अपने बच्चों को लहू के दुरुपयोग से सुरक्षित रखना
“देखो, लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं।” (भजन १२७:३) अगर आपको यहोवा की ओर से इतनी बेशक़ीमत विरासत मिली है, तो, माता-पिता होने के नाते, आप को अपने बच्चों को सिखाने, उनकी देखभाल और रक्षा करने की एक आनन्दित, फिर भी गंभीर ज़िम्मेदारी है। मिसाल के तौर पर, क्या आपने अपने नन्हे बच्चों को रक्ताधान से सुरक्षित रखने के लिए हर यथोचित क़दम लिया है? रक्ताधान की संभावना के सम्मुख आपके बच्चे कैसी प्रतिक्रिया दिखाएँगे? क्या आपने एक परिवार के रूप में इस बात पर विचार-विमर्श किया है कि आप किस तरह ऐसी संकट स्थिति से प्रभावकारी रूप से निपटेंगे, जिस में रक्ताधान दिया जाना संभव लगता हो?
२ यह ज़रूरी नहीं कि अपने परिवार को ऐसी स्थितियों के लिए तैयार करना परेशानी या अनावश्यक तनाव महसूस करने का कारण होना चाहिए। आप ज़िन्दगी में हर एक संभाव्य घटना को पहले से न जान सकते और न ही उसके लिए तैयार रह सकते हैं, लेकिन ऐसी कई चीज़ें हैं जो, माता-पिता होने के नाते, आप अपने बच्चों को रक्ताधान से सुरक्षित रखने के लिए पहले से कर सकते हैं। इन ज़िम्मेदारियों को नज़रंदाज़ करने के परिणामस्वरूप डॉक्टरी इलाज पाते समय आपके बच्चे को रक्ताधान दिया जा सकता है। तो क्या किया जा सकता है?
३ दृढ़ विश्वास महत्त्वपूर्ण: लहू पर परमेश्वर के नियम से संबंधित खुद अपने विश्वास कितने दृढ़ हैं, इस बात पर गंभीर विचार किया जाना चाहिए। क्या आप अपने बच्चों को इस मामले में यहोवा का आज्ञापालन करना सिखा रहे हैं, उसी तरह जैसे आप उन्हें ईमानदारी, नैतिकता, निष्पक्षता और ज़िन्दगी के अन्य पहलुओं पर उसके नियम सिखाते हैं? क्या हम सचमुच उसी तरह महसूस करते हैं जैसे व्यवस्थाविवरण १२:२३ में परमेश्वर का नियम आदेश देता है: “उसका खून किसी रीति न खाने के लिए दृढ़निश्चित रहना”? (NW) २५वीं आयत कहती है: “तू उसे न खाना; इसलिए कि वह काम करने से जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है तेरा और तेरे बाद तेरे वंश का भी भला हो।” कोई डॉक्टर शायद यह दावा करेगा कि लहू से आपके बीमार बच्चे का ‘भला होगा,’ लेकिन किसी भी संकट स्थिति के उत्पन्न होने से पहले ही आपको अपने लिए और अपने बच्चों के लिए लहू अस्वीकार करने के लिए दृढ़निश्चित रहना चाहिए, और यहोवा के साथ अपने संबंध को जीवन के ऐसे किसी भी प्रकार के तथाकथित विस्तारण से उच्चतर समझना चाहिए, जिस में उसका ईश्वरीय नियम भंग करना शामिल होगा। इस वक़्त परमेश्वर की पसंदगी और भविष्य में अनन्त जीवन सम्मिलित हैं!
