उचित मनोभाव वाले लोगों को ढूँढ निकालिए
प्रचार कार्य का एक उद्देश्य है “अनन्त जीवन के लिये उचित मनोभाव” वाले लोगों को ढूँढ निकालना। (प्रेरि. १३:४८, NW) इसे पूरा करने के लिए प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं का वितरण एक अत्युत्तम तरीक़ा साबित हुआ है, क्योंकि हमारी पत्रिकाएँ लोगों को राज्य आशा के प्रति अवगत कराती हैं। अप्रैल के दौरान हम इन पत्रिकाओं के लिए अभिदान पेश करेंगे। आशा है कि जहाँ दिलचस्पी पायी जाती है, वहाँ हम ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है पुस्तक से नए बाइबल अध्ययन शुरू कर सकते हैं। यहाँ कुछ सुझाव हैं जो शायद आपके लिए कारगर हों:
२ अप्रैल १ की “प्रहरीदुर्ग” का इस्तेमाल करते वक़्त, आप “सनातन राजा की स्तुति कीजिए!” को विशिष्ट कर सकते हैं, जो पिछले साल के ज़िला अधिवेशन के जन भाषण पर केन्द्रित है, और कह सकते हैं:
▪“अधिकांश लोग जिनसे हम बात करते हैं परमेश्वर में विश्वास रखते हैं। कुछ लोग उसमें विश्वास करना कठिन पाते हैं। आप कैसा महसूस करते हैं? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] हमारे चारों तरफ़ ऐसे ठोस प्रमाण हैं जो यह साबित करते हैं कि एक परमेश्वर होगा ही। [भजन १०४:२४ पढ़िए।] जब हम किसी कैमरे या कम्प्यूटर को देखते हैं, हम आसानी से स्वीकारते हैं कि वह किसी बुद्धिमान अभिकल्पक द्वारा बनाया गया होगा। क्या यह कहना तर्कसंगत होगा कि इससे कहीं ज़्यादा जटिल चीज़ें, जैसे यह पृथ्वी और हम मनुष्य, संयोग से उत्पन्न हुए हैं?” परमेश्वर में विश्वास करने का एक ठोस कारण दिखाने के लिए लेख से एक अनुच्छेद का इस्तेमाल कीजिए। पत्रिका के महत्त्व को समझाइए और एक अभिदान पेश कीजिए।
३ अप्रैल १५ की “प्रहरीदुर्ग,” लेख “सच्ची उपासना परमेश्वर की आशिष क्यों पाती है” को विशिष्ट करती है। जहाँ उपयुक्त हो, वहाँ इसे पेश करने से पहले आप पूछ सकते हैं:
▪“संसार में सैकड़ों धर्मों की मौजूदगी से, क्या आप सोचते हैं कि वे सभी परमेश्वर को स्वीकार्य होगें? [टिप्पणी के लिए रुकिए।] यीशु ने पूर्वबताया कि अनेक धार्मिक व्यक्तियों के दावों के बावजूद, जो परमेश्वर की इच्छा को नहीं करते हैं वे ठुकराए जाएँगे। [मत्ती ७:२१-२३ पढ़िए।] यह महत्त्वपूर्ण है कि हम यीशु द्वारा सिखाए गए सच्चे धर्म को पहचानें।” पृष्ठ १६ से शुरू, शीर्षक “सच्चे धर्म को कौन-से फल उत्पन्न करने ज़रूरी हैं?” को खोलिए, और मुद्दे को सचित्रित करने के लिए एक उदाहरण पर चर्चा कीजिए।
४ अप्रैल २२ की “सजग होइए!” (अंग्रेज़ी) के मुख्य विषय, “जब युद्ध नहीं रहेंगे” को विशिष्ट करते वक़्त, आप शायद ऐसा कहने का विचार करें:
▪“इस शताब्दी में सैकड़ों युद्ध हुए हैं, जिनमें दो विश्व युद्ध सम्मिलित हैं। फिर भी वस्तुतः सभी विश्व नेता कहते हैं कि उन्हें शान्ति चाहिए। वे सभी जिन्हें मैं जानता हूँ यही बात कहते हैं। यदि सभी को शान्ति चाहिए, तो वे इसे प्राप्त क्यों नहीं कर सकते? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] आपके विचार से पृथ्वी पर सच्ची शान्ति देखने के लिए हमें किस चीज़ की ज़रूरत है?” गृहस्वामी की प्रतिक्रिया के बाद, पृष्ठ ८ और ९ को खोलिए और भजन ४६:८, ९ जैसे पाठों को पढ़िए। दी गयी तस्वीरों और उद्धृत शास्त्रवचनों का इस्तेमाल करते हुए यह दिखाइए कि कैसे परमेश्वर का राज्य विश्वव्यापी शान्ति लाएगा जो सर्वदा के लिए रहेगी। फिर अभिदान पेश कीजिए और लौटने का प्रबन्ध कीजिए।
५ यदि आप ऐसे अनेक लोगों को पाते हैं जो कहते हैं कि वे व्यस्त हैं, तो आप शायद इस प्रस्तावना को इस्तेमाल करके देखें:
▪“हम ऐसे लोगों की मदद करने में दिलचस्पी रखते हैं जो व्यस्त जीवन बिताते हैं और जो जीवन के आध्यात्मिक पहलू पर विचार करने के लिए कम समय पाते हैं। हमारी पत्रिकाएँ, प्रहरीदुर्ग और सजग होइए!, ऐसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर संक्षिप्त जानकारी प्रदान करने के लिए रची गयी हैं जो आपको और आपके परिवार को प्रभावित करते हैं। मैं चाहूँगा कि आप इन प्रतियों को स्वीकार करें।”
६ अभिदान से इनकार करनेवाले प्रत्येक व्यक्ति को ४ रुपए प्रति के चंदे पर पत्रिकाओं की कई प्रतियाँ पेश करना न भूलिए। वे निश्चय ही प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पढ़ने से लाभ प्राप्त करेंगे, जो “कल्याण का शुभ समाचार” लाती हैं।—यशा. ५२:७.