अपने साहित्य का सही इस्तेमाल कीजिए
१ जुलाई १, १८७९ की वाचटॉवर वह पहली पत्रिका थी जिसे हमारी संस्था ने छापा था और उसकी ६,००० कॉपियाँ बाँटी गई थीं। तब से हमारी संस्था ढेरों किताबें, पत्रिकाएँ वगैरह छापकर बाँट रही है।
साहित्य देने का सरल इंतज़ाम
२ नवंबर में बताया गया था कि जब भाई-बहनों और बाइबल में दिलचस्पी दिखानेवालों को मैग्ज़ीन या दूसरे प्रकाशन दिए जाएँगे, तो उनसे बदले में न तो कोई निश्चित रकम माँगी जाएगी और न ही उन पर कोई दाम लगाया जाएगा। लेकिन प्रचार में साहित्य देते वक्त हम लोगों को बता सकते हैं कि सुसमाचार सुनाने का हमारा काम दुनिया भर में किया जाता है और अगर इस काम के लिए वे कुछ दान देना चाहें तो हम उसे खुशी-खुशी कबूल करेंगे। हमें भरोसा है कि इस इंतज़ाम पर ज़रूर यहोवा की आशीष होगी।—मत्ती ६:३३ से तुलना कीजिए।
प्रचार काम में
३ हम सभी लोगों को सुसमाचार सुनाते रहेंगे और इसमें उनकी दिलचस्पी बढ़ाने की कोशिश करते रहेंगे। लेकिन जो दिलचस्पी नहीं दिखाते, उन्हें साहित्य देने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि जब उन्हें हमारे संदेश में दिलचस्पी नहीं है तो फिर हम अपना साहित्य उन्हें देकर क्यों बेकार करें। जब कोई हमारे संदेश में दिलचस्पी दिखाता है और कहता है कि वह हमारा साहित्य पढ़ेगा, तब हम उसे साहित्य दे सकते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे साहित्य का सबसे बढ़िया इस्तेमाल हो।
४ साहित्य पेश करते वक्त आप कह सकते हैं: “अगर आप इसे पढ़ना चाहें तो मुझे यह किताब आपको देने में बड़ी खुशी होगी।” ऐसा कहने पर शायद वह पूछे: “इसकी कीमत क्या है?” तब आप कह सकते हैं: “हम इसे बेच नहीं रहे हैं, क्योंकि यह हमारा व्यापार नहीं है। दुनिया के २३३ देशों में हमारे जैसे ही स्वंयसेवक हैं और हम लोगों से मुलाकात करके उन्हें हमेशा की ज़िंदगी पाने के बारे में बताते हैं। अगर आप चाहें तो इस काम को आगे बढ़ाने के लिए कुछ दान दे सकते हैं।”
५ जब आप किसी को पत्रिकाएँ दिखाते हैं, तो उसके किसी लेख से संबंधित सवाल पूछिए और फिर कहिए: “इसका जवाब आपको इस लेख से मिलेगा। अगर आप ये दोनों पत्रिकाएँ पढ़ना चाहते हैं, तो आप इन्हें रख सकते हैं।” अगर वह पत्रिकाएँ ले, तो आप कह सकते हैं: “आपको ये पत्रिकाएँ देकर मुझे बहुत खुशी हुई है। इन्हें पढ़कर आप ज़रूर काफी कुछ जान पाएँगे। इसलिए अगले हफ्ते मैं आपकी राय जानने के लिए आपसे मिलना चाहूँगा। हम इस प्रहरीदुर्ग पत्रिका को १३२ भाषाओं में छापते हैं और पूरी दुनिया में इसकी २ करोड़, २० लाख से भी ज़्यादा कॉपियाँ बाँटी जाती हैं। लेकिन इसका सारा खर्चा लोगों के दान से ही पूरा किया जाता है। अगर आप चाहें तो आप भी इस शिक्षा के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए कुछ दान दे सकते हैं।”
