेंगे। हरेक के पास ऐसा काम होगा जिससे उसे वाकई संतोष मिलेगा और ऐसे साथी होंगे जो एक-दूसरे की दिल से परवाह करेंगे। ऐसी ज़िंदगी वाकई एक लाजवाब इनाम है! क्यों न आप अपनी बाइबल खोलकर यशायाह 33:24 और 35:5-7 की भविष्यवाणियाँ पढ़ें? वहाँ जो बताया गया है, मन में उसकी कल्पना कीजिए। क्या आप खुद को उस दुनिया में देख रहे हैं? इस तरह आपको इनाम पर अपनी नज़र जमाए रखने में मदद मिलेगी।

इनाम से नज़र हटना

11. सुलैमान के राज की बढ़िया शुरूआत के बारे में बताइए।

11 एक बार इस इनाम के बारे में जान लेने के बाद, हमें उस पर नज़र जमाए रखने के लिए जी-जान से मेहनत करनी होगी। ऐसा न किया, तो इनाम से हमारी नज़र हट सकती है। मिसाल के लिए, जब प्राचीन इसराएल में सुलैमान राजा बना, तो उसने बड़ी नम्रता के साथ परमेश्‍वर से प्रार्थना की कि उसे समझ और सूझ-बूझ दे, ताकि वह परमेश्‍वर के लोगों का सही तरह से न्याय कर सके। (1 राजा 3:6-12 पढ़िए।) इसके जवाब के बारे में बाइबल कहती है: “परमेश्‍वर ने सुलैमान को बुद्धि दी, और उसकी समझ बहुत ही बढ़ाई।” जी हाँ, “सुलैमान की बुद्धि पूर्व देश के सब निवासियों और मिस्रियों की भी बुद्धि से बढ़कर बुद्धि थी।”—1 राजा 4:29-32.

12. इसराएल में जो राजा बनते, उन्हें यहोवा ने क्या चेतावनी दी थी?

12 मगर यहोवा ने पहले से यह चेतावनी दे दी थी कि जो कोई राजा बने “वह अपने पास बहुत घोड़े न रखे” और “वह अपने लिए बहुत स्त्रियां भी न रखे ऐसा न हो कि उसका मन फिर जाए।” (व्यव. 17:14-17, NHT) घोड़ों की गिनती बढ़ाना दिखाता कि देश की रक्षा के लिए राजा अपनी फौज पर भरोसा करता है, न कि अपने रक्षक, यहोवा पर। और बहुत-सी पत्नियाँ रखना इसलिए खतरनाक साबित होता, क्योंकि अगर इनमें से कुछ आस-पास के उन देशों से होतीं, जो झूठे देवी-देवताओं की पूजा करते थे, तो राजा की ये पत्नियाँ उसका मन फेरकर उसे यहोवा की सच्ची उपासना से दूर ले जातीं।

13. सुलैमान को जो सम्मान मिला था, उससे उसकी नज़र कैसे हट गयी?

13 सुलैमान ने इन चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर दिया। उसने वही किया जो यहोवा ने खास तौर पर राजाओं को करने से मना किया था। उसने अपने लिए हज़ारों घोड़े और घुड़सवार रख लिए। (1 राजा 4:26) साथ ही, उसने अपनी पत्नियाँ और रखेलियाँ बढ़ा लीं, उसकी 700 पत्नियाँ और 300 रखेलियाँ हो गयीं। इनमें से बहुत-सी स्त्रियाँ आस-पास के देशों से थीं, जो यहोवा को नहीं मानते थे। इन स्त्रियों ने “उसका मन पराये देवताओं की ओर बहका दिया, और उसका मन . . . अपने परमेश्‍वर यहोवा पर पूरी रीति से लगा न रहा।” सुलैमान इन विधर्मी देशों की घिनौनी झूठी उपासना में शामिल होने लगा, जो उसकी विदेशी पत्नियाँ करती थीं। इसका नतीजा क्या हुआ? यहोवा ने कहा कि वह सुलैमान से ‘राज्य को निश्‍चय छीन लेगा।’—1 राजा 11:1-6, 11.

14. सुलैमान और इसराएल देश के आज्ञा न मानने का नतीजा क्या हुआ?

14 सुलैमान का ध्यान अब इस बात से हट चुका था कि सच्चे परमेश्‍वर का नुमाइंदा होने के नाते उसे कितना बड़ा सम्मान मिला हुआ है। वह राजा झूठी उपासना में डूब गया। कुछ वक्‍त के बाद सारा देश सच्चे परमेश्‍वर की उपासना छोड़ चुका था और इस वजह से ईसा पूर्व 607 में उसका विनाश हो गया। हालाँकि कुछ वक्‍त के बाद यहूदियों ने सच्चे परमेश्‍वर की उपासना फिर से शुरू की, मगर सदियों बाद यीशु को उनसे यह कहना पड़ा: “परमेश्‍वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा; और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा।” और ऐसा ही हुआ। यीशु ने कहा: “देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिये उजाड़ छोड़ा जाता है।” (मत्ती 21:43; 23:37, 38) इसराएल देश को सच्चे परमेश्‍वर का नुमाइंदा होने का बेजोड़ सम्मान मिला था, मगर उसने विश्‍वासघात किया और यह सम्मान खो दिया। ईसवी सन्‌ 70 में, रोम की फौजों ने यरूशलेम शहर को और उसके मंदिर को तहस-नहस कर दिया और जो यहूदी बच गए उन्हें गुलाम बना लिया।