४ जी हाँ, यहोवा के गवाह जीवन-निर्दिष्ट हैं। उन में मरने की कोई इच्छा नहीं है। वे इसलिए जीना चाहते हैं कि वे यहोवा की स्तुति और उसकी इच्छानुसार कर सकें। इसी एक वजह से वे अस्पताल जाते हैं और अपने बच्चों को वहाँ इलाज कराने के लिए ले जाते हैं। वे चिकित्सकों को इन का इलाज करने को कहते हैं और जब उन्हें बताया जाता है कि लहू सामान्य या डॉक्टरी रूप से सूचित उपचार क्रम है, तब वे वैकल्पिक रक्तहीन चिकित्सा प्रबंध की माँग करते हैं। लहू के कई विकल्प हैं। तजरबेकार चिकित्सक इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसा वैकल्पिक प्रबंध नीमहकीमी नहीं पर इस में ऐसे डॉक्टरी रूप से ठोस उपचार और प्रक्रियाएँ शामिल हैं जो प्रमुख चिकित्सा पत्रिकाओं द्वारा प्रमाणित हैं। पूरी दुनिया में हज़ारों चिकित्सक लहू के इस्तेमाल के बग़ैर अच्छी डॉक्टरी देखभाल देने में हमारा सहयोग कर रहे हैं, हालाँकि अब भी कभी-कभी ऐसे चिकित्सकों का पता लगाना एक समस्या बन जाती है, जो लहू इस्तेमाल किए बग़ैर गवाह बच्चों का इलाज करेंगे।
५ सहयोगशील डॉक्टर ढूँढ़ निकालना: मरीज़ों का इलाज करने में चिकित्सकों के कई फ़िक्र रहते हैं, और जब आप उन से निवेदन करते हैं कि आपके बच्चे का इलाज बग़ैर लहू के करे, तो इस से चुनौती बढ़ जाती है। कुछ चिकित्सक बालिग़ों की इच्छाओं का आदर करते हुए उनका इलाज करने के लिए राज़ी होंगे, बस इतना कि एक स्वीकार्य परित्याग पत्र भर दिया गया है। कुछ लोग उसी तरह नाबालिग़ों का इलाज करने के लिए राज़ी होंगे, जिन्होंने यह प्रदर्शित किया है कि वे परिपक्व नाबालिग़ हैं, चूँकि कुछ अदालतों ने स्वीकार किया है कि परिपक्व नाबालिग़ों को खुद अपने चिकित्सा-सम्बन्धी चुनाव करने का हक़ है। (एक परिपक्व नाबालिग़ कौन है, इस बात पर विचार-विमर्श के लिए प्रहरीदुर्ग, मई १, १९९२, पृष्ठ १३-१४ देखें.) बहरहाल, जब तक कि उन्हें लहू देने की इजाज़त न हो, तब तक चिकित्सक छोटे बच्चों, ख़ासकर शिशुओं का इलाज करना शायद अस्वीकार करेंगे। दरअसल, बहुत कम चिकित्सक इस बात का शत प्रतिशत आश्वासन देंगे कि वे बच्चे का इलाज करते समय किसी भी हालात में लहू इस्तेमाल नहीं करेंगे। चिकित्सा और क़ानून-सम्बन्धी कारणों से, अधिकांश डॉक्टरों को लगता है कि वे ऐसी गारंटी नहीं दे सकेंगे। फिर भी, ज़्यादा से ज़्यादा डॉक्टर यहोवा के गवाहों के बच्चों के लिए देखभाल का प्रबंध करना चाहते हैं और साथ ही साथ लहू के मामले में हमारी इच्छाओं का उस हद तक आदर करना चाहते हैं जितना उन्हें लगता है कि वे कर सकते हैं।
६ इसका ध्यान रखते हुए, क्या होगा अगर आप, अपने बच्चे के लिए एक उचित डॉक्टर की खोज में, एक ऐसे डॉक्टर का पता करते हैं जिसका यहोवा के गवाहों के साथ अच्छा सहयोग देने का रिकार्ड है और जिस ने अतीत में अन्य गवाहों पर वही रक्तहीन शल्यक्रिया की है, फिर भी जिसे लगता है कि क़ानूनन उसका यह हक़ नहीं बनता कि आपको लहू इस्तेमाल न करने की एक पूरी गारंटी दे? तो भी, वह आपको आश्वासन देता है कि उसे लगता है कि इस बार भी कोई समस्या न होगी। आप शायद यह तै करेंगे कि यह आपका सबसे बेहतर विकल्प है। इन हालात में आप शायद यह निष्कर्ष निकालेंगे कि आप आगे बढ़ने की इजाज़त दे सकेंगे। परन्तु, इस बात को बहुत स्पष्ट करें कि अपने बच्चे के लिए डॉक्टरी इलाज की इजाज़त देने में आप रक्ताधान देने की इजाज़त नहीं दे रहे हैं। ऐसा रास्ता अपनाना आप पर एक ज़िम्मेदारी तो लाता है मगर आपके निर्णय को एक समझौता नहीं समझा जाना चाहिए।