६ कुछ लोगों से दान के बारे में बात करना ठीक नहीं होगा। मिसाल के लिए, अगर कोई हमारी बात बड़ी दिलचस्पी से सुनता है और वह पूछता है: “क्या आप ये किताबें ऐसे ही दे रहे हैं?” तो उससे यह कहना ठीक रहेगा: “अगर आप पढ़ना चाहते हैं, तो आप इसे रख सकते हैं। अभी हमने जो बातें कीं उस बारे में और चर्चा करने के लिए मैं आपसे अगले हफ्ते मिलना चाहूँगा। तब मैं आपको यह भी बताऊँगा कि दुनिया-भर में हमारा यह काम कैसे चलता है।” बाद में जब उससे आप मिलने जाते हैं, तब आप बता सकते हैं कि हमारे काम का खर्चा कैसे पूरा होता है।
७ और अगर कोई हमारे साहित्य तुरंत लेकर “थैंक्यू” कहता है, तो आप “वैलकम” कहने के बाद कह सकते हैं: “मुझे यकीन है कि आपको यह किताब ज़रूर पसंद आएगी। हमारा यह काम दुनिया-भर में चल रहा है, इसलिए कई लोग पूछते हैं कि इस काम के लिए पैसा कहाँ से आता है। दरअसल जब हम लोगों को साहित्य बाँटते हैं तो कई लोग उसमें दी गई जानकारी के लिए कदर दिखाते हुए कुछ रकम दान देते हैं। और जब वे दान देते हैं तो हम उसे खुशी-खुशी स्वीकार करते हैं क्योंकि इस दान से ही हम और भी किताबें छापकर दूसरों को बाँटते हैं।”
क्या वाकई दिलचस्पी है?
८ हम अपने साहित्य अँधाधुँध नहीं बाँटना चाहते। हम चाहते हैं कि सच्चाई की तलाश कर रहे लोग उन्हें पढ़ें और यहोवा के महान उद्देश्यों के बारे में सीखें। इसलिए अगर हम अपने साहित्य उन लोगों को देंगे जो आध्यात्मिक बातों की ज़रा भी कदर नहीं करते हैं तो हम अपने साहित्य को बेकार कर रहे होंगे। (इब्रा. १२:१६) अगर आप सही तरीके से साहित्य बाँटना चाहते हैं तो आपको यह जानना होगा कि आप जिससे बात कर रहे हैं उसे वाकई दिलचस्पी है या नहीं। लेकिन हम कैसे जान सकते हैं कि किसे सच्ची दिलचस्पी है और किसे नहीं? जब कोई आपके साथ बात-चीत करने के लिए तैयार होता है, तो यह इस बात की एक अच्छी निशानी है कि उसमें दिलचस्पी है। अगर वह आपकी बात ध्यान से सुनता है, आपके सवालों के जवाब देता है और अपनी राय ज़ाहिर करता है तो इसका मतलब है कि उसे वाकई दिलचस्पी है। अगर वह आपके साथ प्यार से और इज़्ज़त से बात करता है तो ज़ाहिर है कि उसे हमारी बात सुनना पसंद है। जब आप बाइबल पढ़ते हैं तब अगर वह ध्यान से सुनता है तो ज़ाहिर है कि परमेश्वर के वचन के लिए उसके दिल में श्रद्धा है। कुछ लोगों से यह पूछना ठीक रहेगा कि क्या वे हमारा साहित्य लेकर पढ़ना चाहेंगे। फिर आप कह सकते हैं कि आप उससे दोबारा मिलकर बात करना चाहेंगे। अगर वह हाँ कहता है तो यह एक और सबूत होगा कि उसे दिलचस्पी है। जब वह इस तरह दिलचस्पी दिखाता है तो इसका मतलब होगा कि जो साहित्य वह लेता है उसे सचमुच पढ़ेगा।
९ हमारे काम में किए गए इस बदलाव से यह बात अच्छी तरह साबित होती है कि हम ‘परमेश्वर के वचन को अपने लाभ के लिये बेचनेवाले’ नहीं हैं। (२ कुरि. २:१७, ईज़ी-टु-रीड वर्शन।) इससे यह भी साबित होता है कि हम संसार से बिलकुल अलग हैं।—यूहन्ना १७:१४.
१० बड़े बाबुल का विनाश बहुत जल्द होनेवाला है इसलिए धर्म के खिलाफ नफरत की आग भड़क रही है। लेकिन हम चाहते हैं कि हम अपना प्रचार काम न रोकें बल्कि पूरी दुनिया में राज्य का संदेश फैलाएँ ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग उद्धार पा सकें।—मत्ती २४:१४; रोमि. १०:१३, १४.