15. ऐसे आदमियों की मिसालें बताइए, जिन्होंने अहमियत रखनेवाली बातों से ध्यान हटा लिया था।

15 यीशु के 12 प्रेरितों में से एक यहूदा इस्करियोती था। यहूदा ने यीशु की लाजवाब शिक्षाएँ सुनी थीं और वे चमत्कार भी देखे थे, जो यीशु ने परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की मदद से किए थे। इतना सब देखने के बावजूद, यहूदा ने अपने दिल को गलत राह पर जाने दिया। यहूदा को पैसे की वह थैली सँभालने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी जिसमें यीशु और उसके 12 प्रेरितों का पैसा रहता था। मगर “वह चोर था और उसके पास उन की थैली रहती थी, और उस में जो कुछ डाला जाता था, वह निकाल लेता था।” (यूह. 12:6) यहूदा का लालच इस इंतहा तक बढ़ गया कि उसने चाँदी के 30 सिक्कों के लिए पाखंडी प्रधान याजकों के साथ मिलकर यीशु को धोखे से पकड़वाने की साज़िश रची। (मत्ती 26:14-16) एक और आदमी था जिसकी नज़र इनाम से हट गयी। वह था प्रेरित पौलुस का साथी देमास। देमास ने अपने दिल को गलत राह पर जाने दिया। पौलुस ने कहा: “देमास ने इस संसार को प्रिय जानकर मुझे छोड़ दिया है।”—2 तीमु. 4:10; नीतिवचन 4:23 पढ़िए।

हम सबके लिए सबक

16, 17. (क) हमारा विरोध करनेवाला शैतान कितना ताकतवर है? (ख) क्या बात हमें शैतान के हर हथकंडे का सामना करने में मदद करेगी?

16 परमेश्‍वर के सभी सेवकों को बाइबल में दी गयी मिसालों पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि हमसे कहा गया है: “ये सब बातें, जो उन पर पड़ीं, दृष्टान्त की रीति पर थीं: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं।” (1 कुरि. 10:11) आज हम इस दुष्ट दुनिया की व्यवस्था के आखिरी दिनों में जी रहे हैं।—2 तीमु. 3:1, 13.

17 शैतान इब्‌लीस यानी ‘इस संसार का ईश्‍वर’ जानता है कि उसका “थोड़ा ही समय और बाकी है।” (2 कुरि. 4:4; प्रका. 12:12) वह ऐसा हर हथकंडा अपनाएगा जिससे वह यहोवा के सेवकों को मसीही उसूलों के खिलाफ जाने के लिए उकसाए। यह दुनिया शैतान की मुट्ठी में है, साथ ही इस दुनिया के प्रचार-प्रसार के माध्यम भी उसी के कब्ज़े में हैं। लेकिन यहोवा के लोगों के पास वह “असीम सामर्थ” है, जो इन सबसे कहीं शक्‍तिशाली है। (2 कुरि. 4:7) हम परमेश्‍वर से मिलनेवाली इस ताकत पर निर्भर हो सकते हैं, जो हमें शैतान के हर हथकंडे का सामना करने में मदद देगी। इसीलिए हमें उकसाया गया है कि हम लगातार प्रार्थना करते रहें और इस बात का भरोसा रखें कि यहोवा “अपने माँगनेवालों को पवित्र शक्‍ति” ज़रूर देगा।—लूका 11:13, NW.

18. आज के संसार के लिए हमारा नज़रिया कैसा होना चाहिए?

18 हमें यह जानकर हिम्मत मिलती है कि शैतान की सारी व्यवस्था बहुत जल्द मिटा दी जाएगी, मगर सच्चे मसीही बचे रहेंगे। “संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्‍वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।” (1 यूह. 2:17) इस मिटनेवाले संसार में अगर परमेश्‍वर का कोई सेवक यह सोचता है कि इस दुनिया में कुछ ऐसा है जो यहोवा के साथ उसके रिश्‍ते से ज़्यादा कीमती है, तो उसका ऐसा सोचना कितनी बड़ी बेवकूफी होगी। शैतान के कब्ज़े में पड़ी यह दुनिया एक डूबता जहाज़ है। यहोवा ने अपने वफादार सेवकों की जान बचाने के लिए एक “लाइफबोट” दी है जिसमें आकर वे डूबने से बच सकते हैं। वह लाइफबोट है, मसीही मंडली। परमेश्‍वर के ये वफादार सेवक नयी दुनिया की तरफ बढ़ते हुए, इस वादे के सच होने का भरोसा रख सकते हैं: “कुकर्मी लोग काट डाले जाएंगे; और जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।” (भज. 37:9) इसलिए अपनी नज़र इस बढ़िया इनाम पर जमाए रखिए!

क्या आपको याद है?

• पौलुस अपने सामने रखे इनाम के बारे में कैसा महसूस करता था?

• इस धरती पर हमेशा की ज़िंदगी पानेवालों का न्याय किस आधार पर किया जाएगा?

• आज आपके लिए बुद्धिमानी का रास्ता क्या होगा?

[पेज 12, 13 पर तसवीर]

बाइबल के किस्से पढ़ते वक्‍त, क्या आप मन की आँखों से खुद को इनाम हासिल करता हुआ देख सकते हैं?

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
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