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सेवकाई में प्रगति करना

प्रगति के बारे में एक पुरानी कहावत यह कहती है: “वहीं से शुरु करो जहाँ तुम हो। मगर वहीं मत रहो जहाँ तुम हो।” सेवकाई में प्रगति करने के सम्बन्ध में यह कहावत कितनी लागू होती है! जब आपने सेवकाई शुरु की, आप राज्य संदेश का केवल एक संक्षिप्त प्रस्तुतीकरण दे सके होंगे। लेकिन अगर कुछ वर्ष बीत चुके हैं और आप उस अवस्था से आगे नहीं बढ़े हैं, और वहीं हैं जहाँ आप थे, क्या किया जा सकता है?

२ पहला क़दम, निपुणता से सिखाने के लिए आवश्‍यक विवेक की माँग यहोवा से करना है। (नीति. १५:१४; याकूब १:५) दूसरा क़दम आपकी प्रार्थना के अनुरूप कार्य करना है। रीज़निंग पुस्तक में दिए प्रस्तुतीकरणों पर विचार करने के लिए समय अलग रखें। एक ऐसे प्रस्तुतीकरण की खोज करें जो आपको लगे कि आप प्रभावकारी रूप से उपयोग कर सकेंगे और बाद में उसे तब तक बार बार दोहराएँ जब तक आपके मन में वह स्पष्ट रीति से बैठ जाता है। तीसरा क़दम अपने भाइयों के साथ क्षेत्र में जाना है, ताकि आप उन प्रस्तुतीकरणों को पेश कर सकेंगे जिनकी आपने तैयारी की है।

आपकी सहायता के लिए मित्र

३ आप कह रहे होंगे कि ‘यह करने से आसान कहना है।’ यह सच है, लेकिन इसीलिए आप के पास अपनी सहायता के लिए मित्र हैं। अगर आप जवान हैं, अपने माता-पिता से या अनुभवी प्रकाशकों से बात करें जो उत्पादनकारी सेवक हैं। द्वार पर आए लोगों से कैसे बातचीत करनी है, इस पर सुझावों के लिए उनसे माँग करें। वे अभ्यास सत्रों का सुझाव देंगे जब आप अपने प्रस्तुतीकरण का प्रयोग कर सकेंगे। घरों में सामना की गयी सामान्य आपत्तियों को पेश करते हुए, वे गृहस्वामी के भाग का अभिनय कर सकते हैं। अभ्यास से, आप लोगों से निपुणता के साथ बात करना सीखेंगे।

४ आपके पास अन्य मित्र भी हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं। पायनियर सेवा करनेवाले उपस्थित हैं जिन्होंने अनुभव और पायनियर सेवकाई स्कूल में उपस्थित रहने के द्वारा प्रचार कार्य के तरीक़े सीखे हैं। आपके पुस्तक अध्ययन संचालक या सेवकाई ओवरसियर भी आपके साथ घर-घर कार्य करने और लोगों के साथ कैसे बातचीत और तर्क करना है, यह प्रदर्शित करने की स्थिति में होंगे।

दिखाई गयी रुचि का पीछा करना

५ हमारा साहित्य स्वीकार करनेवाले लोगों को अधिक आध्यात्मिक सहायता देने में हम रुचि रखते हैं। इसका अर्थ है कि अधिक रुचि उत्तेजित करने के लिए हमें लौटना चाहिए। पुनःभेंट करने से पहले, प्रारंभिक भेंट पर आपने क्या कहा था इस पर पुनर्विचार करें ताकि आप अधिक प्रभावकारी रूप से उस विषय को विकसित कर सकेंगे जो उन में रुचि उत्पन्‍न की थी। यह बात भी मन में रखें कि जब हम बोते हैं और सिंचाई करते हैं, यहोवा ही उसे बढ़ाता है। भेंट करने से पहले उसके मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करें। (१ कुरि. ३:६; २ कुरि. ९:१०) जब हम दूसरों को सीखने की मदद करते हैं, हम खुद वैयक्‍तिक प्रगति करते हैं।

६ अगला महत्त्वपूर्ण क़दम एक बाइबल अध्ययन आरम्भ करना और संचालित करना है। अगर आप अपनी सेवा के कार्यकारी विकास में उस अवस्था तक नहीं पहुँचे हैं, प्रार्थना में यहोवा के पास जाते रहें और एक भेड़-समान व्यक्‍ति को पाने और खिलाने के लिए मदद माँगे। एक प्रभावकारी शिक्षक कैसे बाइबल अध्ययन संचालित करता है, इसका निरीक्षण करना और फिर उसकी शिक्षा पद्धतियों का अनुकरण करना, आप शायद सहायक पाएँगे। साथ ही, अगस्त १, १९८४, के द वॉचटावर, पृष्ठ ८-१७ में पायी गयी शिक्षण के विषय पर जानकारी का पुनर्विचार भी करें। इस तरह तैयारी करने के द्वारा, जब अपनी प्रार्थनाओं का आप जवाब पाएँगे, एक अध्ययन संचालित करने के लिए आप तैयार होंगे।

लक्ष्य रखें और उन्हें पाएँ

७ अधिक प्रभावकारी शिक्षण देने, पुनःभेंट करने, और अध्ययन संचालित करने के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए वक़्त लगेगा। क्या आप अपने लिए, एक सहायक या नियमित पायनियर बनने का एक और लक्ष्य रख सकते हैं? जैसे आप सेवकाई में प्रगति पाते रहेंगे, दूसरों के लिए आप प्रोत्साहन का एक स्रोत बनेंगे। अगर आप वहीं नहीं रहेंगे जहाँ आप हैं, लेकिन लगातार प्रगति करेंगे, तो यहोवा की ओर से आप कई आशिष पाएँगे।

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