मुलाकात जो वरदान साबित हो सकती है
जक्कई के लिए बेहद खुशी की बात थी जब यीशु मेहमान बनकर उसके घर आया। और यह मुलाकात कितना बड़ा वरदान साबित हुई!—लूका १९:२-९.
२ मसीही कलीसिया का सिर होने के नाते यीशु मसीह आज प्राचीनों को ‘परमेश्वर के झुंड की रखवाली करने’ के लिए मार्गदर्शित कर रहा है। (१ पत. ५:२, ३; यूह. २१:१५-१७) कलीसिया के ओवरसियर, सभाओं में सिखाने और क्षेत्र सेवकाई में आगे रहने के अलावा कलीसिया के हरेक सदस्य की प्यार से निजी सहायता करते हैं। इसलिए समय-समय पर आप घर पर, राज्यगृह में, प्रचार के वक्त या फिर किसी और समय प्राचीनों की इस मदद की उम्मीद कर सकते हैं। क्या आपको घबराना चाहिए जब प्राचीन आपसे मुलाकात करने आते हैं? ज़रा भी नहीं। जब वे आपसे मिलने आते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपसे ज़रूर कुछ गलत काम हो गया होगा। तो फिर इस तरह उनका आपके घर आने का क्या मकसद हो सकता है?
३ पौलुस ने भाइयों से मुलाकात करनी चाही ताकि वह देख सके कि ‘वे कैसे हैं।’ (प्रेरि. १५:३६, NHT) जी हाँ, प्यारे चरवाहे होने के नाते प्राचीनों को यह चिंता रहती है कि आप कैसे हैं। वे आपको आध्यात्मिक मदद देना चाहते हैं जिससे कि आपकी भलाई हो और आप मज़बूत हों। यही हमारा प्यारा चरवाहा यहोवा चाहता है कि हममें से हरेक को ऐसा निजी ध्यान मिले।—यहे. ३४:११.
४ प्राचीनों का स्वागत कीजिए: पौलुस का अपने भाइयों से मुलाकात करने के लिए जाने का मकसद था कि ‘उन्हें कुछ आत्मिक वरदान दे कि वे दृढ़ हो जाएं अर्थात् आपस में एक दूसरे के विश्वास से प्रोत्साहित हों।’ (रोमि. १:११, १२, NHT) मुसीबतों से भरे इन आखिरी दिनों में हम सबको आध्यात्मिक प्रोत्साहन की और विश्वास में हमेशा दृढ़ रहने के लिए मदद की ज़रूरत है। जब आप प्राचीनों का दिल खोलकर स्वागत करेंगे तो बेशक दोनों को एक दूसरे के विश्वास से प्रोत्साहन मिलेगा।
५ प्राचीनों के रखवाली कार्य से जो फायदे होते हैं उनके लिए हमें कदरदानी दिखानी चाहिए। अगर आपकी कुछ समस्या है या आपको अपने बारे में कोई सवाल पूछना है तो याद रखिए कि प्राचीन कलीसिया में आपकी मदद करने के लिए ही हैं। उनसे ऐसे किसी भी मामले पर बात करने में मत हिचकिचाइए जिससे आपकी आध्यात्मिक सेहत को खतरा हो सकता है। यहोवा के इस प्यार-भरे इंतज़ाम की कदर कीजिए और इन मुलाकातों से मिलनेवाले वरदानों से खुशी हासिल कीजिए।