७ अवश्य, अगर आप एक ऐसे यथोचित वैकल्पिक उपचार-विकल्प ढूँढ़ निकाल सकते हैं जिस से लहू इस्तेमाल होने की समस्या और भी कम की जा सकती है या संभवतः हटा दी जा सकती है, तो संभव है कि आप कम जोख़िम-भरा रास्ता चुनेंगे। यह अपेक्षा की जाएगी कि आप एक ऐसे चिकित्सक या शल्यचिकित्सक को ढूँढ़ निकालने में अध्यवसायी कोशिश करेंगे, जो अन्य किसी भी चिकित्सक से ज़्यादा, लहू न देने के लिए राज़ी हो। समस्याओं का पूर्वानुमान करना ही सबसे अच्छी रक्षा है। पहले से ही एक सहयोगशील डॉक्टर को ढूँढ़ निकालने की हर कोशिश करें। जहाँ संभव हो, असहयोगशील डॉक्टरों और अस्पतालों से दूर रहने की कोशिश करें।
८ कुछ देशों में रक्ताधान दिया जाता है या नहीं, इस मामले में एक और बात है जिस से फ़र्क़ हो सकता है, और वह यह कि अस्पताल में की जानेवाली देखभाल की क़ीमत किस तरह चुकायी जाएगी। जब माता-पिता के पास स्वास्थ्य बीमा होने या ऐसी ही अन्य कोई सुरक्षा होने की वजह से अपनी पसन्द का डॉक्टर चुना जा सकता है, तो बच्चों को ज़्यादा आसानी से असहयोगशील चिकित्सकों या अस्पताल कर्मचारियों के नियंत्रण से दूर रखा जा सकता है। पर्याप्त आर्थिक राशि के होने से अक्सर यह निर्धारित होता है कि एक परिवार डॉक्टरों और अस्पतालों से किस प्रकार की सेवा और सहयोग प्राप्त करेगा। और, क्या एक अस्पताल या चिकित्सक बच्चे का किसी दूसरी जगह तबादला किया जाना स्वीकार करने को तैयार रहेगा या नहीं, अक्सर देखभाल के वास्ते पैसा चुकाने के लिए माता-पिता की क्षमता पर निर्भर होगा। और गर्भवती माताएँ, यह महत्त्वपूर्ण है कि आप गर्भावस्था के दौरान अपने स्वास्थ्य की रखवाली करें! यह असामयिक जन्म और उससे सम्बद्ध समस्याओं को रोकने में बहुत काम आएगा, चूँकि अक्सर असामयिक शिशुओं और उनकी समस्याओं के सामान्य उपचार में लहू शामिल होता है।
९ कभी-कभी चिकित्सक शिक़ायत करते हैं कि यहोवा के गवाह अंत तक लहू के बारे में अपनी आपत्तियों पर विचार-विमर्श नहीं करते। ऐसा कभी होना नहीं चाहिए। गवाह माता-पिता जब अस्पताल जा रहे होते हैं या किसी चिकित्सक से सहायता ले रहे होते हैं, तो उन्हें सबसे पहले लहू के विषय में अपनी स्थिति पर बातचीत करनी चाहिए। अगर शल्यक्रिया करनी पड़े, तो ऐनेस्थीसियोलोजिस्ट से जल्द से जल्द मुलाक़ात करने का निवेदन करें। शल्यचिकित्सक शायद आपको ऐसा करने की मदद करेंगे। प्रवेशाज्ञा प्रपत्र ध्यान से जाँचे जाने चाहिए। आपको कोई भी आपत्तिजनक बात काट देने का हक़ है। हर शक़ दूर करने के लिए, प्रवेशाज्ञा प्रपत्र पर साफ़-साफ़ लिख लें कि, धार्मिक और चिकित्सा-सम्बन्धी वजहों से, लहू किसी भी हालत में न चाहिए और ना ही उसे देने की इजाज़त दी जाती है।
