“हर एक भले काम के लिये तत्पर हो”
यहोवा के लोगों को आज भरपूर पौष्टिक आध्यात्मिक भोजन की आशीष मिली है। (यशा. २५:६) व्यक्तिगत और पारिवारिक अध्ययन साथ ही कलीसिया सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों के ज़रिए हम बहुत-से शास्त्रीय विषयों का आनंद उठा सकते हैं। लेकिन क्या हम ‘सिद्ध बनने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाने,’ की बात को मन में रखकर इन सबसे पूरा फायदा उठाते हैं?—२ तीमु. ३:१७.
२ वर्ष १९९८ की आध्यात्मिक सूची पर ज़रा गौर कीजिए जो कि आधी समाप्त हो चुकी है! सप्ताह के दौरान हम कलीसिया सभाओं के ज़रिए मसीही यूनानी शास्त्र की २३ किताबों के कुछ मुख्य मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं, शास्त्रवचनों पर अंतर्दृष्टि में दिए गए ४९ बाइबल पात्रों के जीवन चरित्र की जानकारी पर पुनर्विचार कर रहे हैं और उद्घोषक (अंग्रेज़ी) किताब से १३८ पन्नों पर विचार कर रहे हैं। हम पूरी ज्ञान किताब और पारिवारिक सुख किताब के अनुच्छेदों का सिलसिलेवार अध्ययन कर रहे हैं। इसके अलावा, हमारी राज्य सेवकाई के १२ अंकों, प्रहरीदुर्ग के ५२ अध्ययन लेखों और विभिन्न बाइबल विषयों के करीब उतने ही जन भाषणों द्वारा पोषित हो रहे हैं। उच्चकोटि के अधिवेशन और सम्मेलन के कार्यक्रम भी इनमें शामिल हैं। अच्छी आध्यात्मिक चीज़ों की क्या ही भरमार!
३ यहोवा के प्रबंधों की कदर कीजिए: पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए हमें यह समझने की ज़रूरत है कि यहोवा आध्यात्मिक चीज़ें इतनी बहुतायत में क्यों देता है। इन अच्छी चीज़ों द्वारा पोषित होने से हमारा विश्वास दृढ़ होता है और परमेश्वर के साथ हमारा रिश्ता मज़बूत होता है। (१ तीमु. ४:६) मगर आध्यात्मिक भोजन मात्र हमारे ही निर्देशन के लिए नहीं दिया जा रहा। यह हमें दूसरों को सच्चाई बताने और सुसमाचार के सेवकों के तौर पर इसे प्रभावकारी रूप से पेश करने के लिए प्रेरित करता है।—२ तीमु. ४:५.
४ आइए, हम कभी भी अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतों के प्रति लापरवाह न बनें, परंतु हमेशा यहोवा की मेज़ से पौष्टिक और आध्यात्मिक रूप से संतुष्ट करनेवाले प्रबंधों के लिए लालसा विकसित करते रहें। (मत्ती ५:३, NW; १ पत. २:२) पूरी तरह से लाभ पाना है तो हमें नियमित व्यक्तिगत और पारिवारिक बाइबल अध्ययन करने और सभाओं में उपस्थित होने जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए पर्याप्त समय निकालने की ज़रूरत है। (इफि. ५:१५, १६) ऐसा करने से हमें वही आनंदपूर्ण प्रतिफल मिलेगा जिसके बारे में पौलुस ने वफादार इब्री मसीहियों को अपनी ईश्वर-प्रेरित किताब इब्रानियों के १३:२०, २१ में लिखा था।