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हर मौक़े पर अभिदान पेश कीजिए

हमारे पास प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! की क़दर करने का अच्छा कारण है। कौन-सी अन्य पत्रिकाओं का ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय आकर्षण है? इस महीने हमारी प्रचार गतिविधि में इन पत्रिकाओं के लिए अभिदान विशिष्ट किया जाएगा, और अक्‍तूबर के अंकों में क्या ही शक्‍तिशाली जानकारी है! सामान्यतः, हम घर-घर कार्य में अपनी अधिकांश पत्रिकाएँ वितरित करते और अभिदान प्राप्त करते हैं; लेकिन, हम हर दूसरे मौक़ों पर इन्हें पेश करने के लिए भी तैयार रहना चाहेंगे।

२ अक्‍तूबर १ की “प्रहरीदुर्ग” पेश करते वक़्त, आप शायद यह कहते हुए लेख “युद्ध बिना एक संसार—कब?” में दिलचस्पी प्रेरित करें:

▪“अनेक लोग सोचते हैं कि मनुष्य के सभी प्रयासों के बावजूद एक शान्तिपूर्ण संसार क्यों अप्राप्य लगता है। अक्‍तूबर १ की प्रहरीदुर्ग के पृष्ठ ४ पर इन कथनों के बारे में आप क्या सोचते हैं? [पृष्ठ के निचले भाग में बक्स में दिए गए कुछ कथनों को पढ़िए और जवाब के लिए रुकिए।] निःसंदेह, इसका यह अर्थ नहीं कि शान्ति कभी नहीं आएगी। यहाँ यशायाह ९:६, ७ में परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा पर ध्यान दीजिए।” आप शायद इस पाठ को अपनी बाइबल से या प्रहरीदुर्ग के पृष्ठ ७ पर दूसरे स्तंभ के ऊपरी भाग में जैसे वह उद्धृत किया गया है पढ़ें। संक्षिप्त रूप से समझाइए कि प्रहरीदुर्ग एक शान्तिपूर्ण संसार के लिए एकमात्र आशा के तौर पर यहोवा के राज्य का समर्थन करती है, और व्यक्‍ति को लेख पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कीजिए।

३ ऐसे व्यक्‍तियों से बात करते वक़्त जो संभवतः एक बाइबल विषय पर कम दिलचस्पी दिखाएँगे, आप शायद अक्‍तूबर २२ की “सजग होइए!” (अंग्रेज़ी) प्रस्तुत करें और कहें:

▪“इस पत्रिका के आवरण पर दिए गए सवाल: ‘ज़िन्दगी इतनी छोटी क्यों है?’ के बारे में आप क्या सोचते हैं? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] लेखों की यह श्रंखला बुढ़ापे के बारे में आधुनिक वैज्ञानिकों और अन्य लोगों का जो कहना है, उसकी ओर ध्यान आकर्षित करती है, और फिर यह अनन्त जीवन की प्रत्याशाओं के सम्बन्ध में हमारे सृष्टिकर्ता ने जो प्रतिज्ञा की है उस पर केंद्रित होती है। मैं चाहता हूँ कि आप इस पत्रिका को डाक द्वारा नियमित रूप से प्राप्त करें।”

४ जब आप ऐसे लोगों को पाते हैं जो धार्मिक रूप से प्रवृत्त हैं, तब क्यों न अक्‍तूबर १५ की “प्रहरीदुर्ग” का एक लेख प्रस्तुत करें? यह प्रस्तुति शायद एक प्रतिक्रियात्मक तार को छेड़ दे:

▪“इस सवाल पर मैं आपकी राय जानना चाहता हूँ: क्या परमेश्‍वर से प्रेम करना साथ ही साथ उससे डरना संभव है?” जवाब के लिए रुकिए, और फिर लेख “अभी सच्चे परमेश्‍वर का भय क्यों मानें?” का शीर्षक पाठ पढ़िए। (सभो. १२:१३) रीज़निंग (अंग्रेज़ी) पुस्तक के पृष्ठ १९९ पर दिए गए दृष्टान्तों में से एक दृष्टान्त का प्रयोग कीजिए, और अभिदान पेश कीजिए।

५ घर-घर कार्य करते वक़्त, छोटी दुकानों को नज़रअंदाज मत कीजिए। जो नियमित रूप से दुकानों पर भेंट करते हैं, इस कार्य को आनन्दप्रद और फलदायक कहते हैं। आप अक्‍तूबर ८ की “सजग होइए!” (अंग्रेज़ी) प्रस्तुत करते वक़्त इस प्रकार की एक सरल प्रस्तुति को अपनाने की कोशिश कर सकते हैं:

▪“हम जानते हैं कि व्यापारी लोग उनके समुदाय को प्रभावित करनेवाले विषयों पर दिनाप्त रखे जाने की क़दर करते हैं। मैं विश्‍वास करता हूँ कि ये लेख आपको दिलचस्प लगेंगे।” फिर संक्षिप्त रूप से लेख “एक-जनकीय परिवार—वे कितने सफल हो सकते हैं?” से एक मुद्दा बताइए।

६ जिस व्यक्‍ति के पास आप जाते हैं, यदि वो वास्तव में व्यस्त हैं, तो आप पत्रिकाओं को दिखाकर कह सकते हैं:

▪“मैं जानता हूँ कि आप आज एक मेहमान की अपेक्षा नहीं कर रहे थे, इसलिए मैं संक्षिप्त में कहूँगा। मैं आपको कुछ ऐसी चीज़ को पढ़ने का मौक़ा देना चाहूँगा जो महत्त्वपूर्ण है।” एक ऐसा लेख दिखाइए जिसे आपने चुना है, और पत्रिकाओं को पेश कीजिए।

७ घर-घर का एक सही-सही रिकार्ड रखिए, और सभी वितरणों पर पुनःभेंट कीजिए। यदि एक अभिदान इनकार किया जाता है तो पत्रिकाओं की एकल प्रतियाँ पेश करने का निश्‍चय कीजिए। उसके बाद पुनःभेंट पर फिर से अभिदान पेश कीजिए। आइए हम हर उपयुक्‍त मौक़े पर अभिदान पेश करने के लिए तैयार और सतर्क रहें।

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