१० यहोवा के संगठन से मदद: अपने बच्चों को लहू से सुरक्षित रखने में आपकी मदद करने के लिए यहोवा के संगठन ने क्या-क्या प्रबंध किए हैं? अनेक प्रबंध किए हैं। सोसाइटी ने लहू और रक्तहीन वैकल्पिक प्रबंध के विषय में हमें शिक्षित करने के लिए बहुत सारी बातें प्रकाशित की हैं। आपने इस विषय में आपके जीवन को लहू कैसे बचा सकता है? नामक ब्रोशर और अन्य प्रकाशनों का अभ्यास किया है। और स्थानीय कलीसिया में आपके भाई-बहन हैं जो आपको बहुत मदद और सहायता दे सकते हैं। जब कोई संकट-स्थिति होती है, तब प्राचीन अस्पताल में २४-घंटे रखवाली का प्रबंध करना उचित समझेंगे। बेहतर होगा कि एक प्राचीन मरीज़ के पिता या माता या किसी अन्य नज़दीक़ी परिवार सदस्य के साथ रहे। अक्सर रक्ताधान तब दिए जाते हैं जब सारे रिश्तेदार और दोस्त रात के लिए घर जा चुके होते हैं।
११ भारत में, हम जल्द ही प्रमुख शहरों में अस्पताल सम्पर्क कमेटियों को स्थापित करने वाले हैं। देश की हर कलीसिया को किसी एक कमेटी से जोड़ा जाएगा, जिस में ऐसे प्रशिक्षित भाई होंगे जो सहायता देने के लिए उपलब्ध होंगे। जब उनकी ज़रूरत हो, तब अपने प्राचीनों के ज़रिए उन से मुलाक़ात करें। छोटी-छोटी बातों में उन्हें नहीं बुलाया जाना चाहिए, लेकिन अगर यह महसूस किया जाता है कि कोई गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही है, तो बहुत देर होने तक न रुकें। वे अक्सर सहयोगशील चिकित्सकों के नाम और विकल्पों पर सुझाव दे सकते हैं। जहाँ ज़रूरी और संभव हो, ये भाई वहाँ उपस्थित रहने और समस्या से निपटने का प्रबंध करते हैं।
१२ अदालत के उलझाव के लिए तैयार रहकर उससे निपटना: अगर कोई डॉक्टर या अस्पताल आपके बच्चे को रक्ताधान दिलवाने के लिए अदालती आज्ञापत्र लेने का इरादा कर रहा हो, तब क्या? क्या यह पीछे हटने का वक़्त है, यह अनुमान करते हुए कि अब और कुछ भी नहीं किया जा सकता? बिलकुल नहीं! अब भी रक्ताधान रोकना संभव होगा। ऐसी संभावना के लिए तैयारी पहले ही की जानी चाहिए। क्या किया जा सकता है?
१३ इन मामलों में अस्पतालों और जजों को नियंत्रित या प्रभावित करनेवाले कुछेक क़ानूनी सिद्धान्त समझ लेने से बचाव करने में आपकी बहुत ही मदद होगी। मूलभूत महत्त्व रखनेवाला ऐसा ही एक सिद्धान्त यह तथ्य है कि क़ानून माता-पिता को अपने बच्चों के लिए डॉक्टरी इलाज स्वीकार या अस्वीकार करने का असीमित अधिकार नहीं देता। हालाँकि सामान्यतः बालिग़ों को अपनी इच्छानुसार चिकित्सक इलाज स्वीकार या अस्वीकार करने का हक़ है, माता-पिता तब भी अपने बच्चे के हित के लिए ज़रूरी माना जानेवाला उपचार अस्वीकार करने के लिए आज़ाद नहीं, जब उनका अस्वीकार निष्कपट रूप से माने जानेवाले धार्मिक विश्वासों पर आधारित है।
१४ यह मूलभूत सिद्धान्त १९४४ के अमरीकी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में प्रतिबिंबित था, जिस में कहा गया: “माता-पिता खुद शहीद होने के लिए आज़ाद होंगे। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि, इस से पहले कि उनके बच्चे संपूर्ण और क़ानूनी विवेकशीलता की उस उम्र तक पहुँच जाएँ जब वे यह चयन खुद कर सकें, उन्हें समान परिस्थितियों में अपने बच्चों को शहीद कर देने की आज़ादी है।” बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य और हित के लिए यही मूलभूत चिन्ता आज के बाल-कल्याण नियमों में सम्मिलित है। ये नियम, जिसका निशाना बाल दुरुपयोग है, बच्चों को चिकित्सा-सम्बन्धी अवहेलना से सुरक्षित रखने के लिए भी बनाए गए हैं।
