हमारी सेवकाई—सच्चे प्रेम का इज़हार
अपनी सेवकाई के ज़रिए हम दिखाते हैं कि हम दो सबसे बड़ी आज्ञाओं को मानते हैं। (मत्ती २२:३७-३९) यहोवा के प्रति हमारा प्रेम हमें उसके बारे में सकारात्मक रीति से बोलने के लिए उकसाता है। अपने पड़ोसियों के प्रति हमारा प्रेम हमें उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए उकसाता है कि वे परमेश्वर की इच्छा और उसके उद्देश्य का ज्ञान लें ताकि हमारी तरह वे यहोवा से प्रेम कर सकें और खुद को अनंत जीवन के लिए योग्य बना सकें। तो इस तरह हम अपनी सेवकाई से यहोवा के नाम का गौरव करते हैं और अपने पड़ोसियों के साथ राज्य की अमूल्य आशा बाँटते हैं। यह सच है कि हमारी सेवकाई परमेश्वर के प्रति और मनुष्यों के प्रति सच्चे प्रेम का इज़हार है।
२ हमारा प्रेम हमें सभी परिस्थितियों में और सब प्रकार के लोगों के साथ बोलने के लिए प्रेरित करता है। (१ कुरि. ९:२१-२३) उदाहरण के लिए: हवाई जहाज़ में एक मसीही प्राचीन एक रोमन कैथोलिक पादरी की बगल में बैठा था। प्राचीन ने कुशलता से कुछ सवाल पूछकर पादरी से बात छेड़ी और फिर उसने अपनी चर्चा राज्य पर शुरू की। जहाज़ से उतरने के पहले पादरी ने हमारी दो किताबें ले लीं। अपने पड़ोसी के प्रति प्राचीन के सच्चे प्रेम के इज़हार का क्या ही बढ़िया नतीजा रहा!
३ सच्चा प्रेम हमें प्रचार करने के लिए उकसाता है: जो सहयोगी और पूर्ण-समय पायनियर कार्य करते हैं, वे वास्तव में परमेश्वर और पड़ोसी के प्रति सच्चे प्रेम का इज़हार करते हैं। पायनियर दूसरों को आध्यात्मिक रूप से मदद देने के लिए लगातार अपने समय और अपनी शक्ति का दान देते हैं। कौन-सी बात उन्हें ऐसा करने के लिए उकसाती है? एक पायनियर ने कहा: “मैं जानती हूँ कि प्रेम परमेश्वर की आत्मा का एक फल है। इसलिए बिना इसके मैं सच्चाई में होती ही नहीं और एक पायनियर की हैसियत से सफल तो कभी नहीं हो पाती। प्रेम ही मुझे लोगों में दिलचस्पी लेने के लिए प्रेरित करता है, उनकी ज़रूरतों के प्रति जागरूक बनाता है और मुझे खुशी होती है कि लोग प्रेम पाने पर अच्छी प्रतिक्रिया दिखाते हैं।” यीशु ने लोगों के प्रति ऐसा प्रेम प्रदर्शित किया। एक बार जब यीशु और उसके थके-माँदे चेले कहीं ‘थोड़ा विश्राम करने’ के लिए जा रहे थे, तो भीड़ उनसे पहले वहाँ पहुँच गयी। यीशु ने क्या किया? “उन पर तरस खाया” और अपनी व्यक्तिगत ज़रूरतों का खयाल न करते हुए वह “उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा।”—मर. ६:३०-३४.
४ जब लोग हमारे द्वारा बताए गए सुसमाचार को ठुकरा देते हैं तब भी हम अंदरूनी खुशी महसूस करते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि उन्हें उद्धार दिलाने के लिए हमने प्रेम से प्रेरित होकर अपना भरसक किया है। जब अंत में मसीह हम सबका न्याय करेगा, हम बहुत खुश होंगे कि हमने सच्चा प्रेम दिखाया और यों ‘अपनी सेवा को पूरा किया।’—२ तीमु. ४:५.