१५ बच्चों को जनकीय दुरुपयोग और अवहेलना से सुरक्षित रखना मसीही माता-पिताओं को आपत्तिजनक नहीं लगता। लेकिन बाल-अवहेलना नियम और ऊपरोक्त सर्वोच्च न्यायालय का वक्तव्य अक्सर यहोवा के गवाहों के बच्चों से सम्बद्ध मुक़दमों में अनुचित रूप से लागू किए जाते हैं। क्यों? पहली बात तो यह है कि गवाह माता-पिताओं को अपने बच्चे “शहीद” करने का कोई इरादा नहीं। अगर उनका ऐसा इरादा होता तो सबसे पहले वे अपने बच्चों को अस्पताल ही क्यों ले जाते? उलटा, गवाह माता-पिता अपने बच्चों के लिए डॉक्टरी इलाज स्वेच्छा से माँगते हैं। वे अपने बच्चों से प्यार करते हैं और चाहते हैं कि उनका स्वास्थ्य अच्छा हो। लेकिन वे मानते हैं कि उन्हें इस प्रकार का डॉक्टरी इलाज चुनने का ईश्वर-प्रदत्त कर्तव्य है, जो उनके बच्चों के वास्ते सबसे बेहतर है। वे चाहते हैं कि अपने बच्चों की स्वास्थ्य समस्याएँ लहू के बग़ैर सँभाले जाएँ। ऐसी वैकल्पिक रक्तहीन देखभाल लहू से न सिर्फ़ बेहतर और अधिक सुरक्षित है लेकिन सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह उनके बच्चों को महान जीवन-दाता, यहोवा परमेश्वर की कृपादृष्टि में रखती है।
१६ रक्तहीन चिकित्सा प्रबंध के फ़ायदों के बावजूद, कई डॉक्टर और बाल-कल्याण अधिकारी रक्ताधान रोगोपचार को सामान्य चिकित्सा-सम्बन्धी प्रक्रिया मानते हैं जो कुछेक परिस्थितियों में ज़रूरी या प्राणरक्षक भी होगा। इस प्रकार, जब गवाह माता-पिता सुझाए गए रक्ताधान अस्वीकार करते हैं, समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। आम तौर से, डॉक्टर माता-पिता की सहमति के बग़ैर क़ानूनन बच्चों का उपचार नहीं कर सकते। लहू इस्तेमाल करने के वास्ते जनकीय सहमति की कमी पर विजय पाने के लिए, डॉक्टर या अन्य अस्पताल कर्मचारी शायद एक अदालती आज्ञापत्र के रूप में किसी जज से सहमति के लिए निवेदन करेंगे। अदालत द्वारा प्राधिकृत ऐसी सहमति शायद बाल-कल्याण अधिकारियों के ज़रिए या डॉक्टरों द्वारा या फिर अस्पताल अधिकारियों द्वारा उपलब्ध की जाएगी जो तथाकथित चिकित्सा-सम्बन्धी अवहेलना से बच्चे की रक्षा करने के लिए कार्य कर रहे हैं।a
१७ अक्सर लहू के इस्तेमाल का अधिकार देनेवाले अदालती आज्ञापत्र माता-पिता को बहुत कम समय देकर या फिर बिना बताए ही बहुत जल्द हासिल किए जाते हैं। डॉक्टर, अस्पताल प्रबन्धक, या बाल-कल्याण अधिकारी यह दावा करके, कि ऐसी चिकित्सा-सम्बन्धी संकट-स्थिति आयी है जिस की वजह से माता-पिता को क्या हो रहा है इस बारे में पूरी तरह वाक़िफ़ करने का समय ही नहीं, इस तरह शीघ्र हासिल किए गए अदालती आज्ञापत्रों को उचित सिद्ध करने की कोशिश करते हैं। बहरहाल, पूछ-ताछ में डॉक्टरों ने अक्सर क़बूल किया है कि असली संकट-स्थिति है ही नहीं और वे अदालती आज्ञापत्र इसलिए चाहते हैं “कहीं,” उनकी राय में, आगे जाकर रक्ताधान ज़रूरी न हो जाए। आपके बच्चे के नैसर्गिक अभिभावक होने के नाते, आपको यह जानने का मूल अधिकार है कि डॉक्टर, अस्पताल प्रबन्धक, या बाल-कल्याण अधिकारी आपके बच्चे के संबंध में हर समय क्या कर रहे हैं। क़ानून से यह आवश्यक होता है, कि जहाँ तक संभव हो, आपको अदालती आज्ञापत्र हासिल करने की कोशिशों के बारे में बता दिया जाए और अदालत के सामने इस विवाद में आपका पक्ष पेश करने की इजाज़त दी जाए।
१८ इन क़ानूनी वास्तविकताओं से एक सहयोगशील डॉक्टर ढूँढ़ निकालने का मूल्य विशिष्ट होता है। उसके साथ मिलकर काम करें, और आपके अस्पताल सम्पर्क कमेटी के सदस्यों के सहयोग से, उसे आपके बच्चे की डॉक्टरी समस्या का रक्तहीन प्रबन्ध के पीछे लगे रहने की मदद करें या फिर एक ऐसे डॉक्टर या अस्पताल की देखरेख में आपके बच्चे का तबादला करवाएँ जो ऐसा उपचार कर सकता है। पर अगर ऐसे लक्षण हैं कि डॉक्टर, अस्पताल प्रबन्धक, या बाल-कल्याण कर्मचारी अदालती आज्ञापत्र हासिल करने की सोच रहा है, तो आपको यह पूछने के लिए सतर्क रहना चाहिए कि क्या इसी की योजना की जा रही है। कभी-कभी यह टेलिफोन द्वारा गुप्त रूप से किया जाता है। अगर अदालत जाने की कोई योजना है, तो इस बात पर ज़ोर दें कि आप इसके बारे में इसलिए जानना चाहते हैं कि आप भी जज के सामने अपना पक्ष पेश कर सकें। (नीति. १८:१७) अगर समय हो, तो किसी वकील की मदद माँगना अक्सर उपयुक्त होता है। कभी-कभी वकील अदालत द्वारा नियुक्त किए जा चुके हैं। अगर आपका अपना या अदालत द्वारा नियुक्त वकील है, तो सोसाइटी का क़ानून-विभाग उसको ऐसी जानकारी दे सकता है जिससे उसे इन परिस्थितियों में जो सबसे अच्छा बचाव संभव हो, वह करने की मदद मिले।
१९ अगर आपका लहू अस्वीकार करना अदालत तक लिया जाता है, तो डॉक्टर की राय कि आपके बच्चे की जान या स्वास्थ्य बचाने के लिए लहू ज़रूरी है, बहुत ही विश्वासोत्पादक हो सकती है। जज, चूँकि चिकित्सा-सम्बन्धी रूप से अविशेषज्ञ है, आम तौर से डॉक्टर की चिकित्सा-सम्बन्धी विज्ञता को मान लेगा। यह ख़ासकर तब सच है जब माता-पिता को इस मामले में उनका पक्ष पेश करने का कुछ ही या फिर बिलकुल ही कोई मौक़ा नहीं दिया जाता है और डॉक्टर को, बिना किसी आपत्ति के, लहू की “अत्यावश्यक” ज़रूरत के बारे में अपने दावों को अभिव्यक्त करने दिया जाता है। ऐसी इकतरफ़ा कार्यवाही सच्चाई निर्धारित करने में सहायक नहीं। सच यह है कि डॉक्टर कब और क्यों खून देने की ज़रूरत महसूस करते हैं, बहुत ही व्यक्तिनिष्ठ और अनिश्चित है। अक्सर, जब एक डॉक्टर कहता है कि बच्चे की जान बचाने के लिए खून बिलकुल ही ज़रूरी है, एक और डॉक्टर, जिसे वही डॉक्टरी समस्या सँभालने में तजरबा है, कहेगा कि मरीज़ का इलाज करने के लिए खून ज़रूरी नहीं है।
२० अगर कोई वकील या जज आपसे पूछे कि आप अपने बच्चे के लिए “प्राणरक्षक” रक्ताधान अस्वीकार क्यों कर रहे हैं, तो आप क्या करेंगे? हालाँकि आप सबसे पहले पुनरुत्थान में अपना विश्वास समझाने और इस बात में अपना दृढ़ विश्वास अभिव्यक्त करने के लिए प्रवृत्त होंगे, कि अगर आपका बच्चा मर गया तो परमेश्वर उसे वापस ले आएगा, फिर भी ऐसे जवाब से जज, जिसकी प्रमुख चिन्ता बच्चे का शारीरिक हित है, इस बात का क़ायल होने के अलावा और कुछ भी नहीं होगा कि आप एक कट्टर व्यक्ति हैं और कि उसे आपके बच्चे की रक्षा करने के लिए दख़ल देना होगा।
२१ अदालत को यह जानना ज़रूरी है कि हालाँकि आप अत्यंत पक्के धार्मिक विश्वासों के आधार पर लहू अस्वीकार कर रहे हैं, आप दरअसल डॉक्टरी देखभाल अस्वीकार नहीं कर रहे हैं। जज को यह देखने की ज़रूरत है कि आप अवहेलना करनेवाले या दुरुपयोग करनेवाले माता-पिता नहीं हैं पर, उलटा, प्रेममय माता-पिता हैं जो अपने बच्चे का इलाज चाहते हैं। आप सिर्फ़ इसी बात से सहमत नहीं कि लहू के तथाकथित फ़ायदे संभाव्य प्राणघातक ख़तरों और समस्याओं से ज़्यादा भारी हैं, ख़ास तौर से जब इस तरह के चिकित्सा-सम्बन्धी विकल्प उपलब्ध हैं जिन में ये जोख़िम मौजूद नहीं।
२२ परिस्थिति के अनुसार, आप शायद जज को यह बतला सकेंगे कि यह सिर्फ़ एक डॉक्टर की राय है कि खून ज़रूरी है, लेकिन हर डॉक्टर का अपना ही इलाज करने का तरीक़ा होता है, और आप एक ऐसे डॉक्टर को ढूँढ़ निकालने का मौक़ा चाहते हैं जो रक्तहीन प्रबन्ध के व्यापक रूप से उपलब्ध तरीक़ों से आपके बच्चे की देखभाल करेगा। अस्पताल सम्पर्क कमेटी की मदद से, आप शायद ऐसे डॉक्टर का पता लगा चुके होंगे जो बिना खून इस्तेमाल किए आपके बच्चे का इलाज करेगा और जो, शायद टेलिफोन के ज़रिए, अदालत में सहायक गवाही देगा। संभव है कि सम्पर्क कमेटी जज को—और अदालती आज्ञापत्र की माँग करनेवाले डॉक्टर को भी ऐसे चिकित्सा-सम्बन्धी लेख दे सकेगी, जिन में बताया गया है कि आपके बच्चे की चिकित्सा-सम्बन्धी समस्या को किस तरह खून के इस्तेमाल के बग़ैर प्रभावकारी रूप से सँभाला जा सकता है।
२३ जब जजों से अदालती आज्ञापत्र जल्दी से देने की माँग की जाती है, तो अक्सर उन्होंने खून के अनेक ख़तरों पर, जिन में एड्स, हेपाटाइटिस् और अन्य कई जोख़िम शामिल हैं, न ग़ौर किया है और ना ही उन्हें इस बारे में याद दिलाया गया है। आप ये बातें जज को बता सकते हैं, और आप उसे यह भी बता सकते हैं कि आप, एक मसीही माता या पिता होने के नाते, जीवन को बनाए रखने की कोशिश में किसी और व्यक्ति के खून के इस्तेमाल को परमेश्वर के नियम का एक गंभीर अतिक्रमण मानेंगे और आपके बच्चे को ज़बरदस्ती खून देना बलात्कार माना जाएगा। आप और आपका बच्चा (अगर इसकी उम्र इतनी हो कि उसके अपने विश्वास रहे) ऐसे शारीरिक आक्रमण के प्रति अपनी नफ़रत के बारे में समझा सकते हैं और जज से निवेदन कर सकते हैं कि ऐसा आज्ञापत्र न दें बल्कि आपको अपने बच्चे के लिए वैकल्पिक चिकित्सा प्रबन्ध की खोज में रहने की इजाज़त दें।
२४ जब सही बचाव किया जाता है, तब जज दूसरा पक्ष—यानी माता-पिता होने के नाते आपके पक्ष को साफ़-साफ़ देख सकते हैं। फिर वे रक्ताधान की आज्ञा देने में इतनी जल्दबाज़ी नहीं करते। कुछ मुक़दमों में जजों ने डॉक्टर द्वारा खून इस्तेमाल करने की आज़ादी पर अत्यंत रोक लगा दी है, और यह भी माँग की है कि पहले विकल्पों पर ग़ौर किया जाए, या फिर उन्होंने माता-पिता को ऐसे डॉक्टर ढूँढ़ निकालने का मौक़ा दिया है, जो खून के बग़ैर इलाज करेंगे।
२५ रक्ताधान ज़बरदस्ती दिलवाने की कोशिश करनेवालों से निपटने में, यह अत्यावश्यक है कि आप अपने दृढ़ विश्वासों में कभी डगमगाने का कोई सबूत न दें। जज (और डॉक्टर) कभी-कभी पूछते हैं कि अगर माता-पिता उन पर रक्ताधान देने के निर्णय की ज़िम्मेदारी “सौंप दें,” तो क्या उन्हें कोई कठिनाई होगी, यह सोचते हुए कि इस से माता-पिता को अपने अंतःकरण से निपटना ज़्यादा आसान रहेगा। परन्तु, यह हर सम्बद्ध व्यक्ति को स्पष्ट किया जाना चाहिए कि आप, माता-पिता होने के नाते, रक्ताधान से बचे रहने के लिए सब कुछ करते रहने की बाध्यता महसूस करते हैं। यह आपकी ईश्वर-प्रदत्त ज़िम्मेदारी है। इसे किसी दूसरे को सौंपा नहीं जा सकता।
२६ इसलिए, डॉक्टरों और जजों के साथ बात करने में, आपको अपनी स्थिति स्पष्ट और विश्वासोत्पादक रूप से बताने के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर अदालती आज्ञापत्र आपकी बेहतर से बेहतर कोशिशों के बावजूद भी दिया जाता है, तो चिकित्सक को रक्ताधान न देने की बिनती और वैकल्पिक इलाज करने का आग्रह करते रहें। रक्ताधान से बचे रहने के वास्ते, चिकित्सा-सम्बन्धी लेख और ऐसे किसी भी डॉक्टर की राय पर विचार करने की उसकी तैयारी माँगते रहें, जो कि इस चिकित्सा-सम्बन्धी समस्या पर परामर्श देने के लिए तैयार हैं। कई बार, एक प्रत्यक्षतः अटल डॉक्टर ने आपरेशन-भवन से निकलकर अभिमान से घोषित किया है कि उस ने खून इस्तेमाल नहीं किया। तो, अदालती आज्ञापत्र के दिए जाने के बाद भी, हिम्मत न हारें, चाहे जो भी हो जाए!—प्रहरीदुर्ग का मई १, १९९२, अंक देखें, “पाठकों के प्रश्न.”
२७ याद रखें, यीशु ने कहा: “लोगों से सावधान रहो, क्योंकि वे तुम्हें महा सभाओं में सौंपेंगे, . . . तुम मेरे लिए हाकिमों और राजाओं के सामने उन पर, और अन्यजातियों पर गवाह होने के लिए पहुँचाए जाओगे।” ऐसी परिस्थितियों में हमारे दिलासे के लिए, यीशु ने यह भी कहा कि पवित्र आत्मा हमें ऐसे मौक़ों पर क्या कहना उचित और फ़ायदेमन्द होगा, यह याद करने की मदद करेगा।—मत्ती १०:१६-२०.
२८ “जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है।” (नीति. १६:२०) माता-पिता, अपने बच्चे को एक आध्यात्मिक रूप से दूषित करनेवाले रक्ताधान से सुरक्षित रखने के लिए पहले से ही ज़रूरी तैयारियाँ करें। (नीति. २२:३) बच्चो, ये तैयारियाँ करने में अपने माता-पिता के प्रशिक्षण के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाओ और उन्हें अपने मन में बैठा दो। एक परिवार के रूप में, “उसका खून किसी रीति न खाने के लिए दृढ़निश्चित रहना . . . ताकि” यहोवा की आशीष और पसंदगी की मुस्कराहट पाने की वजह से “तेरा भला हो।”—व्यव. १२:२३-२५, NW.
[फुटनोट]
a जब कोई मौजूदा, जारी संकट-स्थिति होती है जिस में, डॉक्टर की राय में, तात्कालिक उपचार की ज़रूरत है, सिर्फ़ तब ही बच्चे की ज़िन्दगी या स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी समझे जानेवाले उपचार-क्रम (जिन में रक्ताधान शामिल हैं), जनकीय या न्यायिक सहमति के बग़ैर क़ानूनन दिए जा सकते हैं। निःसन्देह, चिकित्सक को उत्तरदायी होना चाहिए जब वह इस क़ानून में दिए आपातिक अधिकार का सहारा लेता है।